Kya Islam Insaan Ki Paidaish Mein Bhi Insaaf Karta Hai?

Zindagi mein kuch sawalat dil ko chhoo jaate hain. Aise sawalat jo sirf zehni behas nahi hote, balki insaan ke jazbaat, dukh aur soch ko choo kar guzarte hain. Aik aisa sawal hai: “Agar Allah insaaf karne wala hai, to koi bachpan se loola, andha ya bemaar kyun paida hota hai?” Kya yeh na-insaafi nahi?

Yeh sawal sirf jazbaati nahi, balki logical bhi hai. Magar iska jawab bhi utna hi gehra, insaf par mabni aur umeed dene wala hai. Aaj ke is maqalay mein hum kuch ahem objections ka samna karenge jo aam tor par atheists ya agnostics uthate hain – aur unka logical, Islamic jawab samjhayenge.



Transcript: (00:00) सपोज कोई लंगड़ा पैदा हुआ उसकी जिंदगी बहुत खराब है पैदा वो पैदा ही लंगड़ा हुआ फिर इसने इसने क्या गलती करी इसके साथ अल्लाह ने इसके साथ भगवान ने इंसाफ नहीं करा इसे ऐसा बनाया इसे ऐसा क्यों बनाया और तुम्हें ठीक क्यों बनाया बिल्कुल तो अब ये बताइए उस बंदे की गलती क्या है जो उसे ऐसा पैदा करा ऊपर वाले ने पिछले जन्म में जिसने जुर्म किया था वो कौन सा जुर्म किया था जिसकी वजह से लोग लंगड़े पैदा होते हैं ताकि फिर सारी दुनिया वो जुर्म करना छोड़ दे अगले जन्म में सब के सब बिल्कुल सही सलामत पैदा हो कोई लंगड़ा पैदा ना हो तो जुर्म बताएं जरा मुफ्ती साहब वो बात होती

(00:30) है ना पिछले जन्म में क्या पता क्या खराब गलत कर्म किए होंगे और इस जन्म में आपको सजा मिल रही है ये नहीं पता किस जुर्म में बताओ ये इंसाफ है अल्लाह ने मुझे सनातन धर्म में पैदा क्यों करा अल्लाह ने मुझे इस्लाम धर्म में पैदा क्यों नहीं करा दिया ये बताओ क्या आप अच्छा ठीक है आपको आप तो सनातन में ही पैदा हुए थे ना बिल्कुल फिर निकले क्यों नहीं मैं निकला नहीं हूं अभी तो आपने कहा कि मैं नास्तिक हूं मैं नास्तिक हूं तो नास्तिक तो वही होता है ना जो किसी धर्म को नहीं मानता हां हां कुछ भी समझ लो मतलब आप निकल गए या बात नहीं होल्ड ऑन होल्ड ऑन कुछ भी कैसे समझ ले भाई

(00:59) बिल्कुल वाज़ हो गई दो चार की तरह आप मुझे आप मुझे छोड़ दो आप मुझे छोड़ दो छोड़े आपको आप ही ने तो सवाल किया कि मुझे क्यों पैदा किया सनातन में हम तो नहीं छोड़ते अब औरों को सनातन और जब भगवान ने जो ऊपर अल्लाह बैठा गॉड बैठा है जो भी आप उसे मानते हो उस अल्लाह ने जब सबको बनाया क्रिश्चियन में क्रिश्चियनिटी में क्यों पैदा करा लोगों को सब क्रिश्चियन उसने सब आप मेरे भाई को क्यों पैदा करा सनातन में सनातन धर्म में अल्लाह ने चलो हां मैं यहां पर हार गया आप जीत गए अब जी भाई तो मुझे ना मुझे आपसे बहुत मेन बात करनी थी जी वो यह थी एक ना सनातनी है वैसे मैं भी

(01:32) मैं भी वैसे हिंदू ही हूं मैं भी सनातनी हूं लेकिन मैं किसी भगवान को नहीं मानता मैं नास्तिक हूं हम मेरे भी कुछ प्रश्न है मैं वो बाद में करूंगा लेकिन जो मेरी मेन बात है पहले एक बार वो सुन लो आप एक ना सनातनी है उसका YouTube चैनल है उसका चैनल बताऊंगा आपको मैं तो उसने इस्लाम के कई बंदों के साथ डिबेट की और उसने लगभग लगभग सभी को जो है चुप कर दिया उसके ऐसेसे साक्ष्य है हम तो जी मेरा वो है बस जो मेरी मेन बात मैं आपको यही कहने आया था उसके साथ डिबेट करें एक बार वो किसी मुस्लिम स्कॉलर्स के तलाश में है तो मैंने उनसे भी बात की और मैंने अब मैं आपसे आगे

(02:12) बात कर रहा हूं कौन है भाई वो छुपे हुए पर्दों सात पर्दों के पीछे उन्हें निकाल कर तो लाए थे आपने कौन है वो मैं आपके हां शिवश नारायण है उसका नाम ठीक त्रिवेदी यही है तो देखिए जिस तरह आप आए हैं जैसे आप आए हैं ना ऐसे ही आप उसको कह के यहां पधारे रेड कारपेट वो ये कहता है वो ये कहता है मैंने उनसे बात की थी मैं कहा भाई उनके साथ मुफ्ती से मुफ्ती साहब के साथ बात करनी है तुम्हें वो डिबेट करनी है वो कह रहा है वो हमारे चैनल पे जाए वो ये बात कह रहा था वो ये कह रहा था हमारे चैनल पे नहीं आ सकते तो कोई बीच का चैनल ढूंढ लेंगे डिबेट के लिए हां

(02:44) तौहीद भाई का है ना बीच का चैनल अब मेरा मेरे कुछ सवाल है हां मेरे कुछ सवाल है अब सनातन धर्म पुनर्जन्म को मानता है दोबारा जन्म होता है तो मेरे से ना मेरे हां तो अब ये बताइए मुझे आप अब हमारे यहां पे सपोज कोई लंगड़ा पैदा हुआ उसकी जिंदगी बहुत खराब है पैदा वो पैदा ही लंगड़ा हुआ ठीक है और वो जो है मांगता फिरता रहा भीख मांगता फिर रहा उसकी जिंदगी बहुत खराब है तो हमारे यहां एक गुरु ये कहवे कि अब इसकी जिंदगी खराब है इसके इसके पिछले जन्म में जन्म में कुछ कर्म है जब जाकर इसने ये भरा वरना फिर इसने इसने क्या गलती करी इसके साथ अल्लाह

(03:23) ने इसके साथ भगवान ने इंसाफ नहीं करा इसे ऐसा बनाया इसे ऐसा क्यों बनाया और तुम्हें ठीक क्यों बनाया बिल्कुल तो उसके पिछले जन्म के कुछ कर्म है हम तो अब ये बताइए उस बंदे की गलती क्या है जो उसे ऐसा पैदा करा ऊपर वाले ने तो ये बात आप हमसे क्यों पूछ रहे ये तो सनातनियों से पूछो ना जो पुनर्जन्म में यकीन रखते हैं नहीं पुनर्जन्म में पुनर्जन्म में यकीन पुनर्जन्म को और मानने का ना जभी जाएगा उसको तब मिल सकेगा जी अच्छा अगर पुनर्जन्म को ना माने तो फिर तो आप नास्तिक ना ठहरे ना फिर तो आप पक्के सनातनी है हां हां मैं तो मैं तो आपसे एक

(04:03) एज ए सनातनी के हिसाब से सवाल पूछ रहा हूं मैं मानता किसी को नहीं अच्छा ठीक है यानी दूसरों के सवाल है वरना बहुत ही ठीक ठीक ठीक ठीक तो ये जो लंगड़ा पैदा हुआ है पिछले जन्म में जिसने जुर्म किया था वो कौन सा जुर्म किया था जिसकी वजह से लोग लंगड़े पैदा होते हैं ताकि फिर सारी दुनिया वो जुर्म करना छोड़ दे अगले जन्म में सब के सब बिल्कुल सही सलामत पैदा हो कोई लंगड़ा पैदा ना हो तो वो जुर्म बताएं जरा मुफ्ती मुफ्ती साहब वो बात होती है ना पिछले जन्म में क्या पता क्या खराब गलत कर्म किए होंगे और इस जन्म में जब आपको सजा मिल रही

(04:37) है यह नहीं पता किस जुर्म में बताओ यह इंसाफ है अगर मान लो आपको आज फांसी के फंदे पे लटका दिया जाए और यह ना बताया जाए कि आपको क्यों लटकाया जा रहा है तो यह इंसाफ होगा जी नहीं ये तो बात आपकी सही है तो अच्छा ये बताओ चलो आपकी ये बात मैं आपकी सही मान गया अब आप मुझे अब आप मुझे ये बताओ उसकी गलती क्या है आप अपने इस्लाम के अनुसार बताओ नहीं नहीं अभी रुक जाए इसका मतलब ये हुआ कि ये जो लंगड़ा पैदा हुआ है या कोई अंधा पैदा हुआ है ये किसी पिछले जन्म की गलती की वजह से नहीं हुआ ये तो तय हो गया ना ठीक जी अब अगर अब अगर मान लो मैं आपको एक मिसाल दे रहा हूं ठीक है आपके पास

(05:19) आपको एक मकान खरीदना है और आपके पास मान लो ₹1 लाख हैं और आपको ये कहा गया कि देखो भाई एक तो ये मकान है सामने है खंडर है इसके अंदर आपको पैसा बहुत लगाना पड़ेगा इसमें फर्नीचर नहीं है कुछ नहीं है ₹1 लाख में अभी आ जाएगा अच्छा जी तो एक ये है कि ₹1 लाख कुछ तो रुको एक सोसाइटी बन रही है वहां पर शानदार विलास बन रहे हैं बनेंगे दो पांच साल के बाद वो ₹1 लाख में आपको मिल जाएगा आप बुकिंग करा लो एक पांच साल के बाद आपके पास वीला आ जाएगा फुल्ली फर्निश्ड तो आपको क्या लगता है कि ज्यादा बेहतर डिसीजन कौन सा है मैं आपकी बात समझा नहीं मैं मैं समझाऊंगा

(05:59) पहले जो मैंने साहब को जवा सवाल किया है उसका जवाब दें कि खंडर में रहना अभी 1 लाख में एक खंडर आएगा और पैसे आपके पास 1 लाख 1 लाख से ज्यादा नहीं है या फिर 1 लाख में विला आएगा थोड़ी देर के बाद आएगा ज्यादा बेहतर ज्यादा बेहतर ऑप्शन कौन सा है शुरू वाला शुरू वाला ठीक लगा मुझे खंडर में रहना जी क्यों मेरे हिसाब से मैं अपनी सोच बताऊं ठीक बताइए खंडर में रहना विला के रहने में रहने के मुकाबले में ठीक क्यों है मतलब आप रुके एकदा नहीं होने के अच्छा वो बाद में जो है वो कितने कितनी देर बाद मिलेगा वो मिल जाएगा कुछ दिन के बाद अच्छा हम तो उसके साथ दूसरे वाला सही

(06:38) है फिर तो मिसाल है भाई हकीकत नहीं है अब्दुल्ला बिन हाज आ गए माशा्लाह अहन मसाला नासिम भाई भी वापस आ गए हैं अच्छा अच्छा तो जी फिर विला में रहना ज्यादा सही है ना ठीक है अब अगर कोई अब अगर कोई ये कहे कि ये तो बड़ी नाइंसाफी है कि मुझे विला फौरन नहीं मिला तो आप इसको नाइंसाफी कहेंगे नहीं नहीं ठीक एक आदमी अगर मान लो इस जन्म में लंगड़ा पैदा हुआ या उसके जिस्म में कोई दूसरा ऐब है वो नाबीना है व्हाटएवर जो भी केस है ना लेकिन उसको ये कहा जा रहा है कि देखो तुम सबर करो जब तुम्हें मरने के बाद जिंदा किया जाएगा तुम्हें जन्नत में

(07:15) जाना तुम जन्नत में जाओगे फ्री पास क्योंकि तुमने इस दुनिया में सबर किया खुदा पर ईमान लाकर तो ये ज्यादा बेहतर ऑप्शन है या ये कि एक आदमी को जो के वो ये कह रहा है कि नहीं मुझे यह बताया जाए कि मुझे नाबीना क्यों बनाया इस दुनिया में ही मुझे उसका उत्तर चाहिए इस दुनिया में ही मुझे उसका आंसर चाहिए ज्यादा बेटर क्या है कि वो पता तो आपको भी है मुझे भी है हर एक आदमी को भी उस अंधे को भी उस लूले लंगड़े को भी हर एक आदमी को मरना है लेकिन अगर लेकिन अगर किसी लंगड़े को ये कहा जाए कि तुम्हारे सब्र के नतीजे में तुम उन लोगों से भी कहीं आगे होगे कि जो बिल्कुल सही

(07:52) सालीम है उन्हें मेहनत करके वहां पहुंचना पड़ेगा तुम बगैर मेहनत के वहां पहुंचे वो अच्छा मतलब अगर कोई लंगड़ा है तो वो बिना अगर उसे बिना इस्लाम कबूल करे वो जन्नत तक पहुंच जागा इस्लाम कबूल की बात नहीं हो रही है इस्लाम तो हर एक को कबूल करना है इस्लाम तो हर एक को कबूल करना है इस्लाम कबूल करने के बाद की बात हो रही है नहीं आपने अभी ये बात कही ना अगर उसे आपको कुछ भी नहीं करना पड़ने का और आप जन्नत में पहुंच जाओगे आपने ये बात अल्लाह पर ईमान लाने के बाद मैंने साथ में ये लफ्ज भी बोला अल्लाह पर ईमान के साथ अच्छा अब मैं सनातन मैं सनातन धर्म जो है

(08:22) अल्लाह ने मुझे पैदा करा जी ठीक है जी सनातन धर्म में तो मेरी जो है अल्लाह ने मुझे सनातन धर्म में पैदा क्यों करा अल्लाह ने मुझे इस्लाम धर्म में पैदा क्यों नहीं करा ये बताओ क्या अच्छा ठीक है अगर ठीक ठीक मान लो आपका ये दावा कि भाई अल्लाह ने मुझे सनातन में क्यों पैदा किया मुझे तो इस्लाम में ही पैदा करना चाहिए था जी तो आपको आप तो सनातन में ही पैदा हुए थे ना बिल्कुल फिर निकले क्यों नहीं मैं निकला नहीं हूं अभी तो आपने कहा कि मैं नास्तिक हूं मैं नास्तिक हूं तो नास्तिक तो वही होता है ना जो किसी धर्म को नहीं मानता हां हां कुछ भी समझ लो मतलब

(09:02) आप निगल गए या नहीं होल्ड ऑन होल्ड ऑन कुछ भी कैसे समझ ले भाई आप एक धर्म में पैदा हो गए और उसके बाद उस धर्म को छोड़ के चले गए क्यों छोड़ दिया मैंने मैंने कोई धर्म पकड़ा नहीं जी पकड़ा नहीं पकड़ा था पैदा हुए थे उस धर्म में ना पैदा हुआ उस धर्म में तो अब इसकी क्या गारंटी इस्लाम में पैदा होते और इस्लाम को ना छोड़ते हां अब मेरी बात सुनो आप चलो सुन ली बिल्कुल वाज़ हो गई एक दो चार की तरह आप मुझे आप मुझे छोड़ दो आप मुझे छोड़ दो क्यों छोड़े आपको आप ही ने तो सवाल किया कि मुझे क्यों पैदा किया सनातन में हम तो नहीं छोड़ते चलो भाई

(09:36) हम नहीं छोड़ते यहीं पे सवाल यहीं पे यहीं पे सवाल एक मिनट रुको मैं यहीं पे सवाल बदलता हूं मेरे भाई को क्यों पैदा किया आप तो मुझे लेकर अब आप तो मेरे अस्तित्व को लेकर बैठ गए मेरे जन्म को लेकर बैठ गए मेरे बिलकुल आपने आप ही ने अपने जन्म को सामने रखा हमारी टेबल पे हम तो उसी को पकड़ेंगे भाई और क्या पता मैं इस्लाम में जो है मैं इस्लाम में नास्तिक ना बनता पता है एक मिनटिक ये बात ब्रेक लगा ब्रेक लगाए आसिम भाई बोले तो हम अपने ऑडियंस के लिए कहते हैं कि भाई देखें हर इंसान इस्लाम में ही पैदा होता है अल्लाह के नबी की हदीस है कि आप भी ये

(10:13) नासिक साहब भी ये भी इस्लाम में ही पैदा हुए थे ठीक है तो फिर आपके के जो लोग हैं आसपास के उन्होंने आपको गलत धर्म से इंट्रोड्यूस कराया जो भी हो एक्स व जेड और फिर आपने क्या यानी इस्लाम के अलावा अगर किसी और चीज से इंट्रोड्यूस कराया तो वो यानी सही नहीं है उसके बाद फिर आपने जिस चीज से इंट्रोड्यूस हुए थे उसको भी छोड़ के आप निकल गए तो आप असलन पैदा हुए थे इस्लाम पे फिर आपको जो है लोगों ने कुछ और इंट्रोड्यूस कराया फिर आपने उसको भी छोड़ दिया तो आप देखें आप तो अगर लोगों ने आपको इस्लाम से भी इंट्रोड्यूस कराया होता तो क्या गारंटी थी कि आप इस्लाम नहीं छोड़ते

(10:51) हालांकि आप इस्लाम पे ही पैदा हुए हैं आप अगर मैं अपनी बात दो मिनट के लिए यहां पे दो मिनट के लिए छोड़ दूं मैं दूसरे की बात करूं किसी की अपनी क्यों नहीं कर रहे आप मुझे एक मिनट के लिए मैं बताता हूं मैं अपनी क्यों नहीं कर रहा नहीं पहले ये बताओ अपनी क्यों नहीं कर रहे अच्छा एक मिनट मेरी मेरी पूरी बात सुनो आप मुफ्ती साहब नहीं पूरी बात सुनूंगा लेकिन पहले ये बताओ कि अपनी क्यों नहीं कर रहे बात दूसरे की क्यों कर रहे मेरा आप सवाल ही नहीं सुन रहे मैं बताता तो हूं मेरा पूरी बात तो सुनो हां मेरी पूरी बात सुनो हां अब औरों को सनातन और जब

(11:24) भगवान ने जो ऊपर अल्लाह बैठा गॉड बैठा है जो भी आप उसे मानते हो हम उस अल्लाह ने जब सबको बनाया इस्लाम उस अल्लाह की तरफ से जो इस्लाम धर्म है अल्लाह की तरफ से उसे तो उसने सारे ये जो है उसने इस्लाम में क्या नाम की उसने क्रिश्चियन में क्रिश्चियनिटी में क्यों पैदा करा लोगों को उसने सब क्रिश्चियन उसने सब और अपनी बात ना करो आप अपनी बात करो आपने कहा मुझे अल्लाह ने सनातन में क्यों पैदा किया अपनी बात करो ना दूसरों की छोड़ दो देखो अगर मजे लेने हैं आगे जाके वो भी आपको लेने हैं और शिताई होनी है तो वो भी आपकी होनी है जो भी कुछ होगा वो होगा तो आप ही के साथ है

(11:56) ना दूसरे की फिक्र अटेंशन करने की जरूरत ही नहीं है अपनी बताओ तो आप अपनी छोड़कर दूसरे पे काहे को जंप कर रहे नहीं अब मेरी बात ना देखो आपने मैंने यहां पे आपने नास्तिक वाली बात पकड़ हो भाई मैं पकड़नी पड़ेगी ना आपने कहा मैं नास्तिक हूं मैंने सनातन धर्म छोड़ा है खुद ही आके तो बोला क्यों छोड़ा जब अगर मान लो आपके ऐतबार से अल्लाह ने आपको इस्लाम में नहीं पैदा किया तो जिसने भी पैदा किया ना सनातन में पैदा किया तो सनातन आपने छोड़ दिया तो इसका मतलब ये हुआ कि किसी धर्म में पैदा होना होल्ड ऑन किसी धर्म में पैदा होना इस बात की गारंटी नहीं है कि उस धर्म को

(12:32) छोड़ेंगे नहीं उस धर्म को छोड़ना मुमकिन है वरना आप सनातन को ना छोड़ते अच्छा बिल्कुल अच्छा चलो आपकी बात आपकी बात चलो हां मैं यहां पर हार गया आप जीत गए अब अब मैं यहीं पे अगर दूसरा सवाल बढ़ाऊंगा अब मेरी बात सुनो अब य पे मैं अगर दूसरा सवाल बढ़ाऊंगा अपना मेरे भाई को क्यों पैदा करा सनातन में सनातन धर्म में अल्लाह ने अब ये बताओ आप आप आप अपनी बताओ ना के आपने सनातन धर्म मैं कह तो रहा हूं आपकी मैं सहमत हूं उससे ठीक है मैं हार गया अब मेरे भाई को एक्सजेक्टली जब आपने अपनी बात पर सहमति दिखा दी के इससे क्या साबित हुआ देखो आप

(13:07) लॉजिक नहीं समझ रहे इससे ये साबित हुआ कि किसी इंसान का किसी धर्म में पैदा होना इस बात की गारंटी नहीं है कि वो धर्म नहीं छोड़ेगा जैसे आपके पास आपका भाई भी छोड़ सकता है या नहीं छोड़ सकता अच्छा अगर किसी के पास अगर किसी के पास सुसमाचार नहीं है वुंसी आपका सलाम अरे वो एक अलग वो एक अलग डगर पे चले गए पहले ये बात तो तय हो गई ना कि किसी इंसान का किसी धर्म में पैदा होना इस बात की गारंटी नहीं है कि वो धर्म नहीं छोड़ेगा जैसे आपने छोड़ा आपका भाई भी छोड़ सकता है या नहीं छोड़ सकता अच्छा मेरी बात सुनिए आपने भी पहले मेरी बात का जवाब दो

(13:45) हां या ना नहीं वो गारंटी तो गारंटी तो नहीं आप उसकी एग्जांपल हो हां गारंटी नहीं है गारंटी नहीं है ठीक है जब गारंटी नहीं है कि किसी इंसान का किसी धर्म में पैदा होना इस बात की कोई गारंटी नहीं है तो ये मुतालबा के कि अल्लाह ने मुझे इस्लाम धर्म में क्यों पैदा नहीं किया यह मुतालबा गलत हो गया क्योंकि अगर पैदा कर भी देता हो सकता है कि आप छोड़ देते वो छोड़ने वाली बात अलग हो गई छोड़ने वाली अलग बात हुई है वहीं से तो शुरू हुई है सारी बात वहीं से शुरू हुई है जिस तरह बहुत से दूसरे लोगों ने मसलन एक्स मुस्लिम साहिल है एक्स मुस्लिम क्यों कहता है भाई

(14:22) इस्लाम धर्म में पैदा हुआ था छोड़ दिया ठीक है और भी दो चार लोग हैं तो ये इस्लाम धर्म में पैदा हुए छोड़ दिया हां हां जी इसका मतलब इसका मतलब इसका मतलब ये हुआ कि इस्लाम धर्म में पैदा होना इस बात की गारंटी नहीं है कि धर्म आप छोड़ेंगे नहीं साबित हो गया ना अच्छा अब यह सवाल कि क्यों नहीं पैदा किया इस्लाम में यह सवाल आपका हो गया गलत अब जो आसिफ भाई ने बात कही है वो ये है कि दरअसल आपको इस्लाम धर्म में ही पैदा किया था इस्लाम धर्म है क्या इस्लाम धर्म ये है सबमिशन टू द विल ऑफ़ गॉड यानी खुदा की मर्जी के मुताबिक जिंदगी गुजारना और

(14:58) इसका इसका अपने आप से प्रॉमिस करना कि मैं खुदा की यानी मेरे बनाने वाले की मर्जी के मुताबिक जिंदगी गुजारूंगा आप मानते हो आपकी बात समझ गया आपकी बात मैं नहीं समझे ना नहीं समझे हर बच्चा इस फितरत के साथ पैदा होता है कि वो सबमिशन करेगा और उसकी दलील पता है क्या है उसकी दलील ये है कि उसके सामने जो एंटिटी है उसके मां-बाप की वो उनके सामने सबमिट करता है इसका मतलब ये है कि उसके उसकी फितरत में है कि हायर अथॉरिटी के सामने सबमिट करना है इस फितरत के साथ वो पैदा हुआ है तो जो हाईएस्ट अथॉरिटी है ऑब्वियसली बात है कि उसके सामने तो सबमिट होगा ही होगा

(15:35) लेकिन फिर आप लोग बड़े होते हैं और बड़े होने के बाद सबमिशन को आप छोड़ देते हैं तो आपको बनाया था खुदा ने इस्लाम में ही आपने इस्लाम को छोड़ा है अच्छा मैं समझ गया आपकी बात नासिर साहब तो ये बात हो गई के देख हर इंसान जो है ना वो पैदा होता है इस्लाम पे ही पैदा होता है अब रह गया मसला सिर्फ जो है वो के मरेगा किस पे ठीक है इस्लाम पे सब पैदा हो गया अब वो अगर मरेगा भी इस्लाम पे तो वो सक्सेस हो जाएगा वो कामयाब हो जाएगा अब वो चॉइस आपके ऊपर है कि आपको मरना किस पे है वो चॉइस आपके ऊपर है वो चॉइस हमारे ऊपर है ठीक है ये बात ये बात मैं आपकी समझ गया

(16:15) बिल्कुल ये बात आपकी समझ गया बिल्कुल मैं अब समझाओ बाद में ठीक है अब आप मानते हो कि अल्लाह न्याय करने वाला है इंसाफ करने वाला जज करने वाला है हो गया हजरत मेरे ख्याल से आगे बढ़ा रहे हैं इसको नहीं काफी हो गया अभी कमेंट आ गया मेरा भाई के देखें हम सब पैदा हुए इस्लाम पे ही अब हमारे इख्तियार में है कि हमें मरना किस पे है तो आप देखें हम भी अपना देखें हर कोई अपनाप देखे भाई कि हमें मरना किस पे है

Key Takeaways:

  • Har insaan Islam par fitratan paida hota hai – paidaish kisi mazhab mein hone ka matlab yeh nahi ke usi par marna bhi zaruri hai.
  • Insani kami ya masail kisi “pichlay janm” ki saza nahi, balki ek test hain – sabr aur imaan se guzarna hi kamiyabi hai.
  • Islam ka nazariya adal, rehmat aur akhirat ke inaam par mabni hai – duniya ka gham waqt guzar hota hai.
  • Jo Allah par yaqeen rakhta hai, uske liye har masla, har dukh bhi jannat ka sabab ban sakta hai.
  • Paidaish ka mazhab koi guarantee nahi – asal baat yeh hai ke insaan apni soch aur amal se kya chunta hai.

Objection: Agar Allah insaaf karta hai, to koi loola ya bemaar kyun paida hota hai?

Yeh sawal bohot purana hai – aur har daur ka insaan is pehair mein phans chuka hai. Atheist ya agnostic log kehte hain: “Agar Allah hai, to phir wo kuch logon ko sehatmand aur kuch ko muqammal kami ke sath kyun banata hai? Kya yeh na-insaafi nahi?”

Jawab:
Is sawal mein ek badi logical fallacy chhupi hai – Assumption of complete fairness in duniya. Yani yeh maan lena ke duniya hi asli aur aakhri adalat ka makan hai. Islam is ghalat tasawwur ko reject karta hai.

Duniya ek test center hai – har kisi ka imtihaan mukhtalif hai. Kisi ke liye yeh imtihaan gareebi hai, kisi ke liye amiri, kisi ke liye sehat hai to kisi ke liye bimari.

Agar ek loola bacha paida hota hai, to woh Allah ke nazdeek zalil nahi hai. Balki Islam ke mutabiq agar wo Allah par imaan laata hai aur sabr karta hai, to woh Allah ke sab se azeez logon mein shamil ho sakta hai. Aise log ke liye akhirat mein “Free Entry to Paradise” ka wa’da hai – jo ke perfect insaan bhi nahi paa sakta bina imtihaan ke.

Misal: Agar aapko 1 lakh rupay diye jayein aur kaha jaye ke is se ya to ek tuta-phuta makan lo ya 5 saal sabr karo aur ek shandar villa milega – to kya villa ka intezaar be-wuqoofi hai? Nahi! Bilkul isi tarah dunya ki takleef akhirat ke villa ke liye ek temporary test hai.

Objection: Agar pichla janm nahi hota to koi bacha loola kyun paida hota hai?

Yeh objection aksar Hindu dharm ke reincarnation (punarjanm) wale aqeede se aata hai. Sawal yeh hota hai: “Agar koi loola ya andha paida hota hai, to kya usne pichle janam mein koi gunaah kiya tha? Agar nahi, to yeh paidaish kaise insaaf hai?”

Jawab:
Islam punarjanm (reincarnation) ko reject karta hai. Quran ke mutabiq insaan sirf ek martaba paida hota hai aur usi zindagi ke amal par uska hisaab hota hai.

Yeh aqeeda ke kisi ne pichle janam mein gunaah kiya aur ab woh saza bhugat raha hai – yeh insan ko dosh dete hue Allah ki rehmat aur insaaf dono ko inkaar karna hai. Ye aik logical fallacy hai: Unverifiable Assumption – jiska na saboot hai, na witness.

Islam kehta hai: Har insaan ka imtihaan mukhtalif hai. Aur sab se azeem log wo hain jinhone Allah ke hukm par sabr aur shukr ke sath zindagi guzari. Jo takleef mein bhi imaan par qayam raha, wo akhirat mein kamiyab hai.

Objection: Kya Islam kehta hai ke sab log Islam mein paida hote hain?

Ek atheist ya agnostic yeh sawal uthata hai ke: “Agar main Hindu family mein paida hua to isme meri kya ghalti? Allah ne mujhe Islam mein kyun nahi paida kiya?”

Jawab:
Yeh sawal bhi ek aur False Assumption par mabni hai: ke kisi mazhab mein paida hona us mazhab ko follow karne ki guarantee deta hai. Asal mein, Islam kehta hai: “Har insaan fitrat par paida hota hai.” (Sahih Muslim)

Fitrat se murad – Allah ki pehchan aur uske hukm ke aage sar jhukana. Islam har insaan ke dil-o-dimagh mein is fitrat ko fit karta hai. Lekin jaise jaise wo bara hota hai, uske walidain, society aur environment uski soch ko shape dete hain.

Islam yeh bhi maanta hai ke akhirat ka hisaab niyyat, ikhlaaq aur imaan par hoga – aur Allah sab ke sath insaaf karega. Agar kisi tak Islam ka paigham hi nahi pohochta, to uska imtihaan mukhtalif hoga. Lekin agar poocha gaya aur samajhne ke bawajood inkaar kiya – to phir zimmedari hai.

Objection: Kya Islam kisi bhi kamzor ya bemaar insaan ko bina mehnat jannat de deta hai?

Kabhi kabhi sawal uthta hai: “Kya agar koi loola hai, ya koi zindagi bhar takleef mein raha, to kya usse bas sympathy mein jannat mil jaayegi?”

Jawab:
Nahi. Islam sirf sympathy par jannat nahi deta. Lekin sabr aur imaan par deta hai.

Agar koi insaan loolapan, andhepan ya kisi aur aafat mein hai – aur uske bawajood wo Allah par yaqeen rakhta hai, uski rehmat se umeed banaye rakhta hai, to yehi sabr uska jannat ka raasta ban sakta hai. Quran me baar baar “sabr karne walon” ke liye jannat ka zikar hai (Surah Al-Baqarah, 2:155-157).

Islam me “justice” ka matlab har kisi ko equal treatment dena nahi – balki har kisi ko unke imtihaan ke mutabiq reward dena hai. Jo zyada takleef me hai, unka imtihaan aur unka reward dono alag hai.


Conclusion

Aakhir me, yeh samajhna zaroori hai ke Islam duniya ko ek temporary test ground ke taur par dekhta hai – jahan har shakhs ka imtihaan mukhtalif hai. Kisi ki paidaish kisi maslay ke sath hona Allah ki na-insaafi nahi, balki us shakhs ke liye ek azaim opportunity hai – Allah ki rehmat aur akhirat ke inaam ko haasil karne ki.

Paidaish kisi mazhab me hona ya kisi physical condition ke sath hona, humari kamiyabi ya nakaami ka faisla nahi karta. Asal baat yeh hai ke hum kya soch aur amal chunte hain.

To aaj agar hum is sawal ka jawab talash kar rahe hain: “Mujhe kyun aise paida kiya gaya?” to jawab yeh hai: Taake aap wo ban sakein jo sab se azeem ho – sabr karne wale, imaan rakhne wale, aur akhirat me kamiyab hone wale.


FAQs

Q: Kya Islam me punarjanm (reincarnation) ka koi concept hai?
A: Nahi. Islam ke mutabiq har insaan sirf ek baar paida hota hai. Uske baad uska hisaab akhirat me hota hai – wahan saza ya inaam milta hai.

Q: Agar koi non-Muslim family me paida hua ho to kya uska koi chance nahi?
A: Agar us tak Islam ka paigham nahi pocha, to uska imtihaan mukhtalif hoga. Allah har shakhs ke sath insaaf karega. Agar paigham pocha aur samajh kar reject kiya, to phir zimmedari hai.

Q: Kya sab log Islam par paida hote hain?
A: Haan, har bacha Islam ki fitrat par paida hota hai. Lekin uska mahol usse kisi aur mazhab ki taraf le ja sakta hai.

Q: Kya loolay, andhay log bina kuch kiye jannat ja sakte hain?
A: Agar unhone imaan aur sabr rakha, to Islam unhein akhirat me sab se zyada ajr dene ka wada karta hai.

Q: Agar kisi ko Islam me paida nahi kiya gaya to kya yeh Allah ka zulm hai?
A: Nahi. Paidaish ka mazhab koi guarantee nahi – asal baat yeh hai ke shakhs ne hidayat milne ke baad kya chuna.

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