Sochiye agar ek tasveer jhooti khabar ke saath viral kar di jaye, aur use le kar desh ki sabse bade media houses Muslims ke khilaaf zehr ugla shuru kar dein. Aaj ke India me yeh sirf ek khayali misaal nahi, ek haqeeqat hai jo baar-baar samne aa rahi hai.
Jab bhi koi sensitive issue uthta hai, fake news ke zariye Muslims ko target kiya jata hai. Magar kyun? Kya yeh sirf TRP ka mamla hai, ya phir iske peeche koi gehra agenda chhupa hai? Is article me hum jaanenge:
Transcript: (00:00) अस्सलाम वालेकुम रहमतुल्लाह वी बराकातहू बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम अलहम्दुलिल्लाह रबल आलमीन वसलाहु अस्सलाम वालेकुम आज लिंक पब्लिक करने से पहले बातें आप हजरत के सामने बल्कि एक ही बात आप हजरत के सामने रखना चाहूंगा और ये मामला दरअसल है बड़ा संगीत और वो इस एतबार से संगीन है की इस वक्त इंडिया में एक खबर को लेकर तमाम ही बड़े-बड़े चैनल मुसलमान के खिलाफ एक तूफान में जा चुका है तो इत्तेफाक है इत्तेफाक नहीं बल्कि एनडीटीवी से भी इस तरह की खबरें तले लगा रहे हैं ताकि इनकी कब्रों को
(01:27) खोदकर कोई इन ख्वातीन का रेप ना कर दे अब यह मिर्च मसाला कहां से मिला इंशाल्लाह आपके सामने ये बात आएगी सोशल मीडिया के ऊपर एक बहुत मशहूर फैक्ट चक्र हैं मोहम्मद जुबेर यकीनन आपमें से बहुत से लोगों ने उनकी ट्वीट्स अच्छी होगी कांटो में चलना अपने नाजरीन और व्यूवर्स के सामने भी उनकी वो ट्वीट्स पढ़कर सुनाना चाहूंगा ताकि बिल्कुल हकीकत वजह हो जाए की मसाला क्या है और उसके बाद इंशाल्लाह उसे पर तब सिर भी करेंगे तो यह मैं आपके सामने स्क्रीन शेर कर रहा हूं जस्ट ए सेकंड उसे पर आप देख सकते हैं वही लिखने हैं की न्यूज़ एजेंसीज और
(02:23) न्यूज़ पोर्टल्स हैव रिपोर्टेड डेट पाकिस्तान पेरेंट्स लॉकिंग ग्रेव्स ऑफ डी डॉटर ने यह खबर दी है की पाकिस्तान में वाल दें अपनी लड़कियों की कब्रों को लॉक कर रहे हैं ताकि उनका रेप से बच्चा जा सके रेपिस्ट को रॉक जा सके सो कहते हैं डीज आर्टिकल्स आर बेस्ड ऑन ए ट्वीट बाय एन एक्स मुस्लिम आते हरीश सुल्तान यह सारे के सारे आर्टिकल्स दरअसल एक एस एक ट्वीट के ऊपर डिपेंड करते हैं और ये 2-इट सबसे पहले पाकिस्तान की है और ऑथर ऑफ एन बुक डी कार्स ऑफ गॉड वही आई लेफ्ट इस्लाम आगे और ये आप तस्वीर देख चुके होंगे कई दिन से वायरल हो रही है उसके बाद मोहम्मद
(03:11) जुबेर लिखने हैं के ऑन बीइंग इनफॉर्म्ड अबाउट डी इमेज ऑफ दिस ग्रेव बीइंग सर्कुलेटेड विद डी क्लेम था आईटी इस फ्रॉम पाकिस्तान मुख्तार साहब रेफूटेड और ऐडेड डी ग्रिल वास कंस्ट्रक्टेड अलसो विद डी व्यू ऑफ प्रीवेंटिंग पीपल पर स्टंपिंग ऑन डी ग्रेप्स आईटी वज राइट इन फ्रंट ऑफ डी एंट्रेंस जब से ये इमेज सोशल मीडिया के ऊपर सर्कुलेट हुई है और अगर मेडियन में तो और ये कहा गया की ये पाकिस्तान की है मुख्तार साहब ने इस को रेड इसका डिफ्यूट किया है और ये कहा है की ये जो दाल लगाया गया कर के ऊपर इसलिए लगाया गया ताकि लोग कर के ऊपर ना रखें क्योंकि ये एंट्रेंस के इसी
(03:58) इमारत के मस्जिद के एंट्रेंस के बिल्कुल सामने ये बिल्कुल करीब थी जो न्यूज़ अलसो स्पोक तू एन लोकल रेजिडेंट हूं इस हाउस इस नियर डी मॉस्क अल्ट न्यूज़ ने लोकल एक शहरी से बाशिंदे से बात की है की जिनका मकान इस मस्जिद के करीब है की जिसके कब्रिस्तान में ये कब्र मौजूद है इनफॉर्म्ड स डी ग्रेट बिलॉन्ग तू और एजेंट वूमेन हो हद पास डी वे इन हर 70s ये कबर एक उम्र रशीद खातून की है ये जो 70 साल की उम्र में जिनका इंतकाल हुआ हसन कंस्ट्रक्टेड डी ग्रिल ओवर दी ग्रे अबाउट 40 डेज आफ्टर सही हज बिन बर्ड उनके बेटे ने ये ग्रिल उसे वक्त लगाया ये दाल कब्र
(04:41) के ऊपर उसे वक्त लगाया जब के वाल्दा के इंतकाल को 40 दिन हो चुके थे तो मोहम्मद जुबेर के मुताबिक यह जो फेक न्यूज़ है इसका जो सोर्स है वो हरीश सुल्तान है अच्छा और वह मीडिया चैनल के जिन्होंने इसको रिपोर्ट किया है एन आई टाइम्स ऑफ इंडिया एनडीटीवी इंडिया टुडे डी प्रिंट इंडिया टीवी जी न्यूज़ ऑफ कोर्स होना था एबीपी भी होना था और ये सारे के सारे टाइम्स नो ये सारे के सारे वो समझ लेने की गधे हैं की जिनको ये पता नहीं है की न्यूज़ कहां से उठानी है और कैसे लेकिन एक चुके एजेंडा है और उसे एजेंट के पैसे मिलते हैं बाकायदा गवर्नमेंट की तरफ से एड इस
(05:26) बुनियाद पर मिलते हैं की आप इस्लाम मुखालिफ कबरे खबरें कितनी चलाएंगे अब उसका ताल्लुक कहां से है कहां से नहीं लेकिन ये एक अच्छी बात है मीडिया के दूर में दूध का दूध और पानी का पानी बहुत जल्दी हो जाता है और जलो का दार्जील और झूठों का झूठ बहुत जल्दी सामने ए जाता है अब इस मामले में हरीश सुल्तान क्या कहना चाहेंगे तो मैं मेरा जरूरी है की हर इस सुल्तान की बात भी ए जाए और इंसाफ का तकाजा यही है हम उनसे नजरिया की तोर पर बिल्कुल इख्तिलाफ रखते हैं लेकिन ये जरूरी नहीं है की अगर हम नजरिया की तोर पर उनसे मुख्तलिफ हो तो उनके गलत होगा तो मैं उनकी बात भी आपके सामने
(06:08) रख रहा हूं हरि सुल्तान ने अपॉलिजाइज पर गेटिंग तू डी बॉटम ऑफ दिस शुक्रिया अदा कर रहे हैं मोहम्मद जुबेर का की इस खबर की यह तक जान के लिए आपको शुक्रिया विल दिस इस नोट एन एक्सक्यूज और आई मस्त अपॉलिजाइज पर डी सोर्स ऑफ मी इनिशियल फॉर्मेशन विच बाज फ्रॉम सनम बलोच फैंस वो ये कहते हैं की ये खबर मैंने नहीं बल्कि सनम बलोच फैन ने फैंस इस अकाउंट से उन्होंने ये खबर उठाई है और आगे जो ठीक है हरीश सुल्तान ने पोलिजयाज कर दिया मतलब मैं अगर सिर्फ अपॉलिजाइज होता तो मैं इस चीज को ज्यादा अहमियत ना देता अल बात वो है की जो वो अगले फक्र में का रहे हैं वो कहते हैं की
(06:53) डी रीजन वही आईटी वास बिलीवेबल इस डेट सीरियस इशू इन पाकिस्तान में एक सीरियस इशू बन गया है नैक्रोफीलिया क्या है यानी किसी लड़की कोई मसाला वफात हुई उसका इंतकाल हुआ तो कब्र में उसकी लाश के साथ रेप करना एक सीरियस इशू बन चुका है इसे डिस्टर्बिग रियलिटी और आई बिलीव डेट पीपल में स्टार्ट प्लेईंग एन बेड ब्लॉग्स ऑन डी ग्रेव्स ऑफ देवर फीमेल लव्ड वन सो मैं समझना हूं की आगे पाकिस्तान में ऐसा होगा सनम बलोच कोई एक्ट्रेस है और कुरान ने वाजिद और पर कहा है की इंज कूफा से बीरबल के अगर कोई फसी खबर तो मैं दे तो अच्छी तरीके से उसकी तहकीख कर लिया करो एकदम
(07:42) वैसे ही ना फैलाया करो तो जाहिर है की जो एक्टर्स और एक्ट्रेस हैं के जो अपना टैलेंट नहीं बल्कि बहुत सी मर्तबा अपना जिस भी पर्दे के ऊपर वक्त करते हैं उनसे बढ़कर फैंसी और कौन होगा किसी इस्लामी नाम के ऊपर मत जाएगा तो जहां तक मैंने इसके बड़े में इस खातून के बड़े में कहती की कोई एक्ट्रेस है अल्लाह हूं अल्लाह अब यहां जो मसाला है वो ये है की जो नैक्रोफीलिया है ये पाकिस्तान में एक हम इशू बन गया है यानी किसी मुर्दा के साथ रेप करना किसी मुर्दा कार्टून की लाश के साथ रेप करना वाकई अगर ऐसा है तो यह एक सीरियस इशू है लेकिन यह
(08:26) इस्लामी अखलाक की याद के बिल्कुल खिलाफ है और जो आदमी ऐसा करता है वो जानवर से बात कर है और मैं समझना हूं की अगर छे दूध में यानी कुरान में और सुन्नत में जहां हुडूड का जिक्र है वहां पर इस पर्टिकुलर जुर्म की कोई सजा मोटी नहीं की गई है लेकिन इस्लामी शरीयत हुडूड और ताजिरात दोनों के मजनू का नाम है तो जब ताजी रात की बात आई है तो ऐसी सजा के जिससे सब लोग इस तरह के तमाम मुजरिम ये याद रखें हैं की ये रेड लाइन है ऐसी सजा दिया जाना जरूरी है और ये भी इस्लामी शरीयत ही आएगा अगर ताजिर की गोगुनियाद बनाकर ऐसी सजा नफीज की जाति है वो सजा मौत
(09:10) भी हो शक्ति है तो ऐसे लोगों को की जो इस तरह की हरकत में सोते हैं मैं ये समझना हूं की सख्त सजा दी जानी चाहिए और अगर मौत भी हो तो उसमें भी काफी नहीं की जानी चाहिए लेकिन यह स्टेट करेगा अपराध नहीं करेंगे तो अज यह है की यह जो स्टडी चीज है यह दरअसल हमारी अखलाकिया तो मोरालिटी के मुताबिक है लेकिन नैक्रोफीलिया लिबरल वालुज के एतबार से यानी किसी मेरी हुई लाश के साथ जीना करना लिबरल वालुज के एतबार से तो बिल्कुल ठीक है जो चीज नफाबक से वो अच्छी है जी चीज में फायदा है वो अच्छा है और जी चीज में नुकसान है अब किसी लास्ट के साथ एक आदमी ने अगर जीना
(10:00) किया तो लास्ट तो लास्ट है उसकी तो उसमें तो जान नहीं है तो जी खातून की लाश के साथ रेप हो रहा है उसकी मर्जी का कोई अमल अकल इसमें है ही नहीं उसकी रजामंद ही और एडम में रजामंदी का कोई मतलब ही नहीं है वो उसके चने नाचना का कोई फर्क पड़ता ही नहीं है उसके अंदर शुरू नहीं है ये ऐसे ही है के जैसा के किसी मुर्दा जानवर के साथ ये करना ये हरकत करना या किसी समझना के किसी ऑब्जेक्ट के साथ यह हरकत करना उसमें और एक ऑब्जेक्ट में कोई फर्क नहीं है तो जब यह बात है तो एक इंसान के जिसको प्लेजर मिला है और लिबरलिज्म की बुनियाद सब्जेक्टिव प्लेजर है की मुझे जो चीज पसंद
(10:42) ए रही है वो चीज अक लकी है और जो चीज मुझे पसंद नहीं ए रही है मैं उसको अगर अल्लाह की समझना हूं अगर ये बुनियाद है तो फिर एक आदमी अगर रात के अंधेरे में किसी कब्रिस्तान में जाकर किसी लास्ट के किसी औरत की लाश के साथ रेप करता है तो लिबरल वैल्यू है आपके जो उसूल और स्वभावी थे वो तो इसी को पार्टी के हुए हैं अगर आप यह कहे की नहीं इस्लामी और इस्लामी उसूल के इस्लामी हकला किया बल्कि इंसानियत के मुताबिक ये चीज गलत है तो बिल्कुल आपकी दैत की जाएगी लेकिन चूंकि अंतर से मुलहीन लिबरल वैल्यू के ऊपर ही अपनी मोरालिटी की बुनियाद रखते
(11:20) हैं तो फिर उनके हिसाब से तो ये चीज बिल्कुल सही हनी चाहिए इसमें परेशानी हो फिक्र की कोई बात नहीं हनी चाहिए इंडिया में जो न्यूज़ पोर्टल्स हैं न्यूज़ एजेंसीज हैं उन्होंने ये खबर क्यों चलाई पाकिस्तान की बनाकर उसकी वजह ये है के ये इसलिए बनाई ताकि एक सुपरमैन सी का मैसेज दिया जाए की देखो हमारे यहां लास्ट को जलाया जाता है जब एक लास्ट को जल दिया गया तो आप इस तरह के अजरैम की कोई इंसान खत्म हो गया आपके यहां कब्रों को कब्रों में दफनाया जाता है और ऊपर से मुसलमान यानी उनका ये इल्जाम है वो मैसेज दे रहे हैं की मुसलमान के और उनके मर्दों
(11:55) के अंदर ये कुछ ज्यादा ही रंग देखतेगी रहती है और कुछ ज्यादा ही अपने जज्बात उनके आउट ऑफ कर लेते हैं की वो कब्रों में जाकर ये हरकतें करते हैं तो यह मैसेज देने के लिए दरअसल यह न्यूज़ चलाई गई पूरे इंडिया में बड़ी-बड़ी न्यूज़ एजेंसी ने इसको चलाया लेकिन ये झूठ कपालंदा साबित हुआ और मैं तमाम लोगों की तरफ से इंसाफ पसंद लोगों की तरफ से इसका ताल्लुक सिर्फ मुसलमान नहीं है उसे इंसाफ पसंद लोगों की तरफ से मैं मोहम्मद जुबेर को उसका क्रेडिट दूंगा और उनको शुक्रिया अदा करूंगा की वो इस न्यूज़ की यह तक पहुंचे और बड़े-बड़े न्यूज़ एजेंसी से वो लोहा ले रहे हैं यही वजह है
(12:32) की उनके खिलाफ बेंगलुरु में फिर भी हुई और किसी तरीके से वो से बस निकालने में कामयाब हो गए लेकिन होता ही है की जी मुल्क में आप ये कहते हैं की फ्रीडम प्रेस है और फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन है वहां जब प्रेस प्रेस को या इसी तरीके से हुकूमत ही एजेंट या हुकूमत अंजेसियो या हुकूमत के करीब जो आ तंजी में है उनके फैलाएं हुए एजेंट को अगर कोई आदमी एक्सपोज करता है तो फिर इंडिया में जो इस वासु का हाल है वो ये है की ऐसे तमाम लोगों को जय की सलाखों में के पीछे दाल दिया जाता है हां आप अगर हुकूमत की मसाला नहीं है तो ये मुक्तसर सी गुफ्तगू थी जिसका बहुत
(13:09) जरूरी था आज की सरिता में और इंशाल्लाह अब मैं कुछ मेरे हब्बा इस वक्त बैग स्टेज है मैं उनको भी लेट हूं और उसके बाद फिर इंशाल्लाह लिंग पब्लिक करूंगा हबीब नदवी साहब हमारे साथ हैं इस टाइम स इस्लाम साहब और हमारे आमिर साहब अस्सलाम वालेकुम रहमतुल्लाह वालेकुम अस्सलाम यकीन बनाना हो तो आपने आश्चर्य में जो मेजॉरिटी तोर पर एक साइकोलॉजी हो चुकी है या एक जो ब्रेन उनका जी तरीके से फैसला करने में आसानी के तोर पर इमरान खान को पहले से यह खबर
(14:15) एजेंसी के थ्रू मिल गई थी की जब उसको शूट किया जाएगा और बाद में यह कहा जाएगा सलमान तस्वीर टाइप कैसे में ए गया और मैंने उसको शूट कर दिया यह चीज राखी गई थी अब यह पॉइंट क्यों रख रहा हूं उसकी वजह ये है की यह जो मर्दों को के साथ हैं जो क्रिएट किया गया है किसी भी सोसाइटी के अंदर स्वैलो करवाने के लिए फॉरेन उसके ऑर्गन्स वगैरा या उसके जो यह जो पार्ट्स होते हैं इनका बाकायदा समझ स्मगलिंग की जाति है इस तरह के कई केसेस करारुल हसन जो प्रोग्राम करता है सारे आम ए आर ए न्यूज़ के ऊपर उसने स्टिंग ऑपरेशंस किया हैं और बड़े-बड़े दीप उसने ऑपरेशंस
(15:04) करके ये चीज बताइए की किस तरीके से जो कब्रिस्तान के गौर कान होते हैं जो कपड़े खोदने वाले वो इंवॉल्व होते हैं ऐसे माफी आज के साथ जो करोड़ का अर्बन का बिजनेस करते हैं इन ऑर्गन्स को बीच के अब होता ये है की अगर जब ये बांदा पड़ा जाता है और यह न्यूज़ बेर ए जाए की कोई माफिया को राकेट है जो इन ऑर्गन्स की स्मगलिंग कर रहा है इंटरनेशनली तो यह चीज उनके बिजनेस के लिए हानिकारक इंज्यूरियस हो शक्ति है उसके लिए जरूरी यह है की असंग्रेटिव पेस किया जाए जिसको पब्लिक फॉलो कर जाए मुस्लिम क्या की एक इंडिविजुअल था उसने रेप करने की कोशिश
(15:38) की सनकी था पकड़ो उसको सजा दो और वो राकेट और माफिया साइड पे हो गया यह पुरी प्लानिंग के साथ यह किया जाता है इसी तरीके से ये जो का रहे हैं ना कैसे बाढ़ रहा है ये छम्मा छम्मा का रहा था कैसे बाढ़ रहे हैं अगर ये थोड़ा सा इस्लाम की नफरत से निकालकर या किसी मुअशरे को सती तोर पर पढ़ने की वजह दीप दीप दीप करता तो उसको पता चला है की कितने बड़े पैमाने पर ये मामला चल रहे हैं और इन केसेस को छुपाने के लिए किसी इंडिविजुअल को सामने कर कर बालिका बकरा बना दिया जाता है ये प्लेन है आपने कुछ कहना चाहेंगे की अगर ऐसा है जैसा की अभी बात सामने आई
(16:27) है तो वापस नहीं ये बहुत ही सोचना बात है क्योंकि ये इस्लाम की बिल्कुल भी तालीम नहीं है और ये चीज जो हैं बिल्कुल ये तो इस्लाम की नजर में एक जानवर वाला है हजरत लेकिन सबसे हम पॉइंट ये है की यहां पर हमारे मुल्क की जो मीडिया है और जो खबर एजेंसी हैं के कोई भी ऐसा पॉइंट है जिससे की इस्लाम और मुसलमान बदनाम हो उसको ये लोग छोड़ते नहीं है कायदे से उछलते हो और उसका पूरा हक अदा करने के लिए लोग कोशिश करते हैं किसी तरीके से इस्लाम और मुसलमान बदनाम हो जाए अब उसकी यह तक नहीं जाएंगे की क्या सच्चाई है अफवाह है कहां से बात आई है नहीं आई है बस ये लोग उसके बड़े में (17:02) इस्लाम और मुसलमान को बदनाम करना है बस कुरान की एक ऐसी याद आई है हजरत के इस्लाम के देख कर जब ये लोग इतने नफरत में ए जाते हैं की पद्धति बात की आप पब्लिक करें
Table of Contents
Key Takeaways:
- Fake news ka istimaal Islam aur Muslims ko badnaam karne ke liye kiya jata hai.
- Liberal secular values ka double standard media bias ko janam deta hai.
- Social media ke zimmedar users jaise Mohammad Zubair jhoot expose karne me kirdar ada kar rahe hain.
- Islamophobes media narrative ko use karke Muslim identity ko dehumanize karna chahte hain.
- Sach ko samajhne ke liye tahqiqat aur critical thinking zaruri hai.
Jhooti Khabrein: Muslim Identity Ko Target Karne Ka Hathiyar
Jab kisi random tasveer ko uthakar us par jhooti kahani ghadh li jaye, aur phir wo kahani mainstream media tak pahunch jaye, to samajh lijiye ke media azadi ke naam par agenda chala raha hai.
Maslan, ek viral tasveer ko le kar yeh daawa kiya gaya ke Pakistan me kabron par grills lagayi ja rahi hain taake Muslim mard murda auraton ka balatkaar na kar saken. Yeh daawa kisi credible journalist ne nahi, balki ek “ex-Muslim” ke tweet par base tha. Is tweet ko bina verify kiye kai bade media portals ne publish kar diya.
Yeh tactic kya dikhata hai?
- Sensational headlines ka craze
- Fact-checking ki kami
- Muslims ke khilaaf preconceived bias
Media Bias Ya Planned Islamophobia?
Jab bhi koi fake news Muslim identity se judi hoti hai, use turant amplify kiya jata hai:
- Kya yeh sirf TRP ka mamla hai?
- Ya yeh koi political ya ideological agenda ka hissa hai?
Siyasi taur par kuch media outlets hakoomat ke kareeb hain, aur unka kaam aise narrative create karna hai jo ruling power ke interest me ho. Jab anti-Muslim narrative logon ke zehan me daal diya jata hai, to woh asani se control ho jaate hain.
Liberalism Ka Double Standard: Jism Ki Razaamandi Ya Janwaron Ka Bartao?
Ek aur angle yeh hai ke jise liberal values kaha jata hai, unka standard bhi selective hota hai. Jab “pleasure” ko moral scale bana diya jaye, to kuch bhi justify ho sakta hai.
Liberal logic ke mutabiq:
“Agar murda jism me jaan nahi, to uska sexual abuse koi moral issue nahi.”
Lekin Islam ke nazdeek:
- Murda bhi izzat ka mustahiq hai
- Nafsiyaani aur akhlaaqi zawaal kabron tak dakhil ho, to us insaniyat ka kya?
Yeh bataata hai ke jab morality ka scale Allah ki wahy se nahi, insani hawa se banega, to insaan phir haywan se bhi neeche girta hai.
Kya Muslims Asaan Target Ban Gaye Hain?
Aaj ki media narratives me Muslim ko “deviant” dikhana ek aam trend ban chuka hai:
- “Mard Muslim hai to uska hawas control se bahar hai”
- “Muslim mahilayen oppressed hain”
- “Muslim bachche radicalize ho rahe hain”
Is tarah ke stereotypes ka nateeja ye hota hai ke:
- Muslim identity dehumanize hoti hai
- Har Muslim ko suspect banaya jata hai
- Justice ki bajaye profiling hoti hai
Aur jab koi such bolta hai – jaise fact-checkers ya neutral journalists – to unhe bhi target kiya jata hai, un par cases thope jaate hain, jail me dala jata hai.
Islam Ka Rawayya Aur Sach Ka Meezan
Islam har shakhs ke liye tahqiqat aur insaaf ka taqaza karta hai. Qur’an me hai:
“Agar tum tak koi khabar aaye, to use verify karo, kahin kisi qaum ko na chot pahunchao jahalat me.” (Surah Hujurat: 6)
Yeh Islamic principle hum sab ke liye hai – chahe hum kisi bhi firqay, mazhab ya ideology se ho. Jhooti khabrein sirf Islam ka masla nahi, insaaniyat ka masla hain.
Natija
Yeh baat ab kisi se chhupi nahi ke India me kai media platforms khabar nahi, agenda chala rahe hain. Fake news ke zariye Islamophobia ko fuel kiya jata hai, aur Muslims ko barbaric, ghair insaani aur khatarnaak dikhaya jata hai.
Lekin agar hum tahqiqat karein, critical soch apnayein, aur insaaf ke saath sach ki taraf barhein, to hum is zulm bhare narrative ko challenge kar sakte hain.
Akhir me, yeh yaad rahe:
“Jhoot kitna bhi chalay, haqeeqat kabhi dabti nahi – usay bas bolne wala chahiye.”
FAQs
Q: Kya sabhi Indian media Islam ke khilaf hai?
A: Nahi. Sab nahi, lekin kai bade platforms political ya TRP pressure me Islamophobic reporting karte hain.
Q: Har fake news ka source intentional hota hai?
A: Har dafa nahi, lekin jab deliberate verification na ho to wo bhi criminal negligence hai.
Q: Islam jhooti khabron par kya kehta hai?
A: Islam tahqiqat aur verification ka hukm deta hai (Surah Hujurat:6). Jhoot phailana kabira gunaah hai.
Q: Muslims kya kar sakte hain is propaganda ka jawab dene ke liye?
A: Ilm hasil karen, apna narrative khud banayein, aur tahqiqi content ke zariye awaam ko haq dikhayein.
Q: Kya social media par sach ke liye awaaz uthana Islam ka hissa hai?
A: Ji haan. Sach ke liye awaaz uthana Islam ka asal rooh hai – lekin tehzeeb ke saath.






