(00:43) कुरान में लिखा है या और कहीं भी मेंशन किया हुआ है अलग-अलग धर्मों में तो इतना बड़ा यूनिवर्स बनाने की अल्लाह ताला को मतलब की क्या जरूरत थी वह क्या साबित करना चाहते थे या क्या दिखाना चाहते थे क्योंकि हम इधर भी तो हमें वो सब कुछ वो दे रहे हैं ठीक खाना पानी कपड़ बता अगर आपको ये क्वेश्चन पता नहीं मुझे करना चाहिए या नहीं लेकिन जहन में आता है कि मान लो मैंने जैसे वॉशरूम किया तो उसके बाद मैं साफ हो गया उसके बाद मैंने मैं बिल्कुल क्लियर हो गया लेकिन जो वॉशरूम उसके बाद भी मेरी बॉडी के अंदर है तो बॉडी ऑलरेडी नापाक तो चल रही है
(01:21) कंटिन्यू नापाक चल रही है बॉडी वो सिर्फ बाहर आया और मैंने उसको वश किया जो मल मूत्र जो टॉयलेट है वो ऑलरेडी मेरी बॉडी के अंदर कुछ है कि गैर अल्लाह का प्रसाद आप नहीं खा सकते वोह आपके लिए हराम है तो यह हराम अल्लाह ताला की अल्लाह ताला ने खुद फरमाया है या हम जैसे लोगों ने या मुफ्ती साहब ने फरमाया कि यह हराम है लेकिन सबसे ज्यादा जुल्म जो हो रहा है इस टाइम पे मुसलमानों के ऊपर मैं कह सकता हूं जैसे सबसे बड़ी बात वो इजराइल फिलिस्तीन की है मैं यह कहना चाहता हूं कि अ मैंने अल्लाह ताला को मान लिया मैंने मैं नबी पाक मोहम्मद सललाला वा ताला वा वसल्लम पर
(02:02) ईमान ले आया मैं इस्लाम मैंने कबूल कर लिया उसके बाद मैं कौन से फिरके में जाऊं तकरीबन मेरे सारे सवाल जो खत्म हो चुके हैं मैंने तो आपने कहा कि मैं इस्लाम कबूल करूंगा कोई साहब है यह कह रहे हैं इस्लाम कबूल कर लूंगा तीन चार सवाल जी भाई आपका जो नाम है वो है मनू अनमोल जी बोले जी जी मेरी आवाज आ रही है आपको आ रही है जी जी बहुत सारा प्यार आप सबको और आपने मुझे लाइव स्ट्रीम में लिया बहुत शुक्रिया तो मुफ्ती साहब मेरा सवाल था यह कि कि मोहम्मद साहब नबी साहब जो है हमारे मोहम्मद सललाला वसल्लम उनको 40 साल के बाद नबूवत मिली थी जैसा
(02:54) मेरे सुनने में आया मैंने खुद कहीं पढ़ा नहीं है और तो 40 साल मतलब अगर की बात करें 18 साल या 20 साल में हम मैचोर हो जाते हैं पूरी समझ हो जाती है तो अल्लाह ताला ने उनके लिए 40 साल ही क्यों चुने इतनी बड़ी ज क्यों चुने देखें मैच्योरिटी का आगाज मैचोर आगाज में आप ये तो कहते मैच्योर हो गए लेकिन ये मैच्योरिटी का आगाज है अब यहां से इबत हुई है नबूवत या रिसालत जो मिलती है ये बहुत बड़ा मनसब है यह इतना बड़ा मनसब है कि इसकी जो जिम्मेदारी है वो यह है कि अगर एक आदमी मसलन अगर आपको मैं कहूं कि फॉर द सेक ऑफ आर्गुमेंट आप यह मान ले के इस मरने के
(03:37) बाद जिंदा होना है और अल्लाह ताला हिसाब करेगा कि ईमान लेकर आए थे या बगैर ईमान के मर गए और उस तबार से यह फैसला होगा कि जन्नत में जाना है या जहन्नम में हमेशा हमेशा के लिए जाना है अगर मैं आपसे कहूं कि थोड़ी देर के लिए आप इसको सच मान लीजिए अगर आप नहीं मानते हैं और आपको यह पता हो कि इस जन्नत तक का रास्ता नबी ही बताएगा नबी के ऊपर जो वही आ उसके जरिए तो अब आप अंदाजा लगाए कि कितनी बड़ी रिस्पांसिबिलिटी है कि आपकी जिंदगी का हमेशा हमेशा आपको कहां रहना है जन्नत में जहन्नम में यह फैसला किस बुनियाद पर होगा के वो जो बंदा है कि जिसके पास वही आई है
(04:13) वह कौन है तो अब अगर कोई हाफ मैच्योर या उसकी मैच्योरिटी का भी आगाज हुआ है ऐसा बंदा उस रिस्पांसिबिलिटी को सही तरीके से नहीं निभा सकता इसलिए नबूवत की जो उम्र है आमतौर से क्या तकरीबन अंबिया अल सलातो सलाम नबी बने हैं 40 साल की उम्र में ये अल्लाह ताला का एक रूल है कहीं इस कोई रूल अगर उसने तोड़ा है तो वो किसी वजह से तोड़ा है लेकिन ये उसका एक रूल है जब आप सला वसल्लम 40 साल के हो गए तो इंसान जब 40 साल का होता है तो उसकी मैच्योरिटी अपने समझ लीजिए के अपने पीक पर पहुंच जाती है अब वो यू कैंट बी मोर मोर मैच्योर जितना हो गए हो गए अब आपका डिक्लाइन तो होगा या उस मैच्योरिटी में डिक्लाइन होगा
(04:52) मसलन आप जो है 60 साल तक के 40 से 60 साल की उम्र का जो वक्त हैय आप फुल्ली मैच्योर है 60 साल के बाद अब आपकी मैच्योरिटी के अंदर कमी आनी शुरू होगी और यहां तक कि जब आप 70 पार कर जाएंगे 75 80 साल के हो जाएंगे तो इसको बोला जाता अजले उम्र अजले उम्र का मतलब यही है कि एक आदमी को अब उसको समझ में नहीं आ रहा कि दुनिया के मामलात क्या है इल्ला माशाल्लाह तो वो उम्र चाहिए नबी और रसूल की के लिए कि जिसमें मैच्योरिटी अपनी पीक पर हो इसलिए आप स सलम को 40 साल की उम्र में नबुवत दी गई जीका इशारा हजरत कुरान से भी मिलता है जहां आता है ना सूर आका के अंदर आता है न
(05:36) ह बकल हजरत मूसा सलाम के ताल्लुक से हता जब व अपनी जवानी और मैच्योरिटी के पीक पर पहुंच गए और 40 साल के हो गए तो फिर नबत मिली जी तो मुफ्ती साहब जैसे हमारे हिंदू धर्म में ऐसा आता है कि मूर्ति पूजा करना तो गलत है मैं शुरू से ही इसके खिलाफ रहा हूं और लेकिन डॉक्टर जाकिर नायक की मैंने एक वीडियो देखी थी कि हमारी ऐसी हिंदू किताबों में लिखा हुआ है साफसाफ कि जैसे आप कहते हो कि अल्लाह एक है अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं है और वह पूरी कायनात को बनाने वाला हमें रिजक देने वाला उठाने वाला सेम ऐसी चीजें हमारी हिंदू किताब में लिखी हुई है अगर कोई हिंदू बिना मूर्ति
(06:25) पूजा के या बिना कोई ऐसी जिसमें शिर्क नजर आता हो वो सब ना करें और सीधा एक रब की इबादत करे या एक रब की पूजा पाठ करें बिना किसी मूर्ति के तो क्या फिर वो जन्नत में जाएगा या नहीं ठीक दो चीजें हैं एक तो ये के एक शख्स एक रब को मानता है और उसकी पूजा पाठ करता है सबसे पहले सवाल यहां होता है कि वो पूजा पाठ कैसे करता है मसन आर्य समाझ है वो ये कहते हैं कि हम एक रब को मानते हैं अच्छा भाई आप पूजा पाठ कैसे करते हैं आग जला के करते हैं हवन करेंगे फला करेंगे तो लेकिन ये कि उसको मानेंगे कि हम एक रब की पूजा पाठ कर रहे हैं जो दूसरा तो पूजा पाठ आप कैसे कर रहे हैं यह तरीका किसने
(07:09) बनाया बताया उस रब ने बताया या आपका य अपना गड़ा हुआ है तो पहला क्वेश्चन तो यहां प य आएगा दूसरा क्वेश्चन ये आएगा के उस रब की आपने पूजा पाठ तो की लेकिन उस रब ने जो बात कही आप उसको नहीं मान रहे हैं और उस रब ने यह कहा कि मेरे भेजे हुए कुछ बंदे हैं उनके उनके ऊपर जो मैंने कलाम नाजिल किया उसको मानना है आप कह रहे नहीं मैं उसको नहीं मानता मैं रब को मानता हूं रब की नहीं मानता तो ये तो गलत है फिर आपको रब को भी नहीं मानते तो अगर आप रब को माने और रब की ना माने तो फिर आपका ईमान कैसे कबूल होगा मानना तो दोनों पड़ेगा
(07:42) ना जी मतलब कि वोह फिर वह जन्नत के हकदार नहीं होंगे बिल्कुल नहीं होंगे क्योंकि आप यह कहे कि मैं मैंने एक बात कही थी कोई साहब आए थे मैंने कहा भाई एक आदमी यह तो मानता है अपने बाप को कि तू बाप है लेकिन बाप को बाप तो मानता है लेकिन बाप की नहीं मानता तो फिर वो अपने बाप आपका कहां है तो तो फिर मुफ्ती साहब बात यह है कि अगर मैं मैंने यही क्वेश्चन किया था कि अगर वह इंसान उस एक रब को एक मान के ही उसको चलता है तो फिर हिसाब किताब वाले दिन वह कैसा रहेगा मतलब चूंकि व अगरचे शिर्क पर नहीं मरा लेकिन कुफर पर मरा है शिर्क और कुफर में
(08:29) फर्क यह है कि एक आदमी ने ठीक है खुदा के साथ शरीक नहीं ठहराए एक रब को एक ही रब माना और इस हाल में मर गया लेकिन यह जानते हुए कि मोहम्मद सल्लल्लाहु वसल्लम अल्लाह के रसूल हैं या उसको कम से कम यह बताया गया अगरचे वो नहीं जानता था लेकिन उसको मालूम था कि इस्लाम क्या है रसूल अकरम स सलम कौन है उनका पैगाम क्या है सबको उसने रिजेक्ट कर दिया तो गोया कि उसने रब को माना रब की नहीं मानी इसलिए शिर्क तो नहीं किया लेकिन कुफर किया और कुफर की सजा भी जहन्नम है और जहन्नम के अलग-अलग वेरिएशंस है दरजा है अलग-अलग उसके लेवल्स हैं मुशरिक की जो सजा होगी वो अलग होगी मुनाफिक की हिपोक्रिटस
(09:05) जो हिपोक्रिटस है वो जहन्नम के बिल्कुल निचले तबके में होंगे उनकी सजा सबसे ज्यादा उनी है तो इसी तरीके से काफिर की सजा भी होगी काफिर की सजा क्या होगी एटली वो मुशरिक से कमी दर्जे की होगी लेकिन रहेगा वो भी हमेशा जहन्नम में ही जी मुफ्ती साहब जैसे अब दुनिया में जो इंसान है जो अब जिनको इस्लाम के बारे में पता है तो ऐसे जंगलों में ऐसे काफी आदिवासी लोग हैं जिन्होंने अब अब तक उनको नहीं पता मतलब वो अपने एरिया में अपने आप में रहते हैं तो वो इसका सवाल सवाल का जवाब मैंने कई मर्तबा किया है जवाब दिया है कि ऐसे लोग कि जिन तक इस्लाम की दावत नहीं पहुंची आदिवासी
(09:44) हैं या जंगलों में रहते हैं अमेजन में रहते हैं उनको पता ही नहीं है कि इस्लाम क्या है कुरान क्या है मोहम्मद सल्लल्लाहु अ वसल्लम कौन थे वगैरह वगैरह और हां बस ये है कि वो अपनी अकल से वो इतना समझ बैठे कि भाई एक कोई है बनाने वाला अब वो उनको यह भी नहीं पता कि उसकी पूजा कैसे करनी है अपने तबार से वो उसको उसकी पूजा करना चाहते हैं उनको कुछ पता नहीं है तो इंशाल्लाह उनकी बिश होगी और व जन्नत में जाएंगे जी अच्छा हजरत मेंक लाम भाई एक मिनट है शुरू में चक इन्होने एक बात कही थी कि अगर हमारे सनातन में ऐसे भी वो है कि एक ईश्वर को मानने वाले इन्होने डॉक्टर
(10:18) जाकिर नायक का रेफरेंस दिया था तो देखें उसमें हजरत ये भी है कि जो सनातन का कांसेप्ट ऑफ गॉड है ना वो अलग अलग किस्म का है किसी में ईश्वर को जो है वो वो निर्गुण माना गया है किसी में वो डिपेंडेंट माना गया है उसको किसी में उसको मतलब उसके अंदर कोई भी ऐसी वो चीजें नहीं है कि वो जो खुद से किसी चीज को चाहे तो उसको क्रिएट करे तो वो कांसेप्ट ऑफ गॉड भी फिर वहा मानने वालों के बीच में आ जाएगा क्योंकि सनातन का 90 पर यही कांसेप्ट ऑफ गॉड है कि वो निर्गुण है तो वहां से वो बात नहीं बनेगी क्योंकि सही कांसेप्ट ऑफ गॉड को वो फॉलो नहीं करते अगर वो एक रब को मानते हैं तो उसमें भी वो
(10:59) सही तरीके वाला नहीं मानते कि हां जो वाकई में जो असली क्रिएटर है जी तो मेरा अगला क्वेश्चन यह था जी भाई शुक्रिया मेरा अगला क्वेश्चन यह था कि जैसे हमें जिंदगी जीने के लिए यह पृथ्वी है हमारे लिए अर्थ जो बनाई है और जो एक रब ने बनाई है और जैसे ये अर्थ है लेकिन पूरी अगर यूनिवर्स की बात करें पूरी अंतरिक्ष की मैं बात करूं तो ये काफी बड़ा है जैसे साइंस कहती है जैसे कुरान में लिखा है या और कहीं भी मेंशन किया हुआ है अलग-अलग धर्मों में तो इतना बड़ा यूनिवर्स बनाने की अल्लाह ताला को मतलब कि क्या जरूरत थी वह क्या साबित करना चाहते थे या क्या दिखाना चाहते थे क्योंकि हम इधर भी तो
(11:42) हमें वह सब कुछ वो दे रहे हैं खाना पानी बात बताए अगर आपको आप किसी मसलन ऐसी जगह रहते हो जहा बादशाह रहता हो किंग रहता हो और जाहिर है कि जब वो बादशाह है तो वो बहुत से काम करता है वो अपनी रियाया की फला बहूत के लिए बहुत से काम करता है और भी बहुत से काम बैक स्टेज होते हैं जो आपको नहीं पता चलते और बहुत सी चीजें ऐसी करता है कि जिसकी हिकमत और विजडम आपको पता नहीं होती है तो आप क्या यह कहेंगे कि जी बादशाह सलामत को मैं जब मानूंगा कि व बादशाह है जब मुझे रोजाना जो जो काम करते हैं ना वो या अपनी जिंदगी में जितने भी काम किए सबकी वजह बताए और वजह ऐसी हो कि जो मेरी अकल
(12:19) में आए तब मैं मानूंगा कि हां भाई बादशाह बादशाह वरना मैं तो नहीं मानता तो भाई जाहिर है कि ऐसा कोई बादशाह दुनिया में पैदा नहीं हुआ जो अपने हर काम की इत्तला जो है रियाया को दे और उसकी विजडम भी बता दे और उसको राशनली भी कहे कि ये इसलिए मैं करता हूं तो खुदा का खुदा होना अगर आप ये समझते हैं कि खुदा है लेकिन उसका खुदा उसको खुदा में जब मानूंगा जब व यह बताए कि इतनी वस्ट यूनिवर्स उसने क्यों बनाई है जब व मुझे डिटेल बताएगा तो मैं मानूंगा तो क्या आपकी तरफ से यह मुतालबा है और अगर ये मुतालबा है तो फिर ये तो इरेशनल मुतालबा है नहीं
(12:55) सुप सॉरी सुप्रीम अथॉरिटी के हर एक्शन को आप जब तक उसकी मुकम्मल बैकग्राउंड और उसको ना समझ ले तब आप सुप्रीम अथॉरिटी को सुप्रीम मानेंगे तो यह मुतालबा तो गलत है जी मैं सिर्फ मुफती साहब इतना जानना चाहता हूं कि जैसे पृथ्वी के अंदर हमें सब कुछ उस एक रब ने दिया है रहने सहने के लिए खाने पीने के लिए तो कुरान पाक के अंदर कुछ ऐसी चीजें हो ज कुछ ऐसी लाइने लिखी हो जिसके बारे में बताया गया हो कि इतनी बड़ी यूनिवर्स किस लिए ब नहीं है क्यों बनाई गई है देखि कुरान साइंस की किताब नहीं है कुरान सिर्फ यह बयान करता है कि अल्लाह ताला ने इतनी बड़ी कायनात को बनाया है और
(13:41) इस कायनात की एक एक चीज इंसान की खिदमत के लिए है अब आप यह कहे कि इतनी बड़ी कायनात जो है वो हम जैसे मामूली जिस्म वाले लोगों की खिदमत के लिए क्यों बनाई है तो मान लीजिए अगर कायनात ना होती सिर्फ ये सोलर सिस्टम ही होता जो आपको दिख रहा है स सूरज दिख रहा है तो आप सूरज का साइज देखें और अपना साइज देखें इतना बड़ा सूरज आपकी खिदमत में तो इतनी पू बड़ी कायनात जो सूरज को लिए हुए है व आपकी खिदमत में क्यों नहीं हो सकती अब आप मैं एक सवाल आपसे करता हूं जो आप साइंस की बुनियाद पर आपका सवा इसका जवाब ढूंढ सकते हैं इमेजिन करें कि आप सोलर सिस्टम के बाहर जो दूसरा सोलर
(14:16) सिस्टम होगा या कोई गैलेक्सी है म हमारी मिलकी हु गैलेक्सी है उसके बराबर की जो भी गैलेक्सी है आप उसको माइनस कर दीजिए उसको आप हटा दे तो क्या आप समझते हैं कि हमारी जो गैलेक्सी है वो बाकी रहेगी बिल्कुल ऐसे ही जैसे च यह तो सेम वैसे ही चलती रहेगी जैसे प्रोसेस चल रहा है इसका नहीं जितनी भी चीजें है ना इस कायनात में वो सारी एक दूसरे से कनेक्टेड है साइंस अगरचे अभी तक उस कनेक्शन को समझ नहीं पाई है बिल्कुल ऐसा ही जैसा कि सोलर सिस्टम है सोलर सिस्टम के अंदर ओके आप आप सॉरी माफ कीजिएगा आप ऐसा पूछ रहे हैं कि उस गैलेक्सी को वहां से खत्म कर दें खत्म कर दें अच्छा जी नहीं फिर वो तो पॉसिबल नहीं
(14:58) हो पाएगा यहां पे जिंदा रहना इसका मतलब ये हुआ कि हर चीज एक दूसरे से कनेक्टेड है ये पूरा एक निजाम है बहुत मैसिव निजाम है लेकिन एक चीज को अल्लाह ताला ने इसलिए बनाया कि वो दूसरे को सपोर्ट करें फिर दोनों मिलकर तीसरे को सपोर्ट करें इस तरीके से पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर है बिल्कुल ऐसा ही जैसा कि एक आदमी एक महल में रहता है अकेला आदमी है और बहुत आलीशान महल में रहता है कोई एक लाख स्क्वायर फीट के एरिया में तो वो ये कहेगा कि महल अगरचे उसकी जरूरत बजहर उसकी जरूरत से जायद है लेकिन इसके बावजूद वो महल जो खड़ा है उसकी एकक
(15:28) ईंट दूसरे को सपोर्ट कर रही है आप उसकी एक दीवार निकालेंगे तो छत गिरेगी एक छत निकालेंगे तो कमरा गिरेगा एक कमरा निकालेंगे तो महल का हुसन खराब हो जाएगा लेकिन अगर आप ये कहे कि यार मुझे तो फर एक कमरे की जरूरत है मुझे इतने महल चाहिए क्यों वो एक अलग बात है लेकिन उस महल की एक ईंट दूसरे को सपोर्ट कर रही है तभी वो महल खड़ा है जी मुफ्ती साहब मैं यह कहना चाहता हूं कि मैंने अल्लाह ताला को मान लिया मैंने मैं नबी पाक मोहम्मद स वा ताला वा वसल्लम पर ईमान ले आया मैं इस्लाम मैंने कबूल कर लिया उसके बाद मैं कौन से फिरके में जाऊं
(16:08) क्योंकि नबी साहब ने मैंने ऐसा कहीं पढ़ा नहीं है सुनने में ऐसा ही आया है कि 73 फिरके जो कहे हैं नबी साहब ने उनमें से एक फिरका जन्नती होगा कयामत तक 73 हो जाएंगे अगर मैं यह सब कुछ कर लेता हूं तो मैं फिर कौन से फिरके में एंटर करूं कि मैं जन्नती हो जाऊं अगर मैं सारे रूल फॉलो करता आ रहा हूं नबी साहब के जो कुरान पाक में उन्होंने बताया ज उनकी हदीस हैं आपको किसी भी फिरके में जाने की जरूरत नहीं है सरवाल मेरे लिए बहुत ज्यादा अहम है इस्लाम में आने के लिए वही कह रहा हूं कि कुरान करीम में सूर हज में अल्लाह ताला फरमाता है हजरत इब्राहीम के ताल्लुक से कि हु स मुस्लिमीन इब्राहीम ने तुम्हारा नाम
(16:47) मुसलमान रखा है तो तुम्हारा नाम शिया सुन्नी देबंदी बरेलवी वहाबी नहीं रखा है उसने तुम्हारा नाम मुसलमान रखा है तो आप किसी फिरके के कलमा नहीं पढ़ते आप कोई भी मलान कोई भी मान ले थोड़ी देर के लिए कोई फिरका वाला ही है वो आपको अगर इस्लाम में दाखिल करे तो आपको ये नहीं कहेगा कि कलमा पढ़ो के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं मोहम्मद सलम अल्लाह के रसूल है और फला आलिम जो है जो फिरके का बानी है वो फला फला है वो ये ये है एक्स वाईजी है कोई ऐसा कलमा आपको नहीं पढ़ाता कलमा ये है कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं रसूल अकरम सलम अल्लाह के रसूल है और आप मुसलमान हो जाते हैं इस्लाम कबूल करने के लिए किसी फिरके
(17:24) में दाखिल होना कतन कोई जरूरी नहीं है हां जो चीज जरूरी है वो ये है कि आपकी जो जिंदगी है वो कुरान के मुताबिक हो और रसूल अकरम सल्लल्लाहु वसल्लम की सुन्नत के मुताबिक हो ठीक है अगर आप इसको फिरका कहते हैं रसूल अकरम सला सलम ने फरमाया कि वो जो फिरका नजात पाएगा वो वो है माना अही वासबी कि वो फिरका कि जिस पर फिरका नहीं बल्कि वो रास्ता कि जिस पर मैं हूं और मेरे सहाबा है कुरान और सुन्नत का रास्ता अगर इस रास्ते से कोई हटा हुआ है तो वो फिरका नाजिया नहीं यानी वो अ सेव्ड सेक्ट नहीं है अ जाहिर है कि उसको सजा मिलेगी लेकिन वो सजा हमेशा हमेश की जहन्नम नहीं होगी
(18:02) बल्कि चकि वो भी मुसलमान है तो हो सकता है कि अल्लाह ताला उसको सजा दे उसके ख्यालात की वजह से उन लोगों को कुछ दिन के लिए सजा दे और उसके बाद उनको जन्नत में भेज दे लेकिन असल जो चीज है वो यह है कि आप यह नियत करें कि मैं इस्लाम में दाखिल होने के बाद जिस चीज को मानूंगा वह है डायरेक्ट कुरान और सुन्नत कुरान और सुन्नत के ऊपर मुझे चलना है इसके अलावा मुझे कुछ किसी और चीज के ऊपर नहीं चलना जी जैसे यह कहते हैं कि चार इमाम जैसे थे इस्लाम में नबी पाक के जो कोई भी फिरका नहीं है यानी कोई एक इमाम भी दूसरे को गलत नहीं कहता के भाई उसके पीछे अगर नमाज पढ़ी तो नमाज नहीं होगी मसला चार स्कूल्स ऑफ थॉट है हनफी शाफ हबली
(18:45) और मालकी तो शाफी ये नहीं कहेगा कि अगर हनफी के पीछे नमाज पढ़ ली तो नमाज नहीं होगी हनफी यह नहीं कहता कि मालिक के पीछे नमाज पढ़ ली हम लोग हज प जाते उमरे प जाते हैं वहां सारे जो इमाम हरम में मौजूद है मक्का और मदीना में वो सारे के सारे हमली है हमारी हम नमाज उन्हीं के पीछे पढ़ते हैं एक आलिम भी ये नहीं कहता कि भाई हनफी हनफी होना चाहिए हनफी आलिम यह नहीं कहता या कि इनके पीछे नमाज नहीं होनी चाहिए नमाज नहीं होगी नमाज हमें उतना ही सवाब मिलता है कि जितना सवाब वहां हम बलियो को मिलता है तो कहने का मकसद यह है कि हां अगर कोई आदमी ये कह रहा है कि भाई नहीं फला मुसलमान के पीछे नमाज ना पढ़ो फला आदमी के पीछे नमाज ना पढ़ो तो वो
(19:22) जाहिर है कि आपको तोड़ना चाहता है लेकिन जो लोग जोड़ने की बात कर रहे हैं तो आप उनके तरीके पर चले वही कुरान सुन्नत के रास्ते पर है मु ब जबरदस्त पॉइंट ड मैं यहां प भाई एक और चीज ऐड करना चाह रहा हूं जब आपने फिरके के हवाले से सवाल किया था तो मेरे जहन में ये बात आई थी ये चार जो है स्कूल ऑफ थॉट से इनका नाम आएगा शायद इनका नाम लाभ लेंगे और ऐसा ही हुआ है उसकी वजह ये है आपने जो हदीस कोट की है सबसे पहले आपको यह पता होना चाहिए कि भाई वो हदीस आज के दौर में एप्लीकेबल है या नहीं है आपको कैसे पता चला कि आज के दौर में 73
(19:51) फिरके बन गए हैं ये अपनी अजमन है आपकी दूसरा ये कि कुछ मसाइल ऐसे होते हैं जि मुफती साहब ने कहा कि कोई फरही मसाइल होते हैं यानी कि बहुत ही डिफरेंस ऑफ ओपिनियन होते हैं जिसके तहत जिस तर मु साब ने समझाया कि भाई एक स्कूल ऑफ थॉट एक जो है ना वो रूलिंग फॉलो करता है दूसरा स्कूल ऑफ थॉट दूसरी रूलिंग फॉलो करता है वो अपो वो डिफरेंस ऑफ ओपिनियन होते हैं वो भी सही मानते हैं दूसरे वाले और दूसरे वाले हमें भी ठीक मानते हैं अगर हम कोई स्कूल थॉट फॉलो कर रहे हैं मसला ये है कि हमारे इंडिया पाकिस्तान और बांग्लादेश और जो लोग यहां से जाते हैं सऊदी अरब वगैरह उनके पास फराग इतनी होती है कि वो इन डिफरेंस ऑफ
(20:22) ऑपिनियंस को एक फिरका बना के जो है ना वो जाहिर करते हैं वो कहते हैं हम ठीक है हम ठीक हैं बस बाकी सारी दुनिया गलत है तो इस चीज के ऊपर ज्यादा फोकस ना करें जो बात मु साहब ने समझाई है मेरे ट नफ ी अंडर इला जी मान आप इलाम कबूल करने के बाद हनफी नहीं शाफी बनना चाहते बन जाए को मसला नहीं तो मुफ्ती साहब शुक्रिया एक छोटा सा क्वेश्चन था जो मैं कर दूं तो बढ़िया रहेगा तो वो यह है कि जैसे नमाज पढ़ने के लिए जैसे सब जैसे हमारे मुह हाथ धोना ऐसा कहते हैं और अपना हाथ मुंह धोना नहा लेना तो नमाज पढ़ने के लिए भी जैसे मुस्लिम भाई जब मैं वीडियोस देखता हूं पाक साफ होना जिसे वो बनाना
(21:10) कहते हैं वजू जी जी जी वजू बनाना और वह कहते हैं कि अपने बॉडी को पूरा साफ कर लेना और जो नापाकी है जो लेटिंग बोथन टॉयलेट वगैरह है वो साफ हो जाए अब यह क्वेश्चन पता नहीं मुझे करना चाहिए नहीं लेकिन जहन में आता है कि मान लो मैंने जैसे वॉशरूम किया तो उसके बाद मैं साफ हो गया उसके बाद मैंने मैं बिल्कुल क्लियर हो गया लेकिन जो व शरूम उसके बाद भी मेरी बॉडी के अंदर है तो बॉडी ऑलरेडी नापाक तो चल रही है कंटिन्यू नापाक चल रही है बॉडी वो सिर्फ बाहर आया और मैंने उसको वश किया जो मल मूत्र जो टॉयलेट है वो रेडी मेरी बॉडी के
(21:53) अंदर कुछ है देखि ऐसा है के खुदा ने हमें उन चीजों का पाबंद बनाया है कि जो हमारे बस में है अपने जिस्म के अंदर की गलाज को मुकम्मल तरीके से साफ कर देना पॉसिबल ही नहीं है चले ठीक है आपने जो जिस्म का वेस्ट है वह निकाल दिया आप नंबर वन नंबर टू दोनों से फारिग हो गए खून का क्या करेंगे भाई जो रनिंग ब्लड है वह भी नापाक है अगरचे व हमारे सर्वाइवल के लिए बुनियादी जरूरत है लेकिन वो नापाक है तो कुरा अल्लाह ताला इसका पाबंद नहीं बनाता कि आपके अंदर की जो लाजत है यानी जो अंदर जिस्म के अंदर मौजूद है फिजिकल जो है जो अंदर मौजूद है उसको भी निकाल दो वो पॉसिबल नहीं है जो गंदगी बाहर जिस्म के ऊपर लगी हुई है या गंदगी निकली है उसके बाद पाक
(22:42) सफाई क्योंकि सफाई बाहर के जिस्म की होती है अंदर की नहीं होती हा अगर यह होता कि नहीं जिस्म के अंदर को साफ करना है नहाओ इतना नहाओ और वो नहाओ इस तरह की कुल्ली करते रहो 100 200 बाल्टिया कुल्ली करो ताकि अंदर का जिस्म साफ हो जाए तो फिर आप ये सवाल करेंगे कि भाई ये तो साफ हो ही नहीं सकता अंदर खून है ला कैसे साफ होगा भाई जब आपको सफाई का हुकम बाहर दिया जा रहा है बाहर जिस्म का को साफ करने का हुकम दिया जा रहा है तो गंदगी भी तो वही होगी ना उसी गंदगी का तबार होगा जो बाहर जिस्म के ऊपर लगी हुई है अंदर की गंदगी का तबार नहीं होगा कक वो पॉसिबल नहीं उसको साफ किया जा सके और वो अंदर की गंदगी भी जब जिस्म से
(23:17) बाहर आती है तो उसको भी साफ करने का हुकम है जैसे खून वगैरा राइट राइट और मुफती साहब जैसे गैर अल्लाह का प्रसाद लेना या उनके यहां गैर अल्लाह की इस्लाम में ऐसा कहा जाता है कि गैर अल्लाह का प्रसाद आप नहीं खा सकते वह आपके लिए हराम है तो यह हराम अल्लाह ताला की अल्लाह ताला ने खुद फरमाया है या हम जैसे लोगों ने या मुफ्ती साहब ने फरमाया कि यह हराम है अगर यह इंसानों ने फरमाया है कि यह हमारे लिए हराम है तो मैं यह मानता हूं कि एक मुस्लिम है जो जो एक खुदा में मानता है वह प्रॉपर मुस्लिम है ईमान वाला है उसके अल्लाह ताला ने जमीन में में से बीज बोया उसके अल्लाह ताला की कृपा से या रहमत से
(24:03) वह अनाज पैदा हुआ उसी का ही पानी सब कुछ उस अल्लाह का किसी का नाम ले देने से वह हराम कैसे हो गए क्योंकि वह मुस्लिम भाई का तो सब कुछ उस अल्लाह का ही है ना जी हा अच्छा सवाल है आपका पहला सवाल य था किसने कहा यह अल्ला ताला ने खुद कहा है अल्लाह ताला फरमाता है कि ला सरनाम में यह कहता है कि वो मत खाओ कि जिस पर अल्लाह का नाम नहीं लिया गया यह ट्रांसग्रेशन है यह गुना है अच्छा इसमें अब आ जाए प्रसाद वगैरह के ऊपर और जो गैरुल्लाह के नाम के ऊपर जो चढ़ावे चढ़ाए जाते हैं वो क्यों चढ़ाए जाते हैं प्रसाद क्यों चढ़ाया गया प्रसाद इसलिए चढ़ाया गया ना कि बु की बुत को रिस्पेक्ट की गई चढ़ चढ़ाया गया बुत की रिस्पेक्ट के लिए राइट
(24:51) तोब बुत का कोई की कोई पोजीशन इस्लाम में है ही नहीं बुत परस्ती हराम है बुत रखना यह आईडियोलॉजी गलत है तो उस चीज से एसोसिएटेड जो भी चीज हो की व गलत होगी इंक्लूडिंग परसाद कुराने करीम में एक आयत है के मा जाला मला सर मायदा में उसम अला ताला फरमाता है के जो मक्का का दौर था तो उस जमाने में जाहिल के दौर में लोग जानवरों को किसी का कान काट के छोड़ दिया करते थे जैसे आज आप कल देखते इंडिया में बैलों को और गायों को छोड़ दिया जाता है और उनको होली और सेक सस किया जाता है बहुत से बैल और गाय लोगों के शोरूम और दुकानों के अंदर चले जाते हैं और लोग कुछ नहीं कहते कि भाई यह भगवान के रूप है तो अल्लाह ताला य फरमा रहा है कि
(25:46) अल्लाह ताला ने ऐसा कोई हुकम नहीं दिया लाय झूठ है जो अल्लाह ताला के ऊपर य लोग बांधते हैं इससे यह साबित हुआ के अगर आप प्रसाद खा रहे हैं तो यह वह खाना है कि जो बुत की ताजमहल है वो मुस्लिम भाइयों के आपने तीन चार सवाल किए की बात की थ का छोटा छोटा सा सवाल है और क्योंकि मैं आप जो भी आंसर दे मैं उसमें से कोई क्वेश्चन निकाल नहीं रहा क्योंकि मैं सामने वाले की बात को समझता हूं और जी और यह सवाल है कि अल्लाह ताला ही मतलब यह कह सकते हैं कि एक ही खुदा है एक ही रब है जिसकी इबादत सब करते हैं और मुस्लिम ही है जो परफेक्ट अल्लाह ताला के करीब है बाकी सब गैर मुस्लिम है वह जहन्नुम है लेकिन मुस्लिम अपनी नमाज पढ़ते
(26:53) हैं अपनी उस रब की इबादत करते हैं फिर भी मैं अगर देखता हूं एक इंसानियत के नाते ऐसा नहीं मुझे दुख हो चाहे वो हिंदू है चाहे वो सिख है चाहे ईसाई है चाहे मुस्लिम है किसी के ऊपर गलत हो रहा है तो वो मुझे दुख होगा और लेकिन अभी भी मैं देखता हूं क्योंकि मैं सोशल मीडिया पर इस्लामिक वीडियोस देखता रहता हूं आपकी इस टीम में देखता रहता हूं लेकिन सबसे ज्यादा जुल्म जो हो रहा है इस टाइम पर मुसलमानों के ऊपर मैं कह सकता हूं जैसे सबसे बड़ी बात वह इजराइल फिलिस्तीन की है अभी भी हमारे इंडिया में जो मैं हिंदू हिंदू हूं मतलब पैदा हुआ हूं यह कह सकते हो तो मेरे को बड़ा लगता है कि इंसानियत आपका सवाल य है
(27:35) मुसलमान अगर अल्लाह ताला के करीब है तो उन पर जुल्म क्यों हो रहा है बहुत ज्यादा मतलब की हा य यही 100 पर यही क्वेश्चन है मेरा देखिए सिर्फ किसी के कह देने से कि मैं मुसलमान हूं वो अल्ला ताला के करीब नहीं हो जाता सारा मसला यह है कि इस पूरी उम्मत मुस्लिमा में पूरी जो मुसलमानों की तादाद है उसमें इस्लाम के ऊपर अमल करने वाले कितने हैं इस्लाम के ऊपर अमल करने वाले मुश्किल दो पर भी नहीं हो तो अगर यह बात है तो फिर जाहिर है कि जुल्म तो होगा क्योंकि अगर आपके पास कोई ऐसा निजाम है कि जो निजाम आपको जुल्म से बचा सकता है बल्कि दुनिया को जुल्म से पाक कर सकता है उस
(28:13) निजाम को आप अलमारी में रख दे और उसको लपेट के रख दे और उसको अपनी जिंदगी में ना लेकर आए तो फिर यह नहीं कहा जाएगा कि जुल्म क्यों हो रहा है भाई हमारे ऊपर तो जुम तो होगा उस निजाम को तो आपने छोड़ दिया एक मिसाल दे देता हूं मसल अगर आप ये कहे कि अमेरिका इसमें सुपर पावर है क्यों सुपर पावर है भाई उसके पास जबरदस्त कंपनिया है बिलियस ट्रिलियन ऑफ ट्रिलियन ऑफ डॉलर्स है जबरदस्त आर्मी है वेपन है ये सारी चीज है अब कोई अमेरिका का प्रेसिडेंट आए और वो इन सारी चीजों को आति भाई जरा सा म्यूट कर लीजिए म्यूट कर लीजिए आ भाई तो वो सारे चीजों को म्यूट करके रख सॉरी सारी चीजों को म्यूट की साड
(28:53) में आ रहा है सारी चीजों को लपेट कर रख दे बल्कि बा सेय म्यूट कर दे आपनी आर्मी को म्यूट कर दे अपने निजाम को म्यूट कर दे कंपनियों को खत्म कर दे हर चीज को खत्म कर दे वो और क भाई हमारे ऊपर पता नहीं क्यों मेक्सिको चढ़ाई कर रहा है पता नहीं क्यों कनाडा ने हमारी जो है बैंड बजा रखी है फिर वो ओबवियस बात है कि वो शिकायत अगर करेगा भी तो उसकी शिकायत हक बजानी नहीं होगी भाई तुम्हारे पास पूरा निजाम है जिसके जरिए तुम चौधरी बने हुए थे और आइंदा भी बन सकते हो तो तुमने उसको हटा क्य हटा क्यों दिया तो अल्लाह ताला ने मुसलमानों को एक निजाम
(29:25) दिया है यह तो अमेरिका की मिसाल तो एक नेगेटिव मिसाल है मैं मिसाल दे रहा हूं कि वो निजाम ऐसा है कि जिससे ना सिर्फ यह कि आप जुल्म से बचेंगे बल्कि जालिम का हाथ रोकेंगे और जालिम का हाथ जुल्म से रोकेंगे दुनिया को ज जुल्म से पाक करेंगे और इंसाफ इस दुनिया के अंदर भरेंगे तो जब यह निजाम आपके पास है और उसको उस पर अमल करने वाले दो पर भी नहीं है तो फिर अगर आप यह देखते हैं कि मुसलमानों पर जुल्म हो रहा है तो उसमें उनकी यह गलती तो है जी मान लो कि अगर कोई इंसान आज के टाइम पर आज मान लो उसने इस्लाम कबूल कर लिया तो शुरू से पह पहले तो व गैर मुस्लिम कहलाएगा
(30:00) पहले वह गैर मुस्लिम था उसके बहुत से गुनाह होंगे मान लो मेरी बात कर लेते हैं मेरे बहुत से गुनाह है पीछे और आज मैं इस्लाम कूल कर लिया और और प्ली सुन लीजिए प्ली मैं ये कह रहा हूं कि दो दो दिन बाद मैं चला जाता हूं इस दुनिया से गुनाह मेरे मान लोब मैं हूं जैसे 30 इयर्स ओल्ड हूं मैं अब 30 साल गुनाह करके 15 साल गुनाह करके दो दिन बाद मैं चला जाता हूं दुनिया से आज इस्लाम कबूल कर लिया तो मेरे गुना तो बहुत ज्यादा होंगे और नेकियां अगर मैंने की होंगी तो दो दिन की ठीक तो उसका जवाब मैं दे रहा था मैं आपका सवाल समझ गया था गुनाह दो तरह के हैं एक गुनाह वो है कि जो जिनको आप कह सकते हैं कि वायलेशन ऑफ द
(30:40) राइट्स ऑफ गॉड खुदा के हुकूक की खिलाफ वर्जी उसकी इबादत नहीं की झूठ बोला जिना किया वगैरह वगैरह कुछ गुनाह वो है कि जो बंदों के हुकूक से मुतालिक है आपने इस्लाम कबूल किया तो जैसे ही इस्लाम कबूल किया खुदा ने अपने सारे गुनाह जो उसके हक में किए गए थे वो सारे गुनाह माफ कर दिए समझ गए आप अब रह गए बंदों के में जो गुनाह आपने किए है किसी का हक मारा है किसी की चोरी की है किसी के पैसे मार लिए किसी को लूट लिया रिश्वत ले ली ये वो सारी चीजें ऐसी है कि जो फिर अब आपकी जिम्मेदारी है कि आप इन हुकूक को अगर आपको याद आ रहा है कि यार मैंने फला जगह चोरी की थी वापस करो फला फला आदमी से माल ले लिया था जबरदस्ती
(31:12) उसको वापस करो कोई माली हक है वो वापस कर दिया जाए तो ये समझ लीजिए कि तब आप जो है वो मुकम्मल क्लीन होंगे अब अगर आप ये कहे कि यार मेरे गुनाह तो 20 साल के थे या 40 साल के थे और मैंने जो है इस्लाम कबूल किया दो दिन में मैं आगे चला गया तो मेरे तो सारा ये तो जबरदस्त है बिल्कुल ऐसा ही है उसकी वजह ये है उसको एक मिसाल से मैं आपको समझाता हूं इमेजिन करें के जी आप 20 साल के हैं और 20 साल तक आपने अपने घर में परवरिश पाई आप गरीब मसलन फॉर द सेक ऑफ आर्गुमेंट एक गरीब घराने में आप पैदा हुए आपके पास खाने को नहीं था वगैरह वगैरह आपके कोई राइट्स ऐसे नहीं थे बस जो सबको मिलते हैं वो आपको मिले और एक गुरबत
(31:51) वाली जिंदगी आपने गुजारी और फिर हुआ ये कि आपका आर्मी में सिलेक्शन हो गया और दो दिन के बाद आप जंग में शहीद भी हो गए या आप वैसे ही अपनी मौत मर गए तो ये जो आर्मी में सिलेक्शन होने के दो दिन के बाद आपकी मौत आई है तो लोग यह नहीं कहेंगे कि यार य 20 साल तक तो सिविलियन रहा दो दिन में आर्मी में आया और उसको आर्मी का प्रोटोकॉल क्यों दे हम प्रोटोकॉल तो मिलेगा चाहे आप दो दिन पुराने हो आर्मी में क्या 100 दिन पुराने हो जी इस्लाम में दाखिल होने के बाद पहला प्रोटोकॉल यह है कि आपके सारे गुनाह पुराने माफ है जब आप सिविलियन थे वो सारे
(32:21) गुना माफ अब जैसे ही आप इस्लाम में दाखिल हुए वो उनसे उनको उस आपको जो प्रोटोकॉल मिलेगा उसकी बुनियाद वो यह है कि आपको जन्नत में इंशाल्लाह दाखिला मिलेगा अगर आप ईमान की हालत में मर गए उसी लमहे मरे दो दिन के बाद मरे 100 दिन के बाद मरे यह प्रोटोकॉल मिलना है जी मुफ्ती साहब तकरीबन मेरे सारे सवाल जो खत्म हो चुके हैं मैंने मैंने लिख के रखे हुए थे फोन के अंदर दूसरे फोन के अंदर जी ताकि मैं भूल ना जाऊ तो आपने कहा कि मैं इस्लाम कबूल करूंगा जी जी जो मैंने कहा था क्योंकि ये सवाल के जवाब मुझे आसपास में कई एरिया में मिले नहीं मैं काफी मौलाना से मिला भी हूं अपने एरिया में डर के मिला हूं क्योंकि
(33:06) हमारे यहां फिर वह सही नहीं रहेगा सबको पता चले कि मैं क्या कर रहा हूं तो मुझे तो शुरू से था कि मैंने उस रब को पाना है जो सबसे बेस्ट है कुरान मैंने काफी पढ़ी तो नहीं है लेकिन वीडियोस में डॉक्टर जाकिर नायक की वीडियोस मैंने ज्यादा देखता हूं पता चलता है कि कुरान जो है वो एक रब के काफी करीब है तो यह सवाल के जवाब आपसे मिले हैं वो परफेक्ट मिले हैं मुझे क्योंकि बाकियों से मैंने बात की वो बात थोड़ी घुमा देते थे टाइम पास जा कर जाते थे तो जी मुझे काफी क्लियर हुआ इस्लाम के बारे में तो जी जैसे मैंने बिल्कुल कहा था कि मैं इस्लाम कबूल करूंगा और मैं रेडी हूं इस्लाम कबूल करने के लिए
(33:45) माशाल्लाह जबरदस्त तो चले जी फर कलमा पढ़े अगर आप रेडी है माशाल्लाह कहिए अशद अशद अल्लाह अल्लाह इलाहा इलाहा इलाहा इलाहा इल्लल्लाह इल्लल्लाह व अशद व अशद अन्ना अन्ना मोहम्मद मोहम्मद अब्दु अब अब्दु अब्दु व रसूल व रसूल अल्लाह अ मैं गवाही देता हूं मैं मैं गवाही देता हूं के अल्लाह के सिवा के अल्लाह के सिवा कोई लायक इबादत नहीं है कोई लायक इबादत नहीं है और मैं गवाही देता हूं और मैं गवाही देता हूं कि मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मोहम्मद सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम अल्लाह के रसूल और उसके बंदे हैं अल्लाह के रसूल
(35:01) उसके और और उसके बंदे हैं माशाल्लाह वेलकम टू इस्लाम और अल्लाह ताला आपको साबित कदम रखे आपको जमाए रखे इस्लाम के ऊपर आपके इस एफर्ट को कबूल करे और आपको दीन की कुरान की सुन्नत की समझ दे और एक अच्छा सच्चा पक्का मुसलमान बनाए जी जी बहुत-बहुत शुक्रिया आपकी बातों ने थोड़ा अच्छा लगा मुझे बात कर कर के और काफी अच्छा आपने समझाया और मैं समझा भी आपने टाइम मुझे ज्यादा दे दिया तो दूसरे कॉलर वेट कर रहे होंगे तो आपका बहुत शुक्रिया मुझे टाइम देने के लिए मुझे जवाइन करवाने के लिए चले जी जजाकल्लाह खैर बारक अल्ला फीकुम
Aksar log jab Islam ke kareeb aate hain, to unke zehan me kuch aise sawalat uthte hain jo unke rasta rok lete hain. Kuch sawalat nafrat se nahi, balki sachai dhoondhne ke jazbe se hote hain. Jaise: agar main sirf ek Khuda ko maanta hoon to kya main Muslim hoon? Ya agar main Islam qubool kar loon, to fir kaunsa firqa follow karun? Kya meri body andar se napak chalti rehti hai? Prasad kyu haram hai jab sab kuch to Allah ka diya hua hai?
Ye sab sawalat genuine hain, aur inka jawab sirf emotional nahi, logical bhi hona chahiye.
Is article me hum aise hi Top 8 Islamic Questions ka jaiza lenge – jin ka jawab aaj ke logical zehan ko bhi mutmain kare.
Table of Contents
Key Takeaways:
- Sirf Allah ko maan lena kaafi nahi – Rasool ﷺ ko bhi maan’na farz hai.
- Nabuwat ka 40 saal me milna ek divine hikmat par mabni hai.
- Kainaat ka har hissa ek interconnected nizaam ka part hai.
- Islam me firqa lena farz nahi – Quran o Sunnat ka rasta asal hai.
- Prasad haram is liye hai kyunke uska ta’alluq shirk se hai.
- Wuzu ke baad body napak nahi rehti – taharat ka daira zahiri ghalazat tak hota hai.
- Musalman hone ka matlab yeh nahi ke Allah ki madad baghair amal ke milegi.
- Islam qubool karne ke baad pehle ke gunaah maaf ho jaate hain – lekin insani huqooq wapas karne padte hain.
1. Sirf Allah Ko Maan’na Kaafi Hai – Rasool ﷺ Ko Nahi?
Aksar log kehte hain: “Main to ek Khuda ko maanta hoon, murti nahi poojta – kya main Muslim hoon?”
Jawab: Sirf Allah ko maanne se banda Muslim nahi hota jab tak uske bheje hue Rasool ﷺ ko bhi na maane.
“Agar koi keh raha hai ke main Rab ko maanta hoon, lekin us Rab ke Rasool ko nahi maanta, to asal me wo Rab ko bhi nahi maan raha.”
Ek simple misal: agar koi apne baap ko baap kehta hai lekin uski koi baat nahi maanta, to kya wo asal me uska beta hai?
Rasool ﷺ Allah ka paighaam lekar aaye. Unhe reject karna Allah ke hukum ko reject karna hai. Quran me clear hai:
“Jo Allah aur uske Rasool par imaan nahi laya, uske liye Jahannum hai.” (Surah Jinn 72:23)
Sirf Tawheed nahi, Risalat bhi imaan ka bunyadi rukun hai.
2. Nabuwat 40 Saal Me Hi Kyun Mili?
Log kehte hain ke insaan 18-20 saal me mature ho jata hai, to Nabi ﷺ ko nabuwat 40 saal me kyun mili?
Jawab: Ye ek badi responsibility thi – entire humanity ke liye guidance. 40 saal ek insani zindagi ki intellectual, emotional aur social maturity ka peak hota hai.
Jab aadmi 40 ka hota hai to wo har pehlu se sabit-qadam aur zimedaar hota hai. Uske baad decline shuru hota hai.
Hazrat Musa a.s ke bare me Quran kehta hai:
“Jab wo apni maturity aur jawani ke mukammal marahil me pohch gaye, to humne unko hukm aur ilm diya.” (Surah Al-Qasas 28:14)
Is se maloom hota hai ke nabuwat sirf ilm nahi, peak maturity par di jaati hai.
3. Itni Badi Kainaat Banane Ki Kya Zarurat Thi?
Sawalat uthta hai: Jab hum sirf zameen par reh rahe hain, to itna bada universe banane ki kya zarurat thi?
Jawab: Ye fallacy of limited utility hai – sochna ke agar kisi cheez ka sabab samajh na aaye to wo faaltu hai.
Allah ne kainaat ko be-maksad nahi banaya. Har star, har galaxy kisi na kisi nizaam ka part hai jo ek dusre ko balance karta hai.
Misal: Ek mahal me har deewar kisi aur structure ko support karti hai. Agar aap kehain ke mujhe to sirf ek kamre ki zarurat hai, baaqi sab hata do – to wo mahal gir jayega.
Isi tarah, agar ek galaxy bhi utha di jaye to sara cosmic balance affect hota hai.
“Allah ne har cheez ko ek nizaam ke sath banaya hai.” (Surah Qamar 54:49)
4. Islam Qubool Karne Ke Baad Kaunsa Firqa Choose Karein?
Jab koi Islam me aata hai to confused hota hai: Sunni, Shia, Deobandi, Barelvi… kis taraf jayein?
Jawab: Quran me Allah ne farmaya:
“Usne tumhara naam Muslim rakha hai.” (Surah Al-Hajj 22:78)
Iska matlab ye hai ke asal pehchaan “Muslim” hai – na ke kisi firqe ka label.
Rasool ﷺ ne farmaya:
“Najaat wala firqa wo hoga jo mere aur mere sahaba ke tareeqe par hoga.”
Yani Quran o Sunnat ka raasta. Jo bhi us par hai, wahi safe zone me hai. Firqa sirf ek identity label hai, asal cheez amal hai.
5. Wuzu Ke Baad Body Andar Se Bhi Pak Hoti Hai Ya Nahi?
Kuch log kehte hain: Agar wuzu ke baad bhi mere body ke andar waste hai to kya mai napak hoon?
Jawab: Islam sirf usi cheez ka hukm deta hai jo aap ke ikhtiyaar me ho. Body ke andar waste ya blood hona haram nahi – kyunke wo fitratan zaroori hai.
Allah ne hum se zahiri taharat ka hukm diya hai – andar ka nahi. Jab tak ghalazat jism ke bahar na aaye, wo napaki nahi kehlati.
“Allah tumse tumhari andar ki nahi, zahiri taharat ka taqaza karta hai.” (Paraphrased concept)
6. Prasad Haram Kyun Hai Jab Sab Kuch Allah Ka Hi Hai?
Sawal aata hai: Jab sab kuch Allah ka hai – bij, paani, dharti – to agar kisi aur ke naam se chadha diya jaye to wo haram kaise ho gaya?
Jawab: Masla ingredients ka nahi, niyyat aur asar ka hota hai. Prasad kisi aur ke liye chadhaaya jata hai – yani ek ibadat ka hissa ban jata hai.
Quran me hai:
“Wo mat khao jiske upar Allah ka naam nahi liya gaya – ye gunaah hai.” (Surah Al-An’am 6:121)
Agar koi cheez shirk se muta’alliq ho gayi, to chahe wo ghee ho ya cheeni – wo haram ho jaati hai.
7. Musalman Hone Ke Bawajood Zulm Kyun Ho Raha Hai?
Log kehte hain: Jab Musalmaan Allah ke sabse kareeb hain to un par sabse zyada zulm kyun hota hai?
Jawab: Naam se Muslim hone se madad nahi milti. Amal chahiye.
“Tum behtareen ummat ho – agar tum haq ko maano aur burai se roko.” (Surah Aal-e-Imran 3:110)
Aaj ki majority sirf naam ke Muslim hain. Islam ek nizaam hai – jise apply karna padta hai. Aaj agar Musalmaan zulm ka shikaar hain to is liye ke wo nizaam almari me band kar chuke hain.
Jab aapke paas weapon ho lekin use na karein, to dushman ka war aap par asar karega.
8. Islam Qubool Karne Ke Baad Purane Gunaah Ka Kya Hoga?
Log kehte hain: Maine zindagi bhar gunaah kiye hain. Ab Islam qubool kar liya to kya sab mauf ho gaye?
Jawab: Haan! Allah ke huqooq wale sab gunaah turant maaf ho jaate hain.
“Jab banda Islam me daakhil hota hai to uske pehle ke sab gunaah maaf kar diye jaate hain.” (Sahih Hadith)
Lekin agar kisi insaan ka haq maara gaya ho – jaise paisa churaana, ghibat karna – to wo haq lautana zaroori hai.
Ek misal: Agar aap civilian the, aur army join kar li – to aapko pehle ki civilian ghaltiyon ka hisaab nahi diya jata, lekin agar kisi ka maal churaaya tha to wapas karna padta hai.
Conclusion
Ye 8 sawalat un sab logon ke zehan me uthte hain jo Islam ko samajhne ya qubool karne ka irada rakhte hain. Har sawaal ka jawab Quran, Sunnat aur logic se diya ja sakta hai – agar jazba sachai ka ho.
Islam kisi andhi taqleed ka naam nahi. Ye dalail, soch aur fitrat ka deen hai. Jo banda sincere niyyat se sawalat karta hai, uske liye har jawab Quran me hai.
“Jab tum mere paas aao to sawal karo – main jawab zaroor doonga.” (Paraphrased divine promise)
Agar aap ya aapka koi dost in sawalat se guzra ho, to ye article uske liye roshni ban sakta hai.
FAQs
Q: Kya sirf ek Khuda ko maanne wala Muslim hota hai?
A: Nahi. Jab tak Rasool ﷺ ko na maane, imaan mukammal nahi hota.
Q: Kya firqa lena zaroori hai?
A: Nahi. Quran o Sunnat par amal karna zaroori hai – label nahi.
Q: Wuzu ke baad body andar se bhi saaf hoti hai?
A: Islam me sirf zahiri taharat ka hukm hai – andar ki ghalazat par nahi.
Q: Prasad agar halke se diya gaya ho to bhi haram hai?
A: Haan. Agar kisi aur ke naam par chadhaaya gaya ho to haram hai – chahe thoda ho ya zyada.
Q: Islam qubool karne ke baad agar banda mar gaya to kya hoga?
A: Agar imaan ki halat me mar gaya to purane sab gunaah maaf – aur Jannat me dakhil hoga inshaAllah.