Kya Liberal Nizam Insaf Par Mabni Hai? Islami Hukoomat Ka Jawab

Aaj ke dor me jab duniya bhar ke mulk democracy aur liberal constitutionalism ko apna chuke hain, to ye sawal uthta hai: Kya ye nizaam waqai sab se behtar hain? Kya inme har fard ko barabar ke huqooq milte hain? Aur kya Islam ka apna hukoomati nizaam outdated ya zalimana hai, jaise aksar log samajhte hain?

Is maqale me hum un objections ka jaiza lenge jo log Islami nizam ke khilaf uthate hain—jaise ke non-Muslims ke political rights, tax system, aur freedom of speech—aur har point ka logical jawab pesh karenge. Saath hi hum ye bhi samjhayenge ke liberal nizaam ke peechay jo system chhupa hai, kya wo waqai azaadi aur insaf par mabni hai ya sirf ek illusion hai?




Transcript: (00:00) नेशनलिज्म को मानते हैं बस आप रिस ने आपका दावा हुआ ना भाई आप ये ना कहे कि हम चकि मानते हैं इसलिए वो सही है व आप माने कोई भी आदमी कोई भी आदमी आपको इसलिए बुरा नहीं कहेगा या गलत नहीं कहेगा कि आप किसी चीज को मान व आप माने आपको आपको राइट है भारत का पार्टीशन इसी सो लेकिन जब आप ये कहते हैं जब आप यह कहते हैं कि मैं मानता हूं इसलिए वो चीज बेहतर है यहां हमारा ऑब्जेक्शन आएगा कि आप उसके बेहतर होने को साबित कर अब देख आपके पास चूंकि कोई जवाब नहीं है तो अब आप इन चीजों पर उतर आए पैन इस्लामिस्म भारत का पार्टीशन हुआ फला डिका

(00:37) ये सारी चीजें ऐसी है कि अगर हम आज उसका तजिया या उसकी एनालिसिस करने बैठेंगे तो बहुत सारी ओपिनियन होंगी हो सकता है कि मेरी ओपिनियन आपके साथ लाइन करें मैं पहले ही बता दूं जी है ना हो सकता है उसू गुफ्तगू करें यानी प्रिंसिपल्स और थॉट्स के ऊपर बात करें फिलोसोफी के ऊपर बात करें पोटिकल एग्जांपल ले द अमेरिका और नाइजीरिया और पाकिस्तान में ये हो गया था और इंडिया में इंडिया पाकिस्तान करने से क्या फायदा हो हो आइजी नहीं कर रहे ना आप फरी र पर इंडिया पाकिस्तान पर आ जाते हैं जैसे जैसे गोदी मीडिया के एंकर का एक मिनट पाकिस्तान के जिक्र के बगैर पूरा नहीं हो सकता ऐसा लगता है कि आप भी उन्हीं से मुतासिर है नहीं तो मैंने कह दिया ना कि

(01:14) पन इस्लाम जम आता ही आता है आपकी सोच में उसके बिना आप चल ही नहीं सकते बिना पन इस्लामिस्म के तो आप हम ये भी इसके जवाब में हम कह सकते हैं कि कांस्टिट्यूशन जम आपकी सोच में आता ही आता है उसके बगैर आप चल नहीं सकते 100% आता है तो बस बात खत्म हो गई फिर आप हमें बरा क्या को कह रहे हैं आप भी सोच के अगर आप आप भी उसी सोच के हामिश को गलत नहीं कह सकते ट जी मुफ्ती साहब क्या हाल चाल है हां जी बिल्कुल ठीक आप सुनाए जी मैं ठीक हूं आपकी अच्छी रही ट्रिप न्यूजीलैंड और इन सब देशों की ओहो आप तो फॉलो कर रहे थे जी बिल्कुल नहीं नहीं आपने लंच में क्या खाया मुझे ये भी पता है ओहो क्या कहने भाई पहले वेजिटेरियन

(01:55) ही खाया आपने फिर जो आपके दोस्त उन्होंने कुछ आपको ऑफर किया तो फिर आपने रिल वो खाया पता है मुझे अच्छा तो भाई कौन सी एजेंसी से है फ्रेंड फ्रेंड फ्रेंड एजेंसी से हैं अच्छा अच्छा ठीक है ठीक है जी अरविंद सर मेरे बड़े भाई की तरह है तो उनसे बातचीत होती रहती है अच्छा तो अरविंद सरन से आपकी बात हुई है ओके हा वो तो मतलब उनसे पाछ साल से मेरी बात होती रहती है तो उन्होंने फोटो भेजी तो मुझे लगा कि आप कहां आप गए थे क्या अमेरिका बोले नहीं ये न्यूजीलैंड आए थे हा फिर ऐसे ऐसे हम लंच प गए और मेन मेनू भी बताया उन्होंने कि क्या खाया नहीं नहीं हां मैंने पूछा कि क्या

(02:38) क्या खाया तो उन्होंने फिर बताया कि मुफ्ती साहब तो वेजीटेरियन ही खा रहे थे बट फिर मैंने बोला कि नहीं लैम और फिश भी खा लीजिए हां तो हमें जहां खाना पसंद आए वहां वही खाते हैं ऐसा नहीं कि हम वेजिटेरियन है हमें उस जगह वेजिटेरियन अच्छा लग रहा था तो हमने कहा चलो वेजिटेरियन खाएंगे यहां तो चलिए अच्छा महीन के बाद आपसे बात हो रही है जी तो लास्ट टाइम जो हमारी बात हुई थी अभी याद नहीं है क्या उसी को कंटिन्यू रखते है तो आपने कहा था ज के मुतालिक जजिया मतलब उससे जो है मतलब तजल होती है मतलब लील के लिए किया जाता है तस्दीक के लिए लील तजल के लिए नहीं मैंने तो नहीं कहा

(03:28) लील के लिए किया जाता है नहीं मैंने तो नहीं कहा था मैंने तो उसको कहा था कि इसके लिए नहीं किया जाता है नहीं नहीं जब हमारी उस पर चर्चा हुई थी जो उनके मक्त बात थे हा हा हिंदी के उस पर जो हमारी चर्चा हुई थी उसमें आपने कहा था कि जो अगर आप टैक्स नहीं देंगे तो आपकी तसदी होगी हां तो जजिया मतलब जो है तो इस मतलब सही है कि तस्ल के लिए दिया जाता है हम तो क्या हम जकात के लिए भी सेम कह सकते हैं नहीं जकात के लिए ऐसा नहीं है मिनट ये आपके ह को ये ले रहे हैं कि आप ये कह रहे हैं कि जजिया जो है वो तजल के लिए दिया जाता है यही कल कर र है और वो इबारत

(04:10) आपकी गलत थी भाई व इबारत निकलवा के सही की थी मु सामने भी था स्ट्रीम में नहीं नहीं नहीं मैं थोड़ी देर मैं थोड़ी देर के लिए मान लेता हूं कि वह इबारत सही थी थोड़ी देर के लिए मान लेता हूं कि आपने इबारत सही कोट की थी पॉइंट यह है के जिज का मकसद तजल नहीं है ठीक है हा और जकात का का मकसद भी तजल नहीं है जीजिया एक टक्स है और जकात एक इबादत है हां इतना जरूर है जकात टैक्स नहीं है यह इतना जरूर याद रखिएगा कि दुनिया में जहां पर भी टैक्स लॉ है वहां इंसान सबजुगेशन आप जरा यूएस में चूक रहते हैं तो दो-तीन साल टैक्स ना दें तो क्या होगा आपके पास

(05:03) आईआरएस से लेटर आ जाएगा के आपकी आखिरी तारीख इतनी है अगर टैक्स नहीं देंगे तो हम आपकी प्रॉपर्टी को लिक्विडेट कर देंगे जो भी आपके एसेट्स है और वहां से अपना टैक्स निकाल लेंगे अब आप चाहे होमलेस बन जाए आप सड़क पर आ जाए खाना आपके मुह से लुकमा छीन लिया जाए ड मैटर आप सबजूगेटेड है टैक्स का मतलब यही होता है यह जो सागर है ना सागर कुरान में आया है कि वह जजिया दे सागर होकर सागर का मतलब हीय सब्ज गट होना तो वो दुनिया के हर टैक्स में हर टैक्स में ऐसा ही है हर तरह के टक्स है पर जकात टैक्स नहीं है जकात टैक्स नहीं है तो जकात ना देने पर कोई पेनल्टी होती है नहीं

(05:48) होती है जकात ना देने प जहन्नम मिलती है भाई इससे बढ़कर और क्या पेनल्टी है म दुनियावी कोई पेनल्टी नहीं है उसके लिए राइट दुनियावी पेनल्टी इस तरह है मैं बता देता हूं भी है मान लीजिए कि अगर कुछ लोग मिलकर जकात ये कहे कि नहीं हम जकात नहीं देंगे और इस्लामिक गवर्नमेंट है तो इस्लामिक गवर्नमेंट जबरदस्ती उनसे जकात वसूल करेगी वरना उनके खिलाफ लान जंग हा हा वो अबू बकर जी ने क था पहला जो फना हुआ था उसम उन्होने जंग किया था वो पढ़ा है मैंने तो मतलब कह रहा हू कोई प्राइवेटली नहीं देना चाहे तो नहीं दे उस पर गवर्नमेंट कुछ नहीं करेगी राइट जाहिर है उस पर कुछ नहीं कर

(06:25) सकती है अच्छा ओके तो हा तो ये तो डिफरेंस हो गया ना फिर जया और जत वो नन इस्लामिक भाई ऋ भाई वो नॉन इस्लामिक कंट्री में प्राइवेटली नहीं देना चाहे तो नहीं दे इस्लामिक स्टेट में तो स्टेट ही जाएगी आपसे जकात वसूल करने के लिए प्राइवेटली आप देंगे कहां इस्लामिक स्टेट में मम ऐसा नहीं है ऐसा नहीं है होल्ड न उसमें भी ऐसा होता है देखें के अगर आप मान लीजिए जकात दो तरह की होती है दो तरह के वेल्थ है एसेट्स है एक है लाइव स्टॉक और दूसरी वेल्थ है आपका सोना चांदी और रुपए पैसे लाइव स्टॉक के ऊपर हुकूमत आपसे जकात वसूल करेगी आप नहीं देंगे तो आपसे वह जकात जबरदस्ती ली जाएगी नहीं आप अब आप रजिस्ट

(07:13) करेंगे तो जेल में डाल दिया जाएगा एक पर्सनल वेल्थ सोना चांदी और आपके रुपए पैसे उसमें गवर्नमेंट दखल नहीं देगी वह आप जकात खुद दे नहीं देंगे तो आप जिम्मेदार हैं एक बात दूसरी बात मुसलमान को टैक्स भी देना है ऐसा नहीं कि मुसलमान टैक्स नहीं देगा और वह नहीं देगा और रेजिस्ट करेगा तो उसके ऊपर वही पेनल्टी आएंगी जो एक गैर मुस्लिम के ऊपर आएंगी हा तो फिर दोनों लीगली फोर्सेबल हो ग ना जया भी और जकात भी हां लेकिन जकात में जो सोना चांदी और रुपए पैसे हैं उसमें गवर्नमेंट का दखल नहीं है बट लाइव स्टॉक में है लाइव स्टॉक में है पर जज में दोनों में है राट सोना चांदी में भी और लाइव स्टॉक में भी जजिया

(07:59) सोना चांदी स्टॉक पर नहीं होता है जजिया सिर्फ आपके जजिया होता है कि आप चकि यहां रह रहे हैं तो आपको वो डिपेंड करता है कि कितनी गवर्नमेंट कितना सेट करती है लेकिन व इतना सेट करेगी कि किसी आदमी के ऊपर बर्डन ना हो मसलन एक दिरहम दो दिरहम वह आपको देने हैं ठीक है दिरहम जो है वह सोने का है तो अब आप देखें कि 200 दिरहम अगर एक मुसलमान के पास है तो जकात वाजिब होती है 200 दिरहम लेकिन उसको देने कितने हैं पर यानी 200 दिरहम में से पा दिरहम उसको जकात के देने हैं हर साल एक जजिया कितना है जजिया एक दिरहम या दो दिर होता है तो जकात से भी कहीं कम है

(08:42) वो जी ओके तो मतलब मतलब दोनों लगभग कपरे बल है मतलब जजिया जो है वो नॉन मुस्लिम को देना है जिमी को और जकात मुस्लिम को देना है एंड लाइ दोनों ही लीगली फोर्सेबल है तो वो समझा जा सकता है टक्स तो हम लोग भी देते है कंट्री के डिफेंस के लिए और सब सोशल वेलफेयर उसके लिए वो तो अंडरस्टेबल है बट जो आपने कहा था कि वो मतलब हूट के लिए तो सही कहा है उन्होने तो उस पर मैं क्लेरिफिकेशन नहीं नहीं नहीं नहीं होल्ड ऑन होल्ड ऑन ह्यूमिन और सबजुगेशन में आप फर्क नहीं समझते हैं नहीं समझता हूं बट समझना चाह नहीं रहे हैं समझते हैं समझना चाह नहीं रहे अच्छा तो मतलब

(09:26) सबजुगेशन के लिए होता है पर जो है वो जकात सबजुगेशन के लिए नहीं होता है जकात तो इबादत है जैसे नमाज सबजुगेशन के लिए नहीं है जकात एक लेकिन उस सिस्टम को बाकी रखने के लिए कि मुल्क में अनार्की ना फैले कि कुछ लोग जकात दे रहे कुछ लोग नहीं दे रहे हैं जकात के एक हिस्से में जो लाइव स्टक के ऊपर है उसमें जकात फोर्स फोर्सफुली हकूमत कलेक्ट करेगी वरना जो ये य ऑफेंस होगा गवर्नमेंट के खिलाफ पॉइंट ड करना ऋ भाई देखें ये कंपेरिजन गलत है एक मुसलमान जो भी काम करता है ना उसके सिर्फ सोशल या पॉलिटिकल एस्पेक्ट्स नहीं होते हैं प्राइमर उसका जो एस्पेक्ट होता है वो इबादत का होता है

(10:08) यानी कि वह रब का बंदा है और इसलिए वह यह काम कर रहा है उसके अंदर प्राइवेट और पब्लिक अफेयर्स भी आते हैं तो एक मुस्लिम की लाइफ को एक नॉन मुस्लिम के लाइफ से समझे कि ऑटोलॉजिकल लेवल प कंपेयर करना ही गलत है आप जो ये कंपेरिजन पूरा एक एक चीज में जो करना चाह रहे हैं ना वो दुरुस्त नहीं है क्योंकि बहुत सारी चीजें यानी कि जो सरफेस लेवल पर आपको लगेगी सिमिलर है दोनों में दिखा जा रहा है कि जकात में भी पैसे दिए जा रहे हैं और जिया में भी पैसे दिया जा रहा है सरफेस लेवल पर सेम दिख रहा है लेकिन दोनों का जो समझे कि यानी कि

(10:41) वजूद हैसियत है ना दोनों की जो ऑटोलॉजिकल जो एस्पेक्ट है वो बहुत डिफरेंट है वो बहुत डिफरेंट उसको कंपेयर कर ही नहीं सकते आप तो इसलिए एक एक चीज में सोशल लेवल पर जैसे कंपेरिजन सिखाया जाता है आजकल सोशल स्टडीज में वो दुरुस्त नहीं है एक मुस्लिम एक नॉन मुस्लिम की लाइफ प उसको अप्लाई कर सही अच्छा जी मुफती साहब आप एक बात और कहते हैं कि मतलब जितने भी मुस्लिम मेजोरिटी कंट्री है वहां पर मतलब खिलाफत कायम होनी चाहिए इसी से मुसलमानों की मतलब प्रॉब्लम जो है व सॉल्व होंगी राट बोले आगे बोले हा तो ब ओके तो चलिए मान लीजिए ऐसा हो गया पर इससे इंडिया के मुसलमान को

(11:21) क्या फर्क पड़ेगा उसका क्या लेना देना होगा इस कोई भी लेने देने नहीं होगा कोई फर्क नहीं पड़ेगा उससे उससे मुसलमानों की प्रॉब्लम नहीं उससे हिंदुओं की प्रॉब्लम भी ठीक होंगी मैं बता रहा हूं आपको खिलाफत से हिंदुओं की प्रॉब्लम कैसे ठीक होंगी मतलब कहीं खिलाफत कायम होगी तो उससे इंडिया में क्या फर्क पड़ेगा मैं वही बता रहा हूं कि पूरी दुनिया में फर्क पड़ेगा इस वक्त आप पूरी दुनिया में एक खास निजाम के तहत जिंदगी गुजार रहे हैं जिस निजाम को लीड कर रहा है वेस्ट और उस निजाम को चलाने वाले कैपिट है जहां उनका पैसा दिखता है वहां अमन होता है

(11:59) जहां पैसा नहीं दिखता वहां जंग होती है ठीक है यानी जो दुनिया में जो जंगे हो रही हैं वो इसलिए नहीं हो रही है के आपकी आइडियो जीी कुछ और है पॉलिटिकल डिफरेंसेस है दुनिया में जो जंगे हो रही है वो सिर्फ कैपिटल की वजह से हो रही है यही कैपिटल सोसाइटी की हकीकत है अगर कैपिटल आप निकाल दें तो जंगे खत्म हो जाएंगी आज ही पूरी दुनिया के अंदर अमन आ जाएगा मुस्लिम देशों में भी और नॉन मुस्लिम देशों में भी सिर्फ और सिर्फ कैपिटल बुनियादी वजह है और जो आइडियो जिकल डिफरेंसेस है उनको कैपिटल की बुनियाद पर हवा दी जाती है तो अगर मान लीजिए पूरी दुनिया में एक मजबूत

(12:35) ब्लॉक खिलाफत की बुनियाद पर यानी खुदा का निजाम कायम होता है तो खुदा का निजाम पैसे के बुनियाद पर नहीं चलता है खुदा का निजाम उसूलों के ऊपर इंसाफ के ऊपर मबन है दजन मैटर के वहां अ कैपिटल इवॉल्वड है या नहीं तो अगर मान ले कि पूरी दुनिया के 50 मुल्क एक ब्लॉक बनाकर इंसाफ खुदा के उसूलों की बुनियाद पर कायम करते हैं तो उसका फायदा उठाने वाली दुनिया की हर कंट्री होगी और हर हर कंट्री में बसने वाले मुसल लोग होंगे चाहे वो मुसलमान हो या गैर मुस्लिम आज आप खुद देख लीजिए के आप किसी भी मुल्क में रह रहे हो लेकिन आपके ऊपर 50 पर जो टैक्सेस लग रहे हैं वो इसलिए लग रहे हैं

(13:15) कि वर्ल्ड बैंक ने आपको आपके मुल्क को कर्जा दिया है अब उसने यह पॉलिसी भी तय कर दी है कि कर्जा वसूल इस तरीके से किया जाएगा कि हर एक बंदे को इतने इतने टैक्सेस देने हैं 50 पर से ज्यादा टैक्सेस आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक की वजह से लगते हैं यह दोनों टूल्स किसके हैं कैपिट के हैं आपने कैपिट जम को खत्म कर दिया 50 पर टैक्सेस तो आपके वही खत्म हो गए तो आपको जो टैक्स देने पड़ रहे हैं आप किसके लिए कमा रहे हैं आप कैपिट सोसाइटी के लिए कमा रहे हैं आप अपने लिए कमाइए यह है फर्क नहीं तो ब बट वो सिस्टम इंडिया में मतलब कैसे लागू होगा जब इंडिया में खिलाफत

(13:52) है ही नहीं मैंने बताया ना आपको कि जब आप देखें कि क्या इंडिया में क्या इंडिया जो है वो यूनाइटेड ने इंडिया में गवर्नमेंट करती है गवर्न करती है नहीं करती लेकिन यूनाइटेड नेशन के त आईएमएफ है सुन लीजिए आईएमएफ है वर्ल्ड बैंक है उसके उसूलों को इंडिया को या या जो भी फिलीपीन है दुनिया में दूसरे मुमा है सबको फॉलो करना पड़ता है क्यों क्योंकि वहां से कर्जे उठा रखे कर्जे उठा रखे सूद की होल्ड ऑन कर्जे उठा रखे सूद की बुनियाद पर जब आप एक सूदी इदार से ट्रिलियन ऑफ डॉलर कर्ज उठाएंगे तो उसकी पॉलिसी आपको माननी पड़ेगी अगर खिलाफत आती है तो व सूदी

(14:32) ओके तो आप यह कह रहे हैं कि जितनी भी गवर्नमेंट है सब आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक के कंट्रोल पर च है एनी डाउट कोई डाउट है तो मतलब मि होल्ड न इसका जवाब कोई डाउट है म य थोड़ा आपका फम है मतलब नहीं आप यह बताए कि आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक दुनिया को कंट्रोल कर रहे हैं नहीं कर रहे आपके तबार से जी मतलब आप जैसे कह रहे वैसा कोई आप बताइए अपने तबार से आप आप क्या मानते हैं कर रहे हैं कि नहीं कर रहे हैं जी गवर्नमेंट अपनी पॉलिसी खुद तय करती है जी नहीं आईएमएफ और वर्ल्ड बैंक की बुनियाद पर पॉलिसी ते होती है डिपेंड करता है कि आपका कर्जा कितना

(15:20) है डिपेंड करता है आपका कर्जा कितना है कर्जा नहीं है तो आप इंडिपेंडेंट है आजाद है कर्जा है तो आप आजाद नहीं है अगर आपको ये भी नहीं पता है तो आपको दुनिया में कुछ नहीं पता है तो मतलब इस हिसाब से जो आप कह रहे हैं तो अफगानिस्तान पर तो सबसे कम कर्जा है राइट इसीलिए देखो आईएमएफ कर्जा लेकर खड़ा हुआ नहीं ले रहे वो हा तो अफगानिस्तान पर तो सबसे कम कर्जा है पूरे वर्ल्ड में ऋषि साहब मैं आपसे सवाल पूछता हूं एक आप आपको अगर ये समझ नहीं आ रही बात मैं आपसे पूछता हूं एक लिबरल सेकुलर स्टेट जो है वो अपने आप को मेजोरिटी के साथ एक फासिस्ट स्टेट में तब्दील होना चाहि तो

(16:02) क्या ये जो वर्ल्ड ऑर्डर है जिसके तहत आप कह रहे हैं कि इंडिपेंडेंट है ना आप ये कह रहे हैं कि म मालिक जो है कंट्रीज इंडिपेंडेंट है तो एक लिबरल सेकुलर स्टेट अगर मेजॉरिटी के साथ नहीं नहीं कुछ कुछ ना करें आप अभी आप कह रहे थे एकदम बिल्कुल पूरा इंडिपेंडेंट है कंट्रीज ठीक है तो एक लिबरल सेकुलर स्टेट जो है वो मेजॉरिटी के साथ फासिस्ट स्टेट में तब्दील होना चाहिए तो क्या यूएन जो है वो उसकी इजाजत देता है देखिए कुछ मतलब इपें आप देखिए नहीं मुझे हा या ना जवाब दे वो इंडिपेंडेंट है तो वो कर ले भाई वो जो है वो फासिस्ट स्टेट में

(16:39) तब्दील हो जाए वो लिबरल सेकुलर स्टेट से फासिस्ट स्टेट में तब्दील हो जाए क्या दिक्कत है फिर अगर मसल पाकिस्तान जैसा मुल्क है वो कुछ कम इपें कोई कोई भी कोई भी आप पाकिस्तान इंडिया अफगानिस्तान बांग्लादेश में आपको ज्यादा दिलचस्पी है और कांसेप्ट में आपको ज्यादा दिलचस्पी नहीं है मुझे लग रहा है आप एक्स वाई कोई भी एक मुल्क लेले जो एक लिबरल सेकुलर मुल्क है एक्स मान लीजिए एक एक्स कंट्री ऋषि भाई ऋषि भाई ये जो यह भी एक दलील है इस बात की कि एक इंसान अपने आईक्यू लेवल को बढ़ाना नहीं चाह रहा है क्योंकि वह दो चार मुल्कों के अंदर अपने आप को महदूद किया हुए है कि बस मैं इसी मुल्क की बात करूंगा आप कांसेप्ट के ऊपर बात करें छोड़

(17:20) दीजिए पाकिस्तान मैं ना मैं पाकिस्तान का ना पाकिस्तान के न स्ट्रीम में अक्सर लोग बैठे हु मे खल से बसत भाई को छोड़कर सब इंडियन के इंडियन ही है ठीक है हम लोग पाकिस्तान अफगानिस्तान या बांगलादेश की होल्ड ऑन होल्ड ऑन हम हम इस तरह की डिवीजन के में अपने आप को तकसीम नहीं करते हैं असल बात क्या है कांसेप्ट के ऊपर बात करें बंदा कहीं का भी हो सकता है अब मैं और आप बात कर रहे हैं मैं मुसलमान हूं आप मुसलमान नहीं है कांसेप्ट के ऊपर बात हो रही है ना उस पर बात कीजिए आप तो नेशन स्टेट को मानते ही नहीं है तो फिर आप जो है पाकिस्तान को अपना मुल्क मतलब कह रहे हम पाकिस्तान के नहीं है तो पाकिस्तान के

(17:55) वजूद को तो मानना पड़ेगा ना या उसके वजूद को भी से इंकार कर दें नहीं वो तो कंट्रोवर्शियल हो जाएगा तो तो हम मैं वही बात कर रहा हूं आपको असल में हमारी बातें समझ में भी नहीं आती है थोड़ा सा बुरा मत मानिए आईक्यू लेवल को डेवलप करने की जरूरत है वो इसलिए कि जब हम नेशन स्टेट के खिलाफ ये कहते हैं कि ये नजरिया गलत है तो हम कांसेप्ट की बात कर रहे हैं हम कौन सान मुल्कों के खिलाफ जंगे छेड़ रहे हैं आपको क्या लगता है नहीं तो भाई ओबवियसली बात है कि हम एक मुल्क से दूसरे मुल्क जाएंगे वीजा लेकर जाएंगे वीजा लेकर जाने का मतलब यह है कि हम उस एक मुल्क का पासपोर्ट हमारे पास है

(18:33) इसका मतलब यह कि हम नेशन नेशन स्टेट के वजूद को मान रहे हैं हम इस कांसेप्ट को अच्छा नहीं समझते ट्स पॉइंट हम एक नजरिए पर बात करते हैं आप नजरिए पर बात नहीं करना चाहते अब आप जवाब दीजिए आसिम भाई के सवाल का एक एक लिबरल कंट्री है वह फासिस्ट बनना चाहती है और मेजॉरिटी ओपिनियन से यूनाइटेड नेशन उसको अलाव करेगा या नहीं करेगा जी कई कंट्री हु रान में ल हुआ था तो यूनाइटेड नेशन यूनाइटेड नेशन ने तो फौरन वहां पर रेड कार्पेट बिछा दिया था रान कितने लगे भा एक नहीं लगा रानी तो मजे कर रहे भाई कहां सक्शन लगे नहीं नहीं नहीं कोई सक्शन नहीं लगा ऋषि भाई कोई सक्शन नहीं

(19:20) लगा यूनाइटेड नेशन ने एकदम उसको कबूल कर लिया और कहा कि रेड कार्पेट आपके लिए ये लो लैंड राने अपने कंट्री का वो तो एक डेमोक्रेटिक कंट्री है रिपब्लिक है वो तो जी भाई ऋषि साहब उसका जो ऑफिशियल स्टेटस है वो तो रिपब्लिक का है ईरान ने क्या कहा कि हम एज अ फासिस्ट कंट्री जो है आपसे यूएन में अप्लाई किया उन्होंने एज अ रिपब्लिक कंट्री वो वहां बैठ नॉर्थ कोरिया भी खुद को डेमोक्रेटिक रिपब्लिक कहता है पता है आपको नॉर्थ कोरिया यूएन का पार्ट नहीं है आपको ये भी नहीं इल्म है फिर नॉर्थ कोरिया को साइड किया हुआ है पूरी दुनिया ने यूएन ने भी साइड कर रखा है यूएन का पार्ट नहीं है नॉर्थ कोरिया आर यू श्यर

(20:00) आप चेक करिए एक दफा नॉर्थ कोरिया यूएन का पार्ट नहीं है आप चेक करिए एक दफा आपको बेसिक जनरल नॉलेज देना पड़ेगा लग रहा मुझे एक मिनट तो आप य क्लेम कर रहे वो पार्ट नहीं है यूएन का चेक कर लेते हैं ना यस नथ कोरिया में ऑ मेंबर ऑफ यूनाइटेड नेशन हा उसका पार्ट है जी हा लेकिन उसके ऊपर बल सक्शन है द यूएन सिक्योरिटी काउंसिल हैज पास सेवरल रेजोल्यूशन ऑन नॉर्थ कोरिया इंक्लूडिंग रेजोल्यूशन 825 अर्ज नॉर्थ कोरिया टू रिमन अ पार्टी टू द एनपीटी एंड ऑनर इट्स नॉन प्रोफशन ऑब्लिगेशन ठीक है तो यह जो है खैर एक अलग डिबेट हो गई है वो न वो उसको कब मिला है यह सब सब कुछ देखना होगा

(20:53) यूएसएसआर के बाद जो है उसको शामिल किया गया 1991 में डिबेट ई है ठीक है ना तो कोरिया को मतलब पार्ट बना के भी उसको अछूत बनाया हुआ है पूरी दुनिया ने सिर्फ इस वजह से कि वो र् में फवक में जो है वो फिट नहीं बैठता तो उसको अछूत बनाया हुआ आपने पूरा बिल्कुल यह कहना चाहिए कि नॉर्थ कोरिया एक अछूत मुल्क है लिबरल सेकुलर स्टेट्स के मुकाबले में तो ऐसा क्यों है क्योंकि उसका पॉलिटिकल सिस्टम वो अलग पेश करता है जो कि मतलब तो अगर अगर कोई पॉलिटिकल सिस्टम अलग रखे तो छूत होना चाहिए जी मेरे ख्याल से तो नहीं होना चाहिए तो फिर तो चले आपने हमारी इस बात की तस्दीक

(21:37) कर दी है कि दुनिया दुनिया ऋषि भाई ना मैं चला रहा ना आप चला रहे हैं दुनिया चला रहे हैं कैपिट और वह कैपिट के जो लिबरल निजाम को चाहे वह कैपिट जम हो या लिबरल पॉलिटिक्स हो उसको उसको फेवर करते हैं वो दुनिया चला रहे हैं राइट ये मान लिया या नहीं माना जी ऑफ कोर्स ऑफकोर्स अब अगर कोई भी मुल्क इस दुनिया में रिस्पेक्ट उसको चाहिए तो उसको लिबरल जो मोरल वैल्यूज है वो और इसी तरीके से कैपिट जम अपने मुल्क में लाना पड़ेगा वरना आपके ऊपर सक्शन वरना आपके ऊपर सैंक्शन लगे रहेंगे इसमें इस कोई शक ही नहीं है कि लिबरल वर्ड र को जो भी अपोज करेगा वो ठीक तो बस अब बात हो गई खत्म तो

(22:21) इसका मतलब यह हुआ कि अगर मान लीजिए एक ब्लॉक 50 मुल्कों का बनता है कि जहां इस्लामी उसूलों की बुनियाद पर वो ब्लॉक पूरी दुनिया में मसलन अपना पैगाम लेकर जाते हैं तो बहुत सारे ऐसे मुल्क होंगे जो उस ब्लॉक के साथ फ्रेंडशिप कायम करेंगे और इस लिबरल ऑर्डर के जुल्म से निजात मिलेगी ना सिर्फ उन मुल्कों को बल्कि उस मुल्क में बसने वाले हर इंसान को कुछ मुल्क करें बट कुछ मुल्क जो है वो उसको अपोज भी करेंगे जो मुल्क अपोज करेंगे तो दुनिया के अंदर एकदम बाइपोलर सिस्टम कायम हो जाएगा यानी दो पोल्स होंगे अभी क्या है एक सुपर पावर है आप उसकी उसके साथ

(22:58) हो या उसके खिलाफ हो जब आप दुनिया में दो सुपर पावर्स होंगी तो जरा जो निजाम है वो मेंटेन होके रहेगा ना अभी तो मेंटेन नहीं है अभी तो जिसकी लाठी उसकी भैस वाला मामला है हमारी बात इस पर पहले भी हो चुकी है मेरा ऐसा कोई अपोजिशन जो मतलब मैं जो मेरा जो है वो इस्लामिक सिस्टम पर है इस्लाम एज अ रिलीजन पर नहीं है क्योंकि इस्लामिक सिस्टम अगर लागू हो जाता है एक तो पहली बात ये लागू होना नहीं है क्यों क्योंकि आपको लगता है कि 50 मुस्लिम कंट्री एक साथ हो जाएंगे सवाल ही नहीं उठता इवन सऊदी अरब और यूएई एक ना होंगे जिनकी एक लैंग्वेज है अरब जिनका एक मतलब वही वहाबी इलाम ठीक है

(23:34) हमने मान लिया किस हमने मान लिया कि एट दिस सुनिए सुनिए दोबारा हम कंट्रीज में चले गए कि वो ऐसा है वो ऐसा है हम किसी मुल्क के बारे में बात नहीं करते कि फला ऐसा फला ऐसा हम कांसेप्ट के ऊपर बात कर रहे हैं एक थॉट प्रोसेस मैं आपके दे रहा हूं कि अगर ऐसा हो गया तो आपने भी तो थॉट प्रोसेस हमें दिया ना अगर खिलाफत आ गई तो आप ही ने तो थॉट प्रोसेस दिया तो थॉट प्रोसेस के ऊपर बात हो रही है कि अगर निजाम आ गया तो उसके ये फायदे हैं अब वो निजाम कैसे आएगा उसमें कितने मुक आएंगे कितने नहीं आएंगे ये ना मेरा डिस्कस करने का काम है ना आपके डिस्कस करने का काम हैय

(24:02) हमारे ये हमारे स्कोप से बाहर बाहर की चीज है मैं भी पॉलिटन नहीं आप भी नहीं है हा क्योंकि ये बस हाइपोथेटिकल सिनेरियो है क्योंकि अगर ऐसा ही होता तो ईरान इराक की जंग ना होती पाकिस्तान फिर दोबारा फिर दोबारा पिकुल इशू के ऊपर आ गए कांसेप्ट के ऊपर बात करें आप कांसेप्ट के ऊपर टिकना नहीं जानते कांसेप्ट के ऊपर टिक के अगर यह थॉट प्रोसेस आपने दिया है कि खिलाफत आ गई तो आपने पूछा कि इंडियन मुस्लिम का क्या फायदा मैं कहता हूं इंडियन मुस्लिम का नहीं इंडियन हिंदू का भी फायदा होगा इंडियन जेनी सिख क्रिश्चन और दुनिया के हर बाशिंदे का फायदा

(24:36) होगा इससे जो है वर्ल्ड का इकोनॉमिक सिस्टम है व बदल जाएगा बिल्कुल बिल्कुल बदलेगा आप अगर अमेरिका में रहते हैं तो आप जरा सा चार आठ महीने बैंक का जो सूद आपने उठाया हुआ है वह ना देकर देखें तो देखें फोर क्लोजर के ऊपर आपकी प्रॉपर्टी कैसे निकलती है आपके घर से छत कैसे उड़ती है यह कैपिट जुल्म है कि आपको ख्वाब दिखाए जाते हैं कि आपकी तनख जो है मसलन महीने की 000 डलर है लेकिन आपको बताया जाता है कि आप 000 पर मंथ अगर मकान लेंगे तो आपको मसलन दो या तीन बेडरूम का मकान मिल जाएगा आपकी आपकी जो सालाना सैलरी है मसलन 50000 डॉलर है आप मकान

(25:16) अफोर्ड कर रहे हैं हाफ ए मिलियन का भाई कहां से लाएंगे सूद देगा सूदी कर्जे आपको मिलेंगे और उसके बाद जब आप सूद देना छोड़ देंगे तो वो छत उठा के ले जाएंगे आपके सर से अब आप खड़े हो गए बीच रास्ते प ये कैपिट जम का जुल्म है भाई नहीं देखते आप सन फ्रांसिस्को की सड़कों पर जॉम्बीज नहीं देख रहे हैं ये कौन लोग हैं ये सारे वो लोग हैं कि जो फोर क्लोजर के मारे हुए इस व सड़क के ऊपर होमलेस है और वहां जाकर वो ड्रग्स का शिकार हो गए हैं इस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी सैन फ्रांसिस्को कैपिटल है होमलेस लोगों की सबसे ज्यादा है जी मैं आपकी बात समझता हूं

(25:51) कि इस सिस्टम में मतलब बहुत सारे फल है और बड़ी इन क्वालिटी भी है टॉप % के पास जो है वो 60 पर है और बाकी जो मतलब लेकिन इसके बावजूद आप इस सिस्टम को सबसे अच्छा समझते हैं भाई आप ये कहते हैं कि सिस्टम को सलाम क्योंकि जो भी कुछ है मतलब इस सिस्टम में जो है बहुत सारी अच्छी बातें भी है बहुत सारी अच्छी बात तो बहुत सारी अच्छी बातें तो भाई तवाफ के कोठे पर और शराब खाने में भी मिल जाएंगी और कोई सिस्टम है नहीं इसके मुकाबले जो की टिक सके और जो की अच्छा हो दैट इज द प्रॉब्लम के आप दूसरे सिस्टम को दूसरे सिस्टम को दूसरे सिस्टम को गुस्ता 100 200 साल से

(26:27) चके प्रैक्टिकली जज नहीं किया गया उसको टेस्ट नहीं किया गया तो आपने सोचा कोई दूसरा टिक नहीं सकता इसको बोलते हैं कि आप अपने प्रेजेंट में ही जीना चाहते हैं आप अपने पास से बिल्कुल डिस्कनेक्ट हो चुके हैं प्रेजेंट जो है ना आप उसको रियल समझ रहे भा यही है बस हकीकत जो मैं देख रहा हूं वही हकीकत है उसके अलावा ना मुझे दाए देखना है ना बाए देखना है तो ये आईक्यू तो घोड़े का होता है घोड़े के इधर इधर लगा दिया जाता है बस वो सामने देखता है ना दाए ना बाए इस्लामिक सिस्टम में जो है पॉलिटिकल राइट्स नहीं मिलेंगे नॉन मुस्लिम्स को तो जो है फिर वो इसके पीछे और न है इसके इसके पीछे एक और रीजन है कि

(27:01) आपकी जो कोर आइडल जीी है उसमें कोई ऐसा सिस्टम नहीं है जो कैपिटल जम से बेहतर लगे आपको अच्छा ऋषि ऋषि ऋषि एक सवाल पर्सनल पूछता हूं आप अमेरिकन सिटीजन है आपको पता है नहीं नहीं है आप उस पर है ना बीव एव बी पर यस यस यस ए1 बी पर है आपको पॉलिटिकल राइट्स है अमेरिका में नहीं है क्यों ये बात पहले होती वेट वेट वेट नहीं नहीं एक मिनट एक मिनट क्यों नहीं है भाई इतने साल इतने साल से आप यूएस में रह रहे हैं टैक्स दे रहे हैं आपके टैक्स के पैसे से हॉस्पिटल स्कूल सड़क बन रही है और आप अकेले नहीं है मिलियंस ऑफ लोग हैं एचव बी वीजा पर अमेरिका में आपको पॉलिटिकल राइट्स क्यों नहीं है

(27:48) भाई जी किधर है आपके पॉलिटिकल राइट्स पैसा तो दे रहे हैं और आप मुझसे ज्यादा टैक्स दे रहे हैं होल्ड ऑन आप मुझसे ज्यादा टैक्स दे रहे हैं किधर चले गए हजरत मैं वही कह रहा था रे भाई बोल रहे होंगे मैं नहीं बताऊंगा जी तो भाई होता यह है कि मैं एज यूएस सिटीजन और मुझ जैसे बहुत सारे लोग हैं जो यूएस सिटीजन है लाखों करोड़ों लोग हैं वो टैक्स एचव बीवी लोगों के मुकाबले में कम देते हैं उनको टैक्स कट ज्यादा है और टैक्स और और पॉलिटिकल राइट्स भी है आपसे टैक्स पूरा वसूला जाता है आपको पॉलिटिकल लाइट नहीं दिया जाता फिर आप कहते हैं कि अरे इस्लामिक सिस्टम में जो है गैर मुस्लिमों को पॉलिटिकल लाइट नहीं है आपको

(28:42) क्यों नहीं है भाई मेरे ख्याल से चले गए ऐसी फिलॉसफी से ऐसी फिलॉसफी से बिलोंग करते हैं हजरत की जहां पे उनके ही कर्म सिद्धांत को मानने वालों को कुछ राइट्स नहीं दिए जा रहे जी आवाज नहीं आ रही भाई हा कौन आया है भाई अब ऋषि साहब आए हैं ऋषि जी भाई आपसे अभी तो बात हुई थी जी मुफ्ती साहब क्या हाल है हां बिल्कुल ठीक तो वो उस दिन आप चले गए थे तो मैं आपसे पूछ रहा था आप अमेरिका में रहते हैं एचव बी वीजा पर आपको कितने पॉलिटिकल राइट्स है टैक्स तो आप मेरे से ज्यादा देते हैं परसेंटेज के तबार परसेंटेज के तबार से कह रहा हूं तो पॉलिटिकल राइट्स

(29:32) आपके कितने हैं जी पॉलिटिकल राइट्स नहीं है क्यों नहीं है आपको तो एक मुल्क में आप टैक्स दे रहे हैं और अभी आप लाइन में लगे होंगे ग्रीन कार्ड के पता नहीं आपको 20 साल में भी मिलेगा कि नहीं ठीक है ये तो आप मानते हैं हां तो 20 2 साल तक के आप टैक्स देंगे इमेजिन करें कि आप अपनी इनकम की 20 टू 25 टैक्स में दे रहे हैं ऑल काइंड ऑफ टैक्स व आपका प्रॉपर्टी टैक्स भी है और उसी तरीके से इनकम टैक्स भी है तो 100 डलर पर 2 डलर गवर्नमेंट ले गई और आपको राइट के नाम पर दिया ठा तो फिर आप कैसे ऐसे निजाम को आला तरीन निजाम एक बेहतरीन निजाम कह सकते हैं आपको कुछ ना दे इन रिटर्न मैं उसी पर

(30:20) आ रहा हूं सब कुछ इसमें देखिए सबसे बड़ा फल यह है आप लोगों की थिंकिंग में कि जो पड़ोस में रहने वाला हिंदू वो हमारे बरा नहीं है पर एक नाइजीरिया में रहने वाला मुसलमान वो हमारे बराबर है नहीं नहीं नहीं ये ये एक इमोशनल बात होय एक इमोशनल बात हो गई है खाली मैटर आप असल ये बताए नहीं नहीं सुने आप ये बताए चकि बात हो रही थी जजिया पर और अब मुझे वो वाली वीडियो और यह वाली वीडियो काट के एक साथ लगानी पड़ेगी जोकि आधे लोगों को क्या 90 पर लोगों को समझ में नहीं आ रहा होगा तो मैं थोड़ा सा यह भी बता दूं के बैकग्राउंड बैकग्राउंड बोल

(30:54) सकते हैं हा ऋषि साहब से मेरी बात हो रही थी दो तीन दिन पहले और इन्होंने इस्लामी निजाम हुकूमत के ताल्लुक से और जो इस वक्त लिबरल निजाम हुकूमत है उसके ताल्लुक से बात की और उन्होंने कहा था कि इस्लामी निजाम अगर दुनिया में राइज हुआ तो उससे गैर मुस्लिमों को खुसूस इंडिया में गैर मुस्लिमों को या और भी दूसरे ममालाकंडम मारे जाते हैं लोगों के ऊपर और जो असलहे का कारोबार होता है महज इसलिए कि कुछ लोग जो असलहा बनाने वाले हैं वेपंस बनाने वाले हैं वो थ्राइव करें और उनकी दौलत बढ़े इसलिए लोगों के हाथों में असला थमा दिया जाता है और एक दूसरे को मारते हैं ये सारी चीजें खत्म हो जाएंगी और दुनिया में इंसाफ प्रीवेल करेगा यह मेरा

(31:47) दावा था और इस पर बात हो रही थी तो इन्होंने कहा कि नहीं इस्लामी निजाम का जो सबसे बड़ी की जो सबसे बड़ी कमी है वो यह है कि गैर मुस्लिमों को उसमें राइट्स नहीं मिलते हैं और ये मैं पहले ही बता दूं कि उसी वीडियो में यह भी बात हो गई थी कि गैर मुस्लिम जजिया देते हैं और जजिया की बुनियाद पर उनको पूरे राइट्स मिलते हैं जो मुसलमानों को मिलते हैं और ये इस मौजू पर मैं कई मर्तबा बात भी कर चुका हूं तो अब बात यहां आती है कि हमने हमारे ऋषि भाई से प्यारे प्यारे ऋषि भाई से पूछा कि भाई आप अमेरिका में रहते हैं एचव बी वीजा पर एचव बी वीजा का मतलब है य यहां वर्क वीजा पर रहते हैं और यहां पर टैक्स देते हैं उसी

(32:21) तरह टैक्स देते हैं जैसा कि एक आम शहरी देता है बल्कि उससे ज्यादा टैक्स देते हैं आम शहरी से ज्यादा नहीं देते यानी मुझसे ज्यादा ये टैक्स देते हैं अमाउंट में नहीं कह रहा हूं मुझे पता नहीं लेकिन परसेंटेज में जरूर देते हैं मुझे जितना टैक्स कट मिलेगा इनको नहीं मिलेगा तो इनको कोई राइट नहीं है तो भाई राइट तो आपको भी नहीं है ना तो फिर आप उस पॉलिटिकल निजाम को कैसे जस्टिफाई कर सकते हैं जी अब आप बात आगे करें देखिए मैंने पहले ही कहा है कि इधर पर टेरिटोरियल और कांस्टीट्यूशनल नेशनलिज्म है आप क्या रिलीजस नेशनलिज्म है आप क्या पड़ोस में रहने वाला ूस रहने वाला

(32:55) ू बराबर नहीं है इसलिए कि कोई चीज रिलीजस है क्या व इसलिए बुरी है आप कैसे कह सकते हैं की जो आपका आट महज इसलिए कोई चीज रिलीजस है म इसलिए व बुरी होगी क्या बास मैंने कह दिया पड़ोस में रहने वाले हिंदू बराबर क दिया इसलिए सही हैने आपसे य कह रहा हूं किसी चीज का रिलीजस होना बुरा होना होता है यह दोनों इक्वल है मैंने आपको कह दिया है बात कहूंगा जैसे ये अभी एक डिस्टेंस का हवाला दे रहे हैं ना तो फिर मैं ये सेम तराज कर सकता हूं कि जो एक नेशनलिज्म में मानता है फॉर एग्जांपल इंडिया की हम एग्जांपल ले लेते हैं तो आपको बहुत से

(33:37) बॉर्डर्स मिल जाएंगे मिसाल के तौर पर चाइना चाइना के जो बॉर्डर है वहां पर दो विलेजेस होते हैं वो आपस में बिल्कुल नजदीक रहते हैं उनके बीच में शायद ही कोई बाउंड्री होती है तो आपके पॉइंट ऑफ व्यू से भी एक बॉर्डर प जो आपस में चाइनीज और इंडियन जो एक किलोमीटर कम से डिस्टेंस में आपस में रहते हैं उस उस इंडियन के लिए एक चेन्नई में रहने वाला इंडियन ज्यादा जो है वो पोर्टेंट है ब उस उसके नेक्स्ट रहता हैम को मानते हैं बस आप आपका दावा हुआ ना भाई आप यह ना कहे कि हम चक मानते हैं इसलिए वो सही है व आप माने कोई भी आदमी आपको इसलिए बुरा नहीं कहेगा या गलत नहीं कहेगा कि आप किसी चीज को मानते

(34:20) हैं व आप माने आपको आपको राइट है भारत का पार्टीशन जब आप कहते जब आप यह कहते हैं कि मैं मानता हूं इसलिए वो चीज बेहतर है यहां हमारा ऑब्जेक्शन आएगा कि आप उसके बेहतर होने को साबित कर मैंने आपको मैंने आपको आप ही के एग्जांपल दे दी और आप उसको डिफेंड नहीं कर पा रहे पन इस्लामिस्म इसी वजह से भारत का पार्टीशन हुआ मैंने आपको आपकी एग्जांपल दे दी अब देखें अब आपके पास चकि कोई जवाब नहीं है तो अब आप इन चीजों पर उतर आए पन इस्लाम भारत का पार्टीशन हुआ फला डि का ये सारी चीज ऐसी है कि अगर हम आज उसका तजिया या उसकी एनालिसिस करने

(34:55) बैठेंगे तो बहुत सारी ओपिनियन होंगी हो सकता है कि ओपिनियन आपके साथ लाइन करे मैं पहले ही बता दूं जी है ना हो सकता है लेकिन आप सरहद के पार दूसरे लोगों से बात करेंगे तो उनकी ओपिनियन कुछ और होगी इसलिए जो पास्ट में हो गया उससे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है या उस पर बहस करने से कोई फायदा नहीं है असल यह कि आज के दौर में या आगे चलकर फ्यूचर में क्या निजाम बेहतर है हम मैं इसीलिए उस दिन भी मैंने आपसे बोला था कि आप इस बात के आदी अपने आप को बनाए कि उसू गुफ्तगू करें यानी प्रिंसिपल्स और थॉट्स के ऊपर बात करें फिलस फ के ऊपर बात करें पटल एग्जांपल अमेरिका और नाइजीरिया

(35:31) और पाकिस्तान में हो गया था इंडिया में इंडिया पाकिस्तान करने से क्या फायदा होगा कोई फायदा नहीं नहीं तो मैं आपकी आईडियोलॉजी पर ही बात कर रहा था आइजी नहीं कर रहे ना आप इंडिया पाकिस्तान पर आ जाते हैं जैसे जैसे गोदी मीडिया के एंक का एक मिनट पाकिस्तान के जिक्र के बगैर पूरा नहीं हो सकता ऐसा लगता है कि आप भी उन्हीं से मुतासिर है नहीं मैं पन इस्लामिस्म के उसम बोल रहा था मुझे को कोई लेना देना नहीं है गोदी मीडिया से ठीक है च चलिए इसी को ले ले पन इस्लामिस्म जो है यानी पूरी दुनिया में जहां जहां मुस्लिम चकि आपका जो क्वेश्चन था वो मुस्लिम मुमा के ताल्लुक से था गैर मुस्लिम मु मालिक के ताल्लुक से

(36:09) नहीं था मुस्लिम मुमा का एक ब्लॉक हो और एक उनका निजाम हुकूमत हो आप इसको इसलिए रिजेक्ट करते हैं कि यह मजहब के नाम पर है राइट नहीं नहीं नहीं तो इससे तो मतलब उम्मत में तो इंडिया के मुसलमान भी आते हैं ना कि नहीं आते हैं नहीं नहीं वो आते जरूर है लेकिन वो सिटीजन नहीं होंगे ना जब तक हिजरत करके वहां नहीं होंगे कोई भी इंडिया का हो या वो लीबिया का उसका फिलीपीन का हो डजन मैटर वो जब तक के उनकी टेरिटरी में नहीं जाएगा उनको कोई राइट्स नहीं मिलेंगे जो इस्लामी हुकूमत में मिलते हैं सीधी सधी बात है हां तो फिर ये बात ही बेमानी है हम लोग जो कर रहे हैं क्योंकि हम लोगों को ये तो आपने शुरू किया ना हम

(36:44) बात कर रहे हम इसीलिए आइडियो जीी पर बात कर रहे हैं मैं इसीलिए इंडिया फिलीपीन और ऑस्ट्रेलिया के मुसलमानों की बात नहीं करता हूं मैं करता हूं आईडियोलॉजिकल कि क्या चीज बेहतर है क्या चीज बेहतर नहीं है सिर्फ निजाम की बात हो रही है यहां नमे और ना आप किसी भी निजाम के खिलाफ खड़े हुए नहीं है यानी एक्टिवली कोई ना तो मैं कर सकता ना आप कर सकते हम सिर्फ बात कर सकते हैं और लोगों में अवेयरनेस पैदा कर सकते हैं हम लोगों को यह बताना चाहते हैं कि आपको जो बेवकूफ बनाया गया गुजताती हैं और होता क्या है कि उस निजाम से में रहने वालों के जरिए टैक्स लेकर

(37:24) कैपिटिस का पेट भरा जाता है गुता 100 साल से ही हो रहा है पहले इंपीरियल और इसी तरीके से जो कॉलोनियलिस्ट थे वो करते थे आज पोस्ट कॉलोनियलिस्ट ये काम कर रहे हैं तो हम सिर्फ उसके ताल्लुक से अवेयरनेस पैदा करते हैं कि नहीं दुनिया में एक निजाम ऐसा भी है जो आपको कहीं ज्यादा इंसाफ और अदल दे सकता है ट्स ऑल मुझे बोलने देंगे नहीं मैं इससे मैं इससे इलाफ करूंगा क्योंकि ऐसा नहीं है कि हमारे पास यही निजाम था हमारे पास आजादी थी किसी भी निजाम को अपनाने के लिए बट हमने विंगली जो है और काफी सोच विचार के बाद इस निजाम को अपनाया ऐसे नहीं है किसी ने मजबूरी में हमें दे दिया हमारे पास आदी सही बात है बिल्कुल सही और हमने कंसंट असेंबली में और

(38:04) तमाम लीडर ने सबने मिलके जो है इस निजाम को अपनाया ऐसी कोई बा कोई इलाफ नहीं है और आप एक बात और कहते हैं कि कोई महादा हुआ है हिंदू मुसलमानों के बीच तो ये कांस्टिट्यूशन ऐसा कोई महादा नहीं है हिंदू मुसलमानों के बीच मौलाना आद कोई मुसलमान लीडर नहीं ट्यूशन बाइंडिंग डॉक्यूमेंट नहीं है कोई नहीं उसके कुछ जो है बाइंडिंग है कुछ बाइंडिंग नहीं है जो जो बाइंडिंग है वो बाइंडिंग क्यों है क्योंकि वो ल है और लोगों ने कबूल किया है उसको मादा हो गया किसी कोद के लिए जरूरी नहीं है कि आप ल कांट काट में टशन एक बाइंडिंग डॉक्यूमेंट है किसी भी नेशन का अमेरिका का हो वो फ्रांस का हो वो

(38:49) इंडिया का हो वो कहीं का भी हो वो बाइंडिंग डॉक्यूमेंट होता है बाय डिफॉल्ट उसम चाहे कांट्रैक्ट का लज ना आए मुद का ल नाए अगर तो फिर आप इन मजत पर गुफ्तगू करना छोड़ बात सुनेंगे आप जी मैं यह कह रहा था कि मतलब ऐसा नहीं है कि यहां पर हिंदू बैठे और मुसलमान बैठे और उन्होने कोई नहीं कह रहा है बात है ये कोई नहीं कह रहा है और दूसरी बात ये आपकी जो नॉलेज है ना हिस्ट्री को बिल्कुल जीरो इस मानगर है कि आपको ऐसा लगता है कि कांट असेंबली में सिर्फ मौलाना आजाद बैठे थे भाई जमीयत उलमा इस मुसलमान की नंबर के तबार से सबसे बड़ी ऑर्गेनाइजेशन है उसकी फुल रिप्रेजेंटेशन कांट असेंबली में थी

(39:28) आपको मालूम होना चाहिए और आप ऐसे कहते हैं जैसे मतलब मजबूरी में किया कहां जाते मुस नहीं नहीं नहीं कोई मजबूरी नहीं थी भाई मजबूरी होती तो वहां टिकना वो टिकते क्यों सारे मुसलमान कोई मजबूरी नहीं थी कोई मजबूरी नहीं थी मैं सिंपली ये कह रहा हूं कि कांस्टिट्यूशन एक बाइंडिंग डॉक्यूमेंट है ठीक है और उस बाइंडिंग डॉक्यूमेंट को मुसलमानों ने करोड़ों की तादाद में कबूल किया ट्स ऑल आई एम ट्रांग टू से क्या कु गलत है और मैं यह भी कह दूं आपसे कि जो मुसलमान मेंबर थे वो सबसे ज्यादा एंथिया थे सेकुलरिज्म के लिए ठीक है अ इसमें

(39:59) इसमें कोई दो राय नहीं है मेरे भाई बात ये हो रही है बात ये हो रही है कि अगर किसी आज आप दो निजाम में कंपेयर करें तो कौन सा निजाम ज्यादा बेहतर है ट्स ऑल ट्स ल आम ट्रांग टू से इंडियन कांस्टिट्यूशन कोई भी कोई भी आप हम सिर्फ कांस्टिट्यूशन की बात करें सेकुलर कांस्टिट्यूशन की मैं इंडिया मैं इंडिया में देखो मेरे पास इंडिया में वोट देने का राइट नहीं है मैं इंडियन सिटीजन नहीं हं ठीक है तो मैं किसी अपने आप को किसी एक मुल्क में नहीं बांध के चलता कि भाई अ चूंकि इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन इंडिया का है लिहाजा वो ग्रेट है ये क्या बात हुई कांस्टिट्यूशन तो लिबरल है वो वो एक सेकुलर कांस्टिट्यूशन है वो एक वो फ्रेंच

(40:37) एंड अमेरिकन कांस्टीट्यूशन से इंस्पायर्ड है अंबेडकर ने खुद तो नहीं कड़ा था ना जी जो यूरोपियन जो अमेरिकन कांस्टिट्यूशन था फ्रेंच कांस्टीट्यूशन था उन सबको पढ़कर एक उन्होंने कांस्टीट्यूशन बनाया और लोगों ने उसको इत्तेफाक कर लिया या उनकी एकक जो उसका क्लॉज है वो उनकी जहन की पैदावार नहीं है वो सारा का सारा यूरोप से ही कॉपी किया हुआ है ना ऑलरेडी आपको आप भी मानते हैं इस चीज को जी हम जो कांस्टीट्यूशनलिज्म है उस पर बात कर रहे हैं ना कि इंडियन कांस्टिट्यूशन या अमेरिकन या फ्रेंच कांस्टिट्यूशन हम कांस्टीट्यूशनलिज्म के ऊपर बात कर रहे हैं हा हां और इसीलिए नहीं है वो हमें सही लगा

(41:08) इसीलिए हमने उसको अडॉप्ट वो ठीक है भाई वो उससे कोई इख्तिलाफ नहीं है जो चीज आपको सही लगी आप वही करेंगे लेकिन जब आप यह कहेंगे आप दूसरी चीज को सही नहीं कह सकते तो फिर इलाफ होगा हम आपकी इस एक्सट्रीमिस्म को एक्सपोज कर रहे हैं बात ये है सिर्फ नहीं तो मैंने कह दिया ना कि पैन इस्लामिस्म आता ही आता है आपकी सोच में उसके बिना आप चल ही नहीं सकते हैं बिना पैन इस्लामिस्म के तो आप हम ये भी इसके जवाब में हम कह सकते हैं कि कांस्टीट्यूशनलिज्म आपकी सोच में आता ही आता है उसके बगैर आप चल नहीं सकते 100% है तो बस बात खत्म हो गई फिर आप हमें पूरा क्या को कह रहे हैं आप भी अगर उसी सोच के

(41:39) अगर आप भी उसी सोच के हामिश आप भी रखते हैं तो फिर आप किसी दूसरे को गलत नहीं कह सकते ट्स वट आम ट्रांग टू से नहीं तो नहीं बराबर है ना मतलब आपके नॉन मुस्लिम आपके निजाम में जी जी जी जी तो वो इसी तरीके से जैसे एचव बी वाले बराबर नहीं है अमेरिकन बस हां तो बस हां तो ये बहुत इंपोर्टेंट क्लिप ये रहेगी हमेशा हां यानी एचव बी वाले बराबर नहीं है ये बात मान लेते हैं हां तो ये हमेशा ये क्लिप रहनी चाहिए आपने ये मान लिया कि एचव बी वाले अमेरिका में बराबर नहीं है और आपके पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है होल्ड ऑन होल्ड ऑन ये तो रहेगी अब आप ताकि मैं

(42:13) आगे की बात मुकम्मल कर दूं रही बात एक इस्लामी निजाम में गैर मुस्लिमों की तो मैं एक मर्तबा नहीं मेरे ख्याल से तो मुझे हजार मर्तबा तो मुझे मैं कह सकता हूं सेफली कि मैंने इस बात को कहा होगा कि रसूलल्लाह सल्ला वसल्लम आखरी वसीयत क्या थी ल मुस्लिमी मुस्लिमी जियों के ताल्लुक से इनके वही हुकूक जो मुसलमानों के और वही जिम्मेदारी जो मुसलमानों कीटिक ट जिम्मेदारी और हुक में आता क्या है पॉलिटिकल ते उसम राइट भी आते और रही बात य पॉलिटिकल राइट का मतलब अगर आप यह कहते हैं लोगों को प्रोटेस्ट का हक होना चाहिए इलेक्शन पार्टिया होनी चाहिए मुसलमानों को भी नहीं है वो इस्लामी निजाम में सब चीज

(42:56) होती नहीं है नहीं नहीं पॉलिटिकल आप अपनी राय जरूर दे सकते हैं लेकिन आप सड़कों पर हंगामा नहीं कर सकते इस्लामी निजाम में आपने देखा कभी सऊदी अरब में एतजाज होते हुए या कभी अफगानिस्तान में एतजाज होते हुए देखा है और मु साब बाय द वे बाय पॉलिटिकल राइट ही मीन रिप्रेजेंटेशन तो रिप्रेजेंटेशन भी अलाउड है रिप्रेजेंटेशन अलग चीज है रिप्रेजेंटेशन मुकम्मल अलाउड है असल असल में क्या है के जो डेमोक्रेसी है उसमें लोग यह समझते हैं कि हमारा डेमोक्रेटिक राइट य है कि हम बसों को जला द हमारा डेमोक्रेटिक राइट है कि हम वहा धरने दे दे जंतर मंतर पर बैठे बस डेमोक्रेटिक राइट क्या है वाइट हाउस के

(43:31) सामने लोग बैठे हैं महीनों से महीनों से एक बुढ़िया बैठी हुई है उस कोई उसको सुनने वाला नहीं है भाई ये कैसा डेमोक्रेटिक राइट है जिसका कुछ नतीजा ही नहीं निकलता और लोग हम अपने डेमोक्रेटिक राइट को इस्तेमाल कर रहे हैं गुंजाइश नहीं है आपके य राइट तो अगर आप उसका फायदा बता दे तो हम भी जान ले प्रोटेस्ट नहीं अपनी ओपिनियन को सही प्लेटफार्म पर देने की गुंजाइश है प्रोटेस्ट होता है सड़कों पर लोगों को आजिज करके पब्लिक प्रॉपर्टी जलाकर उसकी गुंजा उससे उससे क्या होता है मुल्क के अंदर अनार की फैलती है उसकी कोई गुंजाइश इस्लामी निजाम में नहीं है हां अपनी राय

(44:05) आप सही प्लेटफार्म पर दीजिए और चूंकि पूरा निजाम कुरान और सुन्नत पर है इंसाफ और अदल के साथ है तो यह मुमकिन नहीं है कि आप अपनी राय दें और आपकी राय कुरान और सुन्नत के मुताबिक और उसको रिजेक्ट कर दिया जाए इसलिए प्रोटेस्ट की कभी जरूरत पड़ती ही नहीं प्रोटेस्ट की जरूरत पड़ती है जहां निजाम में नक्स हो जहां निजाम में ऐब हो जहां निजाम में कमी हो वहां लोग फिर फ्रस्ट्रेशन का शिकार होते हैं और सड़कें बंद करते हैं और बिल्डिंग जलाते हैं बसे लाते और मरीज अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते यह हशर है डेमोक्रेसी में तो आप कह रहे पॉलिटिकल राइट है नॉन मुस्लिम को पॉलिटिकल हा तो डिफाइन करें पॉलिटिकल राइट से क्या

(44:37) मुराद है पॉलिटिकल राइट से अगर मुराद य कि आप अपनी ओपिनियन दे तो हा बिल्कुल बिल्कुल उनको अपनी ओपिनियन देने का मलय है स तोड़े और बसे जलाए व उसका ह मुसलमान को नहीं है जान क्या बोल रहा ह तो आप बताए पॉलिटिकल राइट क्या मुराद है किसी वो पोस्ट पर जा सकते हैं कौन सी पोस्ट पॉलिटिकल पोस्ट पॉलिटिकल पोस्ट पे जो समझ लीजिए कि इंतजाम है जिसका ताल्लुक इंतजाम से बिल्कुल जा सकते हैं लाइ वो हेड ऑफ द स्टेट नहीं बन सकते क्योंकि हेड ऑफ द स्टेट कांस्टिट्यूशन का गार्डियन है कांस्टिट्यूशन कुरान और सुन्नत है तो जो आदमी कुरान और सुन्नत को ना माने वो गार्डियन कैसे बन जाएगा और किसी पॉलिसी

(45:16) मेकिंग पोजीशन पर जा सकते हैं मसला बिल्कुल जा सकते हैं बिल्कुल जा सकते बिल्कुल जा सकते हैं पॉलिसी मेकिंग पॉलिसी उसम जा सकते हैं एज लंग एज दैट पॉलिसी डजन कांट्रडिक्ट द कुरान एंड सुन्ना सैकड़ों ऋषि भाई आप जी जी जी जी जी गो मैं ये कह रहा था ऋषि साहब आप मुफ्ती साहब ने एक बड़ी अच्छी बात की थी मैं खुद चीज से तंग आ गया हूं जब भी मैं स्ट्रीम करता हूं हमारे हिंदू भाई आते हैं सवाल करते हैं आखिर में जो है वो इंडिया पाकिस्तान करके चले जाते हैं पाकिस्तान की मिसाल देते हैं आप लोग के इवन दो के हम पाकिस्तान को इस्लामिक स्टेट नहीं मानते लेकिन एक मुस्लिम रियासत एक मेजोरिटी मुस्लिम कंट्री आपने बात करी एट द वेरी बिगिनिंग

(45:52) उम्मत की कि भाई नाइजरिया का मुसलमान हमसे ज्यादा करीब है और आपका जो मुल्क का हिंदू वासी है वो ज्यादा करीब नहीं है तो उसके ज्यादा राइट है हमारे राइट नहीं एक मिनट ऋ भाई आपने गुफ्तगू करी मुझे गुफ्तगू करने मैं पूछता हूं राणा भगवान दास जो चीफ जस्टिस ऑफ पाकिस्तान थे वो हिंदू था वो श जिनका इंतकाल हुआ है 2015 में मुत नाइजरिया का मुसलमान क्या पाकिस्तान का चीफ जस्टिस बन सकता है नहीं क्यों नहीं बन सकता बात खत्म हो गई भाई नाइजरिया पाकिस्तान फिश हो गया ये तो आपकी आइजी खिलाफ है ना ये बात तो यही तो मैं क रहा तो तो मैं वही कह रहा हूं अब आपको मैंने

(46:31) बता दिया कि पॉलिसी मेकिंग में भी एक गैर मुस्लिम जा सकता है एज लॉन्ग एज उसकी पॉलिसी या प्रपोज्ड उसकी राय कुरान और सुन्नत जो कि उस मुल्क का कॉन्स्टिट्यूशन होगा उसके खिलाफ ना हो तो फिर आप आप मौलाना मौदी के खिलाफ जा रहे हैं फिर ओ भाई अजीब आदमी है ठीक है चले अब होता क्या है कि जब आप जब आपका इंजन फेल हो जाता है या गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो जाता है फिर आप की गाड़ी रुक जाती है इधर-उधर होने लगती है तो चले आज आज के लिए गुग आज की खत्म हुई ऋषि भाई अब इजाजत लेंगे आपसे

Key Takeaways:

  • Islami nizam me non-Muslims ko legal protection, political participation aur religious freedom milti hai.
  • Jizya aur Zakat ka comparison sirf superficial hai; dono ka nature aur purpose mukhtalif hai.
  • Liberal democracies bhi minorities ko political rights nahi deti—jaise H1B visa holders ka case.
  • IMF aur World Bank jese institutions asal me liberal hukoomaton ko control karte hain.
  • Khilafat ya Islami hukoomat ka nizam agar qayam ho to poori duniya me insaf aur aman barqarar ho sakta hai.

Kya Non-Muslims Ko Islami Nizam Me Political Rights Nahin Milte?

Objection: Liberal secular systems me sab citizens ko barabar ke political rights milte hain, jabke Islami nizam non-Muslims ko inferior samajhta hai aur unko vote dene ya lead karne ka haq nahi deta.

Yeh objection superficial understanding par mabni hai. Pehle ye samajhna zaroori hai ke Islami nizam me har shakhs ko “legal protection”, “property rights”, aur “religious autonomy” di jati hai – chaahe wo Muslim ho ya nahi.

  • Non-Muslims policy making institutions me shamil ho sakte hain jab tak unki policies Quran o Sunnat ke khilaf na hon.
  • Head of State banne ki restriction sirf is wajah se hai ke woh Constitution (jo Qur’an aur Sunnat hai) ko guard nahi kar sakte agar woh us par iman nahi rakhte.
  • Yeh principle har ideological state me hota hai. For example, America me sirf natural-born citizen hi President ban sakta hai.

Fallacy Samjhiye:
Is objection me False Equivalence fallacy hai. Yeh maan lena ke Islam non-Muslims ko “barabar ka insaan” nahi samajhta sirf is wajah se ke wo head of state nahi ban sakte—yeh galat logic hai. America me H1B visa holders saalon tak tax dete hain lekin unko vote ya elect karne ka haq nahi milta. To kya America bhi unko insaan nahi samajhta?


Kya Jizya Zillat Aur Subjugation Ke Liye Hai?

Objection: Islam me non-Muslims se jizya liya jata hai jise log “zillat ka nishaan” samajhte hain, jabke Muslims Zakat dete hain jo ibadat hai. Kya yeh discrimination nahi?

Pehli baat, jizya ek chhota sa tax hai jo Islami state me rehne wale non-Muslims dete hain, taki unki jaan, maal, aur ibadat ki azaadi ki hifazat ki jaye. Yeh security fee hai, aur us waqt ke muqable me kaafi nominal hoti thi.

  • Zakat Muslims ke liye ek ibadat hai.
  • Jizya ek civil protection charge hai, jisme Muslim army non-Muslims ki bhi hifazat karti hai.

Important Comparison:

  • Jizya aik dherh dinar (gold coin) tak hoti thi.
  • Zakat ka hisaab 2.5% annual wealth hota hai—kaee guna zyada.

Fallacy Samjhiye:
Yahan Strawman Fallacy kaam me li gayi hai—Islam ne kabhi yeh nahi kaha ke jizya subjugation ke liye hai. Aitraaz karne wale ne Islam ka nazariya hi ghalat tareeqe se quote kiya.


Liberal Nizam Me Azaadi Ya Sirf Illusion?

Objection: Liberal system me azaadi hai—har fard ko bolne, protest karne aur hakooq ki baat karne ka haq hai. Islami nizam me to yeh sab band hai!

Yeh baat tab sahi lagti hai jab hum system ke superficial layer ko dekhein. Magar asal me:

  • Liberal systems me sirf protest ka illusion diya jata hai.
  • Aam aadmi months tak protest kare, lekin policy change nahi hoti.
  • White House ke bahar saalon se protest ho rahe hain—kya kuch badla?

Islami nizam me protest ki zarurat tab padti hai jab hakumat zulm kare. Jab Quran o Sunnat par chalanewali hakumat ho, to zulm ka possibility kam ho jata hai. Agar koi musla ho bhi, to opinion dene ka platform maujood hota hai—bus tode-phode aur anarchy allowed nahi hoti.

Example: Saudi Arabia ya Afghanistan me aapko street protests nahi milenge, lekin system logon ke liye security aur shariyat based policies implement karta hai.


IMF, World Bank Aur Liberal System Ka Control

Ek bahut bara point ye hai ke duniya bhar ke secular aur liberal systems asal me independent nahi hain.

  • Wo IMF, World Bank jese institutions se loans lete hain.
  • Unhi loans ke badle me unko unki policies bhi follow karni padti hain.
  • Yeh policies aksar us country ki values se match nahi karti.

Result:

  • Aam aadmi pe 50% tak taxes lag jate hain.
  • Health, Education, aur Defence ke naam par jo paisa uthaya jata hai, asal me wo IMF ki conditions puri karne ke liye hota hai.

Agar Islami Khilafat ka ek block ban jaye jo interest-free economy aur shariyat-based nizam par ho, to yeh control break ho sakta hai.


Kya Khilafat Aaj Ki Duniya Me Possible Hai?

Objection: Muslim countries aapas me to mil nahi sakti, to Khilafat ka khwab sirf ek fantasy hai. Saudi aur Iran bhi ikatthe nahi ho sakte.

Yeh objection bhi realistic lagta hai magar sirf aaj ke political landscape ko dekh kar. History me aise bohot dafa hua hai ke ajnabiyon ne ek cause ke liye mil kar kam kiya ho.

  • Aaj agar hum sirf mulkon ke naamon par baat karein, to kabhi unity nahi hogi.
  • Islam mulkon ka nahi, ummah ka nizam hai.

Hum concept ki baat karte hain—Agar Muslim countries Qur’ani usoolon par ikatthe ho jayein to:

  • IMF ka loan system khatam ho sakta hai.
  • Global injustice aur capitalism ki zulm bharpur system break ho sakta hai.
  • Har insaan—Muslim ya non-Muslim—ko insaf mil sakta hai.

Kya Islami Nizam Me Sirf Muslims Ko Rights Milte Hain?

Objection: Islam non-Muslims ko full citizenship aur rights nahi deta. Sirf Muslims ko represent karne ka haq hota hai.

Yeh misunderstanding bhi ya to biased narratives ki wajah se hai, ya phir ignorance ki wajah se.

  • Hazrat Umar (RA) ke daur me Christian judges aur advisors kaam kar rahe the.
  • Aaj ke zamane me bhi agar non-Muslim kisi position me ho jahan wo Qur’an o Sunnat ka muqalif na ho, to usko allow kiya ja sakta hai.

Yani:

  • Guardianship of Shariah ke liye Muslim hona zaruri hai.
  • Magar governance me policy makers aur representatives non-Muslims ho sakte hain—jab tak wo Islam ke mukhalif agenda na layein.

Natija

Is maqale se ye wazeh hota hai ke Islam ka nizam sirf Muslims ke liye nahi, balki poori insaniyat ke liye ek behtareen alternative hai. Liberal nizaam ki jo problems hain—chahe wo IMF ka pressure ho, ya political rights ka illusion—un sab ka solution Qur’ani nizam me paaya jata hai.

Jizya ka tax ho ya Khilafat ka concept, in sab ka maqsad zillat nahi, insaf, barabari aur stability hai. Islam kisi ka haq nahi chheenna chahta, balki har shakhs ko uska haq dena chahta hai—lekin ek usooli buniyad par.

Aaj ki dunya me agar Islamic nizam qayam ho jaye, to yeh sirf Muslims nahi, non-Muslims ke liye bhi rehmat banega. Har mulk me aman, barabari aur waqar qayam ho sakta hai.


FAQs

Q: Kya Islami nizam me non-Muslims ko vote dene ka haq hota hai?
A: Voting ka concept Islam me ba-mani hai magar uska tariqa secular democracy se mukhtalif hota hai. Non-Muslims ko apni rai dene aur participation ka haq milta hai, lekin head of state ka role Muslim ke liye mukarrar hai.

Q: Kya Khilafat realistic hai jab Muslim countries divided hain?
A: Aaj ke halat me mushkil lagta hai, lekin ye impossible nahi. Yeh maqasid pe depend karta hai. Agar Muslim mulk usoolon par ikhatte hon to unity mumkin hai.

Q: IMF aur World Bank ka kya asar hota hai mulkon par?
A: Yeh institutions loans ke zariye mulkon ki policies ko control karte hain. Inki wajah se local hukoomatein apne values ke khilaf decisions leti hain.

Q: Kya jizya non-Muslims ko neecha dikhane ke liye hota hai?
A: Nahi, jizya ek civil duty hai jo unki protection aur legal security ke badle me li jati hai. Yeh Islamic welfare model ka ek hissa hai, aur zillat nahi.

Q: Kya protest Islam me mana hai?
A: Islam anarchy aur damage wale protests ko mana karta hai, lekin constructive criticism aur opinion ko platform dene ki guzarish karta hai. Quran o Sunnat ki roshni me hukoomat ko guide kiya ja sakta hai.


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