Transcript: (00:00) इफ इट इज नॉट प्रूवन इट मींस इट डजन एक्सिस्ट फिलहाल बाद में क्या हो सकता है कुछ भी हो सकता है लेकिन फिलहाल तो ऐसे ही है लोगों को पता ना होना आपने कहा कि अगर इफ इट नॉट प्रूवन इट मीन इट डजन एसिस्ट तो एक्सपेंशन ऑफ द यूनिवर्स वाज नॉट प्रूवन उस वक्त प्रूवन नहीं था तो क्या आप कह रहे हैं कि इट डन इवन एक्सिस्ट तो हमारे जो नौजवान है वो एक बबल में जी रहे हैं यानी उनके इर्दगिर्द वेस्टर्न सिविलाइजेशन ने एक बहुत मजबूत बबल बना दिया आप टीवी उन्हीं का देखते हैं चाहे वह किसी भी लैंग्वेज में हो अभी कुछ दिन पहले इस्माइल
(00:34) हनिया का की शहादत हुई तो उनकी शहादत को कुछ लोगों ने फेसबुक के ऊपर सिर्फ रिपोर्ट किया कहा कि आज जी उनको शहीद हो गए तो फेसबुक ने इस नाम को रिस्ट्रिक्टर दिया कि आप जैसे ही कोई पोस्ट लगाएंगे इस नाम के साथ आपकी पोस्ट को डिलीट कर दिया जाएगा ये यह कौन है भाई श्री राम श्रीराम शेख यह कौन सा नाम है इस नाम को हल किया जाए पहले ये फ नन मुस्लिम है नॉन मुस्लिम ही है शुरू से ही लगे थे कमेंट में कि मुझे जवाइन होना है अच्छा अच्छा दीजिए इनको जी भाई ये तो आपने अजीब नाम रखा है श्रीराम शेख क्या बात क्या हाल चाल वो बस ऐसे ही
(01:21) दोनों दोनों का मिला के रख दिया नहीं गंगा और जमुना हां अच्छा उस टाइप का हां जी आपको आपकी पहली बार जुड़ रहा हूं आपको आपका ह एपिसोड है इसलिए आपको बहुत बहुत मुबारकबाद शुक्रिया मेरा एक्चुअली मैं किसी बिलीफ को नहीं मानता हूं मैं एथस भी नहीं बोलता हूं खद को तो आईम लाइक कंपलीटली न्यूट्रल आई एम नोवेयर तो मेरे मेरे कुछ सवाल थे आपने कहा आप किसी बिलीफ को नहीं मानते यानी आप सनातनी नहीं है आप मुसलमान नहीं है आप सिख जैन कुछ नहीं है और एक कुछ नहीं नहीं ये कैसे पॉसिबल है अगर आप इसको किसी कैटेगरी में रखना चाहे तो आपके हिसाब से रख सकते लेकिन मैं तो नहीं मानता नहीं मेरे हिसाब से तो मैं
(02:13) नहीं रख सकता ना मैं सामने वाले को कैसे कटेग करूं सामने वाला खुद बताएगा ना अपना तारुफ अब मसलन अगर कोई आदमी आकर यह कहे मुझसे ये सिर्फ एग्जांपल है के ना तो मैं इंसान हूं ना मैं जानवर हूं ना मैं फरिश्ता हूं ना जिन हूं तो अब हम उससे पूछेंगे भाई यह क्या बात हुई कुछ ना कुछ तो हो तुम यह तो पॉसिबल नहीं है तो आपको यह यानी ठीक है आपका कोई बिलीफ सिस्टम नहीं है तो जिसका कोई बिलीफ सिस्टम नहीं होता वह या तो अपने आप को एथ कह लेता है एनोट कह लेता है स्केप्टिक कह लेता है डिस्ट कह लेता है बहुत सारी चीजें हैं आपने यह भी इंकार कर दिया कि मैं एथ भी
(02:46) नहीं हूं तो सवाल यह है कि ऊपर वाला जिसको हम खुदा कहते हैं खुदा है या नहीं है उस ताल्लुक से आपका क्या नजरिया है तो अगर आप चाहे तो फिर मुझे एग्नोर या फिर स्केप्टिक की कैटेगरी में रख सकते हैं ठीक है नहीं आप चाहूं का मतलब नहीं है आप खुद बताएं कि कौन सी कैटेगरी आपको सूट करती है खुदा के ताल्लुक से चले अभी तय हो जाएगा खुदा है या नहीं है आप पूछ रहे हैं मुझसे जी वो मुझे पता नहीं आई डोंट नो ठीक है आपको नहीं पता कि खुदा है या खुदा नहीं है सही लेकिन जब तक ऐसे प्रैक्टिकली देखा जाए या फिर इन जनरल देखा जाए इ समथिंग नॉट यट प्रूवन इट मी इट
(03:32) नस्ट इफ इट इज नॉट प्रूवन इट मींस इट डजन एक्सिस्ट फिलहाल बाद में क्या हो सकता है कुछ भी हो सकता है लेकिन फिलहाल तो ऐसे ही है यह प्रिंसिपल चले इसी प्रिंसिपल पर बात कर लेते हैं यह प्रिंसिपल तो गलत है के अगर कोई चीज अभी तक प्रूव नहीं की जा सकी तो वह एजिस्ट नहीं करती यह प्रिंसिपल गलत है क्या आपको लगता है कि आज से अगर हम 100 साल पहले चले जाए अ 1929 से पहले एडविन हबल की टेलिस्कोप से पहले जब यह डिस्कवर नहीं किया गया था कि यूनिवर्स एक्सपेंड कर रहा है तो आपको क्या लगता है कि उस वक्त यूनिवर्स एक्सपेंड नहीं कर रहा
(04:15) था हम बोल सकते मतलब हो रहा था लेकिन लोगों को पता नहीं था तो लोग तो य अजूम करते थे कि नहीं है लोगों को पता ना होना आपने कहा कि अगर इफ इट नॉट प्रूवन इट मींस इट डजन एक्सिस्ट तो एक्सपेंशन ऑफ द यूनिवर्स वाज नॉट प्रूवन उस वक्त प्रूवन नहीं था तो क्या आप कह रहे हैं कि इ न एसिस्ट नहीं हो रहा था लेकिन अम तो य था किसे तो आप को यही तो कहेंगे ना लोगों की इग्नरेंस थी हा बोल सकते वैसे साइंस टेक्नोलॉजी उतनी नहीं हुई थी ब टेक्नोलॉजी या साइ इनी नहीं हुई थी लोगों में इग्नरेंस थ लेकिन आप यह नहीं कह सकते कि एक्सपेंशन ऑफ द यूनिवर्स एसिस्ट नहीं करता था तो नहीं बोल सकते उस वक्त
(05:01) क्योंकि अगर टेलिस्कोप या फिर उस टाइप की टेक्नोलॉजी नहीं थी वो टाइम प तो ऐसे नहीं था कि वो अवेलेबल थी और लोग जानबूझ के उसको इग्नोर कर रहे थे ऐसे नहीं बोल सकते हम लोग इग्नोर का मतलब जानबूझकर इग्नोर करना नहीं होता मेरे भाई इग्नोर का मतलब बस इग्नोर है क्या पता नहीं जिसको हम यानी लोगों को पता नहीं था उसी को आप इंग्लिश में इग्नोर कहते हैं ठीक है तो ऐसे ही इसका मतलब ये हुआ कि ये जो उसूल हैय जो प्रिंसिपल आपने दिया यह प्रिंसिपल कंसिस्टेंट नहीं है यह गलत है कि अगर लोगों को पता नहीं है तो वो चीज एसिस्ट नहीं करती मतलब सेम जैसा एलियन अगर आप पूछेंगे कि अभी एलियन है या नहीं पॉसिबिलिटी है क्योंकि इतना बड़ा सोलर
(05:38) सिस्टम और यूनिवर्स है इतनी सारी गैलेक्सी है सोलर सिस्टम होंगे ठीक पॉसिबिलिटी तो यह बोलती है कि देर प्रोबेबिलिटी ऑफ सम समर द लाइफ फम एसिस्ट लेकिन अब तक मिला नहीं है तो अगर पूछा जाए कि एलिय एलिस एक्सिस्ट तो अभी हम बोलेंगे नहीं नहीं आप कभी तो आप कहते हैं कि पॉसिबिलिटी है प्रोबेबिलिटी पॉसिबिलिटी से ऊपर आप प्रोबेबिलिटी पर चले गए कि प्रोबेबिलिटी भी है फिर क नहीं है क्योंकि मिला नहीं ना अब तक नहीं आप यह जवाब नहीं देंगे आप जवाब यह देंगे कि हो सकता है कि हो सकता है ना हो सता मोस्टली हो सकता है ठीक है तो देखें यह जो आपका आर्गुमेंट या जो
(06:22) प्रिंसिपल है इसके अंदर यह बुनियादी तौर पर प्रॉब्लम है क्योंकि मसलन अगर आप किसी एक मुल्क में है कि जहां इंटरनेट नहीं है टीवी नहीं है या मालूमात बहुत कंट्रोल्ड है इमेजिन करें कि आप नॉर्थ कोरिया में है जहां सिर्फ स्टेट टीवी है और आपको सिर्फ यह बताया जाता है जो किंग जॉन उमक चाहता है वो आपको बताया जाता है अब आपको नहीं पता कि अमेरिका नाम की भी कोई चीज है या हो सकता है कि आपको पता हो लेकिन यह नहीं पता कि अमेरिका में लोग किस तरह रहते हैं क्या खाते हैं क्या पीते हैं कैसा मुल्क है य और आपको मसलन कनाडा का आपने कभी नाम नहीं सुना तो क्या कनाडा एजिस्ट नहीं करता
(07:00) नॉर्थ कोरियंस के लिए ऑफ कोर्स कनाडा एक्जिस्ट करता है ये उनकी इग्नोर है के उनको नहीं पता ऐसे ही खुदा के बारे में कहा जा सकता है कि आपको नहीं पता इसका मतलब ये है कि आपकी इग्नोर हुई ना उससे ये कैसे साबित हो कि खुदा मौजूद नहीं आपने आपने नॉर्थ कुरिया का एग्जांपल दिया उसको इग्नोर नहीं बोल सकते हम लोग वो बोल सकते हैं वो रिस्ट्रिक्टेड है उनके ऊपर बहुत सारी पाबंदी या फ रिस्ट्रिक्शन है जिसके कारण उन परमिशन नहीं है एक्सप्लोर करने की तो इग्नरेंस नहीं बोल इग्नरेंस ऐसे कि आप कुछ कर सकते लेकिन वह जानबूझ के आप टाल रहे या फर इग्नोर कर रहे ठीक है चले हम इसी को लेते हैं
(07:36) रिस्ट्रिक्शन हम रिस्ट्रिक्शन किस तरीके से आती है रिस्ट्रिक्शन आती है बाज मर्तबा हुकूमत या कोई गवर्नमेंट कोई कानून बना देती है जैसे नॉर्थ कोरिया में यह कानून बना दिया कि आप बाहर का टीवी चैनल यट इंटरनेट यह कुछ नहीं देख सकते अगर देखे गए पकड़े गए तो आपको जेल है और एक रिस्ट्रिक्शन इस तरह आती है कि आपका जो एनवायरमेंट है वो इस तरीके से चेंज कर दिया गया कि आपको एहसास भी नहीं हुआ कि आप एक बबल में पहुंच गए यह भी एक इस तरह की रिस्ट्रिक्शन है हां हो सकता है हां जी तो गुजर्ता 100 साल से हम जिस दौर में जी रहे हैं चाहे वो कॉलोनियल एरा हो या पोस्ट
(08:13) कॉलोनियल एरा तो हमारी जो नौजवान है वो एक बबल में जी रहे हैं यानी उनके इर्दगिर्द वेस्टर्न सिविलाइजेशन ने एक बहुत मजबूत बबल बना दिया आप टीवी उन्हीं का देखते हैं चाहे वो किसी भी लैंग्वेज में हो वो हिंदी में हो कि तमिल में हो कि इंग्लिश में हो मूवीज आप उन्हीं की देखते हैं उन्हीं के आइडियो जीी को ऊपर देखते हैं [संगीत] करके फिर कंक्लूजन पर जा सकते हो मिसाल के तौर पर अगर आप मैं अगर फ के ऊपर एलजीबीटी के खिलाफ कोई सबूत द और यह कहूं कि यह लोग जो है इनमें एक मेंटल डिसऑर्डर होता है यह नेचुरल बिहेवियर नहीं है आपको क्या लगता है कि फ मेरी वो पोस्ट डिलीट करेगा या बाकी रखेगा वो मुझे पता नहीं फ में यूज
(09:20) नहीं करता चलिए मैं यूज करता हूं तो मैं बताता हूं कि फ ्र फौरी तौर पर उसको डिलीट कर देगा ऊपर अगर मैंने यह कह दिया तो हो सकता है कि कुछ लोग रिपोर्ट करें और मेरी वीडियो को डिलीट कर दिया जाए मेरे चैनल को बैन कर दिया जाए ठीक है तो इसका मतलब तो यह हुआ ना कि जो मालूमात है इंफॉर्मेशन है वो बहुत रिस्ट्रिक्टेड है आप दूसरी साइड तो दिखा ही नहीं सकते आपने कभी सोचा है कि आप दुनिया की किसी भी य यूनिवर्सिटी में जाएं और एवोल्यूशन बायो जो यानी एवोल्यूशन है बायोलॉजिकल उसके खिलाफ आप जरा रिसर्च करके दिखाएं क्या आप रिसर्च कर लेंगे डार्विन एन एवोल्यूशन के खिलाफ यूनिवर्सिटी में
(10:00) हां रिसर्च कर सकते हैं हां नहीं कर सकते रिसर्च करके हम लोग पेपर सबमिट कर सकते कर सकते भाई आपका प्रपोजल ही एक्सेप्ट नहीं हो रिसर्च करने का पूरा तरीका होता है क्योंकि मे ल से जब ये तो थरी बहुत पहले मैंने स्कूल में पढ़ी थी और मैं मुझे बताया तो यह बहुत पहले प्रपोज की गई थी और इसके अगेंस्ट बहुत मतलब ओबवियसली लोगों ने जो बड़े बड़े साइंटिस्ट है जो डार्विन के साथ जो मतलब सहमत नहीं थे उन्होंने ट्राई किया होगा अभी भी करते होंगे ले लेकिन बहुत नहीं हो पाया अब तक कोई भी नहीं कर सकता कर सक मैं वही कह रहा हूं कि आपकी जो मालूमात है वो वही रिस्ट्रिक्टेड इंफॉर्मेशन है आपको नहीं
(10:38) पता जब आप उस रिस्ट्रिक्टेड इंफॉर्मेशन से निकलेंगे तो आपको कहीं ना कहीं कुछ पीसे मिल जाएंगे तो चंद साइंटिस्ट ऐसे जरूर हैं लेकिन यह वो साइंटिस्ट है कि जिन्होंने अपने करियर का की कोई परवाह नहीं की उनको फोर्स किया गया यूनिवर्सिट से निकाला गया और उनकी जॉब्स गई लेकिन वो अपने उस नजरिए पर खड़े रहे क्यों क्योंकि वो डार्विन एल के खिलाफ बोल रहे थे माइकल बी ही एक बड़ा नाम है इस ताल्लुक से कभी सर्च करें तो मिल जाएगा पॉइंट ये है कि जब आप यूनिवर्सिटी में कोई रिसर्च करते हैं तो पीएचडी लेवल के ऊपर जाकर तो पहले आप अपना टॉपिक मुंतखाब करते हैं टॉपिक तय करने के
(11:13) बाद फिर आप उसको उसका प्रपोजल देते हैं प्रपोजल पर को डिफेंड करते हैं उसके बाद फिर आप रिसर्च करते हैं फिर वाइवा होता है तो आप जिस जब टॉपिक आप देंगे ना अपने प्रोफेसर को और मान लीजिए आपने प्रपोजल दे भी दिया तो जो आपका डिपार्टमेंट है वो उसको अ डिफेंस के लिए आगे बढ़ने ही नहीं देगा यह पूरी दुनिया की यूनिवर्सिटियोफकालीकट बात अलग है लेकिन अगर आप वेस्ट में आ जाए तो यहां तो पॉसिबल ही नहीं है आपको फंडिंग ही नहीं होगी क्योंकि यहां यूनिवर्सिट में पीएचडी लेवल पर फंडिंग होती है गवर्नमेंट की तरफ से आपको फंडिंग ही नहीं मिलेगी पॉसिबल हीरे ख्याल से आप मतलब बहुत कुछ
(11:52) एक्सेप्शनल एग्जांपल देख के बोल रहे होंगे लेकिन मेरे ख्याल से ऐसे नहीं होगा मैं रता ह नहीं ता कि किस तरीके से लेबोरेटरीज के जो फंड्स होते हैं वो बंद हो जाते हैं जब आप उनके जो तोर तरीके जो मतलब जिनको आप टैबूस बोलते हैं ना मतलब उस उस सेंस में तो वहां मिसाल के तौर पे आई कैन गिव यू हंड्रेड्स ऑफ एग्जांपल्स की कन्वर्जन थेरेपी होमोसेक्सुअलिटी के जी जेनेटिक इशू पे जब लोगों ने आउट ऑफ द बॉक्स जाकर रिसर्च करने की कोशिश की है दे हैव बीन कैंसल्ड बाय दी साइंटिफिक अडम क्यों बिकॉज दे हैव पॉलिटिकल बायस तो ये तो सीधी सी बात है ये इसमें तो बहुत से रिसर्च पेपर्स मैं आपको दे दूंगा हां ये कोई कोई कोई कोई
c(12:27) कंट्रीज में हुआ होगा एक्सेस ये पूरे वेस्टर्न वेस्टर्न एटमॉस्फेयर की मिसाल है ये सिर्फ ऐसा नहीं कि कोई पूरा वेस्टर्न एटमॉस्फेयर इसी के ऊपर खड़ा हुआ है ठीक है अनलेस ये कि अगर आप कोई बहुत मजबूत रिलीजस कंट्री हो तो बात अलग है मतलब आप सऊदी अरब में काम करेंगे हो सकता है कि सऊदी अरब में कर ले अभी लेकिन जाहिर है कि इसीलिए दुनिया सऊदी अरब को यह कहती है कि एक्सट्रीमिस्ट लोग हैं क्यों इसलिए कि वो आउट ऑफ द बॉक्स जाकर बहुत सी चीजें करते हैं तो इससे साबित यह हुआ कि आप खुद एक रिस्ट्रिक्टेड एनवायरमेंट में जी रहे हैं
(12:58) उसकी ताजातरीन मिसाल बताता हूं मैं आपको अभी कुछ दिन पहले इस्माइल हनिया का की शहादत हुई तो उनकी शहादत को कुछ लोगों ने फेसबुक के ऊपर सिर्फ रिपोर्ट किया कहा कि आज जी उनको शहीद हो गए तो फबुक ने इस नाम को रिस्ट्रिक्टर इस नाम के साथ आपकी पोस्ट को डिलीट कर दिया जाएगा तो क्या यह रिस्ट्रिक्शन नहीं है रिस्ट्रिक्शन सिर्फ हुकूमत की तरफ से नहीं आता रिस्ट्रिक्शन एनवायरमेंट भी क्रिएट करता है पूरी कम्युनिटी मिलकर एक सिविलाइजेशन मिलकर क्रिएट करती है आपके पास जो इंफॉर्मेशन है वो रिस्ट्रिक्टेड इंफॉर्मेशन है यही वजह है कि आप उससे बाहर नहीं निकल पाए और आपने रिलीजन को डिनाउंस
(13:41) कर दिया कि मैं रिलीजस हूं ही नहीं क्यों क्योंकि रिस्ट्रिक्टेड इंफॉर्मेशन थी अगर आपके पास अनरिस्ट्रिक्टेड और अन बायस इंफॉर्मेशन होती तो हो सकता है कि आज आपका वो अप्रोच ना होता जो है आप ये कुछ मतलब ऐसे य मुझे मैं पर्सनली तो ऐसे सेंस नहीं बन रहा कि एवरीथिंग इ रिस्ट्रिक्टेड आपको मतलब कुछ प्र कुछ सो कुछ मतलब आंसर्स ढूंढना चाहो तो ढूंढ नहीं सकते क्योंकि यू आर रिस्ट्रिक्टेड बाय द गवर्नमेंट या फिर जो भी आपको कंट्रोल करता है मीडिया कंट्रोल्ड डज नॉट नो दैट ही कंट्रोल्ड यह तो उसूल है ना अगर आपकी आंख पर पर्दा डाल दिया गया तो आपको वही दिखेगा ना जो पर्दे पर दिखाया जा रहा है उसके
(14:26) बाहर तो आप देख ही नहीं सकते ना तो आप आप क्या बोल रहे हो स पर्दे के आगे कैसे कैसे देखे हां जब आपको य एहसास हो जाएगा कि पर्दा है तो पर्दे के आगे फिर दिखना शुरू हो जाएगा अभी आपको य एहसास नहीं है अभी आप ये कह रहे मैं कंट्रोल भी नहीं हूं जबक आप बहुत ज्यादा कंट्रोल ठीक है क्यों आपकी जो सोर्स ऑफ इंफॉर्मेशन है आपकी जो सोर्स ऑफ नॉलेज है वो वही है कि जो उस कंट्रोल एनवायरमेंट ने क्रिएट किया है आपके लिए ऐसे हो सकता है किस दिस आल्सो अपला टू यू आल्सो बी यूर आल्सो कंट्रोल्ड और ब्रेन वाश ट्स व यू बिलीव ट य बिलीव आपको कैसे पता कि सच क्या
(15:01) है फिर हाउ ड यू हा ये ये ये ये आपने सही सवाल किया लेकिन उसका जवाब आपको दे देता हूं देखिए जवाब ये है कि हम इस वक्त अगेंस्ट ऑल द ऑड्स जाकर बात कर रहे हैं पूरी जो वेस्टर्न एटमॉस्फेयर है वेस्टर्न सिविलाइजेशन वो वेस्टर्न सिविलाइजेशन सिर्फ वेस्ट में नहीं है सिर्फ अमेरिका इंग्लैंड में नहीं है वो आपके गांव और कस्बे में भी है ठीक है चूंकि जो करिकुलम है दुनिया का कॉलेज का स्कूल का जो भी है वो सब वही है जो वेस्टर्न एकेडमिका है हम उसके मुखालिफ जाकर बात करते हैं आप मतलब वेस्टर्न आपका मतलब जो सास पढ़ जा है इ अगेंस्ट ऑल द ऑड्स जाकर आप बात करें तो उसका मतलब यह कि आप उस कंट्रोल्ड एनवायरमेंट के खिलाफ बात कर रहे हैं और वो
(15:44) हमेशा वो लोग माइनॉरिटी में होते हैं आपको इसकी एक मिसाल देता हूं मिसाल यह है के यह जो जब फ्रीडम फ्रीडम फाइट चल रही थी इंडिया में तो कितने लोग फ्रीडम फाइटर्स थे बहुत कम लोग पूरा इंडिया पूरी पॉपुलेशन तो फ्रीडम फाइट में शामिल नहीं ली चंदी लोग थे यह वो लोग थे जिनको एहसास था कि हमें गुलाम बना लिया गया क्या अंग्रेज आसानी के साथ कब्जा कर सकता था कि अगर इंडियन अंग्रेज का साथ ना देते उन्होंने साथ दिया फौज में तो सारे इंडियन ही थे ना व तो ऊपर की रैंक में सारे अंग्रेज होते थे रे हुए थे कुछ न् मतलब य वो कुछ लोग थे जिन्होंने कहा कि
(16:28) नहीं हम इस कंट्रोल में नहीं जिएंगे वो खड़े हो गए और अंग्रेज के खिलाफ लड़ने लगे तो इसका मतलब यह हुआ कि जो अगेंस्ट ऑल द ऑड्स जाकर बात करता है वो कंट्रोल्ड एनवायरमेंट में नहीं है जो उस एनवायरमेंट को सपोर्ट करता है वो कंट्रोल्ड एनवायरमेंट में आप सपोर्ट कर रहे हैं मैं उसके खिलाफ जाकर बात कर रहा हूं और हम माइनॉरिटी में आप मेजॉरिटी में है मैं मैं कैसे मेजॉरिटी में आ गया मैं बताता हूं क्या मुसलमान मुसलमानों में भी सब क्या वो बात कर रहे हैं जो हम कर रहे हैं नहीं कर रहे जिस तरीके से हम इस्लाम का मुकदमा पेश करते हैं 99 पर मुसलमान नहीं
(17:10) करते हैं हम तो अपने आप को 1 पर मानते हैं मुसलमानों में तो मेरे भाई कहने का मकसद यह कि आप एक रिस्ट्रिक्टेड एनवायरमेंट में है बात बहुत दूर चली गई पूछना पूछने के लिए कुछ और आया था लेकिन आप दूसरी तरफ ले गए कक शायद वो मेरा ये नहीं था मुझे एक्चुअली पूछना था कि इस्लाम जिस तरह से मैंने जो सारे सारे तो नहीं बोलूंगा जो मेजर रिलीजन है उनके बारे में पढ़ा था आउट ऑफ क्यूरिसिटी की कैसे वो एक्जिस्टेंस में आए उनके पीछे क्या रीजन था कैसे इ वल्ड हुए तो मैंने पढ़ा कि इस्लाम जो है वो अराउंड सिक्स सेंचुरी ऐसे अस्तित्व में आया था जब बुक मिली थी
(18:00) कुरान प्रोफेट मोहम्मद को तो उस टाइप से ऐसे हिस्टोरिक वो देखते हम देखते कि सिक्स सेंचुरी से एजिस्ट में आ था मेरा क्वेश्चन य है कि सिक्स सेंचुरी से पहले तो बहुत सारे जो बिलीव्स थे वो एक्जिस्टेंस में थे जैसे कि हिंदुइज्म बुद्धि जैनिम और उससे पहले भारत के बाहर भी बहुत सारे बिलीव्स थे एकस्टम तो इतनी देर क्यों हो ग मतलब रीजन क्या है सि सेंचुरी में रीजन वही मेरे भाई रिस्ट्रिक्टेड एनवायरमेंट है जिसमें आप जी रहे हैं य तो नहीं ये तो ये तो प्रूवेबल नहीं है आप ऐसे बोल सकते ने प्रू कर दिया अब आप उसको सुन लीजिए एक मिनट जवाब दे देता देखि आपका यह सवाल दरअसल सोशल मीडिया का भी
(18:46) नहीं सिर्फ का सवाल है जो आपको ट से बताया गया इस्लाम जो है व तो 1400 साल पहले आया ही इंफॉर्मेशन के लिए यूज करना कोई जरूरी नहीं है तो यह कहना कि इस्लाम 600 एडी में आया यह दलील है इस बात की कि आपकी जो सोर्स ऑफ इंफॉर्मेशन है वो बहुत लिमिटेड एंड रिस्ट्रिक्टेड है हमने कभी यह नहीं कहा कि इस्लाम 1400 साल पहले आया हम यह कहते हैं कि शरीयत और यह अलग बात है कि शरीयत के लिए बाज मर्तबा इस्लाम का लफ कुछ लोग बोल देते हैं लेकिन असल मकसद क्या है कि कुरान और शरीयत 1400 साल पहले आई इस्लाम तो पहले दिन से इस दुनिया में है जिस दिन हजरत आदम आदम अ सलातो वसलाम इस दुनिया में तशरीफ लाए इस्लाम साथ
(19:31) में आया चकि इस्लाम के माना क्या है इस्लाम के माने सबमिशन टू द विल ऑफ गॉड तो आपको क्या लगता है के मोहम्मद सल्लल्लाहु अ वसल्लम से पहले लोग खुदा की मर्जी के मुताबिक नहीं चला करते थे हम तो खुद कहते हैं कि मोहम्मद सल्लल्लाहु वसल्लम से पहले जो पैगंबर थे उनमें हजरत ईसा है हजरत मूसा है हजरत इब्राहीम है हजरत इस्माइल है हजरत नूह है और हजरत शीस हैं और बहुत सारे पैगंबर हैं ये सारे के सारे खुदा की मर्जी के मुताबिक अपनी जिंदगी गुजार कर गए सारे के सारे मुसलमान थे क्योंकि मुसलमान कहते ही उसको जो खुदा की मर्जी के मुताबिक चले तो हमारा ये दावा कहां है कि 600 1400 साल
(20:04) पहले इस्लाम आया है ठीक है आप लेकिन आप यह सब बताए यह बाहर वेरीफाइबिलिटी इंडिया में गग खोद तो बुद्धम या जेम के मिलते है यानी खुदाई से कोई चीज मिलेगी तो आप वेरीफाई करेंगे बगैर खुदाई के आप वेरीफाई नहीं करेंगे ब करने कर सशन ू ल ऑ गड को खुदाई से साबित करे जरा मतलब मैं तो बोलू सबमिशन ल कुछ एलियन की कर लीजिए मैं बोलता इसलिए बिलीव कर लीजिए टू द विल ऑफ गड को खुदाई से कैसे साबित करेंगे लेकिन हम हम कैसे मैं न्यूट्रल हूं ठीक है अगर आप बोलेंगे न्यूटी तो मे भाई पॉसिबल ही नहीं है ना दुनिया में कोई भी आदमी न्यूट्रल हो ही नहीं सकता न्यूट्रल आई डोंट बिलीव इन
(21:08) रिलीजन उस हिसाब से न्यूट्रल बोल रहा हूं हा मुझे मालूम है ा ट से ल गड को खुदाई से कैसे साबित करेंगे जरा इसको साबित करें फिर हम लोग तो कुछ भी बोल सकते कि हा यहां पर ठीक हैय नहीं क रहा कुछ भी बोल सकते र्स आप कुछ भी बोल सकते ई ा टू आस्क यूस सिंपल क्वेश्चन आपने कहा आर्कलॉजिकल होना चा आर्कलॉजिकल आप साबित करें के सबमिशन टू द विल ऑफ गॉड 1400 साल पहले हो रहा था या नहीं हो रहा था आर्कलॉजिकल साबित करना है यह तो इमेजिनेशन हो गया सबमिशन टू द विल ऑफ गॉड इट्स नॉ यू कैन नॉ इट्स नॉट टिबल राइट तो आपली एटली जो बिलीफ होता है वो टेंबल नहीं होता ट्स व्ट आईम ट्रांग टू से बिलीफ टबल नहीं होता है और इस्लाम बिलीफ का नाम है प्रैक्टिस तो बाद
(21:54) में आती है बिलीफ का मतलब और उसकी मर्जी के मुताबिक चलना है ये एक बिलीफ है और ये कंटीन्यूअस बिलीफ है जो पहले दिन से आ रहा है बीच में कुछ लोग इधर-उधर भटक गए जो लोग इधर-उधर भटक गए किसी ने बूत बना लिए किसी ने टेंपल बना लिया किसी ने कुछ कर लिया उसके आर्कलॉजिकल सर्वे मिलेंगे एक अनटंबल को जैसे ही टेंज बल मान लिया आपको उसके आर्कलॉजिकल सबूत मिलल जाएंगे लेकिन अनटंबल का कोई आर्कलॉजिकल आपको सबूत नहीं मिलेगा यही तो मैं कह रहा हूं आपसे लेकिन फिर फिर मुफती सर इसका हम लोग कैसे मान ले कि इस्लाम बुद्धिज्म से या फिर हिंदुइज्म से या फिर क्रिश्चियनिटी से अलग है क्योंकि उसकी मैं उसकी वजह बताता हूं चलिए आप
(22:31) हिंदुइज्म को ले लीजिए आप हिंदुइज्म में इतना तो मानते हैं ना कि हिंदुइज्म में भगवान को ईश्वर को निराकार माना गया है हां बोलते वैसे हां बोलते वैसे ही है ठीक है और अचानक वो निराकार से होते हुए आकार भी बन गया ये एक्चुअली हिंदुइज्म में फिक्स नहीं है क्योंकि उसकी बहुत सारी ब्रांचेस है कोई नो आई नो जैसे जैसे ही आप हि ू भाइयों को कंडर करते हैं ना तो फौरन इधर उधर भागते हैं नहीं वो ब्रांच ये ब्रांच वो ब्रांच असल क्या है वेदों में आपकी किताबों में जो लिखा हुआ है वो यह कि उसका वो निराकार है निराकार का मतलब यह है
(23:04) कि वो टेंज बल नहीं है उसके बाद वो फिर टेंज बल बना किसी मौके पर जाकर तो इमेजिन करें कि वेदों में कि जिसको आप यह कहते हैं कि यह पहले दिन से है वेद जब से भी इंसानियत है जब से वेद है वहां तो खुदा को निराकार माना गया टेंज बल माना नहीं माना गया बाद में जाकर टेंज बल माना गया ना आपके पास आर्कलॉजिकल सर्वे अगर आपने कर भी लिया तो कितने हजार साल पहले आप जा सकते हैं मिसाल के तौर पर आप तो साइंस में बिलीव करते हैं ना तो आप हिस्ट्री में ज्यादा से ज्यादा आप 6 सा 8000 100 हज साल तक जा सकते हैं आपको के सबूत मिले मिलिस
(23:36) ऑफ यर्स अगो है जो रीफा कार्बन डेटिंग मिलियन ऑफ यर्स अगो जी कितने मिलियन यर्स जरा बताना आई डोंट नॉट एटली लेकिन हाउ मेनी मिलियन र् यू हैव टू नो होमो सेप होमो सेप दुनिया में 100000 इयर्स से है मूर्तिया जो है वो मिलियन ऑफ यर्स से है मूर्तियां नहीं मैं डायनासोर की बात कर रहा हूं ओ भाई डायनासोर की बात नहीं हो रही है यहां पर डायनासोर को डायनासोर जो है वो सिविलाइजेशन नहीं है मैं इंसानी सिविलाइजेशन की बात कर रहा हूं कि आर्कलॉजिकल आपको आप हिंदुइज्म को कहां तक ले जा सकते कितने साल तक ले जा सकते मैं हिम की साइड नहीं ले रहा हूं मैं उसको भी नहीं मानता क्योंकि ट ल् बेस्ड न बिलीफ पहले बिव
(24:13) करो ूम जम बुद्धिज्म को आर्कलॉजिकल साबित किया जा सकता है इस्लाम से पहले कहां तक ले जा सकते हैं आप पता नहीं शायद बुद्धिज्म अराउंड [संगीत] जब बुद्ध आए थे अराउंड सिक्स बीसी और हिंदू इजम उसके बाद शायद 500 एडी वगैरह आपको कुछ नहीं पता आपको वो भी नहीं पता जिसको डिफेंड करने के लिए आप आए हैं हम डिफेंड करने नहीं आ वता में सॉरी मैं ये बोल रहा अगर अगर बिलीफ अगर आप बेस ले रहे की य बिलीव फ देन य विल नो तो मैं बोल रहा की जो अदर रिलीजन है दे आल्सो से य नी ू बव फन यनो आईम नट से य नी टू बिलीव फर्स्ट यह मैंने कभी नहीं कहा मैंने कहा कि यू नीड टू कम आउट ऑफ ट रिस्ट्रिक्टेड एनवायरमेंट एंड यू हैव टू ओपन योर आई देन
(25:09) यू विल बिलीव इट मैं वो करने के लिए तैयार हूं लेकिन वेर टू स्टार्ट य बा है यह बात सही है पहला जो पॉइंट है ना जहां से आपको स्टार्ट करना है वो यह है कि आप रिलीजन के बारे में स्केप्टिकल होने के बजाय साइंस के बारे में स्केप्टिकल हो जाइए पहली पहला पॉइंट यहां से शुरुआत कर ले आर य रेडी फॉर साइंस साइंस साइंस की बुनियाद स्केप्टिसिजम है साइंस बारे में स्टिकल है नहीं मैं साइंटिस्ट नहीं हूं लेकिन जो साइंस है बोते फ बव ए देन समथ हम भी नहीं बोलते हम भी नहीं बोलते हैं तो आप हमें मिस रिप्रेजेंट ना करें मैं ये कह रहा हूं कि साइंस के बारे में आप स्केप्टिकल है हा
(25:56) आंसर मिले जो लॉजिकल लगे जो वेफल है देन एवरीथिंग इज बिलीवेबल और डिस प्रूवेबल ठीक है आप डार्विन एवोल्यूशन के ताल्लुक से स्केप्टिकल है जहां तक एविडेंस मिला है लेकिन कुछ हो तो कुछ भी सकता है लेकिन नहीं हो तो कुछ भी सकता है व बताए अभी तक स्केप्टिकल है डॉकिंस की किताब में लिखा है कि अब तक तो ऐसे है लेकिन डकिन की सकता है ठीक है डॉकिंस ने चक कह दिया यानी आप य कह रहे अभी तक एविडेंस की बुनियाद पर मैं स्केप्टिकल नहीं हूं आगे स्केप्टिकल बन सकता हूं राइट हां लेकिन लेकिन बात ऐसी है आप स्केप्टिकल नहीं है मेरे भाई आप स्केप्टिकल नहीं है स्केप्टिकल हू लेकिन
(26:35) अगर क्या पता जो सबूत मिले वो सही मिले कि नहीं मिले नहीं पता आपको आपको क्या पता कि किसी साइंटिस्ट ने अगर बोला तो सही बोला हो सकता है झूठ बोल रहा हो डॉ लोग रिफाई कर सकते या फिर उसके पीछे नहीं कर सकते आप साइंटिस्ट नहीं है यू कैन न ड सलाम वालेकुम खैरियत सेला श्रीराम भाई जी कुड कर श्रीराम भाई आपने कहा कि डॉकिंस की किताब में लिखा हुआ है इवोल्यूशन प्रूवन थ्योरी है कहां लिखा हुआ है आप मुझे बता सकते हैं प्रूवन थरी नहीं मैं बोल रहा था कि उन्होंने लिखा है कि इट कैन बी डिस प्रूवन लेकिन उसू मिलना चाहिए हां तो देखें अब आपने अब आपने देखा आपने क्या किया कि आपकी जो सोर्स ऑफ इंफॉर्मेशन है
(27:21) ना वो रिचर्ड डॉकिंस है मैंने इसीलिए कहा था कि आप एक रिस्ट्रिक्टेड एनवायरमेंट में जी रहे हैं नहीं वो वो सिर्फ नहीं है मैं उनकी उनका सिर्फ एकट बता ऐसे नहीं जैसे मैं साबित करता हूं कि नहीं सिर्फ वो नहीं है तो और क्या है अच्छा मजेदार बात ये है हजरत कि रिचर्ड डकिन हिमसेल्फ इ नॉट अ साइंटिस्ट बट साइ जर्नलिस्ट है वो वो बंदा साइंटिस्ट भी नहीं है बोल रहा हं कि वो साइंटिस्ट है मैं नहीं बोल रहा साइंटिस्ट है भाई आप इतनी देर से साइंटिस्ट के तो रेफरेंसेस दे रहे हैं फिर आपने रिचर्ड डग को कोड क्यों किया अगर वो साइंटिस्ट नहीं है तो व्हाई आर यू कोडिंग अ नॉन साइंटिस्ट मे सस वो सेंसिबल वो कि किसी की साइड नहीं
(27:52) ले रहे कि ये करो वो करो इट्स ल वो तो साइड ले रहे हैं वो तो एथ वो तो वो तो डिक्ले एथ हमेशा रिलीजन के खिलाफ बोलता है उसने साइड ले ली लेकिन लेकिन ऐसे अगर आप जिसकी सुनते हो यू डोंट हैव टू टेक एवरीथिंग ए हाउ ड यू नो इट मेक्स सेंस आपने कहा दैट मेक्स सेंस हाउ ड यू नो मेकिंग सस क्योंकि मुझे दिमाग है मुझ में समझने या फिर तोलने की उसम शक्ति है मैं कर सकता हूं वो वो दिमाग तो बहुत सारे लोगों के पास है खाली आप यूनिक इंसान तो नहीं है ू टू मेनी अदर्स इट डजन मेक एनी सेंस तो फिर वो उनकी सोच है फिर मैं कैसे बोल सकता कि ऐसे सोच ो तो बुरा लग जाता है तो ट नहीं मुझे बुरा
(28:34) नहीं लग रहा है मतलब ऐसे ये ये नहीं हो रहा है कि ठीक है रिस्ट्रिक्टिव सोच के मुझे समझ में आ रहा कि कैसे रिस्ट्रिक्टिव तो आप बोल रहे कि जो कुछ बिलीव वगैरह है एवरीथिंग इ इफल बाय अच्छा च एक बात बताए कि आपने एंटी एवोल्यूशन पर कितना लिटरेचर पढ़ा है एंटी एवोल्यूशन पर नहीं पढ़ा है मैंने ज्यादा कुछ पढा ना तो आपने एकरे ल से जो मे भा का ही क ों प हमने इर प उर भी प हमने हमने रिलीजन के हक में भी दलील पढ़ी है और रिलीजन के खिलाफ भी दलील पढ़ी है दोनों पढ़ी है आपने सिर्फ एक साइड देखी है और आप य क आप नहीं मैंने डी में नहीं पढ़ लेकिन ज तक काम करते कक बात ज
(29:28) बोला कि आपका आपका जो थोड़ा सा नॉलेज है ना वो ए वन साइडेड है सो लेट मी गिव यू अ टास्क आई वुड से अगर आप बुरा ना माने तो आपके पास एक नेट पे आप सर्च करेंगे साइंस एंड होमोसेक्सुअलिटी पॉलिटिकल बायस एंड मॉडर्न एकेडमिक है रशियन जर्नल ऑफ एजुकेशन एंड साइकोलॉजी में ये पब्लिश किया गया था 2019 में इसको जब आप एक बार पढ़ लेंगे ना एंड यू आप चेक कर सकते हैं क्रॉस रेफरेंसेस जो इसमें दिए गए हैं यू विल अंडरस्टैंड द रियलिटी की कितना बायस होता है जो साइंटिफिक रिव्यूज होते हैं जो पेपर होते जन जनल होते हैं इनम कितना बायस होता है
(30:01) एक बार इसको पढ़ उसके बाद य विल चेंज पर्सपेक्टिव आईम शर अबाउट चले ठीक है अगले कॉनर को ले लीजिए इनसे बात हो गई है
“Agar koi cheez ab tak prove nahi hui, to iska matlab wo exist nahi karti.” Yeh daawa na sirf science ke basic principles se takraata hai, balke common sense se bhi. Aaj ke article mein hum ek atheist ke isi objection ka jawab denge, jise Mufti Yasir Nadeem al Wajidi ne ek debate mein logically dismantle kiya. Saath hi hum yeh bhi samjhenge ke kaise hum sab ek controlled environment ka hissa hain jahan maloomat restrict ki jati hai, aur uska asar hamare belief system par padta hai.
Is detailed Roman Urdu article mein aapko milega:
- Science aur logic ki roshni mein objection ka jawab
- Islamic perspective aur relevant misaalein
- Fallacies ko expose karne ka asaan tareeqa
- Apne environment ko samajhne ka aik naya andaaz
Table of Contents
Key Takeaways:
- “If it is not proven, it doesn’t exist” ek flawed principle hai, jo science aur logic dono ke khilaaf hai.
- Universe ka expansion us waqt bhi ho raha tha jab logon ko uska ilm nahi tha — ignorance does not equal non-existence.
- Hum sab ek controlled ya restricted environment mein rehte hain jahan information filter hoti hai.
- Religious beliefs reject karna aksar limited ya biased information ki wajah se hota hai.
- Islam ko 1400 saal purani nahi balki Adam (a.s) se shuru hone wali belief system ke taur par samjha jaana chahiye.
Objection: Agar koi cheez prove nahi hui, to wo exist nahi karti
Yeh objection logical taur par flawed hai. Isay science ki zubaan mein “argument from ignorance” fallacy kehte hain. Matlab yeh samajhna ke agar koi cheez prove nahi hui, to wo maujood hi nahi — jabke asal mein wo prove na hona sirf hamari limitation ko dikhata hai, us cheez ki non-existence ko nahi.
Misal: Edwin Hubble ne 1929 mein telescope se discover kiya ke universe expand kar raha hai. Kya us se pehle universe expand nahi ho raha tha? Bilkul ho raha tha, bas logon ko us waqt pata nahi tha. Agar hum is logic ko apply karein ke “not proven = doesn’t exist” to iska matlab hoga ke expansion us waqt ho hi nahi raha tha — jo ke ghalat hai.
Isi tarah, alien life ka ab tak koi concrete proof nahi, lekin kya ye maana jayega ke alien life exist nahi karti? Logical jawab hoga: “Humein nahi pata.” Na ke “wo nahi hai.”
Controlled Environment: Kya hum bhi ek bubble mein jee rahe hain?
Mufti Yasir ne is debate mein yeh naya pehlu samjhaya ke aksar log apne aas paas ke media, education aur society ki wajah se ek restricted bubble mein rehte hain. Wo sirf wohi maloomat dekhte aur seekhte hain jo unke environment ne un tak pahunchayi hoti hai.
Example: North Korea ke log sirf state-controlled TV dekhte hain. Agar unko America ya Canada ke lifestyle ka pata hi nahi to kya iska matlab yeh countries exist nahi karti? Of course not. Yeh sirf information ki restriction hai.
Waisa hi halat hamare youth ka hai jo Western curriculum, TV, movies aur media ke zariye ek aise controlled system mein palte hain jahan unko alternative worldviews dikhayi hi nahi jaate. Is bubble ka asar yeh hota hai ke religion, specially Islam, unko outdated ya irrelevant lagta hai.
Scientific Research bhi Controlled hai?
Kya aap jaante hain ke aaj ke waqt mein agar koi researcher Evolution ke khilaaf paper likhna chahe, to aksar uska research proposal accept nahi hota? Universities mein jo topic funding aur approval ke liye chune jaate hain, wo already pre-approved narratives hote hain.
Mufti Yasir ne bataya ke kaise anti-Darwin ya out-of-the-box theories ko university level pe research nahi karne diya jata. Even respected scientists jaise Michael Behe jinko universities se nikaal diya gaya sirf isliye ke unhone Intelligent Design ki taraf ishara kiya.
Yeh ek aur proof hai ke hum controlled environment mein reh rahe hain — aur jo youth is bubble se bahar nikalte hain, unki soch bilkul alag hoti hai.
Kya Islam sirf 1400 saal purana hai?
Ek aur objection ye tha ke Islam sirf Prophet Muhammad ﷺ ke waqt se exist karta hai — yani 600 CE ke aas paas. Yeh bhi ek misunderstanding hai jo restricted historical lens se aati hai.
Islam ka matlab hai: Submission to the will of God. Aur Quran ke mutabiq, Adam (a.s) se le kar Muhammad ﷺ tak sabhi paigambaron ka mission yahi tha.
To technically Islam duniya mein usi din se exist karta hai jab se pehla insaan paida hua tha. Sirf Shari’ah aur Qur’an ka nuzool 1400 saal pehle hua — religion nahi.
Archaeological Proof aur Belief
Objection uthaya gaya ke agar koi religion ya idea prove karna ho to archaeological ya physical evidence chahiye. Lekin yeh bhi flawed expectation hai.
Sabse pehle, belief system — jaise “Submission to God” — ek intangible cheez hai. Isay kisi mitti se nikaal ke prove nahi kiya ja sakta. Iska proof akhlaaq, aqeedah aur amal hota hai, na ke temples ya moortiyan.
Dusri baat yeh ke archaeological evidence sirf tangible culture ka hota hai — agar koi temple ya murti banaye, tabhi uska evidence milta hai. Agar kisi culture ne shirk nahi kiya aur material cheezen nahi banayi, to naturally unka koi “saboot” bhi nahi milega.
Conclusion
Yeh debate sirf ek atheist ke flawed logic ko expose nahi karti, balke humein yeh samjhaati hai ke hamare aas paas ka environment humari soch ko kitna deeply influence karta hai. Agar aap controlled bubble mein hain to aapko wahi sach dikhega jo aapke saamne dikhaya ja raha hai. Truth tak pohanchne ke liye humein is bubble se bahar nikalna padega — aur Islam is journey ka sabse logical, spiritual aur historical answer hai.
Islam sirf 1400 saal purana nahi — yeh wahi deen hai jo har nabi le kar aaye. Aur agar aaj bhi hum open-minded taur par sincere research karein to humein wahi roshni milegi jo pehle logon ne dekhi thi.
FAQs
- Q: Kya agar koi cheez prove nahi hui to wo exist nahi karti? A: Nahi, yeh flawed logic hai. Bahut si scientific discoveries us waqt bhi exist karti thi jab wo prove nahi hui thi. Prove na hona sirf ignorance ko show karta hai, non-existence ko nahi.
- Q: Kya Islam sirf Prophet Muhammad ﷺ ke waqt shuru hua? A: Nahi, Islam Prophet Adam (a.s) se shuru hua. Quran ke mutabiq sabhi paigambar Islam ka paighaam le kar aaye.
- Q: Kya universities mein Evolution ke khilaf research allowed hai? A: Mostly nahi. Western academia mein biased selection hota hai aur non-mainstream theories ko research funding ya approval nahi milti.
- Q: Controlled environment se kya murad hai? A: Ek aisa mahool jahan media, education aur social influence ke zariye aapko sirf select information milti hai, taake aap kisi specific ideology ko accept karein.