Kya Islam Same-Sex Marriage ko Support Karta Hai? | Indian Supreme Court Debate ka Islamic Jawab

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Transcript: (00:00) हिसाब एक एलजीबीटी क्यों राइट्स के हवाले से एक सवाल पूछना चाहता हूं आपसे इंडिया में भी आप देख रहे होंगे उसे पर चल रहा है कैसे चल रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट में डेली सनी हो रही है तो इसमें डेनियल का जो है वो भी काफी बार सवाल उठाते की कई मुस्लिम लीडर्स हैं वो इसका सपोर्ट भी करते हैं तो इसमें आप क्या कहेंगे की मुस्लिम का क्या ओपिनियन होना चाहिए इस पे बिल्कुल रिजेक्ट कर देना चाहिए या फिर बोलना चाहिए की जो बेसिक ह्यूमन राइट है उन्हें मिलन चाहिए आपने सवाल बड़ा जबरदस्त किया है और कल ही मैंने एक क्लास में इस सवाल को एड्रेस किया है और यहां मैं उसका

(00:38) जवाब देना चाहूंगा और मैं चाहूंगा की तमाम हजरत इस पर मुसलमान संगीत की सब गौर करें देखें सुप्रीम कोर्ट में इंडिया में मरकाजी हुकूमत ने सेंट्रल गवर्नमेंट ने जो पोजीशन ली है वह यह ली है की शादी एक खास मुकद्दस बंधन है जो कलर मजहब की बुनियादों के ऊपर ते होता है वो ये है की एक मर्द और औरत की शादी होती है मर्द मर्द की और औरत की शादी नहीं होती है तो हम इस चीज के खिलाफ है यह सेंट्रल गवर्नमेंट का मौके है सुप्रीम कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला ए जाए और इस बात का सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला है वो गवर्नमेंट की पोजीशन के खिलाफ

(01:27) आए यहां मैं यह कहना चाहूंगा की इंडियन मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशंस की यह जिम्मेदारी है की वह गवर्नमेंट के इस मौकेलिफ्ट की 100% टाइट करें और खुलकर टाइट करें चूंकि ये मसाला सिर्फ हिंदुओं का नहीं है ये मसाला मुसलमान का भी है और जी तरीके से ये हिंदू कलर के खिलाफ है ऐसे ही ये इस्लामी तालीम और इस्लामी अकड़ के भी खुल्लम खुला खिलाफ है मैंने अभी होलिया में जब सुप्रीम कोर्ट में यह मसाला चला जहां तक मुझे याद पड़ता है इन करेक्ट मी फाइन रंग के सिर्फ एक तंजीम का एक लेटर है देखा था मौलाना मोहम्मद मदनी की तरफ से था आ और उसमें उन्होंने गवर्नमेंट के

(02:12) मौकेतायत की थी की भाई हम गवर्नमेंट के इस पोजीशन के इस के साथ हैं इसके बाद मुस्लिम पर्सनल डॉ बोर्ड की तरफ से कोई दूसरे ग्रुप की तरफ से कोई नहीं आई है मेरी मालूमात के मुताबिक इसी तरीके से एन और भी जो तंजी में है जमाई ए इस्लामी है मरकज हादसे जी ये एक मुकम्मल कर लूं की इनकी तरफ से कोई ते नहीं आई है ये बात याद रख लेना चाहिए मुसलमान को मैं ये बात बता रहा हूं की ये जो मसाला है एलजीबीटी का या होमो सेक्सुअलिटी का ये मसाला दरअसल इस वक्त इस दूर में लिबरलिज्म और रिवायत पसंदो के लिए खट्टे फसिल है यही वो रेडलाइन है की आप उधर है

(02:58) तो लिबरल है और इधर है तो आप रिवायत पसंद है और बाज हालात में ये कुफुर और इनाम के दरमियां है वो इस तरीके से एक आदमी मसाला हम खुद इस तरीके के नजरिया नहीं रखना लेकिन वो इस तरीके के नजरिया याद रखना वालों को दरूद समझना है वो ये कहता है की नहीं ये बिल्कुल ठीक है हमें हम इनके हुक के लिए लड़ेंगे और इनका जो अमल है वो दुरुस्त है मथुरा नगर वो ये टाइड करें बिल्कुल खुल्लम खुला टाइट करें ऐसे शख्स के कुफ्रेम कोई सा नहीं है हम उसकी तस्वीर करेंगे और उसको डेरा इस्लाम से हरि समझा जाएगा वो फिर चाहे कोई भी हो उसने अपने मजहबीलीबड़ा पहने हुआ हो उसकी दाढ़ी बधाई

(03:38) हो उसके सर पर इमाम हो वो किसी मस्जिद का इमाम हो किसी मदरसे का मदारिस हो या किसी पॉलीटिकल पार्टी का लीडर हो या किसी मिली तंजीम का कैद हो जजनाथ मटर अगर वो एलजीबीटी की हिमायत इस तरीके से करता है की वो इस अमल को बड़ा नहीं समझना तो वो इस्तहलालूमा हार्मला का मुर्तकिब है यानी जी चीज को अल्लाह ताला ने हराम कार दिया है वो उसको हल कर रहा है और हराम को हल करना ये इंसान के अख्तियार और उसके डेयर से बाहर है और ऐसा शख्स फौरन डेरा इस्लाम से खारिज हो जाता है लेकिन अगर कोई आदमी यह कहता है मैं थोड़ा सा फर्क बयान कर डन की एक आदमी यह कहता है

(04:14) की नहीं मैं इस अमल को दुरुस्त नहीं समझना हूं लेकिन यह लोग भी अकाल लिए थे जी तरीके से दूसरी अकाली हो तो के हुक क्या तफूज होना चाहिए इस अकाल लियेयत के हुकुम का भी तहफ्फुज होना चाहिए अगर कोई आदमी ये अकीदा या ये बिलीव ये नजर ये रखना है हम उसकी तस्वीर तो नहीं करेंगे लेकिन यह बात ते है की फिर उसके लिबरल होने में कोई शक नहीं है मुसलमान को यह जो मौज है इन मौज के ऊपर खुलकर बोलने की जरूर है यह मैं मानता हूं की आज यह फिटना इतनी बड़ी तादाद में जितना ये मगरिब्युमालिक में इसने लोगों को मुतासिर किया है इंडिया पाकिस्तान बांग्लादेश में यह उसे हद तक नहीं पहुंच

(04:51) लेकिन हमें मालूम है की हमारी जो कॉम है यानी जो सब कॉन्टिनेंट के लोग हैं चाहे वो हिंदू हो के मुसलमान के सीखो इसी हूं वो सब के सब मगरिब का फेंका हुआ और उसका छोड़ हुआ खाने के आदि हैं जो फिटना मगरी भी मलिक में आज गुफा हो रहा है मुमकिन है की आज यही सूरत हाल आज से के बाद 10 साल के बाद आप अपने मुल्कों के अंदर देखें तो मुसलमान का जो मौखिक है वो इस ताल्लुक से बिल्कुल बाजे होना चाहिए चर्च ने इन लोगों के सामने सुरेंद्र कर दिया मैं अमेरिका में देखा हूं की प्राइड मंच शुरू होने वाला है जून में तो आप देखेंगे के जून में चों के बाहर रेनबो फ्लैग लगे हुए हैं और

(05:27) उसमें बाकायदा लिखा हुआ है जो जेंडर आर वेलकम तो ये जो तरीका है की चर्च ने पॉप ने बिल्कुल सुरेंद्र कर दिया की नहीं जी आ एलजीबीटी का जो अमल है वो बिल्कुल दुरुस्त है और हम उनके हुकुम का आप उसे करेंगे मुझे कोई एक बात बताएं की एलजीबीटी कौन लोग हैं ये वो लोग हैं की जो दरअसल अपनी जेंडर को दूसरे तरीके से आईडेंटिफाई करते हैं या मसलन उनकी जो सक थे वो ये है की एक मर्द को मर्द में दिलचस्प है और एक औरत को औरत में दिलचस्प है मुझे कोई अकलमंद याद है ये फाखरी अंदाज में ये कहे की मैं उसे ग्रुप से ताल्लुक रखना हूं की जी ग्रुप के

(06:00) लोग अपनी बीबी के साथ सोते हैं आपका आपकी बीबी के साथ सोना आपकी सोंठ कैसे बन सकता है ये आपके लिए बाइसेप्स साड़ी दुनिया करती ए रही है आप किसी के साथ सोए आप बीबी के साथ सोए आप गधे के साथ सोए आप कुत्ते के साथ सोए सोना आपकी संस्त नहीं है किसी के साथ आपकी सनात ये है की आप क्या ख्याल रखते हैं आपकी जो शराब थे वो आपकी आईडियोलॉजी है इसी के साथ सोना या किसी के साथ फिरना या किसी के हाथ पकड़ कर चलना ये आपकी सनत नहीं है ये किसी भी इंसान की जो भी अकलमंद आदमी है वो इससे इत्तेफाक करेगा हां जो लोग सुरेंद्र कर चुके हैं एलजीबीटी

(06:36) के शिद्दत पसंद हो किसान ने और उसके टेरर के सामने वही लोग इससे इख्तिलाफ करेंगे तो ये मेरा मौखिक है इस ताल्लुक से और बिल्कुल दो और दो कर की तरफ आवाज है सर यहां पर एक सवाल ले लीजिए मेरा पसंदमों को मैंने कहते हुए सुना है और अपने तोर से जवाब देने की भी कोशिश की लेकिन यहां पर मैं आपकी रैली जानना चाहूंगी बहुत सारे बाहर पसंद होगा कहना यह है की पुराने माजिद में हजरत अली सलातो अस्सलाम आयाम जींस परस्ती में मुकाला दी यानी मर्द मर्द के साथ और औरत के साथ संबंध बनाता था लेकिन यहां पर मामला बिल्कुल नहीं ऐसा नहीं है अगर आप एलजीबीटी देखेंगे इसी

(07:41) मतलब है लेस्बियन यानी वो औरत जो औरत में दिलचस्प रखती हो और उसके साथ गए जो उम्र जो मर्द में उलझा हो और बी से मुराद है दोनों के साथ करता हूं उसके बाद 30 मुरादे ट्रांसजेंडर ये वो बांदा है की जिसके बड़े में आप बात कर रहे हैं की जो अपनी पैदाइशी जींस मुतमईन ना होकर अपना ऑपरेशन कर के हारमोंस लेकर वो अपनी जींस तब्दील कर ले वो ट्रांसजेंडर है और अक्सर ऐसा होता है की जब ट्रांसजेंडर अपनी जींस तब्दील करता है अक्सर की बात बता रहा हूं मैं यानी एक मर्द है वो अपने आप को औरत समझ रहा है और उसने अपने आप को औरत मां लिया अब वो औरत मानकर मुखालिफ जिम्स के

(08:24) साथ यानी मर्द के साथ समझ रहा है तो समझ रहा है की अब मैं औरत हूं लिहाजा मेरा यहां के मैं मर्द के साथ लेकिन हकीक येतवार से वो मर्द है तो फिर मर्द और मर्द के साथ वो लोग विश्व हुआ तो यह भी अन्य ट्रांसजेंडर्स में से अक्सरियत गए होती है उसके बाद आप आगे चले एलजीबीटीयूब से मुराद क्विज भी हो सकते हैं और क्वेश्चनिंग भी हो सकते हैं तो ये ऐसा नहीं है जो आपने बात कहीं है यानी जो पहले लब्ज है पहले हर्फ है वही बता रहा है की इसका ताल्लुक हम जींस परस्ती से यानी वो एक है की हम इस हद तक इसको सपोर्ट कर सकते हैं की अगर मुस्लिम है यह मुसलमान ही है और

(09:18) काफी मर्तबा मुलाकात भी हुई है [संगीत] की हम इस अमल को दूर समझते हैं तो मैं ऐसे शख्स को मुसलमान माने से मैं बिल्कुल इनकार करता हूं यह मुसलमान नहीं है अगर उनको एक मर्तबा यह बता दिया गया की ये चीज गलत है पुराने करीम में यूरिन अभी कल किला और इसी तरीके से आज मौका ये रातें भीखाल किला हदीस के अंदर आए हैं अल्फाज यानी तकरीर खाल के ल जो है उसको एक आ ना पसंदीदा नहीं बल्कि गुना का अमल कार दिया गया है तो ये अल्लाह ताला की तकलीफ को तकदीर करना है जींस को तब्दील करना अच्छा इससे ज्यादा मेंटल प्रॉब्लम आज तक दुनिया में दुनिया ने नहीं अच्छी ये जो

(10:01) जेंडर तब्दे वाली बात है जो लोग अपने जेंडर को तब्दील करते हैं चलो भाई ठीक है एक आदमी ने जेंडर तब्दील करके मर्द औरत बन गया औरत मर्द बन गए चलो यहां तक भी थोड़ी डर के लिए बात समझ में ए शक्ति है आपको पता है 2023 की जो अपडेट लिस्ट है उसमें जेंडर की तादाद कितनी है 105 है तो एक जेंडर तब दिन करके 105 ऑप्शंस हैं आपके पास क्या आप यह बन जैन ये बन जैन ये बन जाए मैं भी कल एक क्लास में हवाला दे रहा था एक प्रोग्राम का डॉक्टर फाइल एक प्रोग्राम आता है उसमें एक औरत बैठी हुई थी तो वो औरत ने अपने आप को ब्लाइंड कर लिया और उससे उसने लोगों ने पूछा डॉक्टर

(10:36) ने पूछा की भाई तुमने इसको अपने आप को ब्लाइंड क्यों किया तो वो खाने लगी की मुझे ऐसा ग रहा है की मुझे ब्लाइंड ही पैदा होना चाहिए था तो मैं हमेशा सोचती थी की मैं यानी मैं बिना क्यों पैदा हो गए मुझे तो ना भी ना होना चाहिए था तो आखिर में मैंने जो ब्लीच होता है कपड़े धोने का वो अपनी आंख में दाल लिया और मेरी आंख की रोशनी चली गई मैं बहुत खुश हूं तो मुझे फूल हो रहा था ऐसा ये जो फीलिंग है उसकी वजह से वो अपनी आंख को बैठी तो डॉक्टर ने उससे कहा की कोई रिग्रेट वो खाने लगी की मुझे इस बात पर ग्रेट है की मैंने बड़ी तकलीफ से तकलीफ की अमल से अपनी बिनाई कोई

(11:09) है आसन अमल भी हो सकता था लेकिन जो इस वक्त मेरी कंडीशन है उसमें मैं बहुत खुश हूं कितनी बड़ी एक पुरी कम्युनिटी है जो अपने आप को जानवर आईडेंटिफाई करती है जो कहती है हम गधे हैं कुत्ते बताइए कहां तक जाएंगे आप इनके साथ मैंने जो बात की है खासकर यूनिवर्सिटी इसके अंदर इस तरह के एक्टिविज्म बहुत ज्यादा चल रहे हैं तो मुझे ग रहा है की वो इस तरह के जो एक्शन में मुसलमान के नीचे जो लोग इसमें साथ दे भी रहे हैं वो इस एडोलॉजी को लेकर क्लियर नहीं है उनको गुमराह किया गया वो ऐसे के हमारे यहां हमारे तहजीब के अंदर एक टर्म मिलता है खून

(11:46) सा इसको मुकम्मल्स के तो ये लोग क्या करते हैं की ट्रांसजेंडर को का देते हैं की ये तो हमारी यहां पहले से चला रहा है मुकन्ना चाहिए ये कोई मतलब नहीं चीज नहीं है इसका तो इनके सपोर्ट हमेशा से हम करते आए हैं इसके ओके बात तो हमारे फेक में भी की गई है वो अगर तो ये मतलब एक धोखा है ट्रांसजेंडर एक बिल्कुल अलग चीज है की जो इस तरह हमारे यहां जो उनकी बड़े में जो भी बातें बयान की गई है वो बिल्कुल अलग चीज है तो ये दोनों क्या करते हैं जो लोग एक्टिविज्म में है वो गुड मूड कर देते हैं इनको और फिर इस तरह से वरगला के अक्सर से जो मेरी बातें हुई है वो यही है वो कहते

(12:19) हैं ट्रांसजेंडर होता है की जरूर है बिल्कुल अलग है और यह जो ट्रांसजेंडर बताया की मसाला यहां पे ये हो रहा है सबसे पहले तो यह की बार संगठन ऑफ इंडिया है उसने भी ये लेटर लिख के दिया है सुप्रीम कोर्ट को जो के जस्टिस को जो पांच रुख नहीं बेंच है इसका जो इसको सुन रहा है की 99% ऑफ इंडियन पापुलेशन बिल रेसिस्ट अगर आपने किसी इनके हक में जो है ये बोला अब बोला मैं लोगों की इसकी इनफॉरमेशन के लिए बता डन अब जो जजिस है वो वहां पे परेशान हो रहे हैं वो ये का रहे हैं की हम जो हमने हमें जो एलजीबीटी क्यों वाले हैं उनका ये मुकदमा है की हमें कोई मैरिज राइट रिचुअल के लिए

(13:03) नहीं चाहिए वो ये का रहे हैं की हमें मसाला आता है इंश्योरेंस में रेंट्स में या प्रॉपर्टी खरीदने में या की वो ये कहते हैं की मेरे करने के बाद अगर मैं कोई लेस्बियन हूं तो मेरी जो पार्टनर है उसको इन्हेरिटेंस कैसे मिलेगी तो इस पे वहां पे जो है अभी वो एक प्रॉब्लम चल रहा है अच्छा जैसे अभी असीम भाई ने ये बात बताई की ये जो ट्रांसजेंडर वाला इशू है मुफ्ती साहब मैं आपको ये बता डन की इतना बड़ा बेवकूफ हमें बनाया गया है पिछले कितने सालों से की हमें बोला गया है की जो हिजड़े जैसे बोला ये यूनिक्स जिनको बोला जाता है इनको ट्रांसजेंडर हमें बता दिया गया है इसके

(13:34) पीछे 100% सर प्रोपोरंडा होगा इसको बजना इंटरसेक्स कहा जाता है और मैक्सिमम लोगों को नहीं पता है इनके बड़े में इनमें कंडीशंस होती है या तो ये बी उसे जेनरेट एरिया से पैदा हुए होते हैं यानी इनका जो जेनेटिकली होता है जो इनके जन्म का होती है वो एक बी कोश होती है स्टेट या इनकी कोई जेनेटिक प्रॉब्लम होती है टर्नर सिंड्रोम आता है उसमें कन्फ्यूजन रोम आता है उनके क्रोमोजोम जो है वो डिफरेंट होते हैं ट्रांसजेंडर जो है वो ये इंसान है जो ये कहता है की मुझे नहीं ग रहा मैं मर्द हूं मुझे औरत बन जाना चाहिए मुझे नहीं ग रहा मैं औरत मुझे मर्द बन जाना चाहिए उनके

(14:01) ना कोई जेनेटिक प्रॉब्लम होती है ना ही कोई एनाटॉमिकल फिजियोलॉजिकल प्रॉब्लम की होती है तो ये बड़ा हमें क्लियर होना चाहिए दूसरी बात मुफ्ती साहब मैं बड़ा इंपॉर्टेंट ये कहना चाहता हूं लोगों से खासकर पेरेंट्स है वो ये है की जिन दोनों ये अभी गर्म गर्मी चल रही थी से ट्विटर पे जो है मैं टैग्स को कंटीन्यूअस की फॉलो कर रहा था तो एक टैग था की #20 मैच कुछ ऐसा करके सपोर्ट में इशू की इंडिया में अब वहां पर मैंने देखा की जितने भी लोग इसको सपोर्ट कर रहे हैं मैक्सिमम लोगों की डीपी में अनिमे है अब इसको आप गौर से समझिएगा आपके फैन मेंबर्स हैं और मैंने आपके साथ

(14:41) जो हमारे साथ बात भी की थी इस बड़े में जो कोरियन पॉप हमारे पास आया है ना खास कर वेस्टर्न तो छोड़ दें कोरियन उन्होंने उसमें इतनी ज्यादा टाक्सीसिटी बाढ़ चुकी है इस लेवल को लेक जो शक्ल सूरत वो दिखा रहे हैं की एक इंसान कैसा होना चाहिए जो ब्यूटी स्टैंडर्ड हैं उनके वो बहुत ही डिफरेंट है कंजर्व आइडिया से हमारी जो यंग जेनरेशन है क्योंकि पेरेंट्स को कोरिया वगैरा ज्यादा समझ नहीं आई आजकल के बच्चे मैंने अच्छी है मुसलमान बच्चे जो कोरियन सिख रहे हैं ताकि वो उनके ड्रामा समझ सके रात के वो उन बीटीएस आर्मी जो कुछ करके है उनको वो बर्थडे विश्व कर रहे होते हैं और वहां

(15:17) से ये जो है आइडिया इंपोर्ट हो रहा है खासकर एलजीबीटी का तो पेरेंट्स को जो है ये बड़ा इंपॉर्टेंट रोल यहां पे अदा करते हैं की उनका बच्चा क्या काउंटिंग कंज्यूम कर रहा है और इंशाल्लाह उसमें चाहता हूं प्रोग्राम

Muqaddima

“Agar koi cheez ab tak prove nahi hui, to iska matlab wo exist nahi karti.” Yeh daawa na sirf science ke basic principles se takraata hai, balke common sense se bhi. Aaj ke article mein hum ek atheist ke isi objection ka jawab denge, jise Mufti Yasir Nadeem al Wajidi ne ek debate mein logically dismantle kiya. Saath hi hum yeh bhi samjhenge ke kaise hum sab ek controlled environment ka hissa hain jahan maloomat restrict ki jati hai, aur uska asar hamare belief system par padta hai.

Is detailed Roman Urdu article mein aapko milega:

  • Science aur logic ki roshni mein objection ka jawab
  • Islamic perspective aur relevant misaalein
  • Fallacies ko expose karne ka asaan tareeqa
  • Apne environment ko samajhne ka aik naya andaaz

Key Takeaways:

  • “If it is not proven, it doesn’t exist” ek flawed principle hai, jo science aur logic dono ke khilaaf hai.
  • Universe ka expansion us waqt bhi ho raha tha jab logon ko uska ilm nahi tha — ignorance does not equal non-existence.
  • Hum sab ek controlled ya restricted environment mein rehte hain jahan information filter hoti hai.
  • Religious beliefs reject karna aksar limited ya biased information ki wajah se hota hai.
  • Islam ko 1400 saal purani nahi balki Adam (a.s) se shuru hone wali belief system ke taur par samjha jaana chahiye.

Objection: Agar koi cheez prove nahi hui, to wo exist nahi karti

Yeh objection logical taur par flawed hai. Isay science ki zubaan mein “argument from ignorance” fallacy kehte hain. Matlab yeh samajhna ke agar koi cheez prove nahi hui, to wo maujood hi nahi — jabke asal mein wo prove na hona sirf hamari limitation ko dikhata hai, us cheez ki non-existence ko nahi.

Misal: Edwin Hubble ne 1929 mein telescope se discover kiya ke universe expand kar raha hai. Kya us se pehle universe expand nahi ho raha tha? Bilkul ho raha tha, bas logon ko us waqt pata nahi tha. Agar hum is logic ko apply karein ke “not proven = doesn’t exist” to iska matlab hoga ke expansion us waqt ho hi nahi raha tha — jo ke ghalat hai.

Isi tarah, alien life ka ab tak koi concrete proof nahi, lekin kya ye maana jayega ke alien life exist nahi karti? Logical jawab hoga: “Humein nahi pata.” Na ke “wo nahi hai.”


Controlled Environment: Kya hum bhi ek bubble mein jee rahe hain?

Mufti Yasir ne is debate mein yeh naya pehlu samjhaya ke aksar log apne aas paas ke media, education aur society ki wajah se ek restricted bubble mein rehte hain. Wo sirf wohi maloomat dekhte aur seekhte hain jo unke environment ne un tak pahunchayi hoti hai.

Example: North Korea ke log sirf state-controlled TV dekhte hain. Agar unko America ya Canada ke lifestyle ka pata hi nahi to kya iska matlab yeh countries exist nahi karti? Of course not. Yeh sirf information ki restriction hai.

Waisa hi halat hamare youth ka hai jo Western curriculum, TV, movies aur media ke zariye ek aise controlled system mein palte hain jahan unko alternative worldviews dikhayi hi nahi jaate. Is bubble ka asar yeh hota hai ke religion, specially Islam, unko outdated ya irrelevant lagta hai.


Scientific Research bhi Controlled hai?

Kya aap jaante hain ke aaj ke waqt mein agar koi researcher Evolution ke khilaaf paper likhna chahe, to aksar uska research proposal accept nahi hota? Universities mein jo topic funding aur approval ke liye chune jaate hain, wo already pre-approved narratives hote hain.

Mufti Yasir ne bataya ke kaise anti-Darwin ya out-of-the-box theories ko university level pe research nahi karne diya jata. Even respected scientists jaise Michael Behe jinko universities se nikaal diya gaya sirf isliye ke unhone Intelligent Design ki taraf ishara kiya.

Yeh ek aur proof hai ke hum controlled environment mein reh rahe hain — aur jo youth is bubble se bahar nikalte hain, unki soch bilkul alag hoti hai.


Kya Islam sirf 1400 saal purana hai?

Ek aur objection ye tha ke Islam sirf Prophet Muhammad ﷺ ke waqt se exist karta hai — yani 600 CE ke aas paas. Yeh bhi ek misunderstanding hai jo restricted historical lens se aati hai.

Islam ka matlab hai: Submission to the will of God. Aur Quran ke mutabiq, Adam (a.s) se le kar Muhammad ﷺ tak sabhi paigambaron ka mission yahi tha.

To technically Islam duniya mein usi din se exist karta hai jab se pehla insaan paida hua tha. Sirf Shari’ah aur Qur’an ka nuzool 1400 saal pehle hua — religion nahi.


Archaeological Proof aur Belief

Objection uthaya gaya ke agar koi religion ya idea prove karna ho to archaeological ya physical evidence chahiye. Lekin yeh bhi flawed expectation hai.

Sabse pehle, belief system — jaise “Submission to God” — ek intangible cheez hai. Isay kisi mitti se nikaal ke prove nahi kiya ja sakta. Iska proof akhlaaq, aqeedah aur amal hota hai, na ke temples ya moortiyan.

Dusri baat yeh ke archaeological evidence sirf tangible culture ka hota hai — agar koi temple ya murti banaye, tabhi uska evidence milta hai. Agar kisi culture ne shirk nahi kiya aur material cheezen nahi banayi, to naturally unka koi “saboot” bhi nahi milega.


Conclusion

Yeh debate sirf ek atheist ke flawed logic ko expose nahi karti, balke humein yeh samjhaati hai ke hamare aas paas ka environment humari soch ko kitna deeply influence karta hai. Agar aap controlled bubble mein hain to aapko wahi sach dikhega jo aapke saamne dikhaya ja raha hai. Truth tak pohanchne ke liye humein is bubble se bahar nikalna padega — aur Islam is journey ka sabse logical, spiritual aur historical answer hai.

Islam sirf 1400 saal purana nahi — yeh wahi deen hai jo har nabi le kar aaye. Aur agar aaj bhi hum open-minded taur par sincere research karein to humein wahi roshni milegi jo pehle logon ne dekhi thi.


FAQs

  • Q: Kya agar koi cheez prove nahi hui to wo exist nahi karti? A: Nahi, yeh flawed logic hai. Bahut si scientific discoveries us waqt bhi exist karti thi jab wo prove nahi hui thi. Prove na hona sirf ignorance ko show karta hai, non-existence ko nahi.
  • Q: Kya Islam sirf Prophet Muhammad ﷺ ke waqt shuru hua? A: Nahi, Islam Prophet Adam (a.s) se shuru hua. Quran ke mutabiq sabhi paigambar Islam ka paighaam le kar aaye.
  • Q: Kya universities mein Evolution ke khilaf research allowed hai? A: Mostly nahi. Western academia mein biased selection hota hai aur non-mainstream theories ko research funding ya approval nahi milti.
  • Q: Controlled environment se kya murad hai? A: Ek aisa mahool jahan media, education aur social influence ke zariye aapko sirf select information milti hai, taake aap kisi specific ideology ko accept karein.

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