Aksar log apne zehni shak aur confusion ka izhar ek jumle me karte hain: “Mujhe Khuda samajh nahi aata.” Is baat ko wo is daleel ke taur par pesh karte hain ke agar aqal Khuda ko nahi maanti, to phir us ka wajood nahi hai. Lekin sawal ye uthta hai ke kya sirf aqal hi sachai ka scale hai? Kya jo cheez samajh na aaye, wo waqai exist nahi karti?
Is article me hum isi logic ka postmortem karenge. Hum dekhenge ke kis tarah sirf personal understanding ko base bana lena ek khatarnaak logical fallacy hai. Aur phir batayenge ke Islam kis aqalmandi ke saath Creator ka tasawwur samjhata hai.
Transcript: (00:00) तो प्रॉब्लम ऑफ इवल की वजह से आपके जहन में एक्जिस्टेंस ऑफ गॉड के ताल्लुक से सवाल आया है ना जी जी आया तो प्रॉब्लम ऑफ इवल की वजह से ना रेशनल की वजह से रेशनल की वजह से आया अच्छा ठीक है चले सही है बहुत बड़ा लफ्ज आपने बोला है तो हम जरा रेशनल को देखते हैं जी तो क्या है रेशनल के गॉड एजिस्ट नहीं करता अभी आप ये कह रहे हैं कि इस कायनात के पहले क्या था साइंस को नहीं पता अगर हम फर्स्ट कॉज को गॉड मान ले तो ये भी एक हाइपोथेसिस है हमें नहीं पता कि वो गॉड है वो क्या है तो आपकी लॉजिक ये है ना किई मुझे नहीं पता कि वो गड मैं क्यों मान गड लॉजिक तो हु ना सिंपल
(00:33) सी बात है बस इसी को हम टेस्ट करते व गड हो सकता है लेकिन वो इस्लाम वाला है या कोई और है कोई टने दिया आप नाम पर गौर करें ना साल का आप सवाल पूछ रहे हैं अरे भाई रेशनल के ऊपर बात चल रही है रैशनल के ऊपर मैं रेशनल को मानता हूं सच्चाई अब देखो इतनी आसान आसान करके मैं बात करता हूं आपको अगर यह समझ में नहीं आ रही है तो आप रशन की बुनियाद पर खुदा जैसे कांसेप्ट को है ना उसको आपने उस पर कैसे डिसाइड कर लिया कि खुदा नहीं है बस मेरी अकल में नहीं आता इसलिए मैं नहीं मानता अकल का कसूर है मेरे भाई इलाज कराओ अकल का कुसूर है कुरान मजीद की आयत के बारे में जो सवाल
(01:30) जाते जी उनमें सर फलत की आयत नंबर न से 12 तक इसमें बयान किया गया जमीनों आसमान की तली के बारे में जी व ब्लेम करते हैं फ वालेकुम सलाम कौन आए है पाकिस्तान पाकिस्तानी एथ जी भाई जी मेरा कुरान मजीद पर एक सवाल है अच्छा पहले तो मुझे य बताए एथम कब से इख्तियार किया आपने कितने साल हो गए बस य कोई दो एक डेढ़ साल हुआ है बस अच्छा तो प्रॉब्लम ऑ इवल की वजह से की क्या येंस ड पूछा करें पूछे प्रॉब्लम ड चल रही है तो प्रॉब्लम ऑ इवल की वजह से आपके जहन में एेंस ऑफ गड के तालुक से सवाल आया आया तो प्रॉब्लम ल की ज से टी की वजह से रेलिटी की वजह से अच्छा
(02:33) ठीक है चले सही है बत ल आपने बोला है तो हम जरा रेलिटी को देखते हैं जी तो क्या है रशन के गॉड एसिस्ट नहीं करता देखि मैं जो ना वो सच्चाई को तलाश करना चाहता ऐसा नहीं है कि ये गलत है इस्लाम गलत है थम ठीक है जो सच है ना हमे सच के साथ खड़ा होना हम इसी पर बात करते हैं कि हमेशा सच के साथ खड़ा होना चाहिए सच को पहचानने का क्या तरीका आपके जहन में है लॉजिक और रीजन रेलिटी ठीक है लॉजिक रीजन रेलिटी आप इतने बड़े बड़े लफ्ज बोल दिए आपने आप मुझे एक वाज अंदाज से बताएं कि मान लो एक सच एक सच है लेकिन दो लोगों में इख्तिलाफ हो रहा है दोनों लॉजिकल बात कर
(03:18) रहे हैं एक कह रहा है कि ये सच है दूसरा कह रहा है सच नहीं है दोनों के पास लॉजिकल आर्गुमेंट है अब कैसे मानेंगे आर्गुमेंट को देखेंगे ना कैसे देखेंगे कौन सा अकल में आता है मतलब आपकी पर्सनल अकल में वह कैसे आ रहा है तो बाज मर्तबा एक आदमी की अकल में इमोशंस उसके अपने इमोशंस की वजह से वो चीज ज्यादा अपीलिंग होती है व समझता है कि रैशनल है अब कैसे आप सेपरेट करेंगे इमोशन रेलिटी को वो तो जैसे अपना दिमाग करेगा अब इसमें क्या कर सकते मिसाल के तौर पर मैं आपको एक लॉजिक देता हूं के भाई इस कायनात का जो हमय इस कायनात के इंफिनिट होने में
(03:57) कोई प्रॉब्लम नहीं है इस कायनात को प जब ये आई 14 बिलियन साल पहले उससे पहले दूसरी कायनात थी उससे पहले दूसरी कायनात थी मैटर हमेशा से एजिस्ट करता आया है बस ये अलग-अलग फॉर्म में सामने आ रहा है जैसा कि हम आज भी देखते हैं अपनी आंखों से कि एक मैटर है कभी वो किसी फॉर्म में आ जाता है कभी किसी फॉर्म में और वैसे भी लॉ ऑफ थर्मोडायनेमिक्स है कि मैटर एंड एनर्जी कैन नॉट बी क्रिएटेड्रॉअर्नेविगेटर मैटर कैन नेवर बी क्रिएट नर कैन इट बी डिस्ट्रॉयड और मैटर जो इफिट टर क्रिएट हो स बाद क्रिएट हुआ है के बाद बिग बैंग के बाद अच्छा बिग बैंग से पहले व तो साइंस को
(04:47) नहीं पता तो हम क्या कह सकते हैं मैंने इसलिए आपसे पूछा एक साइंस में थोरी जो है मल्टीवर्स की है इस यूनिवर्स को कस किया दूसरे यूनिवर्स ने इस तबार से जो मैटर है वो इंफिनिट है जी य थेसिस है लेकिन ये कहीं ना कहीं मैथमेटिक्स या कैलकुलेशन में आता है लेकिन इसके बिग बैंग से ये कह देना कि फर्स्ट काज जो है वो गॉड था ये एक हाइपोस है य ठीक है ठीक है ठीक है सुन लीजिए सुन लीजिए एक मिनट मुझे एक बात बताए कि आपने गॉड के नॉन एक्जिस्टेंस की एक लॉजिक पेश की कि भाई हमें नहीं पता ठीक नहीं जब हम देखें वो देखें अगर हम फर्ज कर ले कि फर्स्ट काज जो है वो गॉड है फर्ज कर ले
(05:37) नहीं अभी वो बाद में करेंगे फर्ज अभी आप ये कह रहे हैं नहीं सुन लीजिए सुन लीजिए स्टेप बाय स्टेप चलेंगे ना अभी आप ये कह रहे हैं कि इस कायनात के पहले क्या था साइंस को नहीं पता अगर हम फर्स्ट कॉज को गॉड मान ले तो यह भी एक हाइपोथेसिस है हमें नहीं पता कि वो गॉड है वो क्या है तो आपकी लॉजिक ये है ना कि भाई मुझे नहीं पता कि वो गॉड है मैं क्यों मानू गड लॉजिक तो य हुई ना सिंपल सी बात है जी जी जी बस इसी को हम टेस्ट करते हैं ठीक यह लॉजिक है कि मुझे नहीं पता इसलिए मैं गॉड को क्यों फर्स्ट कॉस को गड क्यों मानू तो क्या यह जरूरी है कि जो चीज आपको ना पता हो वह
(06:13) मौजूद ना हो देखि मैं मैंने आपको बता रहा था पहले कि फर्ज करें हम फर्स्ट कॉज गॉड रख लेते हैं मैं किसी हद तक मेरी अकल में आता है कि फर्स्ट कॉज जो है वो था और कोई चीज थी नहीं पहले इसले इस पर आ जाए इस उसूल को पहले हम सही कर लेते हैं क्या आपका ना जानना किसी चीज के मौजूद ना होने की दलील है ऐसा तो नहीं है नहीं है नहीं है नहीं नहीं है ठीक है यानी ऐसा हो सकता है कि आप नहीं जानते हो और वो चीज फिर भी मौजूद हो राइट देखि अभी बात करने देना एक बात कर बात ही तो कर रहे हैं भाई बात ही तो कर रहे हैं ना उसूल को हम हमारे यहां बात होती है उसूल की बुनियाद पर तो पहले
(06:50) उसूल टेस्ट कर लिए जाते हैं फार्मूले सेट कर लिए जाते हैं तो आपकी बात यह निकली कि आप ना भी जाने तो भी चीज मौजूद हो सकती है राइट जी जी हो सकती है हो सकती ठीक है अब आ जाए आप अब आगे बत आगे बात कर फ फर्ज करते हैं कि फर्स्ट कॉज गॉड है तो हम इस्लाम मैं इस्लामिक बैकग्राउंड से था जी तो हमने फर्ज तो कर लिया कि वो गॉड है तो इस्लाम में जो उसकी किताब है यानी कुरान मजीद तो हम उसको पढ़ते हैं कि क्या ये खुदा के अल्फाज हो सकते हैं जो बिलियस ऑफ गैलेक्सी का क्रिएटर है य स ये सारे इमोशनल आर्गुमेंट है बात ये नहीं है बात यह है कि आपने फर्ज कर लिया कि गॉड है अब
(07:37) इसमें रेशनल प्रॉब्लम बताए इमोशनल प्रॉब्लम नहीं रेशनल प्रॉब्लम बताए कि इसमें कोई प्रॉब्लम है रशन देखि वो गॉड हो सकता है लेकिन वो इस्लाम वाला है या कोई और है कोई डी आर्मेंट आपने दे दिया हमम हरत आप नाम पर गौर करें ना है अरे ये तो नहीं गया पहले खामोश मैं सवाल करने लगा था आपने टोक दिया एक कुरान मजीद की आयत खोली है मैंने नहीं नहीं रुक जाइए रुक जा रुक जाइए पहले हम बात करते हैं कि वो जो फ बात करने दीजिए मुझे ये करने स्टेप बाय स्टेप चलेंगे भाई फर्स्ट कॉज जो है उसके खुदा होने में क्रिएटर होने में कोई रैशनल प्रॉब्लम है है हां वो बताए क्या है
(08:30) वो कैसे हम मान ले कि वो कोई कॉन्शियस बीइंग थी और वो थी तो वो कहां से आई ना य आपको पता नहीं आप पहले कह चुके कि आपका ना जानना उसके मौजूद ना होने की तो दलील है ही नहीं आप य क मुझे नहीं पता हा नहीं पता लेकिन ता होने से यह कहा लाजिम आया कि मैं मानूंगा नहीं यानी यानी य तो आर्गुमेंट ोरस है यानी आर्गुमेंट फम इग्नोर मैं चक जानता नहीं इसलिए मानता नहीं एविडेंस नहीं एविडेंस ना होना किसी के मौजूद ना होने की दलील तो नहीं है ना अब देखि मैं 18 साल का हूं आप इतने मुश्किल सवाल पूछ रहे हैं अरे भाई रशन के ऊपर बात चल रही है रशन केपर मैं रशन को
(09:13) मानता हूं सच्चाई अब देखो इतनी आसान आसान करके मैं बात करता हूं आपको अगर यह समझ में नहीं आ रही है तो आप रेशनल की बुनियाद पर खुदा जैसे कांसेप्ट को है ना उसको आपने उस पर कैसे डिसाइड कर लिया कि खुदा नहीं है बस मेरी अकल में नहीं आता इसलिए मैं नहीं मानता अकल का कसूर है मेरे भाई इलाज कराओ अकल का कुसूर है अच्छा एक आयत आयत है मेरे पास जी अगर आप आयत रख अपनी जेब में बात अकल की है आपने कहा मेरी अकल में नहीं आ रही तो हम अकल का इलाज करेंगे ना अकल का इलाज आयत से नहीं होगा अकल का इलाज होगा अकल लोहे को लोहा काटता है आपका लोहा बिल्कुल बेकार है अब हमारा लोहा
(09:48) हथोड़ा भर बरसेगा आपके लोहे आप इसका जवाब दे दे हो सकता है मैं इस्लाम में वापस आ जाऊ क्योंकि कुछ आयात है ये सूर फसल की मैं एक चीज आपसे कह देता हूं पहले ही कि जब आप ये ये बता देंगे ना कि मुझे खुदा के फर्स्ट कॉस के खुदा होने में क्रिएटर होने में कोई रैशनल प्रॉब्लम नजर नहीं आती है जेनुइनली आप इसका इकरार कर लेंगे ईमानदारी के साथ तो मैं आगे बढूंगा लेकिन अगर आप यह कहेंगे ना कि मुझे फर्स्ट कॉस के क्रिएटर होने में रैशनल प्रॉब्लम है तो मैं किसी आयत पर आपसे क्यों बात करूं इस वेस्ट ऑफ टाइम देखि बात सुने बात सुने बात सुने ना देखिए मैं आपको
(10:29) कह रहा हूं मेरी अकल में यह फर्स्ट काज आर्गुमेंट आता है कि कोई फर्स्ट काज होगा हो सकता है वो खुदा हो लेकिन हो सकता नहीं आप ये कह रहे आप ये बताए कि उसके क्रिएटर होने में क्रिएटर होने में कोई रैशनल प्रॉब्लम है रशन प्र नहीं है नहीं है ठीक है उसके क्रिएटर होने में अब कोई रैशनल प्रॉब्लम नहीं है फर्स्ट कॉज खुदा हो सकता है रशन कोई मसला नहीं है ठीक है यहां तक बात हो गई कोई मसला नहीं चले जी अब आगे बढ़े कुरान मजीद की आयत के बारे में जो सवाल उठाए जाते हैं जी उनमें सूर फसत की आयत नंबर न से 12 तक इसमें बयान किया गया जमीन और आसमान की खलीक के बारे
(11:16) में चले वही चलते हैं सूर फिलत आप निकाले या मैं एक बा बताओ अच्छा ठीक है आप 18 साल के हैं जी 18 साल के हैं आपको मालूम है मैं कितने साल से कर रहा हू नहीं आप तो काफी अर्से से आपने उ अवस इकबाल के साथ की थी उसको थो दिया था आपने हम मानते हैं कि सु सुनि आपको मालूम है कि मैं स्ट्रीम कर रहा हूं कम से कम चार पाच साल 6 साल से तो लगातार हो रही है उससे पहले 2017 से मैं वीडियोस बना रहा हूं इन मजुआ पर अभी 2025 है 2017 में आपकी उम्र क्या थी सा साल पहले अभी आप 18 को हो ना सा साल पहले तो मेरे भाई इन मज इस सूरत के ऊपर सूर फलत के ऊपर वीडियो में 171 में बना
(12:12) चुका ठीक है इय जो सवाल आप जिस वक्त आप गली में चड्डी पहन के क्रिकेट खेल रहे थे उस वक्त वीडियो बना रहा था इन मजूत के ऊपर और मैं बात कर रहा था कि इसमें कोई कांट्रडिक्शन नहीं है कोई प्रॉब्लम नहीं है उस सूरत में भी में आप य तो क ना आप य तो कहेंगे ना कि छ आसमान है कि आठ नहीं यह बात नहीं है यह बात नहीं है चलो आगे बात करते इसका जवाब दे हो सकता है इस पर जो इलाफ है मेरा वो शायद हट जाए ठीक रुक जाइए मैं उस सूरत पर आप सबसे पहले चलता हूं सूरे फलत नहीं मेरे पास लिखी हुई है अगर मेरे पास भी है जी बोलू बोले हां बोले इसमें कहो क्या तुम इससे इंकार करते
(13:08) हो जिसने जमीन को दो दिन में पैदा किया और बुतों को उसका मुकाबल ठहराते हो वही तो सारे जहान का मालिक है किसको बुतों को बत आइडल्स आइडल यह हार सुल्तान से लेकर आए आप ट्रांसलेशन इसकी नहीं ये तफसीर इने कसीर य ये तर्जुमा क्या किया इसने ब बुतों को कुतो को चले आगे बोले और उसी ने जमीन में उसके ऊपर पहाड़ बनाए और जमीन में बरकत रखी और इसमें सब सामान मशत मुकर्रर किया सब चार दिन और तमाम तलब गारों के लिए यक फिर आसमान की तरफ मुत वज्जा हुआ और वह धुआं था तो उसने उससे और जमीन से फरमाया कि दोनों आओ खवा खुशी से ख ना खुशी से
(14:14) उन्होंने कहा कि हम खुशी से आते हैं फिर दो दिन में सात आसमान बनाए और आसमान में उसके काम का हुक्म भेजा और हमने आसमान दुनिया को चिरागों यानी सितारों से मुजन किया इनम बताया जा रहा है कि जमीन पहले बनी और सितारे बाद में बने जमीन पहले बनी इसमें यह कंफ्यूजन है आपको अल्लाह ने पहले बोला कि उसने वजला फरवा मनया के जमीन के अंदर पहाड़ बनाए उसमें बरकत दी और चार दिनों के अंदर और उसके बाद वह आसमान की तरफ मुतजेंस हम तन आते हैं समावा और उसने सात आसमान का फैसला कर दिया दो दिन में कहु सात आसमान का फैसला कर दिया दो दिन में अच्छा अब यहां आप मुझे यह बताए के
(15:16) अल्लाह ताला आगे कह रहा है व समानिया मसाब के हमने आसमान दुनिया को सितारों से सजाया और हमने आसमान दुनिया को सितारों से सजाया और हमने ये जो वाव है यह किसी चीज की तरतीब को बयान करने के लिए नहीं आता है यह मुतलू कि भाई आज हमारी स्ट्रीम में पाकिस्तानी एस्ट और इसी तरीके से गोदी मीडिया आया व क्या नाम था उसका गोदी मीडिया वाला अब मैं और गोदी मीडिया वाला उसका नाम ले रहा हूं बाद में पाकिस्तानी थ इसका नाम ले रहा हूं पहले जबक तरतीब इसकी उलट थी पहले गोदी मीडिया वाला आया फिर आप आए लेकिन मेरा यह जुमला एब्सलूट ट्रू है क्यों जो लफ्ज और है यह इवेंट्स की तरतीब
(16:05) को ऑर्डर को बयान करने के लिए नहीं आता बल्कि इवेंट्स हुए हैं इसको बयान करने के लिए आता है जब अल्लाह ने ये बात कर दी कि भा सात आसमान को जो है सारी चीजों को पूरे को सात दिनों के अंदर सबा समावा सात आसमानों को दो दिनों के अंदर उनका फैसला कर दिया अब वो एक नई बात बता रहा है एडिशनल व समानिया मसाबी कि हमने आसमान दुनिया को सितारों से सजाया इसका मतलब यह नहीं है कि जमीन पहले बनी फिर सितारे बने तरतीब की बात य होही नहीं रही वाव का लज है फ नहीं है सुम्मा नहीं है देखि लिखा है फिर आसमान की तरफ मुत ये तो आपने ये तो आप तर्जुमा पढ़ रहे इस बोल रहा हूं वाओ अच्छा
(16:40) फिर आसमान की तरफ हा व वहा ठीक है फिर आसमान की तरफ मुत हुआ वहां ये कहा लिखा हुआ है कि आसमान को उसने सजाया सितारों सेमान की तरफ मुत होने का मकसद य है कि आसमान एजिस्ट करता था तो मुत हुआ है ना और उन सा दिया उन सुनिए सुनिए सुनिए उनको सात करार दे दिया यहां एक एक क्रोनोलॉजिकल ऑर्डर आ गया ठीक मुझे यह बताएं कि आगे जहां कुरान यह बात कर रहा है कि उसने सितारों से सजाया वहां पर फा दिखता है आपको फिर या उसके बाद ऐसा कोई लफ दिख रहा है उर्दू तर्जुमे में भी नहीं नहीं और लिखा है ना जी और लिखा है और लिखा है और और हर जमाने जबान में उर्दू हो वो अरबी हो जितनी
(17:28) भी जबान है इन में और एंड या वाओ अरबी में यह तरतीब को बयान करने के लिए नहीं आता यह मुख्तलिफ इवेंट्स को एक साथ बयान करने के लिए आता कि इवेंटस हुए ट्स ल उसकी तरतीब क्या थी इसका जिक्र इसम नहीं है च फिर गौर करूंगा मैं इस पर हा लेकिन अब गौर करने के लिएने कहा ला में वापस आ रहा हूं हा जी और और अगर आप एक सवाल करने दे या आपके पास टाइम बोले बोले लास्ट क्वे है लास्ट क्वेश्चन है चले हा ज्यादातर बनू कुरेजा के वाक पर सवाल उठाया जाता है उस परर भी हमारी एक वीडियो है बनू कुरेजा के ताल्लुक से मेरी पूरी एक वीडियो है आप डालेंगे खाम वो रिपीटेशन हो जाएगा
(18:09) ना तो एक आप डाले मेरा नाम डाल बनू कुरेजा वो वीडियो आ जाएगी इंशाल्लाह उसको देख लीजिएगा ठीक है अच्छा अच्छा छोटा छोटा सा क्वेश्चन है कि बनू कुरेजा ने यानी वादा खिलाफी की थी या उन क्या किया था उन्होंने मैं अगर वीडियो देखेंगे तो आपको पता चल जाएगा वादा खिलाफी तो अपनी जगह है ही उन्होंने मुसलमानों की तमाम औरतों को कत्ल करने का प्लान किया था और वहां उस किले में पहुंच भी गए थे कि जहां आप सलम ने मुस्लिम औरतों को रखा हुआ था जिसमें आप स सलम की अवाज उम्मत मोमिनीन भी थी अगर हजरत सफिया रजि अल्लाह अन्हा की बहादुरी उस दिन ना होती तो कितनी औरतें शहीद हो
(18:47) चुकी होती यह जुर्म था चल ठीक है मैं अभी जाके देखता हूं चल जी ठीक अल्लाह ताला सच्चाई आपको हिदायत हकला साब का रास्ता हमर कर बहुत शुक्रिया बहुत शुक्र चलिए ठीक है
Table of Contents
Key Takeaways:
- Har wo cheez jo aqal me na aaye, zaroori nahi ke vo exist na karti ho.
- “Mujhe nahi pata” ka matlab “ye hai hi nahi” nahi hota – ye Argument from Ignorance fallacy hai.
- First Cause (Asal Sabaab) ka idea scientifically aur rationally accepted concept hai.
- Islam ka Allah ka tasawwur pure logic ke sath bhi match karta hai.
- Qur’an ka science se contradiction ka ilzaam misunderstanding par mabni hai.
Aqeedah Ya Aqal? Kya Har Cheez Samajh Mein Aani Chahiye?
Aksar log apne limited understanding ko universal standard bana lete hain. Wo kehte hain:
“Khuda meri aqal me nahi aata, is liye main nahi maanta.”
Ye baat ek Argument from Personal Incredulity fallacy hai — yani agar mujhe koi cheez ajeeb lagti hai ya samajh nahi aati, to wo ghalat hi hogi. Lekin duniya ki bohot si scientifically proven cheezein pehle insan ko samajh nahi aayi thi, lekin wo phir bhi exist karti thi.
Ek Misal:
Radiation pehle na dekha gaya, na samjha gaya, lekin phir bhi vo tha. Kya hum us waqt ke logon ke kehne par us ka inkari ho jaate?
Isi tarah, agar koi Allah ko samajh nahi pa raha, to ho sakta hai uski aqal ka zawiya, training, ya exposure kamzor ho — na ke Allah ka wajood.
Kya “Na Pata Hona” Saboot Hai “Na Hone” Ka?
Jab koi kehta hai:
“Humein nahi pata ke first cause kya hai, is liye Allah ko kyun maan lein?”
To ye ek classic Argument from Ignorance hota hai. Matlab: “Mujhe nahi pata, is liye koi jawab nahi hai.” Lekin ye logic to kisi bhi cheez ke liye apply ho sakta hai — “Mujhe nahi pata us aadmi ne kya kiya, is liye wo qatil hoga.”
Ye reasoning scientifically bhi reject ki ja chuki hai. Absence of evidence is not evidence of absence.
Kainaat Ka First Cause – Scientific Ya Religious?
Jab hum universe ki asal ko samajhne ki koshish karte hain, to Big Bang ek major concept ke taur par samne aata hai. Lekin Big Bang se pehle kya tha? Science kehti hai: “We don’t know.”
Lekin Islam is blank ko logic se fill karta hai — ke har effect ka cause hota hai, to ye kainaat bhi kisi cause ka natija hai. Us first uncaused cause ko Islam “Allah” kehta hai.
Logical Explanation:
- Har cheez jis ka aghaaz ho, us ka sabab hota hai.
- Universe ka aghaaz hua (Big Bang theory).
- Is ka matlab hai ke koi cause zaroor tha.
- Us cause ko agar eternal, intelligent aur all-powerful samjha jaye, to wahi Khuda hai.
Yani Allah ka tasawwur First Cause ke logical model me bilkul fit hota hai.
Kya Khuda Islam Wala Hi Hona Chahiye?
Ek aur shak ye uthta hai:
“Maan liya ke first cause hai, lekin wo Islam wala Allah kyu?”
Yahan sawal Allah ke existence ka nahi, balki identity ka hai. Iska jawab ye hai ke jab hum Qur’an jese texts ko dekhte hain, to un ka claim sirf spiritual nahi, rational bhi hai. Qur’an apne lafzon me, structure me, aur mu’jiz (miraculous) aspects me challenge deta hai.
Aqalmand shakhs ke liye ye zaruri hai ke wo Quran ka mutaala kare aur phir evaluate kare ke kya ye baat sirf claims hain, ya actual signs of divine authorship.
Logical Fallacy: Emotional Reasoning
Bohat log is debate me apne emotions ke basis par faisla karte hain:
“Mujhe Allah ka concept depressing lagta hai” ya “Mujhe free rehna hai.”
Lekin ye reasoning Emotional Reasoning Fallacy ke zair me aati hai. Yani: “Mujhe acha nahi lagta, is liye sahi nahi hoga.”
Sachai ka scale “pasand” nahi, “dalil” hota hai.
Qur’an Aur Science – Tazaad Ya Ghalat Fehmi?
Kuch log Qur’an ki ayat ka matlab literal samajh kar usse science se clash karwa dete hain. Jaise, jab Qur’an kehta hai ke “zameen 2 din me bani aur phir asmaan banaye gaye”, to log kehte hain ke “Earth pehle kaise ban gayi jab stars baad me bane?”
Lekin Arabic grammar me “wa” yaani “aur” ka matlab zaroori nahi ke tarteeb (sequence) ka ho. Wo sirf alag alag waqiat ka zikr hota hai.
Yani Qur’an kisi scientific contradiction ka sabab nahi, balki samajhne me ghalati ka nateeja hota hai.
Conclusion
Aaj ke logical daur me, bohot se log religion ko irrational samajhne lage hain. Lekin agar ghor kiya jaye to aksar objections ya to fallacies par mabni hote hain, ya incomplete information par.
Islam na sirf khuda ke wajood ko rationally establish karta hai, balki insan ki fitrat, duniya ki purpose, aur akhirat ka system bhi ek logical structure ke sath samjhata hai.
Agar kisi ko Khuda samajh nahi aata, to ho sakta hai masla uski samajh me ho — na ke Khuda me.
FAQs
Q: Agar Khuda aqal se samajh nahi aata, to kya uska maana be-aqli hai?
A: Nahi. Khuda ko maan’na irrational nahi, balke super-rational hai — yaani wo logic ke khilaf nahi, lekin us se uncha hai.
Q: First Cause ko Allah kyu kaha gaya, koi aur cheez bhi to ho sakti hai?
A: Islam ka claim hai ke Qur’an ek aisa kalaam hai jo kisi insani shakhsiyat ka ho hi nahi sakta. Is wajah se Qur’an ka khud ko “Allah ka lafz” kehna ek rational base provide karta hai.
Q: Kya Allah ko samajhne ke liye sirf science kaafi hai?
A: Science natural cheezon tak limited hai. Allah supernatural hai — us tak pohanchne ke liye reason, fitrah, aur revelation ka combination chahiye.
Q: Kya Qur’an me scientific contradictions hain?
A: Nahi. Jitne bhi contradictions dikhte hain, wo ya to Arabic grammar ke misunderstanding ki wajah se hote hain ya context ko ignore karne ki wajah se.
Q: Kya khuda ke wajood par yaqeen logical hai?
A: Bilkul. Har logic ka aakhri sawal Allah tak le jaata hai — chahe wo cause-effect ka concept ho ya purpose of life.






