Kya Sirf Science Se Khuda Ko Samjha Ja Sakta Hai?

Aaj ka zamana “science” ka zamana hai – log kehte hain ke agar koi cheez science se prove nahi hoti, to uska wajood bhi nahi hai. Atheist ya agnostic log bar bar kehte hain: “Main sirf wahi cheez maanta hoon jo scientific evidence se prove ho.”

Magar kya yeh daawa khud ek scientific principle hai? Ya yeh bhi ek blind belief hai? Mufti Yasir ne ek agnostic atheist ke is logic ko tod kar rakh diya – aur hum is article mein step by step dekhte hain ke is thinking mein kya logical galtiyan chhupi hui hain.



Transcript: (00:00) मैं आपको नथिंग के बारे में बताऊं कि नथिंग इतनी अच्छी चीज है य क्या ही खूबसूरती है कि अगर आप उसको देखेंगे तो देखते रहेंगे तो आप पहले पूछेंगे भाई नथिंग कैसे खूबसूरत हो सकती है पहले नथिंग को साबित तो करो समथिंग तो खुदा की सिफात प तो बात बाद में होगी ना पहले जात प होगी ना नहीं नथिंग कैसे खूब पूछूंगा कि उसकी क्याली एकली आपने वही सवाल किया कि नथिंग कैसे खूसर तो है ही नहीं ना नथिंग तो है ही नहीं तो आपके नजदीक खुदा नहीं है तो खुदा की सिफात अब सेकेंडरी हो गई खुदा की जात पर बात होगी जोक खुदा को आपने नथिंग कर दिया तो अब नथिंग को हमें समथिंग करना

(00:35) है और आपको नथिंग करना है इस पर क्यों बात करने से आप घबरा रहे हैं नंबर इ इमेजिनरी थिंग एटली वही तो मैं कह रहा हूं इ इमेजिनरी थिंग इन र माइंड और इमेजिनरी है नहीं नहीं नहीं होल्ड ऑन नंबर्स इमेजिन अच्छा मैं थोड़ी देर के लिए आपने ये जो हसी हंसी है इसी को ले लेते हैं कि जैसे खुदा है वैसे ही नं हसने के लिए मेरा मतलब डिसपे करना सुन लीजिए नहीं कोई बात नहीं जैसे जैसे खुदा वैसे ही नंबर्स अब मुझे बताए कि नंबर्स के बगैर जरा जी के दिखाए इस दुनिया में लाइफ पॉसिबल होने के लिए नी फिजिकल मैटर और नं नं नो कनेक्शन कनेक्शन है कनेक्शन है मेरे

(01:11) भाई हर चीज नंबर्स पर चल रही है य मैं और आप बात कर नंबर्स की बुनियाद पर कर रहे ला लाइफ की पॉसिबिलिटी सरी आपका डीएनए नंबर्स के ऊपर है आप उसको सम समझेंगे नहीं जो हर चीज है नंबर के हर चीज कैलकुलेटेड है हर चीज कैलकुलेटेड है य तक हमारा य तक लाइफ की के लिए एक डिस्टेंस चाहिए कि सूरज हमारे से कितने दूर हो चांद कितने दूर हो अगर वो डिस्टेंस मेंटेन नहीं होगा तो लाइफ पॉसिबल नहीं है डिस्टेंस हम समझते हैं नंबर्स के जरिए तो नंबर्स तो इमेजन है इनकी तो कोई हैसियत नहीं है तो इसके बगर जिंदगी को जिंदगी को पॉसिबल कर देखिए आइडेंटिफिकेशन नंबर्स की हमने बनाई है हम

(01:48) लोग जो चीज को नंबर असाइन करते हैंट इन द फिजिकल वर्ड ट् न इजरी य जो नंबर आपने असाइन कि नंबर जहन में है नहीं एक बच्चे को एक बच्चे को पता है कि नहीं दो किसे कहते हैं और एक किसे कहते हैं लैंग्वेज आती उसको लेकिन न ही सी हि फादर ही नट कंफ्यूज कि यह मेरी मां है और मां को देखता तो कंफ्यूज नहीं होता कि मेरा बाप हैल लेकि लेकिन उन दोनों को एक समझना या दो समझना ये उसके जहन में है इसलिए उसको समझना बोलते हैं समझ जहन में ही होती है मेरे भाई और आप उस समझ के साथ पैदा हुए हैं एक और दो का एक और दो बो मा मां है बाप बाप है उस क्या एक और दो कहां से आ

(02:26) गया मैं इसीलिए कहता हूं कि थोड़ा सा अपने माइंड को शार्प करना चाहिए इन फिलोसॉफिकल डिस्कशंस के लिए अगर आप साइंस के ऊपर रिलाई करेंगे ना तो साइंस आपको और उसम उससे फिर खुदा को तलाश करेंगे और फिलॉसफी या जो रेशनल साइंसेस हैं उसको छोड़ देंगे तो इसी तरीके से फिर गुफ्तगू करेंगे और लोग आपके ऊपर हसेंगे विदाउट ब्रेन देयर इज नो इंटेलिजेंस विदाउट ब्रेन और मशीन सम काइंड ऑफ फिजिकल थिंग इंटेलिजेंस हां तो बिलकुल ठीक है वि भाई बिल्कुल सही है ना आपके फोन के आपके फोन के बगैर फोन के सिग्नल्स का कोई माना नहीं है लेकिन अगर आपके पास फोन ना हो तो इसका मतलब ये तो

(02:59) नहीं है कि सिग्नल वजूद नहीं रखता एगजैक्टली हां वैसे ही है फिर कहां से आया सिग्नल आपके फ ने प्रोड्यूस किया आपके फन ने प्रोड्यूस किया हां एटली हा आपके फोन ने सिग्नल प्रोड्यूस किया वेरी गुड यानी आपका फोन सिग्नल रिसीव नहीं कर रहा है बल्कि आपका फोन ही जो है वो एंटीना है पूरे शहर को सिग्नल सप्लाई कर रहा है इज दैट व्ट यू सेइंग कौन से सिग्नल की बात कर रहा है आप सिम कार्ड है उसम जो और होता है ठीक है यार मैं जब एथ से बात करता हूं सीरियसली सीरियसली आई फील सिंथी फॉर यू कि आप इतनी बेसिक बेसिक एग्जांपल नहीं समझ पाते वोस इकबाल आया था समस की मिसाल देकर

(03:34) गया उसका जोग बन गया पूरी दुनिया में अब आप ये कह रहे हो कि आपका जो फोन है वही सिग्नल देता है वाह चले आगे बढ़ते हैं राकेश सैनी जी सैनी साहब कैसे हैं अन म्यूट करें अपने आपको हेलो हाय सबको जी कैसे हाउ आर यू लनात नहीं है प्यारे भाई क्या कैसे मेरा मेरा मुझे सवाल पूछना था एक कि हा ठीक है मैं हिंदू फैमिली में पैदा हुआ हूं लेकिन मैं थ मैं नहीं मानता अभी क्यों नहीं मानते ठीक है मेरे मुझे जो भी पहले हिम फॉलो करता था मैं लेकिन मुझे कन्विंसिंग नहीं लगा य सब देख के तो मैंने बाकी रिलीजन की तरफ भी देखा ब सबसे बुरी क्या चीज लगी हिम

(04:33) में बुरी चीज यही जो भगवान है तो कोई प्रूफ नहीं है यह है वो है ऐसे है दयावान है लेकिन वो नरक नरक है कुछ ऐसे अजीब बातें लगी आइडल वरशिपर को बुरा समझते हैं नहीं वो सब रिचल मेरा वो उतने डिटेल में नहीं है रिचल के आइडल वशिप तो बुनियादी चीज है ना हिम की आइडल वश आइडल वरशिपिंग तो हिंदु की बुनियादी चीज है आप उसको अच्छा समझते हैं कि बुरा मैं इसलिए क्योंकि आइडल वश इसलिए करते हैं कि उनको लगता है कि वो भगवान है लेकिन बरा लगता है कि अच्छा लगता है आपकी बात कर रहा हूं मुझे उससे लेनदेन नहीं जो लोग आरती वगैरह करते हैं आइडल वशिप करते

(05:14) हैं पूजा करते डायरेक्टली खुदा से तो लेनदेन है ना खुदा को तो आप अच्छा नहीं समझ रहे कि यार ये कहता है कि रहीम है लेकिन रहम वाला नहीं है दयालु है लेकिन दया नहीं करता उसको तो बुरा समझ रहे हैं और उसकी जो आइडल लोगों ने बना रखी है उनको बुरा नहीं समझ रहे हैं इस नहीं मैं वो ये बोल रहा हूं कि जो हिंदुइज्म में कांसेप्ट लि आ है कि अगर भगवान है राइट तो और वो उसकी जो कैरेक्टरिस्टिक थ है कि दयावान है हेवन है हेल है पुनर्जन्म होता है उसका कुछ प्रूफ नहीं है तो ये बातें मेरे मेन है और वो बातें भगवान के पास जाने के लिए व जो प्रेयर वगैरह करते हैं आइडल वशिप य ये

(05:52) सेकेंडरी हो जाता है भगवान का ही प्रूफ में ये सब कर्म बाती ये सब अंधश्रद्धा है तो ये सब बेकार है ठीक है च सही है अब आगे बढ़े जी हम तो मैंने बाकी रिलीजन का भी देखा गया जब मुझे मेरे पास टाइम था मुस्लिम इस्लाम और क्रिटी तो मुझे उसम वो सिमिलर लगा मतलब लैंग्वेज अलग है स्टोरी अलग है लेकिन है वही उसका भी प्रूफ नहीं है बहुत सारी प्रैक्टिस है जिसका कुछ लॉजिक नहीं है कुछ नहीं है तो इसलिए ठीक तो प्रूफ जो है आपको कन्विंसिंग प्रूफ किस तरह का होना चाहिए जी मेरा मेराली सवाल मेरा कुछ अलग है मेरा एक के होने के यह डिबेट हो चुका है बाकी लोगों से लेकिन

(06:32) आपके लिए मेरा सवाल कुछ अलग हैक ठीक है बुनियादी चीज तो यही है ना आपने कहा कि हिंदू इजम और इस्लाम क्रिश्चियनिटी सब में सिमिलर चीज सब में गड का कांसेप्ट है गड ही नहीं है आपके नजदीक तो बाकी क्वेश्चन स रेवेंट है जिस तरह आपके नजदीक मूर्ति पूजा रेवेंट है कक गड नहीं है ठीक है तो ऐसे ही हमारे नजदीक आपके सारे क्वेश्चन रेवेंट है कक आपके नजदीक गड नहीं है तो जब आपको गॉड का प्रूफ चाहिए तो यह सवाल होगा कि किस तरह का प्रूफ चाहिए था प्रूफ दू अच्छा देखिए अगर अगर जो कि आप इस्लाम है मुस्लिम है आप ओबवियसली अल्लाह के वजूद को मानते हैं ट इसलिए फॉलो करते तो मेरा

(07:11) सवाल उसी अमन को लेके है कि आप जो अल्लाह को मानते हैं ठीक है मैं मानता हंकी बात क्या आप मानते ठीक है लेकिन आप जो अल्लाह की कैरेक्टरिस्टिक बताते हैं अल्लाह के नबी की जो कैरेक्टरिस्टिक बताते हैं इस्लाम का जो बाकी लोगों के प्रति जो बिहेवियर है जो भी कांसेप्ट है उस बातो से लेकि मेरा ये सवाल है मान लीजिए मैं आपको मैं आपको सुनिए मैं आपको नथिंग के बारे में बताऊ कि नथिंग इतनी अच्छी चीज है क्या ही खूबसूरती है कि अगर आप उसको देखेंगे तो देखते रहेंगे तो आप पहले पूछेंगे नथिंग कैसे खूबसूरत हो सकती है पहले नथिंग को साबित तो करो समथिंग तो खुदा की सिफात प

(07:46) तो बात बाद में होगी पहले जात प होगी ना नहीं थ कसे पूछा उसकी क्याली आपने वही सवाल किया नथिंग कैसे है ही नहीं नथिंग तो है ही नहीं आपके नजदीक खुदा नहीं है तो खुदा की सिफात अब सेकेंडरी हो गई पहले खुदा की जात प बात होगी जोक खुदा को आपने नथिंग कर दिया तो अब नथिंग को हमें सब समथिंग करना है और आपको नथिंग करना है नहीं मैं मानता हूं इस्लाम में इस्लाम के साथ जैसे इस्लाम मानता है कि खुदा है ये खुदा की कैरेक्टरिस्टिक है कुरान है मैसेंजर है मैं ये मान लिया ठीक है लेकिन वो अजमन के बाद मेरा सवाल यह है कि अगर हम लोग मानते खुदा है उन्होंने नबी भेजा था सारे

(08:25) मुस्लिम लोग को ये ये करना चाहिए दूसरे लोगों के प्रति ऐसे ऐसे है आ लॉर्डशिप ये जो कांसेप्ट है अजूम करके मेरा सवाल उसके ऊपर है इरेलीवेंट है क्योंकि आप अजूम इवेंट कैसे हो मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि अजमन से कोई फायदा नहीं है आपने कहा कि सारे रिलीजन बराबर हैं खुदा अंध एक में बिलीव करना एक अंधविश्वास ठीक है हम इसको आपके इस क्लेम को हम लेकर चलेंगे आगे इस पर क्यों बात करने से आप घबरा रहे हैं आप ये कहिए कि भाई मुझे प्रूफ नहीं मिला तो मैं पूछूंगा कि भाई प्रूफ कैसा चाहिए ये डिबेट मैं कर चुका हूं बाकी लोगों के साथ मेरे से नहीं की ना मेरे से कर ले आज

(08:58) मेरे से कर ले क्या डर क्या डर है अच्छ ठीक है खुदा के ऊपर मेरा बिलीव यह है क्योंकि जो बहुत सारे मुस्लिम लोग तो ऐसे बोलते हैं कि खुदा को साइंस के हिसाब से साबित नहीं किया जा सकता तो फिर आपने किस प मान लिया तो वो मुझे कविंस कीजिए कैसे हो सकता हैय जो आपने मान गया वो तो उसम फिर वो ये हो जाता है कुछ कुछ कंक्लूजन प नहीं जाता है सवाल प सवाल बहुत अच्छा कलन जाएगा बहुत अच्छा कंक्लूजन जाएगा हम अगर टक र कंक्लूजन बिल्कुल जाएगा इंशाल्लाह अब आपने कहा कि बहुत सारे मुसलमान य कहते हैं कि अल्लाह ताला को या खुदा को क्रिएटर को साइंस की बुनियाद पर

(09:38) साबित नहीं किया जा सकता ठीक है तो मेरा आपसे सवाल यह होगा कि साइंस की बुनियाद पर साबित करना जरूरी है तो फिर हम लोग किस बुनियाद प मानेंगे कि खुदा है ओके तो आपके नजदीक साइंस की ही बुनियाद पर किसी चीज को साबित किया जा ठीक ठीक ठीक ठीक ठीक आपके नक सुनि ऐसा नहीं कि मैं बिलीव नहीं करना चाहता लेकिन मेरे मेरा प्रॉब्लम खुदा या भगवान होना यस आथ बी बिस्ट थि मुझे बात बताए सिपल सवाल करता आपसे सिल सवा ठीक सिंपल सवाल साइंस की फील्ड फिजिक्स है मेटा फिजिक्स साइंस य जो भील स वई समथिंग लाइक हाउ समथिंग हैपेंस नहीं वाई का जवाब नहीं देती हाउ का जवाब

(10:34) देती है एटली हा वाई का जवाब भी फिसिकल हो सकता और और मैटेरियलिस्टिक वर्ल्ड के अंदर लिमिटेड रहती है बाहर नहीं निकलती राइट मोस्टली ली मैटर और एनर्जी मैटर और एनर्जी को डिस्कस करेगी उसके अलावा किसी और चीज को डिस्कस नहीं करेगी अच्छा हा खुदा को हम खुदा को हम ना मैटर मानते ना एनर्जी मानते तो साइंस कैसे डिस्कस करेगी खुदा को बात बोला था भाई साहब मैं शुरुआत में यही बात बोला था कि मुस्लिम लोग बोलते है कि खुदा को साइंस के इससे साबित किया ही नहीं जा सकता तो इस पर फिर डिबेट ही खत्म हो जाती है फिर कैसे कैसे हम लोग मान ले इतनी बड़ी बात नहीं तो आप

(11:11) जो खुद ही कह रहे हो आप खुद ही कह रहे हो मेरे भाई मेरे भाई लिसन आप खुद ही कह रहे हो कि साइंस लिमिटेड है मैं आपसे यह कहूं कि आप मुझे जो है मेडिकल साइंस से ये बताए होल्ड ऑन होल्ड ऑन होल्ड ऑन होल्ड ऑन मैं आपसे ये कहूं मेरी बात तो सुन या सुन तो लो अला के बे सुन भाई सुनो मैं आपसे ये कहूं कि मेडिकल साइंस के जरिए आप मुझे यह बताएं कि बिल्डिंग कैसे बनती है अब आप कहेंगे यार दोनों अलग-अलग डोमेन है इंजीनियरिंग बताएगी ना कि बिल्डिंग कैसे बनती है मेडिकल साइंस में कैसे पता चलेगा तो ऐसे ही मैं आपसे ये कहूं कि साइंस के जरिए बताए कि खुदा कैसे है कहां है तो

(11:46) साइंस तो लिमिटेड है कैसे बताएगी आप अगर किसी आदमी से किसी अंधे से रास्ता पूछे तो वो ये कहा जाएगा ना अंधे को तो खुद नहीं पता और आप उससे पूछ रहे हो रास्ता किधर है तो ये फेर होगा देखिए मेडिकल से प्रूव करना हो या फिर इंजीनियरिंग से प्रू करना हो टेक्निकल प्रू तो हम लोग नेचर व कोही कर रहे उसका तरीका कुछ भी हो सकता है साइंस नहीं लिमिटेशन की बात कर रहा हूं मैं लिमिटेशन की बात कर रहा हूं कि अंधे से रास्ता पूछेंगे आपस ता ना य ठीक है सा लिमिटेड टेड चले अब मैं कहता हूं रीजनिंग रीजनिंग सोर्स ऑफ नॉलेज है या नहीं हा हो सकता है यस हो सता है

(12:30) इ डिपेंड्स है डिपेंड करता है कि हम लोग किस देखिए हर कोई चीज को एक ही एक ही कांसेप्ट एक ही जवाब हर चीज का नहीं हो सकता अंडरस्टैंड आई अंडरस्टैंड लेकिन अगर रीजनिंग एस कांसेप्ट इ सोर्स ऑफ नॉलेज और नॉट हा है ठीक है तो रीजनिंग साइंस की लिमिटेशन से बड़ी है ठीक है कक साइंस के बियोंड रीजनिंग रीजनिंग आप कर सकते हैं साइंस तो सिर्फ एपिकल डटा के ऊपर चलती है हम लोग ऐसे नहीं बोल सकते इट डिपेंड देखिए एवरीथिंग डिपेंड्स न डिपेंड्स ऑन द क्वेश्चन एंड द थिंग यू स्ट एवरीथिंग डिपेंड बलट एक रूल है सारे ऊपर ऐसे थोप दो वसे नहीं डिपेंड तो चले ठीक है चलिए ठीक

(13:09) है मुझे आप साइंस से हटकर कोई रीजनिंग दे दीजिए जो आपको लगता है कि रीजनिंग हो सकती है आपने कहा कि रीजनिंग सोर्स ऑफ नॉलेज है कोई एक रीजनिंग की मिसाल जो साइंस से हट कर हो और रिसम से हट कर हो ठीक है वो रेशनल वर्ल्ड है लॉजिक है पॉब क्या है मिसाल मि मिसाल लॉजिकल थिंकिंग य है कि देखि अगर मैं आपको बोलू की रेशनल थिंक अगर मैं आपको बोलू की क्या क एलियस होना पॉसिबल है या नहीं ट हम ली सोचे लजली टा है इतनी सारी गैलेक्सी है गले का क्लस्टर है उतने सारे स्टार होंगे फर स्टार के भी प्लेनेट होंगे ट सोलर सिस्टम होंगे दूसरे भी तो पर द नॉलेज टा ल ए िक ट सम समर न सम

(14:00) प्लानेट लाइफ फॉम एसिस्ट मैं आपको उससे बेहतर मिसाल देता हूं टू पोजिटस कैन नॉट बी टूगेदर ठीक है टू पोजिटस कैन नॉट बी टूगेदर और एक और मिसाल देता हूं एवरी नंबर इज इदर ऑड और इवन यह पॉसिबल नहीं है कि नंबर ऑड भी हो और इवन भी हो यह जो रीजनिंग मैंने आपको दी है यह इसका उससे कोई तालुक नहीं है फिजिक्स से और जनाब नेचुरल वर्ल्ड से क्योंकि नंबर्स जो हैं वो आपके माइंड में होते हैं जो काउंटेबल है वो नेचुरल होते हैं ठीक है यस हां तो अब ये रीजनिंग बिल्कुल ठीक है ना बात मानता हूं हां बिल्कुल ठीक है यस ठीक अब इसका मतलब ये हुआ कि रीजनिंग का जो स्कोप और मैदान है

(14:45) वो बड़ा है और साइंस के मैदान से ठीक वहां व्हेन यू से नंबर नंबर नंबर इज इमज थिंग इमेजिनरी थिंग एगजैक्टली वही तो मैं कह रहा हूं इ एन इमेजिनरी थिंग इज इन योर माइंड और है इमेजिनरी है नहीं नहीं नहीं होल्ड ऑन नंबर्स इमेजिन अच्छा च मैं थोड़ी देर के लिए आपने ये जो हंसी हंसी है इसी को ले लेते हैं कि जैसे खुदा है वैसे ही नंबर्स है हसने के लिए मेरा मतलब रेस्पेक्ट करना नहीं नहीं सुन लीजिए नहीं नहीं कोई बात नहीं जैसे जैसे खुदा वैसे ही नंबर्स अब मुझे बताएं कि नंबर्स के बगैर जरा जी के दिखाए इस दुनिया में नंबर्स के बगैर जी के दिखाए जी के

(15:22) दिखाए नंबर्स तो इमेजिनरी है अब इन इमेजिनरी नंबर्स के बगैर जरा जी के दिखाए इमेजिनरी नंबर्स हमने यूज किया मैथमेटिक्स कैलकुलेशन करने के लिए नहीं तो यूज नहीं करना ना जस्ट वैल्यूलेस इमेजिनरी बंच ऑफ थिंग्स हमें नहीं चाहिए नंबर्स है ना जीय जो इमेजिनरी नंबर्स है इनके बगैर लाइफ को पॉसिबल करके दिखाइए लाइफ पॉसिबल होने के लिए ी नीड फिजिकल मैटर और नंब आ नंबर आ इमज दे नो कनेक्शन कनेक्शन है कनेक्शन है मेरे भाई हर चीज नंबर्स पर चल रही है ये मैं और आप बात कर नंबर की बुनियाद पर एग्जांप एग्जांपल एप लाइफ लाइफ की पॉसिबिलिटी सी आपका डीएनए नंबर्स के ऊपर है आप उसको समझ

(16:06) समझेंगे नहीं जो हर चीज है नंबर्स के ऊपर हर चीज कैलकुलेटेड है हर चीज कैलकुलेटेड है यहां तक के हमारा यहां तक के लाइफ की पॉसिबिलिटी के लिए एक डिस्टेंस चाहिए कि सूरज हमारे से कितने दूर हो चांद से कितने दूर हो अगर वो डिस्टेंस मेंटेन नहीं होगा तो लाइफ पॉसिबल नहीं है डिस्टेंस हम समझते हैं नंबर्स के जरिए तो नंबर्स तो इमेजिन नहीं है इनकी तो कोई हैसियत नहीं है तो इसके बगैर जरा जिंदगी को जिंदगी को पॉसिबल करके दिखाइए के लिए दिए सु इसका मतलब क्या हुआ इसका मतलब य हुआ जो चीज इसका मतलब य हुआ कि जो चीज फिजिकल वर्ल्ड में मौजूद नहीं होती और

(16:38) वह मेंटल वर्ल्ड में यानी हमारे जहन में मौजूद होती है वह भी बहुत अहम है इससे साबित हुआ हुआ कि नहीं जो चीज फिजिकल वर्ड में नहीं मजूद नहीं है वो हमारे मेंटल वर्ल्ड में है हमारे कॉशसनेस में है हमारे कॉशसनेस में है जैसे नंब वो भी इंपोर्टेंट है वरना हमारी लाइफ नहीं है राइट इट इज नॉट नेसेसरी आई कैन प्रूव टू यू राइट नाउ न आई एम आस्किंग यू कि नंबर्स जो है वो हमारे कॉन्शसनेस में है फिजिकल वर्ल्ड में नहीं है तो ठीक है तो नंबर के बगैर तो नंबर जो कॉन्शसनेस में है जिनका फिजिकल कोई वजूद नहीं है उनके बगैर क्या लाइफ पॉसिबल है मैं सिंपल सवाल पूछ रहा

(17:18) हूं आपसे यस यस इट वास पॉसिबल हमने एक एपल देता हूं मैं आपको हमने इंसान ने नंबर्स कब कब खोज निकाले मतलब कि एक एक होता है एक और एक आम दो आम होते हैं यह कब कब से य क्या जिस दिन से आख खोली ये आई जिस दिन से आंख खोली ऐसा नहीं है कि एक का वजूद जो है वो 400 साल पहले आया था जिस दिन से आंख खोली और चीजें देखनी शुरू की फिजिकल वर्ल्ड में सबसे पहले आंख खोल के दरख देखा होगा फल देखा होगा एक देखा होगा दो देखे होंगे तो इंसान को समझ में आ गया कि ये एक है ये दो है ये ये एक ये जो नंबर्स का जो नंबर्स की जो नॉलेज है ना मेरे भाई नंबर्स

(17:53) की जो नॉलेज है वो एक्वायर्ड नॉलेज नहीं है वो गिफ्टेड है वो गड गिफ्टेड है वो आपके अंदर एंबेडेड है यू बोर्न विद नॉलेज अल बात अलग बात हैय अलग बात है उसकी हाई लेवल की कैलकुलेशन है मल्टीप्लाई कर रहे हैं आप सक्शन कर रहे य आप जरूर बाद लेकिन लेकिन जो बुनियादी बद नं ये जो नंबर्स है नंबर्स नंबर्स जो है वो यू आर बोन यू आर बोन विथ द नॉलेज वि द नॉलेज ऑफ नंबर्स यू आर बोन वि नॉलेज नंबर्स बीच में ना बोले बीच में ना बोले आप पहले इस बात तो मैं तो एग्जांपल दे चुका ऑलरेडी मैं तो ऑलरेडी एग्जांपल दे चुका हूं कि नंबर्स जो है नंबर्स नंबर्स की जो

(18:41) नॉलेज है वो हम उसके साथ पैदा हुए हैं पहले इंसान ने जब आंख खुली होगी जब उसने आंख खुली होगी तो उसको एक और दो के दरमियान फर्क नेचुरल तौर पर मालूम हुआ होगा चाहे उसको कहना ना आया हो कि एक को एक कहा जाएगा और दो को दो ठीक है मुझे एक बात बताइए क्या आपने स्कूल में जाकर देखा कि आपके अम्मा अब्बा दो नहीं है बल्कि एक है स्कूल में सिखाया आपको देखिए मैं आपको बताता हूं अगर आप एक बोल रहे हो वन बोल रहे हो या किसी और लैंग्वेज में बोल रहे हो नहीं मैंने एक सवाल किया आपके आपने आपने जब आप स्कूल में आपका एडमिशन हुआ तो वहां आपके टीचर्स ने

(19:16) आपको बताया कि आपके पेरेंट्स दो हैं एक एक नहीं है डिड यू लर्न दैट इन द स्कूल भाई ये ये सब देखिए देखिए आप देखिए नंबर आई एम सिंपली आस्किंग यू अ सिंपल क्वेश्चन सिंपल क्वेश्चन भाई इससे इससे क्या साबित हुआ जब आप पैदा हुए थे और थोड़ा सा शूर आपको आया आप अपने मां बाप को पहचानने लगे तो आपको पता था कि ये मेरी मां है और मेरे इसके अलावा कोई दूसरी मां नहीं है और ये मेरे वालिद है मेरे बाप है इनके अलावा कोई दूसरा बाप नहीं है और ये मां-बाप एक नहीं है दो हैं इ एसेंशियल नॉलेज यूर बोर्न विद यू आर नाइंग समथिंग यू आर बोर्न विद दैट द प्रॉब्लम देखिए

(19:52) देखिए देखिए अगर मैं पैदा होता हूं और अगर मुझे कोई बताता नहीं सिखाता नहीं 1 2 3 4 5 6 से अगर मुझे पूछे कोई की हाउ मेनी हानी पेंट ड यू हैव मतलब हाउ मदर य हानी फाद य मैं क्या बोलूंगा आ ड नो ट थ या फिर मुझे पता नहीं मैं क्या बोलूंगा नहीं नहीं व तो आपको वो तो आपको पता हैर बोले जवाब द बगैर बोले जवाब द बगैर बोले जवाब दू बोलूंगा तो जवाब दूंगा ना मेरा सवाल आप नहीं समझे मेरा सवाल यह है कि आपके जो भी पेरेंट्स हैं जो भी हैं जो रियल पेरेंट्स हैं आपके उनके उनके एक और दो होने का फर्क आपने स्कूल में समझा या खुद से मालूम था मैं वही बोल रहा हूं जो हम लोग नंबर्स

(20:42) को नाम देते हैं एक दो तीन नाम की बात नहीं हो रही है ना भाई नाम की बात ही नहीं हो रही है के लिए आई नो आई एम नॉट टॉकिंग अबाउट नेम्स आई एम नॉट टॉकिंग अबाउट डिफरेंट नंबर्स इन डिफरेंट लैंग्वेजेस मैं बात कर रहा हूं फर्क की कि एक और दो के दरमियान जो फर्क है वो किसी भी लैंग्वेज में हो सकता है एक आदमी जो मसलन उर्दू या स्पेनिश जानता है हो सकता है कि वो टूथ फर फ इंग्लिश के नंबर ना जानता हो या अरबी के वाहिद इसने सला से ना जानता हो बात लैंग्वेज की नहीं हो रही है बात इस डिफरेंस को समझने की हो रही है जो आपने एस ए चाइल्ड स्कूल जाए बगैर समझ लिया था कि

(21:13) जो मेरे पेरेंट्स है ये दोनों दो है एक नहीं है समझा था कि नहीं देखिए वो सिंपल ए वो भी नहीं समझ में आया था अगर वो भी नहीं समझ में आया था अगर वो भी नहीं समझ में आया था तो फिर खुदा का इंकार कर दे कोई मसला नहीं है फिर लेवल पर आप पहुंच चुके हैं कि जहां आपका खुदा का इंकार करना हमें कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन अगर वो समझ में आ गया था तो इसका मतलब ये है कि कुछ एक नॉलेज ऐसी थी एक नॉलेज ऐसी थी कि जिसके साथ आप पैदा हुए इसी को फिी नॉलेज बोला जाता है आपको कैसे पता जिस तरीके से नंबर्स जिस तरीके से एक और दो के दरमियान फर्क आप उसके साथ पैदा

(21:49) हुए हैं जबकि यह जो फर्क है यह इमेजिनरी है यह रियल टाइम एजिस्ट नहीं करता ऐसे इसका मतलब यह हुआ कि बहुत सी चीजें जो फिजिकल वर्ल्ड में एजिस्ट नहीं करती वो इंसान की वजूद उसके एक्जिस्टेंस और उसके सर्वाइवल के लिए जरूरी है खुदा फिजिकल वर्ल्ड में एजिस्ट नहीं करता इसके बावजूद इंसान के लिए जरूरी है ये ये नहीं य ये बहुत आगे चले गया जो चीज फिजिकल वर्ल्ड में जरूरी नहीं है वो इंसान के सवा के लिए जरूरी है एग्जांपल दे सकते हो उस बात का नंबर्स है ना नंबर्स तो हमने बनाए आइडेंटिफिकेशन के लिए भाई साहब भाई वो लैंग्वेज में बनाए है

(22:23) नंबर आपने लैंग्वेज क्रिएट की बा लैंग्वेज की बात नहीं हो रही है बात उस आपको स्कूल जाने से पले समझ में आ गया था आपके पेरेंट दो है एक नहीं है य समझ में आ गया था स्कूल जाने से पहले वो तो हमारी इंटेलिजेंस से समझ में आ जाता है अगर हम लोग तो अभी अब आ लाइन पर य जो समझ में आया था य जो समझ में आया था व तो फिजिकल वर्ल्ड में नहीं है व तो आपके जहन में है देखिए जि आइडेंटिफिकेशन नं की हमने बनाई है हम लोग जो चीज को नंबर असाइन करते य जो नंबर आपने असाइन कि नंबर जन में है नहीं एक बच्चे को एक बच्चे को पता है कि नहीं दो किसे कहते और एक किसे कहते हैं

(23:07) लैंग्वेज आती है उसको लेकिन न ही सी फादर न कन्फ्यूज य मेरी मा है और मा को देखता तो कंफ्यूज नहीं होता कि मेरा बाप है उन दोनों को एक समझना या दो समझना य उसके जहन में है उन दोनों को एक समझना या दो समझना य उसके जहन में और यह समझ आप ना बोलते हैं समझ जहन में ही होती है मेरे भाई और आप उस समझ के साथ पैदा हुए हैं एक और दो का एक और दो बो मां मां है बाप बाप है उसपे क्या एक और दो कहां से आ गया मैं इसीलिए कहता हूं कि थोड़ा सा अपने माइंड को शार्प करना चाहिए इन फिलोसॉफिकल डिस्कशंस के लिए अगर आप साइंस के ऊपर रिलाई करेंगे ना तो साइंस आपको और उसम

(23:49) उससे फिर खुदा को तलाश करेंगे और फिलॉसफी या जो रेशनल साइंसेस है उसको छोड़ देंगे तो इसी तरीके से फिर गुफ्तगू करेंगे और लोग आपके ऊपर हसेंगे तो अगर आप अपनी इसने नलेज को इस नॉलेज को के जो आप जिसके साथ आप पैदा हुए ड यू रिलाइज यू नाइंग द नॉलेज यू बोन विट नॉलेज नलेज कौन सा नॉलेज बोल रहे आप य नंबर्स की पहचान कमलेस नंबर की बात नहीं कर रहा हूं मैं राइट नॉर्मल नंबर एक पेड़ एक है एक मां एक है हम लोग एक बोलते नहीं लेकिन दिखने से हमें पता चल जाता है कि हा एक है ये जो पता चला ना ये नंब ही है आपके आपके जहन में वो इंबेडेड नंबर्स है जिसकी वजह से आप एक को दूसरे से

(24:31) मुमताज कर सकते हैं या डिस्टिंग्विश कर सकते हैं अगर हम उस एंबेडेड नंबर्स के साथ पैदा ना होते तो हम कभी भी दो को दो ना समझते हम सारी चीजों को एक ही समझते हैं ठीक है वो इंबेडेड नंबर्स है हमारे जहन में इसीलिए दो को दो समझ रहे हैं चाहे उसको कहना ना रहा हो इंसान की इंटेलिजेंस है आईडेंटिफाई करने के लिए कि एक मा है क्या है ओके तो वो इंबेडेड नहीं है इंटेलिजेंस इंबेडेड नहीं होती क हवा में लटकी हुई होती है आप उसको उतार के लाते हैं यली से इंटेलिजेंस वगैरह सब कुछ ट्रांसफर होता है हमारे सर्वाइकल इंबेडेड हुई कि नहीं एंबेडेड हुई कि नहीं हां हुई

(25:04) है तो फिर आप फिर क्या है हमें फिर देखिए अगर कुछ चीज से पानी मेंड है नहीं है कभी कहते हो कि है और कभी कहते हो कि नहीं है एंबेडेड है कि नहीं हैसे सर्वाइवल चीज एंबेडेड होती इंटेलिजेंस इंटेलिजेंस एंबेडेड है कि नहीं है यू बोर्न विद द इंटेलिजेंस ओके फाइन एटली अब ये जो इंटेलिजेंस है इंटेलिजेंस है इसका कोई फिजिकल वजूद है अगर ब्रेन नहीं होता तो हम लोग कैसे इंटेलिजेंट होते बताइए वो ब्रेन तो रिसेप्टर है वो तो ब्रेन तो रिसेप्टर है बात ये हो रही है कि इंटेलिजेंस का वजूद फिजिकल है कि नहीं अगर आप ब्रेन और इंटेलिजेंस को एक समझते हैं कि ब्रेन और

(25:44) इंटेलिजेंस एक विदाउट ब्रेन देर इज नो इंटेलिजेंस विदाउट ब्रेन और मशीन सम काइंड ऑफ फिजिकल थिंग इंटेलिजेंस हा बिल्कुल ठीक है भाई बिल्कुल सही है ना आपके फोन के आपके फोन के बगैर फोन के सिग्नल्स का कोई माना नहीं है लेकिन अगर आपके पास फ ना हो तो इसका मतलब य तो नहीं है सिग्नल वजूद नहीं रखता एटली हा वैसे ही है फिर कहां से आ सिग्नल फने प्रोड्यूस किया आपके फन ने प्रोड्यूस किया हा एटली आपके फन ने सिग्नल प्रोड्यूस किया वेरी गुड या आपका फोन सिग्नल रिसीव नहीं कर रहा है बल्कि आपका फोन ही जो है वो एंटीना है पूरे शहर को सिग्नल सप्लाई कर रहा है इट ट य से कौन

(26:20) सिगनल की बात कर रहा है आप सिम कार्ड है उसम होता है यार मैं जब एथ से बात करता हूं सीरियसली सीरियसली आई फील सिप फर य आप इतनी बेसिक बेसिक एग्जांपल नहीं समझ पाते ल आया की मिसाल देकर गया उसका जो बन गया पू दुनिया में अब आप य कह रहे हो आपका जो फोन है वही सिग्नल देता है वा जी कर रहे मुझे मुझे आप बताइए बिना ब्रेन के किसी का इंटेलिजेंस हो सकता है क्या इंसान का नहीं किसी जानवर का भी इटेज कर सकता है बिना बेन जी क्या कह रहे आपल भाई मैं क रहा था इल को में से दो नंबर देंगे फिर आप कम से कम कम से कम इतना तो मिलना चाहिए टू बी फेयर टू बी फेयर विद ग्रुप

(27:05) में कमेंट ओके कुछ राकेश सायनी साहब आप अगर मैं आपको आपके प्रीवियस नाम से करके दिखाइए ब्रो नहीं कर पा रहे आप माज मुझे एग्जांपल दीजिए कि बिना फि जी जी सुन लीजिए सुन लीजिए जी माइंड मैजिक भाई सही नाम दे रहा हूं ना मैं आपका गलत तो नहीं दे रहा कहां चले गए सुनते लिए उतारना पड़ता है भाई आप दो अगर आप दो मिनट बोलते तो मुझे एक मिनट बोलने का मौका दीजिए बहुत बोले आप भा को सुनले जी साब ने भी बड़ी जबरदस्त तवील गुफ्तगू करी है अब वो भी वकिंग कर रहे है लाइव नॉक आउट कर रहे है और किगा को में वर्ट कर आपकी तरफ से अशन हो गया भाई साहब आप आ

(27:46) गए और मुस्लिम में पैदा नहीं होते मेरे भाई ये सारे सवालात आप स्ट्रीम प करके गए थे अथर भाई की स्ट्रीम थी या मुफ अब्दुल्ला मिना साहब की स्म थ इसलिए दूसरा सल बात हुई थी मेरी तरफ से भी तरफ से भी और खतरनाक किस्म के आर्गुमेंट आसम इ साब की तर आपको ही लगा होगा खतरनाक भाई साब वो असल में भाई इशू यह है कि जिस आदमी को अपनी इंटेलिजेंस का तरा ना होना तो फिर किसी दूसरी चीज का क्या तरा हो सकता है मुफती साहब य व बंदा है जो कह के गया कि इफिट रिग्रेशन जो है वो पॉसिबल है वा बैठ ग मैंने क तो सही है ना एक आदमी कह रहा है कि भाई मैं तो मैं तो बिल्कुल बगैर

(28:33) किसी इल्म के बेवकूफ ही पैदा हुआ था कि मैं अपने मां-बाप के दरमियान अगर फर्क नहीं कर पा रहा था जीरो इंटेलिजेंस थी तो फिर ये जो इंफिनिट रिग्रेस वगैरह तो बहुत ऊंची चीज है भाई सही बात है मतलब वो वो आपके जो इंटेलेक्चुअल जाइंट जिनको आप कहते हैं वो वही आर्गुमेंट दे रहे हैं डेविड ह्यूम हो गया इनुल कांट हो गया ए प्राय आर्गुमेंट पोरी आर्गुमेंट य आर्गुमेंट रखी इसलिए गए हैं ताकि बुनियाद को समझ फलसफे की कम से कम अब हम अगर इस्लाह ये इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं आर्गुमेंट वही है जो इनके जाट्स ने दिए है एटली हा इलाहा इस्तेमाल नहीं कर रहे वो भी हम अगर इस्तेमाल करते

(29:05) बीच में मुझे मुझे अच्छा लगा आपने इस्तेमाल नहीं कि वरना मैं इस्तेमाल करने वाला था वो इनके सर से गुजर जाती वो चीज क्योंकि जब आप ट यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होते हो तो फिर इसी तरह ग्रेजुएट होते हो कि आप पार्ट टाइम मुहित बनते हो और वो कहते ना नीम मुद नीम हकीम खतरा जान नीम मुहित खतरा ईमान तो इनकी यही वाली हालत है नहीं नीम मुद खतरा मकान पूरे आलम कोनो मकान के लिए खतरा हैय अच्छा जी बिग क्रंच इन्हीं पे होना है यानी हां बिल्कुल आगे बढते हैं

Key Takeaways:

  • Sirf science se haq aur jhoot ka faisla karna logical nahi.
  • Atheist khud apne worldview ke andar scientific rule lagata hai, doosron pe nahi.
  • Jab khuda ke haq mein koi scientific baat ho to atheist ignore karta hai.
  • Jab khuda ke khilaf kuch ho to usi science ko weapon bana leta hai.
  • Islam har cheez ko reason + wahi ke combination se dekhta hai – na blind belief, na blind science.

Objection: “Main sirf wahi maanta hoon jo science se prove ho.”

Yeh objection agnostic ya scientist mindset ka typical dialogue hai. Aise log kehte hain ke: “Main kisi khuda, roohaniyat ya metaphysics ko nahi maanta jab tak uska scientific proof na ho.”

Jawab: Yeh daawa khud ek non-scientific claim hai. Kyun? Kyunki “sirf science hi sach batati hai” – yeh baat khud kisi scientific experiment se prove nahi ki ja sakti.

Yani yeh ek self-refuting statement hai. Jaise agar koi kahe ke “koi bhi universal truth nahi hoti” – to uska khud ka statement bhi universal truth nahi hua. Bilkul isi tarah: agar koi kahe ke “sirf scientific cheezon mein yaqeen karte hain,” to phir uske is daaway ka bhi scientific proof chahiye – jo nahi hai.

Yani yeh khud ek philosophical belief hai, scientific principle nahi.

Fallacy: “Scientism” – Jab Science Ko Religion Bana Diya Jaye

Mufti Yasir ne is point ko highlight kiya ke: “Scientism” ek tareeqa hai jisme log science ko absolute authority samajhne lagte hain – jab ke science khud is baat ka daawa nahi karta.

Science ka kaam: Observable phenomena ko samajhna, repeatable results dena, aur theories ko falsify karna.

Religion ya philosophy ka kaam: Wujood, morality, purpose, aur metaphysical questions ka jawab dena.

Agar koi kehta hai ke: “Sirf science ka evidence valid hai,” to woh khud ek ideology bana raha hai – jiska naam hai “Scientism.”


Objection: “Aap agar meri duniya mein aake logic denge, to aapko meri hi language – science – mein baat karni hogi.”

Yani agnostic kehta hai ke: “Main to science ka follower hoon, agar aap mujhe khuda ke haq mein koi daleel dena chahte ho to scientific daleel do.”

Jawab: Yeh aik aur Double Standard hai. Aap agar sirf apni language allow karenge, aur doosre ki logical language reject karenge, to yeh debate ka nahi, dictatorship ka tareeqa hai.

Agar aap kisi aur ko apne framework mein daleel dene pe majboor karte ho – lekin jab woh aapke hi framework se daleel de, to use bhi reject kar dete ho – to yeh Moving the Goalpost fallacy hai.

Mufti Yasir ne kaha: “Jab hum aapko aapki hi zaban mein scientific dalail den, tab bhi aap use accept nahi karte – to phir masla science ka nahi, aapki niyyat ka hai.”


Fallacy: “Tuhada Kutta Tommy, Sada Kutta Kutta”

Agnostic ya atheist jab science ko khuda ke khilaf use karta hai to woh kehta hai ke “scientific world view” hai. Lekin jab wahi science Allah ke haq mein koi logical possibility de, to uska jawab hota hai: “Yeh abhi prove nahi hua.”

Misal:

  • Quantum fluctuations ko aap Godless creation ke taur pe accept kar lete hain.
  • Lekin wahi quantum uncertainty ko Creator ke possible evidence ke taur pe reject kar dete hain.

Yeh ek classic Selective Evidence Fallacy hai – jise hum desi style mein kehte hain: Sada Kutta Kutta, Tuhada Kutta Tommy.

Yani agar meri taraf se ho to valid, aur doosre ki taraf se ho to invalid.


Islam Ka Moaqif: Wahi + Aqal

Islam na to blind faith sikhata hai aur na hi blind science. Islam ka aqeeda hai ke:

  • Aqal insaan ke liye hidayat ka zariya hai.
  • Wahi usi waqt aati hai jab aqal apni had tak pahunch jaaye.

Agar science Allah ke wajood ke haq mein koi daleel nahi deti, to iska matlab yeh nahi ke Allah nahi hai. Jaise microscope se hawa nahi dikhti – iska matlab yeh nahi ke hawa nahi hai. Yeh Category Error hai.

Islam logical hai – lekin logic ke sath wahi bhi zaruri hai, kyunke har cheez science ke telescope se nahi samajh aati.


Natija

Is debate ka asal natija yeh hai:

  1. Jo log kehte hain ke “sirf science hi sabit karti hai,” wo khud ek non-scientific belief rakhte hain.
  2. Jab woh khuda ke khilaf science ko evidence banate hain, aur khuda ke haq mein science ko ignore karte hain – to yeh hypocrisy hai.
  3. Islam na to science ka dushman hai, na blind belief ka supporter – Islam kehta hai: “Ilm, logic aur wahi – tino ka combination hi asal hidayat hai.”

FAQs

Q: Kya Islam science ko reject karta hai? A: Bilkul nahi. Islam to sab se pehle “Iqra” ka hukm deta hai – science aur observation Islam ka part hain.

Q: Kya Allah ke wajood ka scientific proof hai? A: Allah ka wajood logical aur philosophical daleel se samjha ja sakta hai – jaise design, order, purpose. Science ka kaam proof nahi, explanation hai.

Q: Kya scientist Allah mein yaqeen nahi rakhte? A: Aise kai mashhoor scientist (Newton, Einstein) Allah ya ek Supreme Power mein yaqeen rakhte the. Sirf science padhne ka matlab atheist hona nahi.

Q: Kya quantum physics God ko reject karta hai? A: Nahi. Quantum theory uncertainty ko accept karti hai – lekin yeh Allah ke wajood ko reject nahi karti. Aksar atheist yeh misuse karte hain.

Q: Kya har cheez scientific hone chahiye? A: Nahi. Love, justice, beauty, dreams – yeh sab non-scientific cheezein hain, lekin sab log inhe maanta hai.

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