Kya Science Ne Khuda Ke Wujood Ko Jhutla Diya Hai?

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Transcript: (00:00) कॉस्मोलॉजिकल आर्गुमेंट यह है कि क्योंकि काज हर काज का इफेक्ट होता है ठीक है और यूनिवर्स एक इफेक्ट है तो इसका काज होना चाहिए और इसका काज गॉड है ठीक है नहीं य तो नहीं कला कॉस्मोलॉजिकल आर्गुमेंट नहीं हैय आपसे किने क [संगीत] दिया लास्ट कॉलर हमारे हैं हाउ डू आई प्रोनाउंस योर नेम खली हां तो मैं ये एक बात यहां पर हो रही थी कि यार के जो है मुल्दे मानते हैं कि गाड़ी का वजूद जो है खुद बखुदा चाहूंगा कि देखें आजकल की जो हमारे पास साइंसेस है और जितना हमारे पास अंडरस्टैंडिंग है यूनिवर्स की और चीजों की उससे यह बात हमें सामने न हमें यह मालूम

(01:01) हुई है कि काज एंड इफेक्ट का जो प्रिंसिपल है जिसकी बेसिस पर सारे के सारे वह लॉजिक जो खुदा को खुदा को मानने मतलब खुदा को इकोलॉजिकल एंटिटी बनाते हैं वह सारे के सारे कॉज एंड फेक्ट पर रिलाई करते हैं ठीक है और वो लॉजिकल आर्गुमेंट हो गए कॉस्मोलॉजिकल आर्गुमेंट हो गए तो वो आर्गुमेंट आज कल की साइंस साइंस जो है और या लॉजिक जो है वो उनको विथ होल्ड नहीं करती और इसलिए खुदा की जात एक गॉड इज डेड नाउ ठीक है जो आईडिया ऑफ गॉड है वो डेड है क्योंकि उसका जो है वजूद ही नहीं है लॉजिक में और जो आजकल की जो कॉरेस्पोंडेंस अगर की जाए यूनिवर्स के लॉज के ऊपर ठीक है तो उसके

(01:53) मुताबिक खुदा की जात का वजूद नहीं है तो वहां पे है हम हां तो और उसके बाद हमें यह नहीं कहा कहते कि जो है ना कहा जा सकता कि यार कि कोई चीज का बनाने वाला अभी जैसे गाड़ी है उसका बनाने वाला नहीं एक अशन हा अशन लेना भा कैसर भाई छ कसर भाई एक छोटा सा प्ज मैं आपसे रिक्वेस्ट करूंगा आप नमाज पढ़ ले मैं य स्पेस मार लेता हूं क्योंकि पहली दफा हुआ है कि यह सारा ग्रुप यहां पर मौजूद है और वो माइक पर भी आ मैं तो बहुत आज सरप्राइज भी हूं और चाहता भी हूं कि यह लोग सारे माइक प आए और बात रखें तो कैसर भाई अगर आपसे आपके लिए यह पॉसिबल है तो

(02:40) प्लीज अगर नहीं है तो फिर आप नमाज पढ़ के आ जाऊगा मु साब आपका क्या स्के जुल है मैं थोड़ी देर हूं अी अवेलेबल च आप कैली साब को टेन करें मैं बस नमाज पढ़ वापस हाजर हुआ जी कली साहब आप ये कह रहे थे कि लॉजिक की बुनियाद पर खुदा के वजूद का कोई मतलब नहीं है हां मैं मैं मेरा यह कहने का मतलब मैं थोड़ा आसान कर देता हूं सबसे पहली बात है कि जो मैंने बात की है वो मैंने बात की है कॉरेस्पोंडेंस थ्योरी ऑफ जो ट्रुथ है जी ठीक है सच की काफी डेफिनेशन है जी जी थ्योरी के मुता ूथ की जो थ्योरी है जी हा वो ये थरी क है कि सच की कि जो चीज यूनिवर्स के मुताबिक क्रस पंड करती है

(03:35) जैसे यूनिवर्स चल रही है उसके मुताबिक हमें चीजें बताती है ठीक है वह सच है ठीक है बाकी सब सच में रिलाई नहीं करता ठीक है सच नहीं है सिर्फ जो यूनिवर्स के साथ क्रस पंड है जैसे यूनिवर्स काम करती है उसके मुताबिक चीजें हैं तो वो स उसको आप उर्दू में नहीं उसको डिफाइन करें आप इंग्लिश में तब सही समझ में आएगा ना मतलब यार यही है कि एवरीथिंग वि कस्प टू द यूनिवर्स नहीं यूनिवर्स का ल तो नहीं उसम उसम ल ऑफ यूनिवर्स ठीक है य इ मतलब उसम यूनिवर्स का ल नहीं है यार आप आप मेरी बात समझ नहीं रहे आप जब मैं बोलता हूं ना ल ऑफ यूनिवर्स तो ल ऑफ यूनिवर्स इज ह्यूमन अंडरस्टैंडिंग ऑफ

(04:23) ठीक है हमारी मॉडलिंग होती है हमारी अंडरस्टैंडिंग है सर आपने एक थरी का आपने एक नजरिया पेश किया एमजी का कॉरेस्पोंडेंस थ्योरी ऑफ ट्रुथ उसको मैंने कहा कि आप डिफाइन कर दीजिए आप इसमें यूनिवर्स लि आए जबकि उसकी डेफिनेशन में यूनिवर्स का लफ्ज नहीं है रियलिटी का लफ्ज है फॉर योर काइंड इंफॉर्मेशन अगर नहीं है तो आप मुझे बता दीजिए कि नहीं है रियलिटी ठी रियलिटी रियलिटी में एक यूनिवर्स को अगर चले आप रियलिटी क नहीं वो तो वो आपकी इंटरप्रिटेशन रि आगे बढ़ते हैं ना अब आगे बढ़ते हैं ठीक है ये कॉरेस्पोंडेंस होगी थ्योरी हो गई तोर उसके बाद अब मेरी बात सुन लेना अब मैं

(04:58) मेरा मैं क्या कहना चाहता हूं जी चलिए हमारे पास जो जितने भी आर्गुमेंट है कॉस्मोलॉजिकल आर्गुमेंट है टेलियोलॉजिकल आर्गुमेंट है ओंटोलॉजिकल आर्गुमेंट है जो गॉड की एक्जिस्टेंस को साबित करते हैं ठीक है वो सारे के सारे जब तोड़े जाए ना तो उनका बेसिक स्ट्रक्चर जो है कॉज एंड इफेक्ट का प्रिंसिपल को वो यह समझते हैं कि यह प्रिंसिपल हर जगह विथ होल्ड करता है ठीक है मगर हकीकत में वो हर जगह विद होल्ड नहीं करता इसीलिए वो प्रिंसिपल जो है ना जो इन सारे आर्गुमेंट का बेसिस है वो फेल हो गया ठीक है आजकल की जो हमारी अंडरस्टैंडिंग हमारी नहीं बात वाज नहीं हो

(05:35) रही है ना मतलब आपने एक दावा कर दिया बात वाज नहीं हो रही मसल आप कलाम कॉस्मोलॉजिकल आर्गुमेंट को डीकंस्ट्रक्ट करके उसको तोड़ दीजिए तो बात वाज होगी हां कलाम कॉस्मोलॉजिकल आर्गुमेंट ये है कि क्योंकि काज हर काज का इफेक्ट होता है ठीक है और यूनिवर्स एक फेक्ट है तो इसका काज होना चाहिए और इसका काज गॉड है ठीक है नहीं तो आर्मेंट नहीं हैय आपसे किसने कह दिया देखिए मेरे यही अंडरस्टैंडिंग है उसकी आप आप करें डेफिनेशन आपके मुताबिक क्या डिफाइन कर उस नहीं मैं तो यह समझ रहा था कि भा आप सारे आर्गुमेंट लेकर बैठे हैं सबको डीकंस्ट्रक्ट कर चुके तो अगर आप कलाम

(06:17) कॉस्मोलॉजिकल आर्गुमेंट पहले तो मुझे बताएं और उसके बाद डीकंस्ट्रक्ट करें तो फिर बात आगे बढ़ेगी ना तो दावे तो आपके है कि फला यह हो गया वो हो गया तो आप इसको बताए क्या है जी देखें कॉस्मोलॉजिकल आर्गुमेंट ये कहता है कि एवरीथिंग दैट बिगिन टू एसिस्ट जज अ कॉज ठीक है चलिए अच्छा वो आपने कर यूनिवर्स ल स्पेस टाइम मैटर बिगिन टू एजिस्ट ठीक है जी देयर फोर यूनिवर्स जज अ काज जी ठीक है ठीक मतलब ये है कि हर चीज जो है ना उसका कोई ना कोई काज होता है ठीक ठीक है बगैर काज के इफेक्ट नहीं हो सकता बगैर इफेक्ट के काज नहीं हो सकता ठीक है इसका यह इसका

(07:01) बेसिक जो है ना इसका जो आप कह ले इसकी जड़ जो है वह यह है कि यार के हर काज का इफेक्ट होता है ठीक है और जो है यूनिवर्स भी उसी तरह उसी प्रिंसिपल के अंदर लाय करती है यूनिवर्स भी एक ठीक है उस वो एजिस्ट करती है तो इसका मतलब है उसका काज होना चाहिए देरर यूनिवर्स हैज काज ठीक है और उस काज को हम फिर क्या कह देते हैं कि वो खुदा की तरफ से हुआ खुदा ने जी अब इसमें अब इसमें जो प्रॉब्लम है वो बता दीजिए हां मैं यहां पर प्रॉब्लम की जो ये प्रॉब्लम ये है कि जो जहां पर जब हम लोगों ने यह प्रेसमन ली ये अजूम कर लिया कि कॉज हर कॉज का इफेक्ट होता है और हर फेक्ट का

(07:45) कॉज होता है ठीक है जो भी चीज एजिस्ट करती है उसका कॉज होता है वही प्रेमिसेस जो है इसका वो रंग है मैं यह कह रहा हूं जो चीज एजिस्ट करती है उसका काज होता है ये प्रेमिसेस रंग है क्योंकि हमने जब अंड ठीक देखि उस एक्सप्लेन करूंगा मैं कहा से मैंने ठीक है मैं आपको बताता हूं सबसे पहली बात है कि यह जो प्रेसमन है कि हर चीज एजिस्ट करती है उसके पीछे काज होता है यह चीज आप लोग मतलब 100% ये प्रिंसिपल वैलिड नहीं रहता आपने सुन लीजिए आप कलाम कॉस्मोलॉजिकल आर्गुमेंट को बदल देते हैं हमारा यह दावा नहीं है कि हर वो चीज जो एजिस्ट करती है

(08:27) उसका कॉज है हमारा य दावा है ही नहीं हमारा दावा यह है कि एवरीथिंग ट बिगन टू एसिस्ट जज अ कॉज हमारा यह दावा है तो वही है ना एक ही बात हुई हर चीज जो एजिस्ट करती है मैं वही कह हर चीज जो एजिस्ट करती है उसका काज है नहीं हम यह नहीं कह रहे हैं हम यह नहीं कहते कि हर वो चीज जो एजिस्ट करती है उसका कॉज हम ये कहते हैं कि एवरीथिंग ट बिगन टू एजिस्ट हैज अ कॉज नॉट एवरीथिंग टिस्ट हैज अ कॉज जमीन आसमान का फर्क है आप अगर मतलब ये आ मीन कमन आप जो है फिलोसॉफिकल बातें कर रहे हैं और आप फर्क नहीं समझते आप ये कह रहे हैं कि जो बिगन टू एसिस्ट मतलब आपका क्या मतलब है आप

(09:08) इसको जिस चीज के वजूद का आगाज हुआ है उसका सबब है जी हां जिस चीज के वजूद का आगाज हुआ है उसका सबब है इसका मतलब है कि हर व जो चीज जिसका वजूद का आगाज हुआ है उसका काज है हर चीज जो है अच्छा मुझे एक बात बता इंसान है इंसान है ठीक है जी तो इंसान बिगन टू एजिस्ट है करता था या नहीं करता है मैं हूं आप अपनी आप अपनी आईडियोलॉजी के से बताते मुझे एक बात बताए नहीं नहीं मुझे मुझे बात बताए मुझे ऐसी एक चीज बताएं जो इस डेफिनेशन के अंदर ला नहीं करती कोई ऐसी चीज जो बिगन टू एसिस्ट है नहीं है बिगन टू एजिस्ट नहीं है वो मुझे बताएं वो ऐसी कौन सी चीज है

(10:00) जो बिगन टू एजिस्ट नहीं है और एजिस्ट भी नहीं करती है नहीं एजिस्ट करती है हां लेकिन उसकी बिगिनिंग नहीं है हां उसकी बिगिनिंग नहीं है खुदा तो इसका मतलब है कि ये जो आपने प्रेमिसेस लिया एवरीथिंग दैट बिगन टू एजिस्ट ठीक है रिक्वायर मतलब उसको काज चाहिए तो इसका मतलब है कि वो जो है खुदा उसकी बिगिनिंग नहीं है खुदा की बिगिनिंग खुदा की बिगिनिंग होगी तो इफिट रिग्रेस हो जाएगा अच्छा सही है सही है सही है मतलब इसका है कि खुदा के सिवा हर चीज की बिगिनिंग नहीं बिगिनिंग है बिल्कुल हर चीज की बिगिनिंग है और हमने यह कह दिया कि फिर जो चीज भी यूनिवर्स के अंदर एजिस्ट करती

(10:50) है ठीक है जो भी चीज जो भी इस कॉस्मोलॉजी कॉस्मो में एजिस्ट करती है ठीक है कॉस्मो का मतलब के जो कुछ भी है जो कुछ भी ठीक है यूनिवर्स है या यूनिवर्स है या जो कुछ भी है इन सबके अंदर जो चीज भी एजिस्ट करती हो वो उसकी बिगिनिंग है ठीक है आपका यह कहना का मतलब है आपने एक अजमन और ली है हर चीज कर य ा ही सही है ये कह रहा हूं मैं आपको बता रहा हूं ना तो हम हमने यह फिर फर्ज कर लिया हमने यह कह दिया कि हर चीज मतलब जो कुछ भी कॉस्मस के अंदर लाय करता उसका रहा कराए थे वो एकदम उड़ गया और वो आप समझ में नहीं आ रहा इसको फिक्स कैसे करूं सुनले

(11:34) सुन ले मैं मैं आपको वही बात कर रहा हूं मैं आपकी बात को सुना चा आए थे आप ये कए भाई हर चीज या इनी देर से तो आप बात कर रहे थे ना मुझे बात करने दीजिए चौधरी साहब अगर आप जो है आप जरा इनको म्यूट कीजिए क्योंकि इतनी देर से मैं सुन रहा था बहुत पेशेंटली मैंने तो कोई बात नहीं जी तो इतनी देर से आपने आपकी तकरीर सुनी हमने मैं ये बताना चाह रहा हूं ऑडियंस को कि ये ये सोच कर आए थे कि ये कहूंगा भाई जो आपका आर्गुमेंट सुन लीजिए सुन लीजिए सु बात अब आप मुझे बोलने दें मुझे बोलने द मैंने नहीं बोला ये सोच कर ही आए थे कि हर वो चीज जो एजिस्ट करती है उसका कॉज है और चकि खुदा

(12:08) एजिस्ट करता है लिहाजा उसका कॉज दिखा दो तो आपका तो ये टूट गया आर्गुमेंट हमारा वो आर्गुमेंट है ही नहीं हम तो कलाम कॉस्मोलॉजिकल आर्गुमेंट को मानते हैं अब जब यन छूट गई तो अब इनको समझ में नहीं आ रहा वो कौन से अल्फाज ं कि मैं पटरी पर अपनी गाड़ी लेकर आ सक मतलब करले उसका मतलब ये हो गया बात जा रहे यार भाई आपका प्रेमिसेस क्या था आपका प्रेमिसेस ये है कि हर चीज जो जिसकी बिगिनिंग है जो एजिस्ट करती है और उसकी बिगिनिंग है उसका काज है तो यह प्रिंसिपल विथ होल्ड नहीं करता यूनिवर्स के अंदर मैं यही कहना चाहता साबित कीजिए ना कि यूनिवर्स में आप मुझे एक ऐसी चीज बताइए

(12:49) यूनिवर्स में कि जो बिगन टू एजिस्ट हो और बगैर कॉस्ट के हो जी हां आप क्वांटम फ्लकचुएशन देखें ना ठीक है उसके अंदर क्वांटम पार्टिकल्स है जो बगैर कॉज के पैदा होते हैं बगैर ठीक है उनका वो खुद बखुदा होते हैं अच्छा इसके पास इसका आपके होल्ड ऑन होल्ड ऑन मैं आपसे सवाल करता हूं आपसे आपसे सवाल है कि ये जो खुद बखुदा होते हैं इसका जो कॉज है वो आपको पता नहीं है या आपको पता है कि उसका कॉज नहीं है कॉज का देखि कॉज का मतलब है कि वो कहीं से ठीक है वो नोवे मेरा सवा मेरा सवाल जी आपको आप क नाहा कर रहा जो चीज जिसका आपने मिसाल दी है उसका कॉज नहीं है य आपको पता है या

(13:51) उसका कॉज है और आपको पता नहीं है दोनों में से कौन सी बात सही है देखिए उसका काज नहीं है मैं यह कह रहा और आपको यह साइंटिफिकली प्रूवन है कि इसका कॉज नहीं है हां आप जाके पढ़ ले कंडम फ्लकचुएशन के पीछे और आप फशन के पीछे कॉज नहीं है साइंस ने साबित कर दिया हा यार आप लोग कहां से आते हो मतलब कौन सी दुनिया में कौन सी मुझे बताना मुझे आप बताए आपको पता है आपको मालूम है तो आप बताए मुझे मुझे आप बता मैं गुस्सा नहीं क रहा मुझे ये बा अच्छा जरा एक्सप्लेन करेंगे कि क्वांटम फ्लक्शनल फ्लकचुएशन में ऐसा होता है कि अगर आपके पास एमटी स्पेस हो ठीक है जहां

(14:41) पर क्वांटम वैक्यूम हो क्वांटम वैक्यूम वहां पर पार्टिकल्स कुछ भी एजिस्ट नहीं करता ठीक है वहां पर पार्टिकल्स खुद बखुदा एजिस्ट करते हैं वो उनके पीछे यह नहीं होता कोई ना फोर्स होती है ना कोई एनर्जी होती है जो उनको बना रही होती है वो वैक्यूम को वैक्यूम को ही वैक्यूम से ही ओरिजनेट होना शुरू हो जाते हैं वैक्यूम से ओरिजनेट हो जाते एंटर मैटर मैटर एंटर मैटर की शक्ल में ठीक है वो ओरिजनेट होना शुरू हो जाता है और खत्म भी हो जाता ठीक है बिल्कुल आपने दुरुस्त फरमाया आप हाइजनबर्ग का अनसर्टेंटी प्रिंसिपल समझते हैं आप हां जी समझते

(15:26) हैं आप यह भी समझते हैं कि जब तक आप इस प्रोसेस की कैलकुलेशन ना करें तब तक ये फ्लकचुएशन को आप ऑब्जर्व नहीं कर सकते नहीं वो हाइजनबर्ग अनसर्टेंटी प्रिंसिपल यह कहता है कि जब आप किसी भी क्वांटम लेवल के पार्टिकल्स को अगर आप स्टडी करना चाहते हैं तो अगर उसमें आप जो एक जो हमारे पास एक ऑर्थोडॉक्स मेथड है चीजों को स्टडी करने का हम उन परे एनर्जी फेंकते हैं ठीक है और एनर्जी हमें वापस आती है जो हमें उसकी पोजीशन और मोमेंटम बताती है मगर हम जब क्वांटम पार्टिकल्स में या मतलब एक जो एटॉमिक पार्टिकल है या सब एटॉमिक पार्टिकल्स है उसमें अगर हम लोग एनर्जी फेंकते हैं ताकि

(16:13) हम लोग उनको फर्द स्टडी कर सके तो वो उनकी जो है मतलब है कि हमें उनकी असली जो स्टेट है वह नहीं बता सकता या तो हमें मोमेंटम मालूम हो सकता है उसका या हमें पोजीशन मालूम हो सकती है क्योंकि अगर हम हम लोग उसकी पोजीशन मालूम करेंगे तो हमें जो एनर्जी फेंकी तो वो उसकी एनर्जी वो एनर्जी यूज करके वही पार्टिकल और मोमेंटम गेन कर लेगा तो हमें उसका एक्यूरेट मोमेंटम नहीं मिल पाएगा तो वो यह कहता है कि य जो ऑर्थोडॉक्स वे है जिससे हम बड़े ऑब्जेक्ट ठीक है सेयल ऑब्जेक्ट की हम लोग पोजीशन और मोमेंटम मालूम करते हैं उससे हम सब एटॉमिक पार्टिकल्स की हम

(16:54) मोमेंटम और पोजीशन नहीं मालूम कर सकते उस वे से उस ते से बस नहीं कर सकते इसलिए या ओबवियसली नहीं कर सकते इसलिए कि वो क्लासिकल फिजिक्स है और क्लासिकल फिजिक्स क्वांटम फिजिक्स प अप्लाई नहीं करते चच इज द रीजन कि हम थ्योरी ऑफ एवरीथिंग ढूंढ रहे हैं स्ट्रिंग थ्योरी ढूंढ रहे हैं जो कि इन कंपस करे इस डिस्पर को वो एक्सप्लेन कर सके बट एट बेस्ट ये एक डिस्पैच मींस कि इस वक्त हमें ये नहीं पता कि वो एग्जैक्ट कॉज क्या है अच्छा सर भाई ये सवाल जब मैंने किया तो इन्होंने कहा कि नहीं हमें पता है कि इसका कॉज नहीं है देखिए मैं आपको ब

(17:31) गन सब लोगों ने सब लोग यहां मौजूद है और बा ते हमेशा हमेशा हम लोग हम लोग देखिए क्वांटम मैकेनिक्स के अंदर क्वांटम फिजिक्स के अंदर प्रोब की आला साहेब आपकी जो मूड फ्लकचुएशन है उसका तो कॉज कोई ना कोई होगा ना वो इल्म होना चाहिए आप साइंस की बात कर रहे हैं पढ़े लिखे आदमी है एक तरीका का होता मुफती साहब बात कर रहे आप काट के अपनी शुरू कर रहे हैं ऐसा तो ना करें जी मु साहब क्या कह रहे जी मैं मैं कैसर भाई इनसे जो सवाल आपने किया है एग्जैक्ट वही सवाल मैंने किया कि क्वांटम फ्लक्ट एशन का कॉज आपको पता नहीं है इसलिए आप कह रहे हैं या आपको

(18:11) पता है कि उसका कॉज नहीं है तो आप इसमें से कौन सा ऑप्शन लेंगे इन्होंने कहा मैं दूसरा ऑप्शन लूंगा कि हमें ह हर हाल में सर्टेनली पता है कि उसका कॉज नहीं है जबकि यह बात आपने खद ही साबित कर दिया कि ये चीज गलत है नहीं नहीं अगर ये पता चल जाए तो क्वांटम फिजिक्स प रिसर्च खत्म हो चुकी होती बकुल सा का ही नहीं कर जी जी सर्टेंटी तो साइंस में है ही नहीं ना सवाल ही पैदा नहीं होता खैर इन एनी केस इस पे थरी मौजूद है कि क्वांटम फ्लकचुएशन कैसे होती है क्यों होती है बट एट द मोमेंट हम जो हाइजनबर्ग का जो अनसर्टेंटी प्रिंसिपल है बेसिकली व पॉजिट करता है कि हमें उसके

(18:44) लिए मेजरमेंट्स करनी होती है तो वो मेजरमेंट ही फिलहाल हम ये कहते हैं कॉज करता है चच इज नॉट टू से कि मेजरमेंट कॉज करती है पर कहने का मतलब यह है कि हम अगर मेजरमेंट ना करें तो हम उस फ्लकचुएशन को कभी ऑब्जर्व ना कर पाए देर फोर देर हैज टू बी सम काइंड ऑफ मैकेनिज्म लेकिन एक चीज जो तयशुदा है वो यह है कि यह क्वांटम फ्लकचुएशन जो होती है यह इस यूनिवर्स के अंदर ही होती है देयर इज नो साइंटिफिक एविडेंस कि ये यूनिवर्स के बाहर भी हो सकती है व्हिच इज टू से कि जो सब एटॉमिक एंटिटीज हैं जितना भी क्वांटम रिलम है यह सारे का सारा कंटिजेंट है ये

(19:19) नेसेसरी नहीं है व्हिच इज टू से कि अगर ये कंटिजेंट है तो यह अपने वजूद और अपने फंक्शन की एक्सप्लेनेशन नहीं दे सकता इसकी एक्सप्लेनेशन आपको एक नेसेसरी कॉज में ढूंढनी होगी जो कि अन कज कॉज होगा दैट इज द ओनली वे बाय विच यू कैन मेक सेंस ऑफर आप ये नहीं कह सकते कि द फैक्ट कि मुझे इसकी फ्लकचुएशन का कोज इस वक्त नहीं पता देर फोर खुदाने मैंने ये नहीं कहाने बात पूरी समझी नहीं है शायद डिबेट खत्म करें भाई आप नहीं मानेगा इस इसके पास कोई आर्गुमेंट ही नहीं है ज कोई आर्गुमेंट नहीं है आगे बढ़े मेरे खल से कोई आर्गुमेंट नहीं आगे बढ़े

(19:51) इसके पास कोई आर्गुमेंट ही नहीं है ये पहले बोलता है कि उस एसिस्ट है फिर बोलते है डेबड प कहते हैं कि प्रूफ करो बोला प्रूफ नहीं है प्रूफ नहीं है तो कैसे बात नहीं मैं मैं आपकी बात बता देखि अच्छा अच्छा वैसे वो ठीक डांट रहे हैं इसलिए मे ल इस बात को खत्म करते हैं कैगला साहब मैं यह जरूर कहूंगा कि मैंने आपसे बात कम की है लेकिन खुशी हुई है आपसे बात करके हम चाहते हैं के इस लेवल पर गुफ्तगू हुआ करे जिसमें साइंस हो जिसमें फिलॉसफी हो जो पिछले साहब आए थे आपने देखा था हमें भी मायूसी होती है बाज त के हमारा टाइम जाया होता है लेकिन पब्लिक के लिए

(20:25) बात करनी पड़ती है सो इट इ इंपोर्टेंट कि इस तरह सेश जारी रहे नेक्स्ट टाइम आप तशरीफ लाइए जरूर इसको देखिएगा कि क्या क्वांटम फ्लकचुएशंस के लिए यूनिवर्स का होना जरूरी है या नहीं है अगर जरूरी नहीं है देन यू नीड टू प्रोवाइड कैलकुलेशंस जो बाहर की है और अगर जरूरी है तो फिर आपको मानना पड़ेगा ये कंटिजेंट है और कंटिजेंट चीज को सामने रख के आप एक नेसेसरी बीइंग पे क्वेश्चन रेज नहीं कर सकते दिस इज द थिंग र वी नीड टू लीव द कन्वर्सेशन इंशाल्लाह नेक्स्ट टाइम आपसे बात होगी बहुत-बहुत शुक्रिया आपका


Aaj kal atheists ek naye confidence ke saath yeh daawa karte hain ke “God is dead” – aur unka sabse bada sahara hota hai: science. Unka kehna hai ke aaj ki modern cosmology, quantum physics aur causality ke naye models ne Khuda ke wajood ki zarurat hi khatam kar di hai. Yeh debate YouTube show me Mufti Yasir Nadeem al Wajidi aur ek atheist caller ke darmiyan hui – jahan unhone kalam cosmological argument ko lekar kai aitraaz uthaye, jaise ke “cause and effect har jaga apply nahi karta”, ya “quantum fluctuations bina cause ke hoti hain”.

Lekin kya waqai science ne God ke concept ko obsolete bana diya hai? Kya cosmological argument fail ho gaya hai? Aur kya quantum physics se waqai koi cheez “bina cause ke” ho sakti hai?

Is article me hum in tamam aitraazon ka logical, friendly aur ilmiy jawab denge. Har objection ko asaan alfaaz me samjhayenge, fallacy ko highlight karenge, aur Islam ka mo’tadil perspective pesh karenge.


Key Takeaways:

  • Cosmological argument sirf yeh nahi kehta ke “har cheez ka cause hota hai”, balki kehta hai: “har wo cheez jo exist karna shuru kare, uska cause hota hai.”
  • Quantum physics ke objections ka matlab yeh nahi ke koi cheez bina cause ke exist kar sakti hai – balki yeh uncertainty ya ignorance ko confuse kiya gaya hai causality ke absence ke saath.
  • Scientific models khud assumptions pe base karte hain – unka matlab yeh nahi ke woh absolute reality define karte hain.
  • Khuda ek necessary being hai, jo time-space ka hissa nahi, balki creator hai – is liye “cause” ka sawal us par lagu nahi hota.
  • Atheist ki reasoning me strawman aur category mistake jaise logical fallacies paayi gayi hain.

Objection: “Har cheez ka cause hota hai – to phir Khuda ka cause kya hai?”

Yeh objection ek atheist caller ne uthaya. Uska kehna tha: agar aap kehte hain ke universe ka koi cause hai, to phir Khuda ka cause bhi hona chahiye. Agar aap Khuda ko cause-free maante hain, to phir universe ko bhi bina cause ke samjha ja sakta hai.

Yeh ek classic misunderstanding hai. Kalam Cosmological Argument yeh nahi kehta ke “har cheez ka cause hota hai” – balki yeh kehta hai:

Har wo cheez jo exist karna shuru kare (everything that begins to exist), uska cause hota hai.

Khuda ka concept Islam me yeh hai ke Allah timeless aur eternal hai – usne kabhi exist karna shuru nahi kiya. Woh hamesha se hai. Aur jo cheez hamesha se hai, uska koi external cause nahi hota.

Yani:

  • Universe → began to exist → needs a cause.
  • Allah → did not begin to exist → does not need a cause.

Fallacy Highlight: Strawman + Category Mistake

Atheist ne jo aitraaz uthaya woh Strawman Fallacy ka example hai – kyunke usne cosmological argument ko galat tareeke se quote kiya, phir us galat version ko challenge kiya. Iske alawa yeh Category Mistake bhi hai – kyunke woh God (jo necessary being hai) aur Universe (jo contingent being hai) dono ko ek hi category me daal kar judge kar raha hai.


Objection: “Quantum Fluctuations bina cause ke hoti hain – to cause ki zarurat hi nahi!”

Atheist caller ne quantum fluctuations ka example diya – jahan supposedly subatomic particles khud-ba-khud vacuum se pop up karte hain – aur is se yeh point establish karne ki koshish ki ke har effect ka koi cause zaruri nahi hota.

Magar is objection me bohot si scientific aur logical misunderstandings chhupi hui hain:

1. “Bina cause ke” aur “cause na maloom hona” – ye do alag cheezein hain

Science ke paas jab kisi phenomenon ka cause nahi hota, to iska matlab yeh nahi ke woh cause-less hai. Yeh sirf hamari current ignorance hai. Scientific method me jab tak koi cheez observe nahi hoti, usay bina cause keh dena logical error hai.

“Absence of evidence is not evidence of absence.”

2. Quantum fluctuations khud ek system ke andar hoti hain

Quantum vacuum ek complete emptiness nahi hota. Yeh ek field hoti hai jo energy se bhari hoti hai, jisme fluctuations hoti hain. Yeh sab kuch already existing laws aur frameworks ke andar ho raha hota hai – matlab, yeh universe ke andar ka phenomenon hai, universe ke bahar ka nahi.

3. Heisenberg’s Uncertainty Principle ka galat interpretation

Jo argument diya gaya tha usme uncertainty principle ka zikar tha – lekin woh sirf yeh batata hai ke kisi particle ki position aur momentum ko simultaneously accurate predict nahi kiya ja sakta. Yeh measurement ka issue hai, cause ka nahi.

4. Logical Fallacy: Equivocation

Jab quantum level ki uncertainty ko cause ki non-existence ke barabar rakha gaya, to yeh Equivocation Fallacy ban gayi – yani ek lafz ka matlab badal kar usse logic twist ki gayi.

5. Khuda ka role quantum level ke upar hai

Islamic view me Allah time-space se bahar hai. Quantum physics ka har model bhi space-time framework me hota hai. Agar quantum fluctuation se kuch originate hota bhi ho, to wo bhi ek system ke andar ho raha hai – lekin hame system ke origin ka bhi sawal karna hoga. Uska answer quantum fluctuation nahi de sakti.


Objection: “Agar har cheez jiska aaghaz hai uska cause hai, to Khuda ka kya saboot?”

Atheist ne sawal uthaya ke agar sirf wo cheez jiska aaghaz hai uska cause hona chahiye, to Khuda ka existence kaise sabit kiya jaye jab woh to timeless hai?

Yahan pe Mufti Yasir ne bohot clear jawab diya:

  • Hum claim karte hain ke universe me jitni cheezein hain, wo contingent hain – unka wujood kisi external cause pe depend karta hai.
  • In sab ko explain karne ke liye ek necessary being ki zarurat hoti hai jo khud kisi aur par depend na karta ho.
  • Yeh hi concept hai “uncaused cause” ka – jisko hum Allah kehte hain.

Analogy: Agar har domino doosre domino se gira ho, to pehle domino ko kisne giraaya? Us domino ka hona zaruri hai jo khud kisi se na gira ho.


Natija (Conclusion)

Is puri debate ka nateeja yeh nikalta hai ke modern science, quantum physics ya logic – kisi bhi level par Khuda ke wujood ka inkaar nahi karte. Jo objections uthaye gaye unme ya to logical fallacies thi, ya scientific misunderstanding, ya phir category mistake.

Kalam Cosmological Argument ek powerful, simple aur logical argument hai jo yeh batata hai ke:

  • Har wo cheez jo exist karna shuru kare uska cause hota hai.
  • Universe ka aaghaz hua hai.
  • Therefore, Universe ka bhi cause hona chahiye.

Aur woh cause time-space se pare, eternal aur uncaused hoga – jise Islam Allah ke naam se pehchanta hai.

Science ka kaam hai kaise dhoondhna. Islam batata hai kyun. Jab dono ko samajhne ki koshish ki jaye, to insaan sachai ke qareeb chala jata hai.


FAQs

  • Q: Kya quantum physics God ke concept ko challenge karti hai? A: Nahi, quantum physics sirf uncertainty aur probabilistic behavior ko describe karti hai. Yeh God ke wujood ka inkaar nahi karti.
  • Q: Agar har cheez ka cause chahiye to Khuda ka cause kya hai? A: Sirf wo cheezein jinka aaghaz hota hai unka cause hota hai. Allah eternal hai – uska koi aaghaz nahi, is liye uska cause bhi nahi.
  • Q: Kya science ne waqai God ko irrelevant bana diya hai? A: Bilkul nahi. Science limited framework ke andar ka data explain karti hai. God us framework ka khaliq hai.
  • Q: Kya Kalam Cosmological Argument outdated ho chuka hai? A: Nahi, yeh argument ab bhi relevant hai – bas samajhne ki zarurat hai ke iske premises kya hain aur kya nahi.
  • Q: Quantum fluctuations se cheezein cause ke bina ho sakti hain kya? A: Fluctuations vacuum me hoti hain – magar woh bhi ek field hai. Yeh cause ke bina nahi, balki cause ke background me hoti hain.

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