Kya Allah “Perfect Creator” Hai? – Ek Logical Aur Ilmi Tabseer (Roman Urdu)

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Transcript: (00:00) अच्छा ये राम राम आए हैं जी भाई पिछले बार मैंने एक सवाल किया था की आ अलग आप लोग परफेक्ट क्यों कहते हैं क्योंकि इंसान को बनाया है परफेक्ट नहीं तो आप किस बुनियाद पे परफेक्ट रहते हैं ये हम पूछे जाते हैं तो बताइए किस बात पे आप परफेक्ट कहना चाहते हैं अल्लाह को हां उसे वक्त आपने मतलब बोला की नादानी में सवाल कर दिया उसके बाद फिर आपने जवाब नहीं दिया उसके बाद किसी और के साथ बात करने लगे थे इशारा ये याद नहीं की मैंने क्या कहा था की ह्यूमन जब परफेक्ट नहीं है तो फिर आप इस दुनिया में बोल रहे हैं की अल्लाह परफेक्ट है यह हम पूछे थे तो आप बताइए

(01:12) हां तो परफेक्शन डेफिनेशन देख सकते हैं ऐसा बाद में आप देख लीजिएगा लेकिन मैं बता देता हूं लेकिन मैंने ये बोला था की कुछ भी परफेक्ट नहीं है मैंने कहा था की एम एफ हुसैन जैसा आदमी अगर पेंटिंग बनाता है तो वो मतलब पहले बनाता है परफेक्शन को डिफाइन कीजिए पहले कुछ भी परफेक्ट नहीं है जैसे की वो पेंटिंग बनाता है तो वो धीरे बनाते बनाते उसका हम लोग लास्ट में कहते हैं की हां ये इससे परफेक्ट है मतलब कोई भी दूसरे पेंटर से ये परफेक्ट है उसे हिसाब से हम लोग उसे देते हैं तो आप कैसे बता रहे हैं की अल्लाह परफेक्ट है जब वो एक ही बार इंसान को बनाया और उसमें इंसान में गलती निकाला

(02:09) क्या है डेफिनेशन है की जो हर चीज में अच्छा हो हर चीज उसके लिए मतलब हर इंसान के लिए वो सही हो मेरे समझ से तो यही है आपकी समझ का क्या मतलब है नॉर्मल ह्यूमन तो यही सोचते हैं परफेक्ट का मतलब आप ही बता दीजिए परफेक्ट का क्या मतलब है इसके अलावा बिल्कुल सही का रहे हैं की इंसान का कोई भी किया हुआ कम परफेक्ट नहीं होगा परफेक्ट उसको कहते हैं या उसे शख्स के या उसे जाट के कम को कहते हैं की जी जाट और जी दिन ने वो कम किसी दूसरे से शिखा ना हो किसी दूसरे के मॉडल को काफी एन किया हो और जैसा उसने चाहा हो वैसे ही बन गया हो अगर उसने उसमें कोई अप चाहा तो वो अप के साथ

(03:06) बना हो और अगर चाहा तो बना ये परफेक्ट है ये कम सिर्फ बांदा नहीं कर सकता और इसी वजह से बिलॉन्गस तू अल्लाह ओन्ली जैसा चाहा वैसी तकलीफ हुई वैसी ही हुई खुदा ने अगर किसी इंसान को नबी नैनी लाइन पैदा करना चाहा तो ब्लाइंड हुआ किसी को अगर आंखों के साथ पैदा करना अरबी में पहले बता रहा हूं फिर उसके बाद मेरे इंग्लिश में बताऊंगा या उसका तर्जुमा कर दूंगा उर्दू में अरबी में क्लास 83 का एक अलसी है शाहिद का मतलब इसको अंग्रेजी में बहुत आसन अल्फाज में का सकते हैं की जल यानी आप दो चीजों को इक्वल कार दे रहे हैं जब के दोनों किसी भी एतबार से इक्वल नहीं है आपने देखा की एक इंसान कोई भी चीज परफेक्ट

(04:14) नहीं बना सकता उसकी वजह ये है की वो सीखने सीखने सीखने यहां पहुंच वहां तक पहुंचता है और उसके बावजूद भी कुछ दूसरे लोग उससे बेहतर बना सकते हैं तो कोई भी चीज परफेक्ट नहीं इंप्रूवमेंट इस ऑलवेज पॉसिबल कर दिया की जिसने बगैर किसी मॉडल के बनाया बगैर कहानी से सीखे बनाया जैसा चाहा वैसा बनाया ठीक है और उसके अंदर ऐसा नहीं है की वो पहले जो इंसान बना था उसकी नाक कान नहीं थे अगले इंसान के नहीं इसके कान भी लगा दो अच्छा लगेगा आंख लगा दी फिर उसके बाद चौथ इंसान हुआ उसके हाथ लगा दिया ऐसा नहीं हुआ पहले इंसान जो पैदा हुआ वो वैसा ही था जैसे आप

(04:55) और मैं हमारे हमारे बाजू नाक कान पहले इंसान के तो आज भी हैं जैसा खुदा ने चाहा वैसी बनाएं अब बताइए खुदा की तकलीफ इंसान के बनाने से अगर कंपेयर करें तो फॉल्स इक्विवेलेंट और क्या है आपने जो बताया तो फिर एंजेल को उन्होंने इंसान से परफेक्ट क्यों बनाया क्योंकि एंजेल फिर ये तो उनका ये होता है ना मतलब एंजेल को आप लोग क्या कहते हैं हम भूल गए हैं फरिश्ते जो कहते हैं उसे फिर इंसानों से परफेक्ट क्यों बनाया क्योंकि वो वैसा ही कुछ काबिलियत इंसान में भी दाल सकते थे इंसानों को भी मतलब दे सकते थे हम लोग से ज्यादा अच्छे हैं ये हैं वो अल्लाह का पैगाम लेट हैं ये वो बताते हैं

(06:02) इंसान को अशरफुल मखलुकत यानी नोबलिस्ट ऑफ जो हज क्रिएशन ये बनाया है और खुदा के कम पर अमल करता है तो वो फरिश्तों से बेहतर है हमको ये कहते हैं तो मतलब की ऐसे तो बनाया ना मतलब फरिश्ते को ज्यादा अच्छा बनाया है यह तो आप अपनी उनकी कोई ख्वाहिश नहीं है उनको एक खास कम के लिए डिजाइन ही नहीं करते उसकी नाफरमानी नहीं करते जो उनसे कहा जाता है वैसा ही करता हूं उसके अलावा कुछ नहीं करते उनको इख्तियार ही नहीं है कुछ और करने का नहीं है तो इंसान ने भगवान की तरह एक अच्छा यह बना दिया मतलब आप मानते की भगवान को कंपीटीटर्स बना दिया

(07:17) अगर एक इंसान करेगा यह सलहिया जानवर को नहीं दी है और यह सलाहियत आप मां के पेट से लेकर नहीं आए थे आपने अपने एक्सपेरिमेंट से अपने माहौल से दूसरे लोगों की जो इनफॉरमेशन है उससे और दूसरे लोगों के पास इनफॉरमेशन आई है वो अपने एक्सपेरिमेंट से जो उन्होंने माहौल से शिखा है नेचर से शिखा है इस तरीके से साइंस वाला कोई फाइनली आप इस लेवल पर पहुंचे की आप यारी रोबोट बना सकते हैं ये खुदा की दी हुई कुदरत है ना की एक कंपीटीटर्स है जैसा मतलब की जो हमसे भी अच्छा कम कर सके कंपटीशन उसको तो होगा जब आप खुदा की दी हुई कुदरत के बगैर

(08:15) बना के दिखाएं वो बना के दिखा दीजिए फिर कंपटीशन हो जाएगा तो मतलब की ऐसे आप अल्लाह किस चीज पर मजा आप लोग कहते हैं की अल्लाह परफेक्ट है क्या क्या चीज है जिससे डिफाइन करते हैं की अल्लाह परफेक्ट है [संगीत] उसको मतलब की पिछले वाले से ज्यादा परफेक्ट करते हैं इस को परफेक्शन बना सके इसको तो हम कहते हैं कॉपरेटिव डिग्री हो गया हमने कंपेयर करके बता दिया की ये बेहतर है ये बेहतर नहीं है [संगीत] समझिए की मैं बैटिंग कर रहा हूं ठीक है क्रिकेट खेलते हूं मैं बैट्समैन मैं बैटिंग कर रहा हूं मैं जी बाल को जैसे चाहूं वैसे खेल डन और जिसको जहां में पहुंचाना चाहूंगा मैं वहां पहुंच डन तो

(09:28) कहा जाएगा भाई इसने परफेक्ट कम किया है अपने इरादे के मुताबिक आप जैसा छह रहे हो एक्जेक्टली वैसा यानी की आप फिर बाद में ये ना कहो की मैं तो छह रहा था हाथी बनाना लेकिन घोड़ा बन गया ठीक है ये नहीं होता परफेक्शन तो अल्लाह ताला जैसा चाहते हैं उसे चीज को वैसा ही बना देते हैं तो उनका हर कम परफेक्ट ही है यानी बाय डेफिनेशन बाय डिफॉल्टर परफेक्ट है ना क्योंकि कभी ऐसा नहीं होता की अल्लाह ताला जी चीज को जैसा बनाना चाहे वो वैसा बने ही नहीं तो बाय डिफॉल्ट जो है वो परफेक्शन होगा उनका जो कुछ भी होगा तो आप समझते हैं आपके अंडरस्टैंडिंग परफेक्शन

(10:02) है उसे हिसाब से आप अल्लाह को क्या-क्या चीज में परफेक्ट मानते हैं ये आप हमको थोड़ा समझाएंगे मतलब की क्या-क्या आप उनको परफेक्ट करते हैं चाहे वो दरिया बन जाए चाहे वो पहाड़ बन जाए चाहे वो घास बन जाए चाहे वो इंसान मिसल के तोर पर समझिए एक इंसान जो है वो एक हाथ के साथ पैदा हुआ दो हाथ के साथ पैदा नहीं हुआ आप कहेंगे ये परफेक्शन नहीं है नहीं ये भी परफेक्ट है क्योंकि अल्लाह ताला ने चाहा के वो एक हाथ के साथ पैदा हो और वैसा ही पैदा हो गया डेट इसे डी परफेक्शन अच्छा तो फिर आपने कहा की यह अल्लाह ने ऐसा कुछ अपने हिसाब से बनाया और यह कुरान अल्लाह कहीं बुक है तो इस हिसाब से कुरान

(10:42) में लिखा हुआ है यह चीज की अर्थ है किसी का पर नहीं है तो वो परफेक्ट नहीं है अल्लाह ताला ने ऐसा इरादा है ऐसा वो पैदा कर दिया है डेट इस कॉल्ड डी परफेक्शन ऑफ डी क वो परफेक्शन होता है अगर अल्लाह ताला यह चाहेंगे कोई इंसान एक आंख के साथ पैदा हो लेकिन वो दो आपके साथ पैदा हो जाए तो अब कहेंगे की अल्लाह ताला तो परफेक्ट कम नहीं कर रहे हैं वो तो छह रहे हैं एक आंख हो दो आंख हो गया अल्लाह ताला छह रहे हैं की दो दो पर के साथ पैदा हो कोई इंसान लेकिन वो एक पर के साथ पैदा हो गया तो ये कहेंगे यहां परफेक्शन नहीं है ठीक है आपका जो बात है

(11:32) अल्लाह ताला पार्शियल्टी कर रहा है या नहीं ये ये मौजूद तो खत्म हो गया ना ये सब्जेक्ट के अल्लाह ताला परफेक्ट है और वो परफेक्ट यानी की हर कम उनका परफेक्ट होता है ये हो गया ये सवाल तो इसी पे डिपेंड कर रहा है ना की परफेक्ट हम किस बुनियाद पर का रहे हैं हम अगर ये सवाल कर रहे हैं की हां किसी के साथ पार्सल लेटी कर रहे हैं तो इसका मतलब ये है की अल्लाह परफेक्शन सब के साथ एक साथ नहीं देखा है अल्लाह सबको एक तरह से नहीं देख रहा है पार्शियल्टी कर रहे हैं या एक एक जैसा देख रहे हैं नहीं देख रहे हैं उसको हम कहते हैं एडल यानी की जस्टिस का वो कॉन्सेप्ट है वो एक अलग चीज है आप यहां पर अभी हमसे

(12:08) बात कर रहे हैं परफेक्शन पे तो हमने बता दिया पहले तो आपको डिफाइन कर दिया की परफेक्शन क्या होता है परफेक्शन ये होता है की जो जी तरह चाहा जाए वो इस तरह हो जाए इसको परफेक्शन कहते हैं तो उसके मुताबिक तो सब चीज देखिए ऐसा कोई दिक्कत है की आपका एक मिनट भाई मैं थोड़ा सा आपको मालूम है अगर आपसे गुफ्तगू मेरा लैपटॉप बड़ा आ गड़बड़ है मां लीजिए खुदा को थोड़ा सा अभी आप अपने डायलॉग डिस्कशन से हटा दें समझ लेने वो क्या उटोपिया पॉसिबल है की जहां हर चीज बिल्कुल से हर एक आदमी को तमाम सहुलते हो बस कोई गम ना हो खुशी ही खुशी हो कोई पेन ना हो वहां पर सब बराबर हो कोई एक बढ़कर कोई बात किसी के पास

(13:12) ज्यादा ताकत ना हो किसी के पास ज्यादा पैसा ना हो सब बाबर एकदम परफेक्ट ये उटोपिया है अब मां लो खुदा नहीं हां सब चंदा सी तो खुदा नहीं है तो ये ये युटुब या खुदा के बगैर क्या एक इंसानी सोसाइटी बना शक्ति है या नहीं देखिए मुझे बताएं की ऐसी सूरत में आपके वर्ल्ड व्यू के एतबार से आई डोंट नो व्हाट इसे योर राम राम का मतलब नहीं होंगे लेकिन जो भी है क्या अब युटुब भी है देखिए आप पहले मैं बता रहा हूं की आपके ही किताब में इसी चीज का डेफिनेशन दिया हुआ है क्या एक हेवन है हम आपको आपका सवाल का जवाब देंगे नहीं आया ये मेरे सवाल का जवाब

(14:10) नहीं है हवन है हम देंगे एक सेकंड रुकेगा तब तो हमको नहीं है जन्नत में मत जाइए क्योंकि जन्नत खुदा की बनाई हुई है मैं का रहा हूं इंसान बना सकता है या नहीं ये बताइए इसलिए आप डाइवर्ट ना करें डाइवर्ट नहीं करने दूंगा इसी वजह से शायद बिजली मर्तबा भी आपसे गुफ्तगू नहीं हो पी होगी तो जन्नत जहन्नम का हवाला देने की जरूर नहीं है वो मैं दूंगा मेरी किताब में क्या लिखा वो मैं जानता हूं आप नहीं जानते आप अपनी बात करें किताबें के बड़े में पढ़ा हूं इसी करण किताबें के ताल्लुक से वो मैं बताऊंगा आप अपनी बात करें युटुब पॉसिबल है की नहीं खुदा के बगैर

(14:50) मेरे हिसाब से नहीं पॉसिबल है क्यों कर रहे हैं आप के खुदा ने पार्शियल्टी दिखाइए जब आप खुद पार्शियल है तो आप पहले सुनिएगा तब तो मेरा पहले सुनते ही नहीं है आप फिर म्यूट कर देते हैं इसलिए पहले सुनिए हां बताना छह रहा है आपको देखिए आपका जो कहना है की हां की हम खुदा के बेसिस पे क्यों का रहे हैं क्योंकि आप लोग इस खुदा के कॉन्सेप्ट को हर किसी के ऊपर अप्लाई करना चाहते हैं जैसे की सनातन को मुस्लिम में कन्वर्ट करना चाहते हैं तो इसके लिए आपके पास जो तारक है उसको आप हमें समझाइए तब तो हम समझेंगे की हम मुस्लिम हम से अच्छे हैं ऐसा हम मेरा हम बता रहे हैं मतलब की जैसे

(15:30) की आप आ ये नहीं है की हम आपको इस करण बोल रहे हैं की आप आप यहां पर बैठे इसलिए हैं की आप मुस्लिम को डिफाइन कर सकें यहां वो सनातनी से अच्छे हैं तब वो कन्वर्ट होगा ये मेरा फल फल की बात की और आपने कहा की भाई किसी भी पेंटिंग को या किसी इस चीज को हम परफेक्ट उसे वक्त समस्या जब हम किसी दूसरी चीज से कंपेयर करें तो चलिए इस्लाम को सनातन धर्म को कंपेयर करते हैं और एक चीज में करते हैं सिर्फ एक चीज में और ये है की डरने के बाद क्या होगा बताइए क्या होगा करने के बाद का कॉन्सेप्ट आप लोग में ये ऐसे आता है की आप लोग जनरल मेरा कॉन्सेप्ट मैं बताऊंगा आप अपना बताइए फिर कंपेयर

(16:08) करेंगे क्या होगा आपका कॉन्सेप्ट क्या है वो बताइए मेरा मानना यह है की सीधा बात है की करने के बाद क्या होगा उसके बड़े में हम लोग को इल नहीं है हम लोग को पता नहीं है की क्या होने वाला है क्योंकि हम लोग बस एक किसी के बाद सुन ये की हां हम लोग का आत्मा होता है ये होता है वो होता है तो मेरा जो मानना है की हमको अभी तक कोई ऐसा आदमी नहीं मिला है जो मा करके वापस आया हो और बताया हो की जन्नत में ये है और ये है इस करण हमको तो अपने पॉइंट में ये है और वो ये है जन्नत की बात करेगी मेरा बोलने का मतलब स्वर्ग ही है आप जैसे मतलब एक ही है

(16:51) आपके यहां एक ही जन्म है इस जगह पर मेल नहीं खाता मुझे अगला जन्म कब अच्छा से पता नहीं है लेकिन ये जो आप लोग कहते हैं की हां हम लोग ने भी कहा जाता है क्या 25 फैंस जाओगे इसलिए अगली जन्म की बात नहीं की हम बता रहे हैं अरे हम बता रहे हैं मतलब क्या चीज आप बोलो सेफ्टी इसी में है की आप ये का दो की मुझे पता नहीं हां तो हम तो बोल ही रहे हैं क्या हमको अच्छा से पता नहीं है इस करण हम दे लेकिन अगला जन्म का कॉन्सेप्ट जो बोलते हैं उनके पास होगा वो ऐसा कुछ लेकिन जो मेरा मानना है हम इससे बताते हैं की हां जो कोई भी आदमी अभी तक मा करके वापस नहीं आया है की हमें बताएं की हां स्वर्ग में यह है या

(17:35) फिर नरक में यह हो रहा है इस करण मेरा मानना है की स्वर्ग न का कॉन्सेप्ट करने के बाद पता चलेगा इस करण मैं उसे पे बात नहीं करता लेकिन आप लोग ने कहा जाता है की स्वर्ग में ये मिलेगा वो मिलेगा पहले ही डिफाइन किया गया तो आप लोग किस बेसिस पे का रहे हैं की हां ये सब मिलेगा ये हमको समझ में नहीं ए रहा है तो वही हम आपसे पूछ रहा है फिर ये मेरा मतलब सवाल मैं मैं रॉक दे रहा हूं अपना न्यूड कर देना आप बताइए बैकग्राउंड नो इसकी थोड़ा सा मोटरसाइकिल जा रही थी अब उम्मीद है अच्छा फिर से मैं बोलूं क्या सवाल हिंदुइज्म में अगले जन्म का कॉन्सेप्ट है या नहीं हां या ना

(18:18) देखिए मुझे इसका इल नहीं है इस करण मैं इसके ऊपर बात नहीं करना हमसे आकर यहां गलत बयानी करने की जरूर नहीं है आपका ये बुनियादी कॉन्सेप्ट है उसके बगैर आप हिंदू अगर आप अगला जन्म नमन है अगला जन्म मोक्ष ये तो सब है ना देखिए आप में जो है मोक्ष का मतलब अलग होता है अगला जन्म का मतलब अलग होता है अलग अलग जन्म का कॉन्सेप्ट मेरे हिसाब से जो मैंने अभी तक देखा है और सुना है उसे हिसाब से मैंने आपको बताया की ऐसा ऐसा बात है की हां कोई भी आदमी वापस नहीं आया और ऐसे-ऐसे मतलब की आपका नहीं है अगर आप गूगल के ऊपर सर्च करेंगे और डालेंगे नेक्स्ट लाइफ इन हिंदुइज्म

(19:38) एक मिनट अगर कोई मुसलमान यह कहे के मैं मुसलमान तो हूं लेकिन मुझे पता नहीं तौहीद क्या है और विशालत क्या है मैं नहीं जानता पता नहीं अल्लाह एक है की नहीं है तो भाई तुम मुसलमान भी नहीं है अगर तुझे यही नहीं पता की अल्लाह एक है या नहीं मौजूद है ये नहीं तो मुसलमान के साथ तो वो हिंदू के साथ जो री कार्डिनेशन पे बिलीव ना करता हो और आप यह की मुझे पता नहीं है इसलिए का रहे हैं क्योंकि आपको पता है की आगे क्या होने वाला है इसलिए पहले का दो हमें तो पता ही नहीं है तो अगर जो पहले चीज है जिसमें मुझे इस्लाम और हिंदुइज्म में कंपेयर करना है तो मैं इस्लाम और आपकी जो अपनी जिहालत

(20:14) है उसके दरमियां कंपेयर नहीं करूंगा मैं इस्लाम और हिंदुइज्म के मैदान कंपेयर करूंगा तो मुझे ये मत कहिए मुझे नहीं पता आपको नहीं पता हो सकता है दासन मटर हिंदुइज्म ये बिलीव करता है की अगले जन्म में इंसान जब मरता है तो उसका अगला जन्म होता है फिर अगला जन्म होता है अभी आपने थोड़ी डर पहले जब टेक्नोलॉजी इस्लाम ने कहा मोक्ष क्लब से उन्होंने बोला तो आपने कहा की नहीं अगला जन्म अलग होता है और मोक्ष अलग होता है इसका मतलब आपको पता है आप झूठ बोल रहे हैं की आपको नहीं पता है मुझे मतलब आपने मोक्ष के बड़े में एक नॉलेज इस्लाम की गलती को कैसे पड़ा इसका

(20:49) मतलब पता है बिल्कुल बिल्कुल अगला जन्म के बड़े में मैंने कभी अच्छा से ये पता करने की कोशिश नहीं की क्योंकि मुझे है वो आपने पता करने की कोशिश नहीं की लेकिन है ना कॉन्सेप्ट तो है यह तो मानते हो ना या नहीं है उनको पता होगा तो वह बता सकते हैं लेकिन अभी मुझे नहीं पता तो मैं बताऊंगा आपको इस बार लेकिन मोक्ष के बड़े में मुझे थोड़ा बहुत पता है तो मैं आपको बता देता हूं फिर जाके होता है ना एकदम तो नहीं हो जाता तो अगला जन्म तो पता नहीं और मोक्ष पता है ये कैसे पॉसिबल है देखिए हम लोग में इस तरह नहीं बताया जाता की हां हम लोग के धर्म में इस तरह बच्चे

(22:00) पर फोर्स नहीं किया जाता की हां तुम अपने धर्म के बड़े में ही पढ़ो पहले इस करण हम लोग को बहुत साड़ी चीज नहीं पता है जैसे की हम लोग ने कभी भी वेद का कॉन्सेप्ट अभी थोड़ी डर पहले ये का रहे थे की आपके मजहब के बड़े में मुझे थोड़ा सा पता है आपको पता नहीं हमारा पता है ओ भाई पहले अपना तो पता कर लो फिर हमारा पता करो आप जो बोलना छह रहे हैं आपका हम समझ रहे हैं की आप क्यों बोलना छह रहे हैं की हां हमको आपके धर्म के बड़े में पता है और मेरे धर्म के बड़े में नहीं बताइए की हम लोग आपके धर्म में सलाम वालेकुम सलाम भाई की बात सुन रहा था बड़े गौर से और बड़े मजे की बातें करते हैं तो आपकी

(22:53) गुफ्तगू खत्म हुई तो मुझे भी इजाजत दीजिएगा दो एक बातें मैं भी इसे पूछना चाहता हूं बहुत अच्छी बात है आपको नहीं पता लेकिन हमें पता है की हम इसलिए पूछ रहे हैं की आपको बताना छह रहे हैं की आप लोग देखिए आप लोग का कॉन्सेप्ट ये है की हम लोग हिंदुइज्म छोड़ करके इस्लाम में कन्वर्ट हो जाएगा इस करण हमने कुछ कुछ चीज पता की जी जो आप लोग के धर्म के बड़े में जो चीज हमें नहीं नहीं वो गलत पता किया आपने शुरुआत गलत की एलजी यूकेजी से करना था आप सीधा हाय स्कूल में पहुंच गए इंटर में इंटरमीडिएट की समझ में कैसे आएगी जब आप पीछे आएंगे ऊपर तक तो

(23:31) आपको अगर किसी चीज को पसंद आप ये पसंद आप हिंदू हैं आप कन्वर्ट नहीं होना चाहते हैं यार हमें कन्वर्ट क्यों करते हैं तो आप पहले अपना पढ़ेंगे कभी हमारे पास अगर ऑलरेडी सब कुछ है हर चीज परफेक्ट है तो हमें इस्लाम में कन्वर्जन की क्या जरूर है तो पहले आप अपने बड़े में मालूमात हासिल करेंगे फिर आप दूसरों के जो कमियां हैं उसको देखेंगे अभी आपको अपनी कमी और अच्छाई का पता नहीं और दूसरों की आप कमी तलाश करने लगे तो आपको ये पता कैसे चला की वो कभी है जबकि आपको अपनी कमी और अच्छाई का पता नहीं किसी भी चीज की अच्छाई और कमी कंपैरिजन से पता चलती है जब आपको अपने मसब का पता ही नहीं

(24:08) तो आप कंपैरिजन किस चीज का कर रहे हैं भाई देखिए कंपैरिजन इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आप लोग के जो इस्लामी लोग हैं या मुस्लिम लोग हैं आवाज ए रही है की आप क्यों कंपैरिजन कर रहे हैं आपसे सवाल ये कहा गया की कितने कर रहे हैं आप इस्लाम का परिजन किस से कर रहे हैं देखिए हेलो आप हिंदुइज्म का कंपैरिजन इस्लाम से कर रहे हैं तो उसके लिए आपके पास हिंदुइज्म की नॉलेज हनी चाहिए अब बोले आगे हम क्या चाहते हैं हिंदू का इतना नॉलेज तो है की मैं हिंदू में रहूं और इस्लाम में कन्वर्ट ना हो आपको अगर आपको हिंदू का इतना नॉलेज है तो यह नॉलेज सबसे पहले आनी चाहिए जो आपके

(25:15) बेसिक तनोट सब बिलीव है उनमें एक चीज रेन कार्डिनेशन है यानी अगले जन्म में पैदा होना अगला जन्म होना वो आपको पता नहीं है तो आप ये कैसा का सकते हैं की आपको इतनी नॉलेज है चलिए आपको कितनी नॉलेज है वो बताइए हिंदुइज्म की क्या-क्या नॉलेज है वो बताएं हम कहेंगे जो भी बात तो आप पद जाएंगे तो हम आपको बताते हैं की हिंदुइज्म में बहुत पहले से ये लिखा हुआ था की धरती गोल है लेकिन आपके कुरान में लिखा हुआ था धरती फ्लैट है तो आपने ये फिर कैसे बता रहे हैं की आपका हिंदुस्तान में धरती फ्लैट है की गोल है ये आपके धर्म की नॉलेज नहीं है हमारे धर्म की नॉलेज है मैं पूछ रहा हूं अपने धर्म की

(25:52) नॉलेज दो इस्लाम को बीच में लाइव बगैर ये ऐसे ही है जैसा की न्यूज़ एंकर पाकिस्तान के बगैर इंडिया का न्यू का गुफ्तगू कर ही नहीं सकता पाकिस्तान को जरूर लेकर आएगा बीच में अरे भाई अपनी बात करो ना अपनी आपकी जो हिंदुइज्म की नॉलेज है वो बयान करो इस्लाम को लाया बगैर इस्लाम में धरती चपटी है की फ्लैट है वो क्या है वो हमें बताया हम बताएंगे होगी अब बात करनी है इस्लाम क्या है इसे हम समझ रहे हैं देखिए यहां पर आप इसीलिए बैठे हैं की इस्लाम को आपको डिपेंड करता है और आप इसलिए कन्वर्ट नहीं होना है तो आप मुझे आप हिंदुइज्म की जो वो है

(26:39) आर्टिकल है आपके फेक के वो बताइए उसके बाद अगर बात नहीं होगी वरना फिर मैं आपको छोड़ आपको निकालना पड़ेगा मुझे कोई फायदा नहीं है ना आपसे बात करके नहीं जीत रहे हैं इस करण आप निकाल दीजिएगा उसका अलग बात है ये अलग बात है देखिए हमारा अगर आप ये का रहे हैं की आप को पक्का नहीं है और जी हालात की वजह से हमारे आर्गुमेंट आपके समझ में नहीं ए रहे हैं और हम इस वजह से फेल हो रहे हैं तो आई गिरी हालात से हम कभी नहीं जीत सकते भाई दुनिया में कोई बांदा आज तक जी हालात से नहीं जीता तो हमारी क्या औकात है क्यों कैसर भाई [संगीत] आप ही किसी का और से लेना देना नहीं है आप ही है और आपने वो बना दी है तो अब उन

(28:16) पेंटिंग्स को परफेक्ट करने वाला कौन हो सकता है मेरे हिसाब से जो दूसरा पर पेंटर है वह बताया उनके पास नहीं है जो मास्टरी आपके पास है वह उनके पास नहीं है आप टोटली इंडिपेंडेंस है कोई भी आदमी आपके कम के बड़े में आपसे बेहतर नहीं पे तो जो मेरा काली होगा जो हमसे ये नीचे होगा मुझे बात करेंगे क्या आप देखो मेरा पेंटिंग अच्छा है की नहीं है बताओ आपको खुद पे एतमाद नहीं है की आप कहेंगे की नहीं अगर हर चीज मेरे ही हाथ में है तो मेडिकल करूंगा फिर वो तो मैंने पहले ही कर दिया मैं मैं तो अपना ये गुणगान तो करूंगा लेकिन मैं 10 पेंटिंग बनाया और दसों मेरा अच्छा है

(29:02) अब अगर आपने एक में ग्रीन कलर इस्तेमाल कर दिया एक मैं ब्लू कर दिया एक मैं अपने ऑरेंज कलर इस्तेमाल कर दिया किसी में तो आपस में थोड़ा सा उसमें डिफरेंस पाया जाता है और 10 ही के 10 पर आप ही का इख्तियार है आप ही कुली तोर पर हर चीज में आप ही डिस्क्रिप्शन है तो ये जो कलर डिफरेंस हैं इसके बावजूद भी हम यह का सकते हैं की 10 की 10 परफेक्ट हैं बहुत शुक्रिया एतराज करें की अगर किसी के हाथ नहीं है किसी बच्चे के या किसी के ऐसे नहीं है तो जो अल्टीमेट डिसाइड है अगर उसने डिसाइड किया है की मेरी फलक क्रिएशन इस तरह की होगी और इस की एब्सलूट डिस्क्रिप्शन है और कोई उसके एम के बराबर इल नहीं रखना तो

(29:43) इसका मतलब यह है की उसने फिर यह कहा की ये परफेक्ट है तो परफेक्ट है अब उसे पे एतराज करने वाले या जरूरी है की मुझे बेहतर नॉलेज रखना हो डू यू क्लेम के आपका नॉलेज गॉड कन्वे सिर्फ नॉलेज से बेहतर है परपज होता है जिससे हम लोग क्वेश्चन है तो आप लोग उसमें तारक निकलेंगे की हां ऐसा है वैसा है लेकिन हम आपको बता रहे हैं की देखिए हाईएस्ट रन हो के पीछे भी एक रीजन होता है अगर सिर्फ यस कहा जाए हर चीज में तो वो यस नहीं हो जाता उसके पीछे एक रीजन भी बताना पड़ता है तो नॉलेज से आपका नॉलेज ज्यादा है तो उसको आप लोग फिर चैलेंज करते हैं क्या ऐसा वैसा तो उसे हिसाब से बोला जाता है

(30:40) ठीक है आप रुकिए तो अब यह पुरी तरह की साड़ी पेंटिंग्स अच्छी हैं चाहे कलर कोई सा भी हो साड़ी की साड़ी परफेक्ट है क्योंकि उसे लेवल का कोई नहीं तो खुदा के लेवल का कोई नहीं तो खुदा की तकलीफ साड़ी की साड़ी परफेक्ट सेकंड मेरा इसी बीच में एक सवाल है ये जो है बार-बार जो फिर दूसरा मौजूद चला था वो एक दूसरा मौजूद है बहुत सारे लोग इंतजार कर रहे हैं तो भाई आ रुकिए एक सेकंड हम आपको इसी बात पर इंटर से शायद आपसे गुफ्तगू हो रही है इतनी लंबी तो अपना नंबर टाइम नहीं देता हम किसी को अपने मजहब नहीं है तो अपने मजहब को सिख कर के बाद ठीक है चले

Kabhi socha hai jab hum kehte hain ke Allah perfect hai, to kya woh lafz sirf jazbaat ki bunyaad par hai, ya uska logical aur Quranic bunyaad bhi hai? Is debate mein kuch ne kaha ke insaan imperfect hai, to kaise hum Allah ko perfect kehlayein? Yeh sawal kam nahin talaash ka… aur ab hum is article mein ye baat wazeh karenge. Aage hum:

  1. Definition samjhayenge ke perfection ka matlab kya hai.
  2. Debate ke objections uthayenge.
  3. Har objection ka logic aur Islamic dalil ke saath jawab dain ge.

Agar aap tayyar hain, to chaliye shakti se ye pehlu samajhte hain.


Key Takeaways:

  • Perfection matlab bina makhsar kisi irade ke mutabiq kaam karna; deviation ka sawal hi nahi uthta.
  • Debate mein jo objection tha ke “insaan imperfect hai”, woh false equivalence fallacy par mabni hai.
  • Allah ka khilq irade ke mutabik hai, is liye har kaam uski perfection ka saboot hai.
  • Perfection ka matlab har cheez mein adl aur mukammal hona hai, jo khuda ke liye mumkin hai.
  • Qadim tawheed ke daryaft se pata chalta hai ke jo farishe hain woh Allah ke irade ka perfect execution hain, lekin wo creation mein insaan se behter nahi—they just obey.

Definition: Perfection Ka Matlab

Objection: “Kuch bhi perfect nahi hota—MF Husain ne paintings banai, hum pehle perfection decide nahi kar sakte.”
Yahan yad rakhye: wo perfection relative hai, yani ek cheez ko doosri se achha kehna. False equivalence hoti yeh soch ke agar insaan imperfect hai to Allah bhi imperfect ho sakta hai. Lekin logically agar hum define karen:

Perfection wo state hai jab koi kaam poore irade ke mutabik, baghair kisi galti ke kiya gaya ho.

Insaan ke kaam mein masail hain kyunke uski limited resources, learning on the go, aur comparison ke bazar mein rehne ki wajah se. Lekin Allah—Qadim, Qaadir, AalimeHar cheez—uska irada har kaam poore waazeh taur par poora hota hai. Is liye uska perfection absolut hai, na kevulareltive.


Objection 1: “Insaan imperfect hai—Allah ka perfection kya bunyaad hai?”

Aitraaz: “Agar insaan mein faults hain, to Allah ka sobriquet ‘perfect’ kaise theek hai?”

Jawab:

Yahan analogy ka istemal kiya gaya: Husain ke painting perfect nahi, to Allah bhi waise hi. Lekin yeh analogy logical nazar andaz karti hai ke yeh jo comparison ho rahi hai woh apples to oranges hai.

  • Fallacy Highlight: Yeh false equivalence hai—insaan ki creation aur Allah ka khulq bilkul different cheezen hain.
  • Logic: Insaan limited, learned, aur multiple models se inspire hota hai. Ye sab constraints hain. Allah ki creation mein koi constraints nahi—uska irada “jaisa chaha, waisa paida kiya.”
  • Islamic perspective: Quran ke mutabiq Allah AalameHar cheez par qaadir hai (2:20) aur uska Irada sab kuch poora karta hai. Is liye hum keh sakte hain uska perfection actual aur absolute hai.
  • Analogy: Jaise aap cricket pitch par batting kar rahe hain—agar aap parfek distinction se ball ko crack karte ho to aap perfection achieve kar sakte ho, kyunki aapne irada clear rakha aur execution poora hua.

Objection 2: “Perfection insaanon ke mutabiq hai, so Allah bhi imperfect ho sakta hai”

Aitraaz: “Jo perfection ka definition hai woh insaano ki misaalon se liya gaya—Allah ko bhi us hisaab se judge kiya ja raha hai to yeh unfair hai.”

Jawab:

  • Logical flaw yahan par subjective equivalence hai—jisko hum subjective fallacy kehte hain. Har cheez ko apne limits ke mutabiq dekha jayega.
  • Allah ka perfection objective hai: uske har act mein khud waazeh irada samne hota hai.
  • Quran aur Sunnah mein Allah ke sifat-e-kamila (perfection) ka zikr hai—jaise “Mutakabbir, Raheem”—jo uski har quwwat aur insan ke liye rehmat ka izhar hai.

Objection 3: “Allah ne andha ya ek haath wala insaan kyun banaya—wahan perfection kya hai?”

Aitraaz: “Perfection ka matlab sab ek jaisa balance hona hota hai—jo kuch Allah ne imperfect banaya to wo perfection me nahi.”

Jawab:

  • First, yaad rahe ke perfection matlab irade ke mutabiq hoga. Agar Allah chahe ke koi insan ek haath ke saath paida ho to usme koi deviation nahi—ye uska irada tha.
  • Pharishte (angels) ke example ke zariye samjhaye gaye hain: unme kisi deviation ki gunjaish nahi kyunki unme koi marz, rebellion, ya limited experimentation nahi—lekin wo insaan se upar maana nahi jata, kyunki insaan ka maqam Ashraf-ul-makhlooqat hai—jo iman par amal karta hai.
  • Quran mein phir bhi Allah ne insaano ke irade ko bhi azmaish ka ek tool banaya—taake insan growth kare. Iss tarah se har cheez purposeful hai, aur perfection bhi.

Analysis: Why Angles != Superior Humans

  • Pharishte Allah ke commands par poore tareeqe se amal karte hain—yahan koi deviation hi nahi.
  • Humans ke paas choice aur azadi hai—iskay bawajood bhi jab woh apne irade ke mutabiq amal karein to apni taraf se “perfect” he from iradey ki definition mein.
  • Dono creation ka maksad mukhtalif hai—mandate of completion vs. mandate of trial.

Objection 4: “Agar Allah partial hai (partiality), to kya perfection hai?”

Aitraaz: “Agar har creation ek jaisa nahi hai to kya Allah partial hai? Doesn’t that violate perfection?”

Jawab:

  • Ye fallacy equates perfection with uniformity—jo logically galat hai. Perfection matlab har cheez irade ke mutabiq aur bilkul sahi execution.
  • Adl (justice) ka concept alag hai—iska matlab har insan ko uske amal ke hisaab se insaf mile.
  • Agar sabko ek jaisa banaya to adl kho jayegi. Perfection waise hi kalaam mein hoti hai jab irada object poora ho, not uniform treatment.

  • Jo “next life” ya “reincarnation” jaisi batein uthai gayi—wahan bhi confusion hai ke insaan ne complete knowledge kahan se lai?
  • Islamic sahih aqeedah mein insaan ko ussi knowledge par judge kiya jayega jo usse maloom hui (Qur’an 17:15).
  • Perfection yahan bhi maintain hoti hai—Allah ne irada hai usko judge kare according to knowledge. Koi bhi “next birth” ka concept Islam ke mutabiq nahi—aur is trfa se Allah ne har cheez apne irade ke mutabik perform kiya, yeh bhi uska perfection hai.

Consolidation: Summary of Arguments

  1. Definition clear kar di (irade & execution)
  2. Insaan vs Allah authonomy ki differences highlight ki
  3. Perfection ≠ uniformity
  4. Perfection ≠ lack of variation ya trial
  5. Islamic beliefs ke perspective se “perfect Creator” aik logical aur theological title hai

Conclusion

Is tamam debate ka nateeja ye hai ke Allah ka perfection Quranic, logical aur ilmi taur par justifiable hai. Jo objections uthaye gaye—false equivalence, subjective bias, confusion between adl and perfection—wo sab khud logic ki bunyaad par kharaab sabit hue.

Akhir me, hum ye keh sakte hain ke Allah jis tarah baghair kisi masail ke har irade ko complete karta hai, us bazariye ek Creator ke taur par uska kirdar perfect hai. Shall we all pause and reflect.


FAQs

Q: Kya perfection ka matlab uniformity hota hai?
A: Nahi. Perfection ka matlab hai irade ke mutabik complete hona. Uniformity adl nahi, perfection se relate nahi karti.

Q: Pharishtay perfection mein insaan se zyada kyu nahi hain?
A: Kyunke pharishtay Allah ke hukum par amal hi kar sakte hain, lekin insaan ke paas azadi hai. Insaan ko “Ashraf-ul-makhlooqat” isliye kaha gaya kyunke wo iman par amal karta hai—jo sab say badi achievement hai.

Q: Agar Allah kisi ko blind paida kare, to kya wo imperfect hai?
A: Nahi, kyunke yeh Allah ki irade ka hissa hai. Har cheez, chahay viral ho ya malakooti, woh uske irade ke mutabik hi hai—yehi “D-perfection” hai, vahir aur baatin se barakraar.

Q: Kya insaan ke actions bhi perfection achieve kar sakte hain?
A: Yes, jab insaan apne irade ke tamam scope ke andar perfect execution kare to usmein partial perfection hosakte hai—lekin uska scale farishtay ya Allah ke jaisa nahi ho sakta.

Q: Kya perfection ka concept Islam mein Quran-Hadith ke saath align hai?
A: Bilkul. Quran mein Allah kay sifat-e-kamila (e.g., Mutakabbir, Basir, etc.) ka zikr hai, aur hum unhein logical taur par evidence de sakte hain.

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