Kya Mufti Yasir Sirf Indian Muslims Se Hi Baat Kar Sakte Hain?

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(2) Reply to Sahil Adeem – Challenge Accepted – YouTube Transcript: (00:00) खर मुझे यह तवको तो नहीं थी साहिल अदीम से कि वह इंसान का बच्चा बनकर जवाब देंगे तो बजाय इसके कि वह मेरे दलाल का जवाब देते वो शॉर्ट वीडियो ही थी शायद एक आध मिनट की थी कि जिसमें वह मेरे खानदान के ताल्लुक से गुफ्तगू कर रहे हैं मेरे वालिद और दादा के ताल्लुक से वो उन्होंने बातें की है आपकी तरफ से हो या सायल अदीम साहब की तरफ से दोनों की तरफ से एक मिसअंडरस्टैंडिंग हुई है और इसकी वजह से फिर यह मैं जलती में आग का काम करने नहीं आया बल्कि पानी का काम करने आया हूं आप यहां पर मेरे ख्याल से जलती में तेल डालने नहीं आए बल्कि पानी डालने आए हैं और पानी डाले और

(00:38) उसका तरीका आपने जो प्रपोज किया है ना आई वुड लाइक टू डू दैट जी जी मैं सर जरूर इंशा ताला जरूर अपनी तरफ से कोशिश करूंगा वो मानेंगे भी सही मेरी सिर्फ एक रिक्वेस्ट मानेंगे लिख लीजिएगा नहीं मानेंगे ठीक है मेरे ख्याल से अब लिंक पब्लिक करने का जी ये जो मदरसे हैं जी तो यह तो एक छोटे लेवल पर बात है इसी तरह कोई मुल्क अगर चा वो आजाद रहे तो व आईम से कर्जे लेने बंद कर जी जी जी बिल्कुल बिल्कुल सही कहा और एक मुल्क है जिसके पीछे लोग पड़े हुए कि ले लो किसी तरीके से आईएमएफ से कर्जे वो कह रहा नहीं लेंगे चटाई पर बैठेंगे और रूखा सूखा खाएंगे

(01:15) आईएमएफ से कर्जा नहीं लेंगे जी औरक आईएफ से कर्जा नहीं लिया इसलिए उस मुल्क को कोई रिकॉग्नाइज भी नहीं कर रहा है चूंकि शर्त यह है कि पहले कर्जा लो और उसके बाद हमारा निजाम तालीम अपने स्कूलों में लेकर आ आओ हमारा करिकुलम अपने स्कूलों में लेकर आओ तो हम तुम्हें रिकॉग्नाइज करेंगे यह शर्त है जी हां जी अब इजाजत है अगर क्योंकि मैं जी आगे बढ़ते जी हां क्योंकि अब ये आजाद वाली बात गुफ्तगू हो ही गई है तो पहली बात साब मैं आपको बता दूं कि आप तो आजाद नहीं है ठीक है ये आज आपके लिए न्यूज है अच्छा ठीक है ये दो सवाल जो मैंने करने थे बड़े

(01:55) इंपोर्टेंट है हालांकि मुझे पता है टाइम ज्यादा हो गया बट आई फील दे आर वेरी इंपोर्टेंट तो इसलिए जवाब देना जरूरी है साहिल अदीम साहब जो है उनके अगेंस्ट जो भी हम आपके इश्का है या हमारे जो मतलब जो हम पॉइंट्स उठाते हैं वो पब्लिकली अवेलेबल है इसमें कोई शक नहीं हम कोई प्राइवेटली या नाम छुपा के बात नहीं करते तो क्या हुआ कल हमारे पास एक साहिल अदीम साहब की एक वीडियो आती है जिसमें वो ये बात कहते हैं कि मुझे किसी ने वीडियो दिखाया मुफ्ती यासिर का जिसमें वो जो है ना मेरे खिलाफ प्रोपेगेंडा फैला रहे हैं ठीक है और वो अक्सर मेरे खिलाफ प्रोपेगेंडा करते हैं तो

(02:24) मैं उनसे यह कहना चाहूंगा कि आप निजाम की बात इसलिए नहीं करते क्योंकि आप इंडिया से हैं और आप गुलाम है दूसरा उन्होंने यह कहा कि इंडिया के मुसलमानों को जो इंडिया के जो मुस्लिम्स है वो इफरिट का शिकार हैं तीसरा उन्होंने यह कहा कि मुफ्ती यासर नदीम अल वाजदी को चाहिए कि वो सिर्फ इंडियन मुस्लिम्स को ही मुखातिब करें आप पाकिस्तानी मुसलमानों से बात करने के लायक नहीं है पाकिस्तानी मुसलमान आजाद है तो यह मुफ्ती साहब पहला एक सवाल है तो इस पर अगर आप कोई अपना इनपुट देना चाहे जी मुझे कुछ लोगों ने यह शॉर्ट क्लिप भेजी और मैं नहीं

(02:55) समझता कि अ बदतमीजी का जवाब बनता है है यानी एक तो ये कि उन्होंने अपना जिस तरह हमने अपना नजरिया रखा के बल्कि आयतों से इस्ते दलाल किया और यह मुझे नहीं मालूम कि वह कौन सी वीडियो की बात कर रहे हैं मैंने कौन सा उनके खिलाफ प्रोपेगेंडा किया ओबवियसली बात है कि वह कैसर अहमद राजा साहब की स्ट्रीम पर आए थे शायद एक साल हो गया उस वक्त मैंने उनके ही चैनल के ऊपर जाकर एक कुछ बात रखी थी अब वो एगजैक्टली क्या बात थी शायद वह उसमें जाने की जरूरत नहीं वो वीडियो मौजूद है अ अब उसका जवाब अगर उन्होंने आज दिया है तो मैं खैर मुझे य तवको तो नहीं थी साहिल अदीम से कि वह

(03:32) इंसान का बच्चा बनकर जवाब देंगे लेकिन यह भी तवको नहीं थी कि जिस निजाम की वह बात कर रहे हैं उस निजाम के उसूलों के बखिरा जाकर उस निजाम के बुनियादी उसूलों के बखिल जाकर वह निजाम के हक में बात करेंगे उस निजाम का जो बुनियादी उसूल है वह क्या है ला तना बज बल काब के लोगों को उल्टे सीधे लकब ना दो इसी तरीके से उस निजाम का जो एक बुनियादी उसूल सूर हुजरात में दिया गया वो यह है कि लास मन कम कि एक कौम दूसरी कौम का मजाक ना उड़ाए यह हो सकता है कि जिस कौम का मजाक उड़ाया जा रहा हो उड़ाया जा रहा है वह पहली कौम से बेहतर हो ठीक है इस

(04:16) निजाम का जो उसूल है वह यह है कि जब तुम बात करो किसी से तो तुम इल्मी अंदाज में गुफ्तगू करो और अगर कोई अगर जहालत के साथ गुफ्तगू करनी है तो तुम्हारी तरफ से क्या अगर सामने वाला जाहिल है तो फिर तुम उससे गुफ्तगू ही ना करो इ सलामा के जब जाहिल तुमसे खिताब करे तो उससे को सलाम वालेकुम तुम्हारे ऊपर सलामती हो तुम अपने इन कामों के अंदर बिजी रहो तो बजाय इसके कि वह मेरे दलाल का जवाब देते वह शॉर्ट वीडियो ही थी शायद एक आध मिनट की थी कि जिसमें वह मेरे खानदान के ताल्लुक से गुफ्तगू कर रहे हैं मेरे वालिद और दादा के ताल्लुक से वोह उन्होंने बातें की है

(04:56) तो यह सही है यह उनकी तरबियत है हमारी तरबियत नहीं है कि हम उनके वालिद या उनके दादा के ताल्लुक से बात करें हर एक की अपनी तरबियत और अपना जर्फ होता है उन्होंने अपनी तरबियत और अपना जर्फ दिखाया है और उनको फॉलो करने वाले उसी जर्फ और उसी तरबियत के परवर द हैं हमारी अल्हम्दुलिल्लाह तरबियत एक इस्लामी माहौल में हुई और बहुत अच्छी हुई है तो हम उस लेवल के ऊपर कभी नहीं गिरेंगे रही ये बात के मैं चूंकि इंडिया से हूं तो फिर मुझे इंडियन मुस्लिम्स के ताल्लुक से बात करनी चाहिए तो भाई यह तो निजाम के ही यानी जिस निजाम की वो बात कर रहे हैं वो

(05:28) क्या है कि पूरी उम्मत एक उम्मत है और जिस निजाम की व बात करते हैं व यह कि हमें इस्लामी निजाम हमारा मकसद है फौरी तौर पर खिलाफत वगैरह कायम होनी चाहिए तो जाहिर है कि जब खिलाफत कायम होगी तो पूरी उम्मत एक जगह आएगी और फिर आप मुझे यह कहे कि नहीं मैं सिर्फ इंडिया के ताल्लुक से बात करूं मैं सिर्फ एक खास इलाके के ताल्लुक से बात करूं तो भाई यह तो आपके निजाम के ही खिलाफ है ना उसके बुनियादी उसूल के खिलाफ है तो तीसरी बात और जो अहम बात है व यह कि मैंने जो भी दलाल दिए थे वह दलाल मैंने जिस किताब से दिए थे वो किताब मुफ्ती तकी

(06:01) उस्मानी साहब हफीज उल्लाह की लिखी हुई है अब उनकी जमा करदा है तो मुफ्ती तकी साहब दामद बरकात पाकिस्तान से है सब जानते हैं और अब अगर किसी को यह कहना कि नहीं यह तो एक इंडियन मुस्लिम है लेकिन वह बात कहां से कर रहा है वह एक पाकिस्तानी मुस्लिम की किताब से पाकिस्तानी आलिम की किताब से कर रहा है इसका मतलब यह कि पाकिस्तान के जो उलमा है उनका नजरिया भी फिर वही है और मैं समझता हूं कि उनकी मजबूरी साहिल साहब की के पाकिस्तान में पॉपुलर होने के लिए एक चीज बुनियाद है और व यह कि आप उलमा को गाली देना शुरू कर दें तो इफ इट इ हिज एजेंडा तो वह अपने एजेंडे के ऊपर अमल करते

(06:39) रहे इंशाल्लाह हमारी तरफ से उनकी गालियों का जवाब कभी गालियों की शक्ल में नहीं जाएगा ना मेरी तरफ से जाएगा ना हमारे किसी पैनलिस्ट की तरफ से जाएगा हां दलील अगर मुनासिब देंगे तो दलील का जवाब हम जरूर देंगे हम पॉजिटिवली काम करने में यकीन रखते हैं और आज जो इत्तफाक से मैंने आपको पूरी शुरू में दास्तान सुनाई है स्कूल की यह अ ला हमारे पॉजिटिव काम का की एक दलील है कि हम जमीनी सतह के ऊपर भी और इसी तरीके से जो सोशल मीडिया है वहां पर भी जहां-जहां अफराद है वहां के तकाज के तबार से पॉजिटिवली काम करते हैं नेगेटिविटी हमारे अंदर अल्हम्दुलिल्लाह नहीं है हमारे

(07:15) काम की बुनियाद यह नहीं है कि फला बुरा है हमारे और फला ऐसा है वैसा है हमारे काम की बुनियाद यह है कि हमारे पास यह चीज है और यह चीज कुरान और सुन्नत के मुताबिक और हम यह आपको देना चाहते हैं ये हमारे काम की बुनियाद है बिल्कुल सब मैं समझता हूं आपने इस इशू को डालूट कर दिया खत्म कर दिया बस मुझे पता है बहुत टाइम हो गया है फिक कर रहा था तो मुझे जो बात समझ आई के असल में जो प्रॉब्लम है हम यह कहते हैं भाई देखें एक तो है हकीकत का इदराक रियलिटी को जानना तो रियलिटी को तो ठीक है आप कह रहे इस्लाम रियलिटी है तो उसके रियलिटी को अगर उसके हायरा की के साथ

(07:54) इंटैक्ट नहीं रखा जाए तो वो रियलिटी फिर वो रियलिटी नहीं रह जाती है तो हमारा जो सारा नकीद है उनके ऊपर वो यह है कि भाई आप जो इस्लाम के रियलिटी की जो राकी है ना उसको आप इंटेट इंटैक्ट नहीं रख रहे हो आप ऊपर नीचे कर रहे हो राकी की तो आप इसका जवाब नहीं देके बदतमीजी की बातें करना या तो वो इंकार कर दे वो बोले कि इस्लाम के अंदर यह राकी का कोई कांसेप्ट रियलिटी के अंदर राकी का कांसेप्ट नहीं होता या तो व इस तरह की बात करें या फिर अगर जो उनके ऊपर हमारी तन कीद है कि आप हायरा की को क्यों इंटीग्रेट नहीं रख रहे हैं आप हायरा की को आगे पीछे क्यों कर रहे हैं ईमान की

(08:30) जो राकी है वो इबादत की नहीं है ठीक है जो इबादत की राकी है वो मामलात की नहीं है अगर कोई इस राकी को चेंज करेगा तो भाई हम तो आएंगे ना बात करने के लिए भाई हमने इस्लाम को ऐसे नहीं उलमा ने नहीं समझा हमारे किसी लाफ ने नहीं समझा इस्लाम को इस तरीके से इस राकी में जैसे आप बता रहे तो आप इस तरह की बदतमीजी करें तो दुरुस्त नहीं है बाकी कहने को तो बहुत कुछ कहा जा सकता है चलिए जी ठीक है आगे बढ़ते हैं हमारे साथ हैं बड़ा लंबा सा नाम रखा है इन्होंने मुफ्ती साहब एंड साहिल अदीम आगे पता नहीं क्या है सपोर्टर जी जी भाई वकास भाई हैला वकास भाई आपकी तरफ से कोई कमेंट आ

(09:09) रहा था शुरू से जब स्ट्रीम शुरू नहीं हुई आज और काफी देर तक आया कि आप किसी कादियान के चैनल प थे और आपने वहां जाके मुफती साहब के बारे में भला बुरा कहा और यह भी कहा कि मैं कल उनकी स्ट्रीम में जाऊंगा कुछ अल्फाज उनसे बुलवा इस बारे में ऐसी तो कोई बात नहीं हुई वो मुझे वो मुझे जो एक कलमे के जो इशू आजकल ज्यादातर पॉपुलर हुआ हुआ है उन्होंने उस पर कहा मैंने कहा वैसे मुफ्ती साहब ने उस पर बयान दे दिया हुआ है वो अदनान रशीद साहब और दूसरे उन पर भी लगा रहे थे मैंने कहा वोह फिर से कह देंगे वोह कुरान और सुन्ना के मुताबिक चलते हैं वो इन स्टेटमेंट के

(09:48) मुताबिक तो नहीं चलते गलती हो जाती है वह मुझे कह ते नहीं तुम यह कहो मैंने कहा आप मुझे बंदा सामने ला दो मैं कह देता हूं जब आपको ही नहीं कन्फर्म तो मुझे आप क्यों कह रहे हो कि यह वाकई उसने कहा या नहीं बहल ये मैं भी जो आया था मुला मैं देखूंगा पहले और उसमें क्योंकि कमेंट में भाई लोग ये कह रहे थे कि कुछ मुफ्ती साहब के बारे में नाब अल्फाज इस्तेमाल जी बिल्कुल वो मुझे इंसिस्ट कर रहा था कि मुफ्ती साहब के चैनल पर जाकर कहे मैंने कहा मैं मुफ्ती कौन इस्ट मैं तो इस पूरे एपिसोड से वाकफ नहीं हूं मैं अपनी चीजों में बिजी था कौन किससे इंसिस्ट कर

(10:22) रहा थोड़ा सा मुझे बताए सरय एक रजी रजी एक बंदा है जो कादया नियों की तरफ से स्ट्रीम करता है वो मुझे कह रहा था कि मुफ्ती साहब के उधर जाकर कहो मैंने कहा वो वहां पर इस्लामोफोबि वो मुफती अब्दुल्ला मिनाज साहब के पास होंगे उसने मुझे कहा तुम्हारी जरूरत है तुम यह बात करके दिखाओ मैंने कहा मैं जिस दिन मुफ्ती अब्दुल्ला मिनाज साहब के पास वो अवेलेबल होंगे मैं वहां पर चला जाऊंगा क्योंकि वह मुसलमानों की स्पेशल स्ट्रीम होती है वोह मुफ्ती साहब ने अलहदा से रखवा हुई है मुझे कहता नहीं नहीं आप छोटे चैनल्स कह रहे हो मैंने कहा नहीं

(10:57) उनका भी माशाल्लाह बड़ा चैनल है और जिस मुफ्ती साहब अल होंगे मैं उनके सामने कह दूंगा वैसे उनका बयान ऑलरेडी आया हुआ है इस स्टेटमेंट के ऊपर ओके आई डोंट नो खैर चले आगे बढ़े अब यह बात ही हो गई अब आप जो दो लोगों के सपोर्टर सपोर्ट में आए इसका क्या मतलब है जी सर मैं रिसेंटली जो जितना मैंने ऑब्जर्व किया मे बी आई एम रंग आपकी तरफ से हो या सायल अदीम साहब की तरफ से दोनों की तरफ से एक मिस अंडरस्टैंडिंग हुई है और इसकी वजह से फिर यह मैं जलती में आग का काम करने नहीं आया बल्कि पानी का काम करने आया हूं मैं यह चाहता हूं कि आप दोनों की अगर इकट्ठे कोई एक नशत हो जाए

(11:34) इससे मुस्लिम उम्मा का भी फायदा होगा और दोनों के आपस में जो इशू है जो मिस अंडरस्टैंडिंग पर है वो दूर होंगे सर मेरी बात जी अच्छा उसमें कभी भी जो सायल अदीम साहब है उन्होंने माइनॉरिटी को लेकर जहां पर मुस्लिम माइनॉरिटी में रहते हैं उन्होंने नहीं कहा उनको मुझे लगता है जो वीडियो दिखाई गई वो आपकी दिखाई गई कोई काट पेस्ट इस तरह की क्योंकि वो वो जो वहां पर बातें कर रहे ई सॉरी मैं आपको य पर रोकूंगा मैं आपको य रोकूंगा मुझे एक बात बताए आप जैसे कि साहिल अदीम साहब है वो एक बहुत बड़ा एक नैरेटिव लेते हैं ना कि निजाम का तो यह कौन सा बंदा है जो निजाम

(12:12) का ट लेकर पूरे 200 मिलियन मुस्लिम को य कह देता है कि उनको इटी कॉप्लेक्स आई मन कमन चलिए य सवाल डरे सालम से करेंगे ना तो साहिल अदीम से कब बात कराने मेरी आप मैं तो तैयार हूं जा कहेंगे मुफती से बात करें जी जी मैं सर जरूर इंशाल्लाह ताला जरूर अपनी तरफ से कोशिश करूंगा वो मानेंगे भी सही मेरी सिर्फ एक रिक्वेस्ट मानेंगे लिख लीजिएगा नहीं मानेंगे मैं भी यह आप सही कह रहे हो लेकिन मैं किसी के बारे में पर्सनली तो कुछ नहीं कह सकता हां मैं मैं बता रहा हूं कि नहीं मानेंगे मैं तैयार हूं वो अगर अपने चैनल पर भी मुझे बुलाना चाहे आई एम रेडी टू

(12:52) गो अगर वो मुझे किसी पॉडकास्ट में बुलाना चाहे आई एम रेडी टू जॉइन सर उसमें सिर्फ और सिर्फ निजाम के हवाले से आप की भी वही बात है सायल साहब की भी वही बात है लोग आपको वो चीजें बताते हैं जो बीच में से आप कह रहे होते हैं जिस तर बताता बताता नहीं है वो जो चीज उनके सामने है जी देख आप सुन ले वकास भाई निजाम के हवाले से मैंने अर्ज की ना कि वह हायरा की के अंदर जो है वह जो हमारी इस्लाम की राकी है उसको वह इधर उधर कर रहे हैं यह भी रियालिटी ये नहीं होता रियलिटी अपने हायरा की के साथ पहचाना जाता है आप ऐसा नहीं करेंगे ना कि भाई आप जो है कहेंगे कि एक घर की इमारत



(13:32) में पहले नीव होती है आप आप जो है नीव को छत और छत को नीव करार देना शुरू कर देंगे हम कहेंगे भाई कर क्या रहे हो आप तो हायरा की को आप लत मलत कर रहे हैं आप हायरा की को उठा के जो निजाम की राकी है उसको आप ईमान से भी ऊपर उठा के लाके रख दे रहे है तो यू आर चेंजिंग द चेंजिंग द राकी मींस यू आर चेंजिंग द रिलीजन ओके आसिम भाई मुझे ये जवाब दे दे जहां पर मुसलमान इक्त में है मुसलमान ये एक मिनट हो ये बिल्कुल रेवेंट से आप यहां पर मेरे ख्याल से जलती में तेल डालने नहीं आए बल्कि पानी डालने आए हैं और पानी डाले और उसका तरीका आपने जो प्रपोज किया है ना आई वुड लाइक टू डू

(14:11) दैट आपने कहा आप बात करेंगे मैं तो तैयार हूं भाई अब आप उधर जाइए और उनको उनसे टाइम सेट कीजिए जगह बताइए इंशाल्लाह वी कैन डेफिनेटली टॉक और अगर कोई मैं बिल्कुल वाज तौर से कह रहा हूं अगर कोई मिस अंडरस्टैंडिंग है ना मैं वही उसी प्रोग्राम में क्लियर करूंगा और सिर्फ निजाम के तालुक सेब बात होगी जब बात होगी तो पूरे उनके नैरेटिव के बात के बारे में बात होगी उन बजों के बारे में भी बात होगी जहां से वह याजूज माजूज को निकाल कर लाते हैं उन बजों के बारे में बात होगी सो वी विल टॉक एवरीथिंग नहीं वो तो बिल्कुल जाहिरी बात है आप करेंगे लेकिन जो अभी फिलहाल मिस

(14:44) अंडरस्टैंडिंग जो थी वो निजाम से रिलेटेड थी और आप नहीं बल्कि जो हमारा क्रिसम है वो ओवरल उनके फुल पैकेज के ऊपर है उसमें यह भी चीज है जो मैंने अभी जिक्र की है कुरान की तफसीर बराय करना तो सा बल्कि ये ज्यादा खतरनाक चीज है निजाम तो निजाम के बारे में वो जो बात कर रहे हैं वो तो छोटी चीज है कुरान की जो तफसीर बराय करते हैं वो ज्यादा खतरनाक चीज है ठीक है इसके ऊपर मैं जरूर उनसे बात करत अ तफरा उल पोटलिया कि जो उन्होंने पूरी वो पूरा नैरेटिव पेश किया वो ज्यादा खतरनाक है सर पोर्टल केसे क्वेश्चन ले सर इसके ऊपर मेरे से क्वेश्चन ले ले पोर्टल कहते हैं उन्हीं का

(15:27) जवाब उन्हीं को जवाब देंगे अब आप छोड़ दीजिए सर नहीं आसमानी दरवाजा या पोर्टल इन दोनों में डिफरेंस है अगर कोई अगर इंग्लिश वर्ड यूज कर रहा है तो क्या गलत कह रहा नहीं नहीं वो ठीक है लेकिन जहां आसमानी दरवाजे लिखे हुए वहां ये नहीं लिखा हुआ ना कि वहां से याजूज माजूज को उतर के आना है बात ये है ठीक है य ये बात आपकी ठीक है ये आपकी बात ठी जो बात जितनी है उतनी रखे ना जो बात जितनी है उतनी रखे जी जी बिल्कुल यहां पर तो मैं जरूर सुनना चाहूंगा आपकी आपस में गुफ्तगू ठीक है चल सही है जजाक थैंक य सर थैंक यू जजाकल्लाह जजाकल्लाह

Aaj kal ek viral debate ne Muslim youth ke darmiyan ek nayi confusion paida kar di hai. Sahil Adeem, jo aksar Islamic governance yaani “nizam” ke supporter ke tor par mashhoor hain, unhone Mufti Yasir Nadeem al Wajidi par kuch aise ilzaam lagaye jo sirf unki misunderstanding ka natija dikhte hain.

Objection yeh tha ke Mufti Yasir sirf Indian Muslims se mukhatib ho sakte hain, Pakistan ke Muslims se nahi — kyunki unka ta’alluq India se hai. Saath hi unhone yeh bhi kaha ke India ke Muslims “Ifrit” ka shikar hain. Aakhir me, unhone personal level tak baat le ja kar Mufti sahab ke walid aur dada ka zikar bhi kiya.

Is article me hum logically aur dosti bhare lehje me in objections ka jawab denge, taake har reader — chaahe woh ek teenager ho ya mature Muslim — yeh samajh sake ke Islam ka paighaam kisi mulk ya border ka mohtaaj nahi.


Key Takeaways:

  • Islam ek global deen hai, sirf kisi ek mulk ya qaum ke liye nahi.
  • Mufti Yasir ka jawab personal nahi, balki ilm aur adab par mabni tha.
  • Sahil Adeem ka objection Strawman fallacy aur Ad Hominem par mabni tha.
  • Islamic unity ka matlab hai ek ummah, ek aqeedah, ek nizaam – na ke sirf ek nationality.
  • Nizam-e-Islami sirf slogans nahi, balke Qur’an aur sunnat ke asoolon ka practical nizaam hai.

Objection: Mufti Yasir ko sirf Indian Muslims se hi baat karni chahiye?

Sahil Adeem ka kehna tha:

“Mufti Yasir sirf Indian Muslims se baat kar sakte hain. Pakistan ke Muslims se nahi. Kyunke woh India se hain.”

Yeh objection ek Strawman fallacy ka classic example hai. Islam ne kabhi yeh nahi kaha ke kisi scholar ka scope sirf usi mulk tak restricted hona chahiye jahan wo paida hua ho. Ulta, Qur’an aur hadees dono yeh sabit karte hain ke Ummah ek hai.

“Innamal mu’minuuna ikhwatun” (Qur’an 49:10) – “Momineen aapas me bhai bhai hain.”

Agar koi India me Islam ki dawat de raha hai, to woh Pakistan, Bangladesh, Europe ya America ke Muslims se bhi baat kar sakta hai. Islam kisi border ke andar nahi band hota.


Sahil Adeem ka “Ifrit” Wala Bayaan: Logical ya Tanqeedi?

Unhone yeh bhi kaha:

“Indian Muslims Ifrit ka shikar hain.”

Yeh statement sirf disrespectful nahi, balki logic se bhi khali hai. Agar aap kisi qaum ko jadoo ya evil entity ka shikar keh rahe hain bina kisi dalil ke, to yeh ek Ad Hominem fallacy hai – yaani shakhsiyat par hamla, maudhui baat se bhatak kar.

Islam ke asool yeh kehte hain:

  • Kisi qaum ka mazaak na udaao (Qur’an 49:11)
  • Agar koi jahil baat kare, to “Salam” keh kar chhod do (Qur’an 25:63)

Mufti Yasir ne bhi isi adaab ko follow karte hue personal response nahi diya, balki logic aur ilm ki zubaan me baat ki.


Kya Mufti Yasir ne Propaganda Kiya Tha?

Sahil Adeem ne yeh bhi ilzaam lagaya:

“Mufti Yasir mere khilaf propaganda karte hain.”

Magar jab Mufti Yasir se yeh poocha gaya to unka jawab bohot waazeh tha:

“Main ne sirf unke channel par jakar dalail diye the. Video ab bhi available hai.”

Yahan bhi koi hidden propaganda nahi tha, sirf open aur public discussion thi jisme naam chhupa kar baat nahi ki gayi.

Yeh ilzaam sirf is liye lagaaya gaya kyunke kisi ko apni popularity ke liye opponents dikhana padta hai. Jo sach me ilm rakhte hain, wo character assassination nahi, dalail aur ilm se jawab detay hain — jese Mufti Yasir ne diya.


Islamic Nizam ke Asoolon ka Tanaquz?

Sahil Adeem Islamic nizam ki baat karte hain, lekin usi nizam ke bunyadi usoolon ki khilaaf warzi karte hain. Quran ne “nizam” ke naam par kya bunyadi usool diye?

  • Ghalat titles se kisi ko mat pukaro (Qur’an 49:11)
  • Badtameezi aur shakhsi attacks se parheiz karo
  • Poore Ummah ko ek jism samjho

Lekin jab aap kisi ke walid, dada, ya nationality ka mazaak udayenge, to aap apne hi “nizam” ka inkari kar rahe hain.

Mufti Yasir ka kehna theek tha:

“Agar aap haqiqi nizam ki baat karte hain, to sab se pehle uske usoolon ka lihaaz karein.”


Kya Pakistan ke Ulama ka Bayan Indian Scholars ke Liye Saboot Nahi?

Mufti Yasir ne jo dalail diye, wo kisi Indian textbook se nahi, balki Mufti Taqi Usmani (Pakistan ke mashhoor scholar) ki kitab se diye. Agar ek Pakistani alim ki kitab ka reference Indian scholar de raha hai, to yeh ummah ki ekta ka saboot hai – na ke ta’assub ka.

Islamic dawat koi mulk, race, ya caste pe mabni nahi – balke dalail, ilm aur akhlaaq par mabni hoti hai.


Sahil Adeem ki “Tafsir-e-Baray” aur Portals Wali Baat: Ilm ya Khayaali Udaan?

Mufti Yasir ne ek aur bohot aham point uthaya: Sahil Adeem “Tafsir-e-Quran” apne hisaab se karte hain, jo asooli tafsir ke khilaaf hai. Uske alawa, unki baatein “portals”, “yaajooj maajooj” aur metaphysical concepts par chalti hain jo confusion ka sabab ban rahi hain.

Is type ka content youth ko spiritual karz to deta hai, magar unka aqeeda aur amal confuse kar deta hai.

“Jab aap imaan ki priorities ko change kar dete hain, to asal Islam distort ho jata hai.” – Mufti Yasir

Yeh ek serious warning hai un sab ke liye jo khayaalon ko deen bana kar pesh karte hain.


Natija

Yeh puri baat sirf ek misunderstanding ka nateeja thi. Lekin is baat ne ek aham sawal uthaya: Kya Islam sirf ek mulk ya qaum ke liye hai?

Jawab hai: Nahi. Islam poori insaniyat ke liye hai, aur har woh shakhs jo deen ki dawat de raha hai, uska haqq hai ke woh har Muslim se baat kare — chahe woh India ka ho ya Pakistan ka.

Mufti Yasir ka response sabit karta hai ke asli da’i woh hota hai jo adab aur ilm ke sath baat kare, na ke tanqeedi videos aur personal comments ke zariye. Islamic nizam slogans ka naam nahi, Qur’an aur sunnat ke amli usoolon ka implementation hai.


FAQs

  • Q: Kya Mufti Yasir ne personal level pe Sahil Adeem ko target kiya?
    A: Nahi, unhone sirf ilm aur dalail ki base par baat ki. Koi personal attack nahi kiya gaya.
  • Q: Kya ek Indian scholar Pakistani Muslims se baat kar sakta hai?
    A: Bilkul. Islam borderless deen hai. Ummah ek hai, aur daawat sab ke liye hai.
  • Q: Kya Sahil Adeem ki tafsir Qur’an ke mutabiq hai?
    A: Kai scholars ne is par tanqeed ki hai ke unki tafsir traditional tafsir ke usoolon ke mutabiq nahi chalti.
  • Q: Kya Mufti Yasir debate ke liye tayyar hain?
    A: Ji haan. Unhone openly kaha ke wo podcast ya stream me baithne ke liye tayyar hain, agar baat ilm aur nizam par focused ho.

Image Suggestion:
Mufti Yasir calm and smiling while giving an Islamic lecture
Alt text: “Mufti Yasir ilm aur tahammul ke sath jawab dete huay”

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